कामुकता के घोड़े पर सवार चाची को चोदा-1
(Kamukta Ke Ghode Pe Sawar Chachi ko Choda- Part 1)
दोस्तो, मैं साहिल, आपको तहे दिल से और सभी कन्याओं और भाभियों को लंड खड़ा करके नमस्कार करता हूँ.
मेरी यह पहली कहानी है. मेरा नाम साहिल है, मैं 21 साल का हूँ. मेरा परिवार बड़ा है. मेरे परिवार में मेरे पापा-मम्मी, बड़े चाचा-बड़ी चाची, छोटे चाचा-छोटी चाची और उनके बच्चे सब साथ में रहते हैं. हमारा मकान तीन मंजिला है. सबसे नीचे पापा-मम्मी का कमरा है. बीच में दोनों चाचाओं का कमरा है. सबसे ऊपर मेरा कमरा और गेस्ट रूम है. परिवार में सब खुले विचारों के लोग है.
हमारा कंस्ट्रक्शन का काम है. पापा और दोनों चाचा साथ में काम करते हैं. मैं अपनी पढ़ाई करता हूँ और थोड़ा बहुत पापा का ऑफिस का काम भी कर लेता हूँ. मेरे घर पर नौकर भी काम करते हैं. इसलिये मम्मी और चाचियां अपने अपने सुबह के काम निपटा कर हमेशा बन संवर कर तैयार ही रहती हैं. उनके कपड़े भी बड़े मॉडर्न किस्म के होते हैं. ब्लाउज भी बड़े गले के, बैकलैस और स्लीवलैस ही पहनती हैं. वे सब पार्टियों में और क्लब में जाना भी करती रहती हैं.
पापा और चाचा को ऑफिस के कम से फ़ुर्सत नहीं मिलती इसलिये मम्मी और चाचियां अपने काम या खरीदी के लिये खुद ही अपनी कार लेकर बाज़ार जाती हैं.
मेरी चाचियों की उम्र कुछ 35-36 के आस पास होगी. मेरे और चाचा के दोस्त सभी दोनों चाचियों के दीवाने हैं.. और हों भी क्यों न.. दोनों हैं ही इतनी कयामत कि जवान तो छोड़िये, बुड्डों तक के लंड खड़े हो जाएं. उन दोनों के बड़े बड़े चूचे, बड़ी बड़ी गांड, लम्बी हाईट गोरा रंग.. मोहल्ले में कितने ही लोग उन्हें देख कर अपने लंड की पिचकारियां छोड़ते होंगे.
मुझे भी बड़ा सेक्स चढ़ता था, पर मैं परिवार की वजह से कुछ कर नहीं सकता था. बस आते जाते उनके चूचे और गांड देख लिया करता था.
खैर एक दिन मैं और मेरा एक दोस्त अपने कॉलेज से घर आ रहे थे. मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- आज कॉफ़ी पीने चलते हैं.
मेरे पास भी कुछ काम तो था नहीं, तो मैंने हां कर दी.
हम दोनों एक कैफ़े में पहुँचे, वहां पर मैंने देखा कि मेरे घर की कार पार्किग में खड़ी है. खैर.. मैं ये देख कर कैफे में चला गया. कुछ देर बाद मैंने देखा कि मेरी बड़ी चाची एक लड़के के साथ हाथ में हाथ डाल कर बाहर निकल रही हैं, उन्होंने काले कलर का स्लीव लैस ब्लाउज और पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई थी. उनके बड़े चूचे साफ़ दिख रहे थे.
लड़का उनसे काफी चिपक रहा था. बाहर जाते वक्त चाची ने मुझे देख लिया और घबरा कर वहां से तेज कदमों के साथ चली गईं. मैं भी जल्दी से उठा और कैफे से निकल कर घर पहुँच गया.
अब तक चाची की कार घर पहुँच गई थी. मैंने चाची के कमरे में जाकर देखा तो चाची नहा रही थीं. मैं उनके बाथरूम की किसी दरार से उनको देखने की सोच ही रहा था, तभी पीछे से छोटी चाची ने मुझे देख लिया और बोलीं कि यहां क्या कर रहे हो? तुम्हारी माँ तुम्हें बुला रही है.
तभी बड़ी चाची बाथरूम से निकलीं, मैंने उन्हें देखा, वो मुझे देख रही थीं.
उन्होंने इस वक्त एक झीना सा गाउन पहन रखा था. उस गाउन का गला काफी बड़ा था. चाची के दोनों चूचे उसमें से साफ़ दिख रहे थे. मेरे दिमाग में चाची के बारे में सेक्सी विचार तो पहले से ही थे. मेरी नजरें चाची के चुचों पर टिकी थीं, चाची ये सब देख रही थीं.
खैर मैं संभला और कमरे से बाहर जाने लगा.. तो बड़ी चाची बोलीं- उस कैफे में रोज जाते हो या आज मुझे देखने ही आए थे?
मैं उनकी बात सुनकर एकदम से सकपका गया और कमरे से बाहर चला आया. मेरे बाहर आते वक्त दोनों चाचियों ने जोर का ठहाका लगाया और हंसने लगीं.
मैं भाग कर नीचे आ गया.
रात को सबने साथ में खाना खाया और खाना खाते वक्त सुना कि पापा दोनों चाचा से कहीं जाने की बात कर रहे थे.
मैंने यूं ही पूछ लिया- कौन जा रहा है?
पापा ने कहा- तुम्हारे दोनों चाचा काम के सिलसिले में चार दिन के लिए बेंगलोर जा रहे है.
मैं काफ़ी देर से देख रहा था कि इस बात से चाचियां हल्के से मुस्कुरा रही थीं.
पापा ने दोनों चाचाओं से बात खत्म की और इसके बाद खाना खा कर सब अपने अपने कमरे में चले गए. मैं भी अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गया. रात के नौ बज चुके थे. मैं चाचा के कमरे से गुजर रहा था, तभी बड़े चाचा ने आवाज दी- साहिल अभी हमारे साथ एयरपोर्ट छोड़ने चलना.
मैंने कहा- ठीक है चाचा जी.
उनकी फ्लाइट का टाईम साढ़े ग्यारह बजे का था. थोड़ी देर के बाद चाचा ने मुझे आवाज दी. मैं चाचा के कमरे में पहुँचा तो देखा कि वे बैग में अपना सामान पैक कर रहे थे और चाची पास में खड़ी थीं. चाची मुझे देखते ही मुस्कुराने लगीं.
चाचा ने मुझे देख कर कहा- चलो.
चाची अभी भी पीछे से मुस्कुरा ही रही थीं. मेरा ध्यान फ़िर से उनके चूचों में अटक गया था.
तभी चाचा ने जोर से कहा- चलो साहिल.. देर हो रही है.
मैंने अपने आपको सम्हाला और घर से बाहर कार की तरफ़ चलने लगा. हम तीनों कार से एयरपोर्ट पहुँचे तब तक ग्यारह बज चुके थे.
दोनों चाचा मुझसे बोले- काफी वक्त हो गया है.. तू घर चला जा, हम चले जाएंगे.
मैं सामान उतार कर चाचा से बाय बोल कर चला आया. रास्ते भर मेरे सामने चाची का चहरा घूम रहा था. मैं घर घुस कर अपने कमरे जाने लगा. पापा-मम्मी सो गए थे. ऊपर चढ़ा तो देखा बड़ी चाची जाग रही है.
मैं अपने कमरे में जाने लगा तो चाची ने आवाज दी- साहिल.
मैं उनके दरवाजे तक पहुँच कर बोला- क्या हुआ?
चाची ने मुझे अन्दर बुलाया. मैंने देखा कि चाची ने अब सिर्फ़ एक जाली वाली नाईटी पहनी हुई है. मेरा ध्यान फ़िर से उनके चूचों पर चला गया. नाईटी से उनके चूचों के निप्पल साफ़ दिख रहे थे. इतने में चाची बोलीं- तुमने मुझे कैफे में देख लिया था न?
मैंने पूछा- हां, वो लड़का कौन था?
उन्होंने बिंदास कहा- वो मेरा ब्वॉयफ्रेंड था.
मैंने कहा- चाचा को पता है?
चाची ने कहा- नहीं.. लेकिन तुम भी प्लीज़ मत बताना.
मैंने उनसे पूछा- क्यों.. चाचा में क्या कमी है?
चाची एकदम से झल्लाने लगीं.
मैंने निडर होकर पूछा- क्या हुआ?
तो बोलीं- तुम्हारे चाचा को काम से फ़ुर्सत ही कहां है. इतनी जवान और खूबसूरत बीवी घर पर है, पर देखते ही नहीं हैं.
मैं उनकी जवानी को देख कर उन्हें जलाने लगा.
चाची मुझसे पूछने लगीं- क्या तुमको नहीं पता कि जवान बीवी को क्या चाहिए होता है?
मैंने पूछ लिया- क्या चाहिए होता है?
तो बोलीं- ज्यादा भोले मत बनो साहिल तुम्हें सब पता है. क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- हां है तो सही.
चाची ने पूछा- लेटने वाली या गाड़ी के पीछे बैठने वाली.
इतना कह कर चाची मुस्कुराने लगीं और बोलीं- प्लीज़ कैफे वाली बात किसी को नहीं बताओगे तो मैं तुम्हें एक गिफ़्ट दूँगी.
मैंने कहा- ठीक है.. नहीं कहूँगा.
बातें करते वक्त मेरी नजरें चाची के चूचों पर बार बार जा रही थीं. चाची ये सब बड़े ध्यान से देख रही थीं.
चाची ने कहा- अपनी आँखें बन्द करो तो गिफ़्ट मिलेगा.
मैंने आँखें बन्द की. कुछ आधा मिनट के बाद मैंने कहा- और कितनी देर लगेगी?
तभी मेरे होंठों पर किसी के होंठ टच हुए. मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि अब तो चाची भी तैयार हैं.
जैसे ही मैंने आँखें खोलीं, छोटी चाची मेरे होंठों पर किस कर रही थीं. मैंने हैरानी से देखा तो दोनों देख कर मुस्कुराने लगीं.
इतने में बड़ी चाची बोलीं- आज हम दोनों तुझे लेटना सिखाएंगे.
इतना कह कर वे दोनों मेरे गालों को चूमने लगीं. किस करते वक्त मेरा लंड पेन्ट के अन्दर ही अपनी अंगड़ाईयां ले रहा था और अब तो काबू से बाहर हो रहा था.
मेरे भी दोनों हाथ चाचियों के बदन पर चल रहे थे. चाचियों के हाथ मेरे सीने पर और पेन्ट की उभरी हुई जगह पर चल रहे थे.
तभी अचानक मैंने कहा- दरवाजे तो लगा दो.
इतने में बड़ी चाची ने मुझे बेड पर धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और छोटी चाची उठ कर दरवाजा लगाने चली गईं. अब मैं पूरी तरह से तैयार था. दोनों आकर बेड के पास खड़ी गईं और एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं. कभी कभी वो एक दूसरे के होंठों पर किस भी कर रही थीं. कुछ देर बाद दोनों के जिस्म पर केवल पेन्टी ही रह गई थी. दोनों एक दूसरे के चूचे सहला रही थीं. मैंने पहली बार इतने बड़े चूचे एक साथ देखे थे.
फ़िर बड़ी चाची ने मुझे गाली देकर कहा- मादरचोद साले मुझे ही नंगी करेगा.. भोसड़ी के खुद पड़ा ही रहेगा क्या?
मैं बेड पर से खड़ा हुआ और दोनों को बांहों में भर लिया. अब हम तीनों एक दूसरे को किस कर रहे थे. वे दोनों मुझे लगभग नोंच रही थीं. फ़िर बड़ी चाची ने मेरी टी-शर्ट को निकाल दिया और छोटी चाची का एक हाथ मेरे लंड को पजामे के ऊपर से टटोल रहा था.
फ़िर दोनों ने एक एक हाथ से मेरा पजामा नीचे सरका दिया. मैंने भी देर नहीं की और पजामे को पैर की मदद से पूरा उतार दिया. अब हम तीनों के शरीर पर केवल पेंटी और अंडरवियर ही बचे थे.
उन दोनों की नजर मेरे अंडरवियर पर पड़ी तो बोलीं- तेरी चाबी तो बाहर आने को मचल रही है.
मैंने भी एक चाची की चूची मसलते हुए कहा- हां साली रंडियों.. अब ज्यादा मत तड़पाओ.
फ़िर दोनों ने आपस में कान के कुछ बात की और हंसने लगीं.
मैंने लंड हिलाते हुए पूछा- क्या हुआ?
छोटी चाची बोलीं- आज तो हम दोनों तेरे लंड का पूरा मजा लेंगे.
उधर बड़ी चाची कम्प्यूटर की तरफ़ बढ़ीं और कम्प्यूटर को चालू कर दिया. उन्होंने एक पेन ड्राईव को लगाया और एक ब्लूफ़िल्म लगा दी. उस फ़िल्म में दो महिलाएं एक पुरुष का लंड हाथ में लेकर आगे पीछे कर रही थीं.
बड़ी चाची हमारे पास आ कर बोलीं- आज फ़िल्म में जो भी होगा, वही हम भी करेंगे.
ये कहते हुए चाची मेरे लंड को सहलाने लगीं. उनकी बात पर हम तीनों ही मुस्कुरा दिए.
अब दोनों ने अपने एक एक हाथ एक दूसरे के चूचे मसलना शुरू कर दिया था और दूसरे हाथ में लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहला रही थीं. मुझे कन्ट्रोल नहीं हुआ तो मैंने अपना अंडरवियर भी उतार दिया.
दोनों ने आंखें फाड़ कर लंड को देखा और बोला- बाप रे घोड़े का है क्या..
मेरे लंड को हाथ में ले कर आगे पीछे करने लगीं. मेरा गोरा लंड तन कर खड़ा था और चमक रहा था.
छोटी चाची बोलीं- तेरी गर्लफ्रेंड की तो चुत फाड़ दी होगी तूने?
वे दोनों हंसने लगीं.
मैंने कहा- हां चाची सच कह रही हो.. उसको जब पहली बार चोदा था तो चल भी नहीं पा रही थी.
फिर मैं उन दोनों के बड़े बड़े चूचों को नीचे झुक कर मुँह में लेने लगा. बड़ी चाची के चूचे छोटी चाची से थोड़े ज्यादा बड़े थे. मैंने इतने बड़े बड़े चूचे पहली बार देखे थे. जब मैंने चूचों को मुँह में लेना चालू किया तो दोनों की मादक सिसकारियां फूट पड़ीं.
दोनों ‘आहह.. आह.. ऊह्ह्ह..’ करने लगीं. दोनों के हाथ मेरे लंड पर थे और मुँह से बड़बड़ा रही थीं कि क्या मस्त लंड है साले का.
ये सब कहते हुए दोनों घुटनों के बल नीचे बैठ गईं और मेरे 8 इन्च लम्बे और तीन मोटे फ़ुल साईज लंड को बड़े गौर से देखने लगीं.
इतने में छोटी चाची ने मेरे लंड के सुपारे को अपनी जुबान से चाटना शुरू कर दिया. मेरे पूरे बदन में करेन्ट सा दौड़ गया. ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था.
मैंने पूछा- रंडियों.. ये सब कहां से सीखा?
छोटी चाची बोलीं- मुझे तो इसने सिखाया है सब.
फ़िर बड़ी चाची ने हंस कर छोटी चाची के दोनों चूचे अपने मुँह में भर लिए और चूसने लगीं.
अब हम तीनों एक दूसरे गर्म कर रहे थे और कामुक सिसकारियां भी भर रहे थे. बड़ी चाची ने मेरा लंड छोटी चाची के हाथ में से लिया और बोलीं- साली कुतिया अकेले ही लंड खाएगी क्या?
कहानी जारी रहेगी.
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