खुली छत पर चाची की हाहाकारी चुत चुदाई

(Khuli Chhat Par Chachi Ki Hahakari Chut Chudai)

सेक्स स्टोरी के चाहवान मेरे प्यारे दोस्तो, मैं सत्यम पहली बार आपके सामने अपनी सच्ची चोदन कहानी लेकर आया हूँ. अगर मेरी कहानी में कोई गलती हो तो मुझे माफ कर दीजिएगा.

यह बात उस समय की है, जब मैं स्नातकी कर रहा था. मेरे घर के पड़ोस में एक परिवार रहता है, जो मेरे रिश्ते में दूर के चाचा चाची लगते हैं. चाचा एक प्राइवेट नौकरी करते हैं, चाची जी घर पर रहती हैं और उनकी एक 3 साल की बेटी है.

पहले मैं आपको चाची के बारे में बता दूँ, चाची का नाम पूजा है, जो बहुत गदराई हुई हैं. लेकिन पहली नजर में देखने से वो लगती ही नहीं हैं कि वे एक बच्चे की माँ हैं. उनके मम्मों के उठान और गांड को देखकर कोई भी पागल हो ही जाएगा क्योंकि उनके फिगर का साईज़ कुछ 38-34-40 के करीब होगा. चाची दिखती बहुत अच्छी हैं और उनका रंग भी गोरा है. चाची की गांड भी कुछ ज्यादा ही बाहर को निकली है. जब वो चलती हैं तो एकदम कयामत ढाती हैं जब चाची के चूतड़ ऊपर नीचे ऊपर नीचे होते हैं तो!

मेरी चाची होने की वजह से हम दोनों में अच्छी बातचीत होती रहती है. मैं उनसे खुलकर बातें करता हूँ और वो भी मुझसे खूब हंस हंसकर बात करती हैं. चाची मेरी हर एक बात का जवाब देतीं. उनसे बातचीत के दौरान मैं उनके मुक्त व्यवहार का फायदा उठाते हुए उनके मम्मों पर अपनी नजर गड़ाकर बैठा रहता हूँ. जिस वक्त मैं उनके मम्मों की घाटी को देखता हूँ उस वक्त वे जानबूझ कर मुझे अपने मम्मे दिखाती रहती हैं. चाची की इसी अदा से मुझे लगने लगा था कि चाची मुझे मजा लेना चाहती हैं.

एक बार ऐसा हुआ जब मैं उनके दूध देख रहा था और वे मुझे मजे से चूचों के दीदार करा रही थीं, तब हम दोनों की नजरें मिल गई. तो मैं सकपका गया.
वे मुझे आँख मार कर पूछने लगीं- क्या हुआ सत्यम?
मैं कुछ नहीं बोल सका बस झेंप कर रह गया. चाची ने भी हंस कर मुझे हरी झंडी सी दे दी थी.

इसके बाद से मैं चाची से और भी ज्यादा खुल गया था और अब मैं उनसे अपने साथ पढ़ने वाली कॉलेज की लड़कियों को लेकर बात करने लगा था. चाची भी मुझे उकसाते हुए पूछती थीं कि उस लड़की की फिगर क्या है और क्या तुम्हें वो अच्छी लगती है. क्या वो लड़की मुझसे भी ज्यादा सुंदर दिखती है. जब वे ये पूछती थीं कि लड़की की फिगर कैसी है.. उस वक्त वो अपने मम्मे उठा कर मेरी आँखों के सामने ऐसे हो जाती थीं, जैसे पूछना चाहती हों कि क्या मेरी चूचियों से भी ज्यादा उसकी अच्छी हैं.

मैं बस गनगना कर रह जाता था. इसी तरह चाची से मेरी अनजानी सी आशनाई चलने लगी थी.

फिर यह बात उस समय की है, जब मेरा घर बन रहा था, जिसकी वजह से मुझे उन्हीं के घर में रहना पड़ रहा था. गर्मी का समय था. चाची को गर्मी बहुत ज्यादा लगती है, जिसके कारण वह दिन में 4-4 बार नहाती हैं. गर्मी होने की वजह से बिजली की समस्या तो होती है.

उस दिन भी बिजली नहीं आ रही थी. शाम को ही कटौती हुई थी, बिजली आने का इंतजार करते करते रात बहुत हो गई. सभी लोग जैसे तैसे सोने का इंतजाम करने लगे.

हम दोनों के अलावा बाकी लोग कहने लगे हम नीचे लेटेंगे क्योंकि ऊपर छत पर मच्छर बहुत काटते हैं और हो सकता लाइट भी आ जाए. लेकिन जैसा मैंने आपको बताया कि चाची को गर्मी बहुत लगती है, इसलिए वो कहने लगीं कि मैं तो ऊपर छत पर ही लेटूँगी चाहे मच्छर काटें या कुछ भी हो… गर्मी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती.

मैं भी उनके साथ छत पर चला गया. हम दोनों ने ऊपर छत पर जाकर जमीन पर बिस्तर लगाया और वहीं लेट गए. चाची हाथ वाले पंखे से हवा करते हुए सोने लगीं. पर मुझे नींद कहाँ आने वाली थी. मेरी आँखों के सामने उनके बड़े बड़े मम्मे झूलते हुए दिख रहे थे. चाची केवल सामने से खुलने वाली मैक्सी में सो रही थीं. सोते हुए उनकी मैक्सी गले तरफ से खुल गई थी या पता नहीं खुद चाची ने खोल दी थी. इससे उनके मम्मे मुझे और भी साफ साफ दिख रहे थे. मेरे लंड का बुरा हाल था. फिर थोड़ी देर बाद चाची ने खर्राटे भरने शुरू कर दिए और अपने आपको इस तरह से फैला दिया ताकि मैं उनकी भारी पूरी जवानी का नजारा भरपूर कर सकूँ.

मेरे लंड का हाल बुरा हो गया था. मुझे लग रहा था कि शायद चाची ने जानबूझ कर ऐसे लेटने का प्रयास किया है.

मैंने हिम्मत की और मौका देखकर अपना काम शुरू कर दिया. मैं धीरे धीरे उनके मम्मों के ऊपर हाथ घुमाने लगा. लेकिन उनकी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो मेरी हिम्मत बढ़ने लगी.

मैं उनके मम्मों को धीरे धीरे दबाने लगा. इतने मुलायम… रूई से ज्यादा मम्मे मुझे बड़ा मजा दे रहे थे. मैं पहली बार किसी औरत की चूचियाँ दबा रहा था. इतना मजा आ रहा था कि शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता. फिर मैंने धीरे से व्यवस्था बनाकर अपना हाथ उनकी मैक्सी के अन्दर डाल दिया और चाची की चूचियाँ दबाते हुए उनके निप्पल खोजने लगा. मुझे उनके निप्पल मिल गए, फिर मैं उनके निप्पल मसलने लगा और मैं कभी इस तरफ की चूची को दबाता, कभी उस तरफ की चूची को मींजता. मैं उनकी घुंडियों को काफी देर तक मसलता रहा.

थोड़ी देर बाद चाची के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं. अब मैं समझ गया कि चाची भी कामवासना से गरम हो चुकी हैं और मैंने मौका ना गँवाते हुए उनके होंठों को चूम लिया और फिर ऊपर वाले लिप को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा, पहले तो चाची ना नुकर करती रहीं, लेकिन पांच मिनट बाद वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगीं.

फिर मैंने उनका मम्मों को छोड़कर उनको अपनी बांहों में जकड़ लिया और उनको लगातार पागलों की तरह किस करने लगा. वो भी कामुक सिसकियाँ लेते हुए आहें भरने लगीं.

अब थोड़ी देर के बाद में नीचे आया और उनके मैक्सी को अपने मुँह से खोला और उनकी मैक्सी को उतार दिया. अब मैं ज़ोर ज़ोर से उनके मम्मों को दबाने लगा और उनके निप्पलों को चूसने लगा. मेरे एक हाथ से मैंने उनकी मैक्सी को जाँघों तक ऊपर उठा दिया और हाथ फेरने लगा.

मैंने देखा कि उनकी दोनों आँखें बंद थीं और वो बस धीरे धीरे मोन किए जा रही थीं. ‘आअहह उह्ह्ह्ह आईईईईई मेरी जान.. और करो अह्ह्ह्हह..’

वो मेरे बालों पर अपने हाथ फेर रही थीं. मैं धीरे धीरे नीचे आकर उनके पेट को चूमने लगा. फिर मैं उनकी नाभि पर आया और मैंने उनकी मैक्सी को पूरा उतार दिया. अब मैंने उनका एक हाथ अपने लंड पर रख दिया, जिसे वो अंडरवियर के ऊपर से ही सहलाने लगीं.

दोस्तों अब उनके ऐसा करने से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने उनका पेटीकोट भी उतार दिया और मैं उनकी गोरी और चिकनी जाँघों को चूमने, चाटने लगा.

जब मैंने उनकी पेंटी पर हाथ लगाया, तो मैंने महसूस किया कि वो अब तक पूरी तरह गीली हो चुकी थी. चाची भी पूरी तरह पागल हो चुकी थीं.

दोस्तो, यह कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.

उसके बाद मैंने चाची की पेंटी को भी उतार दिया और अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली तो वो आहें भरने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
उनसे चुदास सहन नहीं हुई तो वे धक्का देकर वो मेरे ऊपर आ गईं और मेरे पूरे शरीर को लगातार किस करने लगीं. उन्होंने मेरी अंडरवियर को उतार दिया और मेरा लंड सहलाने लगीं और उसे मुँह में लेकर चूसने लगीं.

दोस्तो, अब मैं तो सातवें आसमान पर था और ज़ोर ज़ोर से पागलों की तरह मेरा लंड चूस रही थीं.

और फिर कुछ देर बाद मेरा पूरा माल निकल गया, जिसे वो पी गईं और फिर थोड़ी देर चूसकर उन्होंने मेरा लंड वापस से खड़ा कर दिया.

अब मैं उनके ऊपर आ गया और अपने लंड को ब्रा के अन्दर दोनों मम्मों के बीच में से निकालकर आगे पीछे करके हिलाने लगा. ऐसा करने से मुझे और उन्हें भी बड़ा मजा आ रहा था. जब भी लंड उनके मुँह के पास जाता तो वो अपनी जीभ से उसे चाटने लगतीं.

ऐसा कुछ देर करने के बाद मैंने उन्हें सीधा लेटाया और मैं उनके दोनों पैरों के बीच में आ गया. अपने लंड को चूत पर रगड़ने के बाद मैंने एक करारा धक्का लगा दिया तो मेरा आधा लंड अन्दर चला गया. चूंकि चाची की चूत थोड़ी खुली हुई थी तो उन्हें भी कुछ ज्यादा दर्द नहीं हुआ. फिर मैंने एक और जबरदस्त धक्का लगाया तो मेरा पूरा का पूरा लंड अन्दर चला गया.

अब वो ज़ोर से चिल्ला उठीं- उईई ईईई.. माँ मर गई.. थोड़ा धीरे धीरे कर.

मैं उन्हें किस करने लगा और फिर जब वो सामान्य हुईं तो मैंने जल्दी जल्दी धक्के मारने शुरू कर दिए.

वो बस मोन कर रही थीं- आआहह.. उह्ह्ह ह्ह हाँ.. और ज़ोर से चोदो… और ज़ोर से आईईई.. सत्यम.. प्लीज आह.. मैं बस तुम्हारी हूँ.. हाँ और उह्ह्ह्ह ह्ह ज़ोर से चोद मुझे.. उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह.

फिर करीब आधे घंटे की लगातार चुदाई में वो तीन बार झड़ गईं और मैं भी उनकी चूत के अन्दर ही झड़ गया. फिर हम दोनों ऐसे ही लेटे लेटे लिप किस करते रहे. दोस्तों उस रात हमने चार बार चुदाई के मज़े किए और बिल्कुल नंगे ही एक दूसरे के साथ सो गए.

धन्यवाद.
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