लण्ड की सलामी-1
Lund ki Aalami-1
मेरा नाम विक्की है, मैं 22 साल का हूँ और पटना में रहता हूँ। मेरी 6 फुट की ऊँचाई है और देखने में ठीक-ठाक लगता हूँ। हाँ.. जिम करता हूँ इसलिए मेरा जिस्म काफ़ी भरा-पूरा दिखती है।
मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं तो मैंने सोचा कि क्यों ना मैं अपनी कहानी भी आप लोगों के साथ शेयर करूँ।
मैं एक संयुक्त परिवार में रहता हूँ। यह कहानी मेरे चाची के बारे में है।
यह घटना आज से दो साल पहले की है जब मैं अपने कॉलेज के पहले साल में था।
मैं गर्मी की छुट्टियों में गाँव गया हुआ था और वहाँ मैं पूरे परिवार के साथ आया हुआ था। मेरी चाची भी हम सबके साथ आई थीं जिनके बारे में यह कहानी है।
वैसे तो मेरी चाची अपने बच्चों की पढ़ाई की खातिर शहर में रहती हैं। लेकिन उस समय सभी की गर्मी की छुट्टी चल रही थीं तो वो लोग भी गाँव आए हुए थे।
चाची की शादी को करीब दस साल हो गए हैं और उनके दो बच्चे भी हैं, लेकिन चूँकि उनकी शादी बहुत कम उम्र में हुई थी, इसलिए अभी भी वो मेरे चाचा जी के मुकाबले काफी जवान हैं।
उनकी शादी 16 साल में ही कर दी गई थी इसलिए अभी उनकी उम्र 26 साल थी। जब उनकी शादी हुई, उस समय मैं बहुत छोटा था तो मुझे चाची के लिए कुछ ख़ास फीलिंग नहीं थी, लेकिन जैसे-जैसे मैं जवान होता गया, वो मुझे अच्छी लगने लगीं, मेरे दिल में उनके लिए कोई ऐसी गलत फीलिंग नहीं थी।
मैं पहले भी शहर उनके यहाँ बहुत बार जा चुका हूँ और हमारी काफ़ी बातें होती रहती हैं।
वो मुझसे बहुत मज़ाक करती हैं और मुझे मेरी शादी को लेकर अक्सर चिढ़ाती भी रहती हैं, तो मैं उन्हें बोलता हूँ कि मैं आपकी तरह नहीं हूँ जो इतनी जल्दी शादी कर लूँ।
तो वो बोलती हैं- मेरी तरह जल्दी शादी कर लेते, तो आज जन्नत की मौज में रहते।
हमारे बीच ऐसी बातें होती रहती हैं लेकिन कभी इसके आगे कुछ नहीं हुआ।
मेरी चाची दिखने में बहुत ही सुंदर हैं, दो बच्चे होने के बाद भी उनका फिगर खराब नहीं हुआ, वो खुद को बहुत सजा-संवार कर रखती हैं।
उनके जिस्म में उनके मम्मे 36 इन्च के कमर 28 की और उनकी चूतड़ 34 इन्च के हैं, वो देखने में बहुत गोरी लगती हैं।
जब भी साड़ी पहन कर कहीं बाहर जाती हैं तो क़यामत लगती हैं।
हाँ, तो अब सीधे कहानी पर आते हैं। बात गर्मी की छुट्टियों की है, जब गाँव में घर के सारे लोग आए हुए थे।
चूँकि वहाँ लाइट बहुत कम ही रहती है और नीचे कमरे में सोने पर गर्मी बहुत ज़्यादा लगती है, तो सब लोग छत पर सोते हैं।
एक रात जब मैं छत पर सोया हुआ था तो रात को मौसम कुछ ज़्यादा ही ठंडा हो गया और मुझे ठंड लगने लगी, उस समय यही कोई दो बज रहे होंगे।
चूँकि मैं रात को चादर लेकर नहीं सोया था इसलिए सोचा कि नीचे चलकर ही सो जाता हूँ इसलिए मैं नीचे कमरे में सोने आ गया।
जैसे ही मैं वहाँ पहुँचा तो देखा कि वहाँ पहले से ही चाचीजी सो रही हैं। तो मैंने सोचा कि लगता है इन्हें भी ऊपर ठंड लगी होगी इसलिए नीचे चली आईं।
उस कमरे में थोड़ी-थोड़ी हवा आती है इसलिए वहाँ सोने में आराम लगता है। चाची को देखकर मैंने सोचा कि चल कर अपने कमरे में ही सोया जाए, तभी मेरी नज़र चाची के पैरों पर पड़ी, देखा तो सोने की वजह से उनकी नाइटी ऊपर होकर उनके जांघों तक आ गई थी।
उनकी नाइटी भी अस्त-व्यस्त हो चुकी थी जिसके उनके मम्मे भी थोड़े-थोड़े दिखाई दे रहे थे।
यह सब देख कर मुझे कुछ-कुछ होने लगा और मुझ पर वासना सवार होने लगी।
मैंने बहुत सोचा फिर अंत में वहीं उनके बगल में जाकर सो गया।
मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही पड़ा रहा जब उनकी तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तो मैंने करवट बदली और अपना एक पैर उनके पैरों के ऊपर रख दिया।
चूँकि उनकी पीठ मेरी तरफ थी तो मुझे पता नहीं चल पाया कि वो सो रही हैं या जाग रही हैं। जैसे ही मैंने अपना पैर उनके ऊपर रखा वो अचानक से उठीं मेरी तरफ देखा और वहाँ से उठ कर चली गईं।
अब तो ये देख कर मेरी हालत खराब होने लगी, मुझे डर लगने लगा कि पता नहीं ये किससे क्या बोल दें, फिर पता नहीं बाकी लोग क्या सोचेंगे।
यही सब सोच-सोच कर मेरे पसीने छूटने लगे। मैंने बहुत सोचा फिर सोचा कि चल कर चाचीजी से इन सारी चीज़ों से माफी माँग ली जाए, फिर शायद वो किसी से ना कहें, यही सब सोच कर मैं माफी माँगने के लिए उनके कमरे में चला गया।
उधर देखा तो वो अपने बिस्तर पर लेटी हुई थीं, मैंने जाकर जो कुछ भी हुआ उसके लिए उनसे बोला- सॉरी… आप प्लीज़ किसी से कुछ मत कहना नहीं तो मुझे बहुत डाँट पड़ेगी।
वो मुझे घूर कर देखने लगीं, फिर बोलीं- ठीक है, पर उससे पहले आपको मैं जो पूछूँ वो बताना पड़ेगा।
मैंने कहा- ठीक है, जो पूछना है पूछिए।
तो उन्होंने पूछा- अभी आपने ऐसे क्यों किया?
तो मैंने सोचा कि झूठ बोल देता हूँ और बोला- मुझे ठंड लग रही थी इसलिए नीचे सोने आया था और मुझे पता नहीं था कि आप बगल में सो रही हो, इसलिए ग़लती से पैर रख दिया।
तो वो बोलीं- ठीक है, आप मत बताओ मुझे सच बात.. मैं बाकी लोगों को यह बात बता दूँगी।
तो मरता क्या ना करता मैंने बोला- ठीक है मैं सब बताता हूँ।
फिर मैंने बोला- आप बहुत सुंदर हैं और मुझे बहुत अच्छी लगती हैं और जब आज मैं सोने आया और आपको ऐसे देखा तो खुद को रोक नहीं पाया।
यह सुन कर वो थोड़ा मुस्कुराने लगीं, तब मेरी थोड़ी जान में जान आई और मुझे लगा कि अब शायद ये किसी से कुछ नहीं कहेंगी और शायद इनको भी ये सब सुनना अच्छा लग रहा है।
फिर उन्होंने पूछा- मैं आपको अच्छी क्यों लगती हूँ?
तो मैंने फिर से कहा- आप बहुत सुंदर हैं।
तो वो मुस्कुराते हुए बोलीं- क्या सुंदर है मुझमें?
मैं सोचने लगा कि क्या बोलूँ.. तो वो फिर बोलीं- क्या सोचने लग गए… बताना है या मैं सबको जाकर बता दूँ कि आपने क्या किया।
तो मैंने डरते-डरते कहा- मुझे आपकी फिगर बहुत अच्छी लगती है।
तो यह सुन कर वो थोड़ा और मुस्कुराने लगीं और अब थोड़ा अंजान बनते हुए हुए पूछा- फिगर मतलब.. उसमें क्या अच्छा लगता है..?
ऐसा क्या है मेरे फिगर में?
तो मैं समझ गया कि इनको भी अपनी तारीफ सुनने में मज़ा आ रहा है।
फिर भी मैंने डरते-डरते कहा- आपके ऊपर में जो है वो।
तो अब उन्होंने शरारत करते हुए पूछा- ऊपर में क्या है?
मैं समझ गया कि इनको भी ये सब सुनने का दिल कर रहा है।
फिर मैंने कहा- आपके मम्मे।
वो एकदम से चौंक गईं।
कहानी अगले भाग में समाप्य।
आपके विचारों का स्वागत है ।
मुझे अपने विचार लिखिए।
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