मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-1

(Meri Jaipur Vali Mausi Ki Jabardast Chudai- Part 1)

कुणाल सिंह 2018-01-10 Comments

दोस्तो, मेरा नाम कुनाल सिंह है, मैं कानपुर का रहने वाला हूँ, फिलहाल मैं दिल्ली में रहता हूँ, कभी कभी कानपुर में भी जाता रहता हूँ।

यह बात कुछ साल पुरानी है, तब मैं 19 साल का था, मेरी जवानी अपने परम पर थी, हर तरफ बस चूत ही नज़र आती थी। स्कूल के टाइम में लंड हिलाना तो सीख गया था। कई बार तो घर में पकड़ा भी गया था। पर ये नशा ऐसा हैं एक बार लग जाये तो जल्दी नहीं उतरता।

‌मुझे घूमने का बहुत शौक है इसलिए मैंने सोचा कि मैं जयपुर घूम आ जाऊं क्यूँकि वहां मेरी सगी मौसी रहती थी। मैंने अपने घर वालों से पूछा तो उन्होंने साथ चलने को मना कर दिया। इसका मतलब यह था कि मुझे अब अकेले ही यात्रा करनी थी।
मैंने ट्रेन का टिकट देखा तो सब ट्रेन फुल थी। अब मुझे सफ़र बस से करना था।

मैंने शताब्दी बस पकड़ी और चल दिया कानपुर से जयपुर के लिए। पर बस सिर्फ दिल्ली तक की मिली। फिर मुझे दिल्ली से जयपुर के लिए अलग बस पकड़नी थी। मैंने रात में शताब्दी बस में बैठा था तो उसमें कई शादीशुदा महिलायें भी थी। सच बोलूं तो मुझे शादीशुदा भाभियां ज्यादा पसंद हैं। मैं रास्ते में बस में जाते टाइम अपना खड़ा मोटा लंड उनकी गांड पे रगड़ता हुआ गया और रात में जहां बस रुकी वहां पर अपना माल गिरा के सो गया।
मैं सोच रहा था कि अगर कोई मिल जाए तो सुबह तक तबला बजाऊँ उसकी चूत और गांड का। चुदी हुई माल को चोदने का मज़ा ही अलग होता है। जी भर के चुदाई करने की आग होती है उनके अन्दर।

खैर सुबह हुई और मैं दिल्ली पहुँच गया। मैं दिन भर दिल्ली घूमा और शाम को बीकानेर हाउस से जयपुर के लिए वॉल्वो बस पकड़ी। मुझे आखरी सीट मिली और मैं जा कर बैठ गया वहां।
थोड़ी देर बाद एक मस्त मोटी गांड वाली आंटी आई अपने एक बच्चे से साथ और बच्चे को बीच में बैठा कर खुद खिड़की की तरफ बैठ गयी।
क्या मस्त मम्मे थे उसके… मन कर रहा था कि सारा दूध पी जाऊं। फिर किसी तरह अपने लंड को संभाला और बैठ गया। फिर धीरे धीरे मेरी उनसे बात होने लगी। आँखों में काजल, गुलाबी होठ जिन्हें चूस चूस के काट के खा जाने का मन करे। मोटे मोटे गाल मान लो वो काटने के लिए ही बने हो। मखमली गर्दन जिसको चूमने और चूसने से कभी मन न भरे।

उन्होंने अपना नाम सोनिया बताया, वो नॉएडा की रहने वाली थी, जयपुर अपने पति के घर वालों से मिलने जा रही थी। मन तो था कि चोद चोद के इसका सारा पानी निकाल दूं। पर मैंने सोचा कि थोड़ा रुक जाता हूँ, वरना बात बिगड़ सकती है।
मेरी दूसरी ओर एक कपल बैठा था। वो एक दूसरे को बांहों में लिए हुए थे। शायद नयी नयी शादी हुई थी उनकी, इसलिए चुदाई का पूरा खुमार उनके सर चढ़ कर बोल रहा था। पति अपनी बीवी
के मम्मे दबा रहा था तो बीवी ने अपने आप और अपने पति को एक हल्की चादर से ढक लिया था। बस फिर क्या था, अब पूरी आज़ादी के साथ पति उसके मम्मे दबा रहा था। पति का चेहरा लाल हो गया था लिपस्टिक की वजह से। वो कभी कभी चूमते, कभी बूब्स दबाता।
चादर डालने के बाद चूत और गांड में उंगली डालना भी चालू। पत्नी भी बड़ी मस्त दिखती थी, उसने भी लंड हाथ में लेने में देरी नहीं की और हल्के हल्के से हिलाने लगी। वो कुछ दिख तो नहीं रहा था पर फिर भी उनके हाव भाव, उनकी सिसकारियाँ सब कुछ बयाँ कर रही थी। कभी ज़रा सी सिसकारी या ज़रा सी चीख़ सब कुछ बयाँ कर देती थी। थोड़ी देर में चादर थोड़ी गीली हो गयी तो दोनों की हँसी छूट गयी।
मैं भी देख कर मुस्कुरा दिया।

पर कुछ ही दूरी पर वो उतर गए।

मैं उदास हो गया उनके उतर जाने के बाद। लाइव मस्ती देखने का मज़ा ही कुछ और है।
पर फिर मैंने अपना ध्यान वापस भाभी पे लगाना चालू किया। वो चोरी चोरी मेरे खड़े लंड को देख रही थी जैसे उसको पकड़ के खा जाएँगी। उनकी आँखों में वो सेक्स की प्यास साफ़ नज़र आ रही थी।
बीच में बस रुकती तो एक दो बार वो बस से उतरी तो मैंने अपना लंड उनकी प्यारी उठी हुई गांड से रगड़ दिया।
हाय वो उनके चेहरे पे कातिलाना मुस्कान।
उनका बेटा खिड़की की तरफ सरक गया तो वो मेरे साथ ही बैठ गई अब… उन्होंने बताया कि वो टीचर हैं। टीचर होती ही हैं एक दम सेक्सी पटाका माल, टिप टॉप रहने वाली। उनके डीप नेक कुरता से उनका क्लीवेज साफ़ नज़र आ रहा था। बस निप्पल छुप रहे थे ब्रा से। बस चलते वक़्त काफी हिलती है, मैं भी हिल हिल के उनको छूने लगा। शायद ये उनको पसंद आया जो उनके चेहरे पे कातिलाना मुस्कान बता रही थी।

मैंने धीरे से उनके एक मम्मे पे हाथ रख दिया, उनका चेहरा एक मुस्कान से खिल उठा। मैं धीरे धीरे उनके मम्मे को सहलाने लगा। हमारे पास कोई चादर नहीं थी इसीलिए कुछ और नहीं कर पाए। उनका बच्चा अगर छोटा होता तो शायद दूध भी पीने को मिल जाता।

मम्मे को कस के मसल देने से उनकी अहह निकल गयी। उनका बच्चा सोया हुआ था इसीलिए कोई दिक्कत नहीं हो रही थी मस्ती करने में। उनकी वो आह और उस प्यासी नज़र से मेरे मोटे लम्बे लंड को देखना मुझे अभी तक याद हैं।
अगला स्टॉप उनका ही था, उन्होंने मुझे एक लम्बा सा किस दिया मेरे गाल पर और अपना एड्रेस दिया और कहा- खाने पे आना।
मैं समझ गया कि क्या खाने के लिए बुला रही वो! मैंने हँस कर हां कर दी और वो अपने स्टॉप पे मुस्कुराते हुए उतर गयी। शायद काफी दिनों से प्यासी थी बेचारी। मैंने भी सोच लिया था कि मौसी के यहाँ से आने के बाद इसकी ज़रूर बजाऊंगा।

अब मैं जयपुर पहुँचने वाला था, थोड़ी देर के बाद जयपुर में मेरा स्टॉप आ गया। मैं उतरा और ऑटो बुक करके मौसी के यहाँ पहुँच गया। मौसी को मेरे आने के समय का पटा था तो वो बालकनी में खड़े होकर मेरा इंतज़ार कर रही थी।
मैं उनके अपार्टमेंट पे जैसे ही ऑटो से उतरा, उन्होंने मुझे आवाज़ दी और गेट कीपर को मुझे अंदर भेजने को बोला।

जैसे ही मैं दूसरी मंजिल पे पंहुचा, उन्हें देख के मैं दो मिनट के लिए वैसे ही खड़ा रहा, उनकी पर्पल कलर की नाईट ड्रेस में वो सेक्स क्वीन लग रही थी। मोटे होठों पे गहरे लाल रंग की लिपस्टिक। ब्रा नही पहनी थी शायद तब उन्होंने तब, उनकी बूब्स के बीच की लाइन दिख रही थी।
मेरा ध्यान तब वापस आया जब उन्होंने मुझे आवाज़ लगा के बुलाया- कुणाल कहाँ खो गए तुम?

मैं अचानक से हड़बड़ाया और उनके पैर छूने के लिए बढ़ा। मैंने उनके पैर छूए फिर उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया। सीने से लगा तो उनके नर्म मगर विशाल मम्मे मेरे सीने से लगे। आग तो मेरे लंड में पहले से ही लगी पड़ी थी, उनके सीने से लगते ही मैंने भी उनको अपनी बाहों में जकड़ लिया और कस उनके सीने से चिपक गया। उनके विशाल और नर्म मम्मे मेरे सीने से भींच गए। कितना आनन्द आता है, मोटी औरत से गले मिल कर जब उनके प्लस साइज़ के मम्मे आपके सीने से लगते हैं।

मौसी की तरफ से पूरा स्नेह था, मगर मेरी तरफ से शुद्ध वासना थी। मैं चाहता था कि मैं मौसी से ऐसे ही चिपका रहूँ, और उनके मस्त मम्मों को अपनी छाती से दबाता रहूँ। मगर शायद मौसी की इस बात का एहसास हो गया था कि लड़का जवान है, इसके साथ ज़्यादा चिपका चिपकी ठीक नहीं इसलिए वो थोड़ा सा पीछे को हटी तो मैं भी उनसे अलग हो गया, मगर इस 5 सेकंड की मिलनी ने ही मेरी पैन्ट टाईट कर दी थी।

रास्ते भर मैं ऐसे ही अपने लंड को टाईट करता आया था, यहाँ मौसी ने भी गले मिल कर फिर से मेरा लंड टाईट कर दिया। मुझसे अलग हो कर मौसी को जैसे थोड़ी सी शर्म सी आई, और उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ नहीं देखा, बल्कि नीचे देखने लगी।

नीचे जब उन्होंने मेरे मेरी पेंट में मेरे तने हुये लंड को देखा तो एक दम से पीछे को हटी और मुझे अपने घर के अंदर ले गई।
“आओ कुनाल, अंदर आओ.” वो बोली और आगे आगे चल पड़ी, और मैं उनकी नाईटी में उनकी मस्त मोटी गांड को देखता हुआ उनके पीछे चल पड़ा।

अंदर उन्होंने मुझे अपने बच्चों से मिलवाया। मौसा जी कहीं बाहर गए हुये थे, कुछ दिन के लिए। जब मौसी ने मुझे बताया, तो मुझे लगा अगर मौसा के आने से पहले मैंने मौसी को पटा लिया,
तो इतने दिन और इतनी रातें मुझे चूत चोदने का भरपूर आनन्द मिल सकता है।
खाना खाने के बात कुछ देर हम सब टीवी देखते रहे, और फिर थोड़ी देर बाद मौसी ने सब को सोने को कहा। मेरी तो छुट्टियाँ थी, मगर बच्चों ने तो अगले दिन स्कूल जाना था।

मैं भी उठ कर बाथरूम में गया और कपड़े बदल कर आया। रात को मैं सिर्फ बनियान और लॉन्ग निकर पहन कर ही सोता हूँ। आज मौसी के घर आया था, तो मैंने जानबूझ कर अपनी चड्डी उतार दी थी, ताकि मौसी मेरी निकर में मेरे आज़ाद झूलते लंड को अच्छी तरह से देखे, क्या पता मौसाजी की जुदाई में वो मुझ गरीब पर ही मेहरबान हो जाएँ।
बच्चे सब एक साथ एक रूम में सोने चले गए तो मौसी ने मुझे कहा- तुम ऐसा करो, हमारे रूम में सो जाओ।
मैंने पूछा- और आप कहाँ सोयेंगी?
वो हंस कर बोली- अरे मैं तो कहीं भी सो जाऊँगी।

मैंने मन में सोचा- जानेमन, मेरे साथ आकर सो जा न, सारी रात तेरी चूत का बाजा बजाऊँगा।
मैं बार बार मौसी के मम्मों की तरफ ही देख रहा था क्योंकि मौसी की नाईटी में से बाहर को उभरे हुये उनके निप्पल मुझे अपनी तरफ जैसे खींच रहे थे कि आओ और हमें मसल दो। मगर जब तक मौसी नहीं कहती, मैं कैसे उन पर हाथ डाल सकता था। सो मैं उनके कमरे में गया, और बेड पे चादर ले कर लेट गया।
मौसी आई और रूम की लाइट बंद करके बाथरूम में चली गई, मैं बेड पे लेटा मौसी को सोच कर अपना लंड सहलाने लगा।

थोड़ी देर में मौसी बाहर आई तो उनके कपड़े बदले हुये थे। मैं सोच कर हैरान था कि जब पहले नाईटी पहन ही रखी थी, तो अब दूसरी नाइट ड्रेस पहनने की क्या ज़रूरत थी। अब मौसी ने हल्के गुलाबी रंग की टी शर्ट और टाईट लोअर पहना था। इस ड्रेस में उनके बड़े बड़े मम्मों के कड़क निप्पल और मोटी मस्त जांघों का भरपूर दर्शन हुआ।

मौसी ने अपना फोन उठाया और बाहर गेलरी में चली गई, और मौसा जी से कितनी देर फोन पर बात करती रही। मेरी काम वासना बढ़ती जा रही थी, मैं अपना लंड हिलाता रहा। थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब आया तो मैं उठ कर बाथरूम में चला गया। बाथरूम में दरवाजे के पीछे मौसी की पहले पहनी हुई नाईटी और एक चड्डी टंगी हुई थी। मुझ को तो जैसे कोई इनाम मिल गया हो। मैंने वो चड्डी उतार कर अपने हाथ में ली और सबसे पहले उसे अपने नाक से लगा कर सूंघा।

क्या मस्त सुगंध आई उस में से चूत की। चड्डी थोड़ी सी गीली भी थी, या तो वो मौसी की चूत का पानी था, या मौसी ने पेशाब करके अपनी चूत धोई होगी, उसका पानी होगा। दोनों ही सूरत में पानी चूत से ही चड्डी पर लगा होगा।
मैंने उस जगह को, जहां मौसी की चूत लगी होगी, वहाँ अपनी जीभ से चाटा, फिर धीरे से बोला- ओह मेरी सेक्सी मौसी, इस जगह पर तेरी चूत का छेद लगा होगा. और फिर उस जगह को चाटा। मैंने मौसी की पूरी चड्डी अंदर से, अपनी जीभ से चाट डाली।

फिर मैंने मौसी की नाईटी उतार ली और जहां जहां उसके मोटे मम्मे होंगे उस सारी जगह को चूमा और चाटा। अब ये सब मेरी बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था, मैंने अपनी निकर उतार दी और मौसी की चड्डी पहन ली, ताकि मैं जहां मौसी की चूत उस चड्डी पर घिसी होगी, मैं वहाँ पर अपना लंड भी घिसा सकूँ।
इससे भी बात नहीं बनी तो मैंने मौसी की नाईटी भी पहन ली, फिर अपना तना हुआ लंड अपने हाथ में पकड़ा और मुट्ठ मारनी शुरू की।

क्या मस्त मज़ा आया, इस तरह अपनी वासना की पूर्ति कर के।
जब मेरा माल गिरा तो मैंने मौसी की नाईटी में ही गिरा दिया, जिससे वो सामने से गीली हो गई। मैं भी चाहता था कि मौसी अगर अपनी नाईटी देखे तो उसे पता चले के यहाँ पे एक मर्द की जवानी का माल गिरा है।
उसके बाद मैंने फिर से अपने कपड़े पहने और बेड पे आ कर सो गया।

मौसी अभी भी फोन पे लगी थी।
थोड़ी देर में मुझे गहरी नींद आ गई, मौसी कब आ कर मेरे साथ सो गई, मुझे कुछ पता नहीं चला।
अगली सुबह सो कर उठा तो मेरे लंड ने मेरी चादर को तम्बू बना रखा था। मैने सबसे पहले ये जानने की कोशिश की कि मौसी कहाँ है।
वो किचन में थी, और शायद काम वाली आई थी, उसके साथ वो कुछ काम करवा रही होंगी। मैं वैसे ही मचल कर लेटा रहा।

इतने मौसी मेरे सामने आई, और मुझे जागा देख कर बोली- अरे तुम उठ गए, मैं अभी तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।
और वो वापिस चली गई।

सुबह के 10 बज चुके थे, वो नहा धो कर एक दम से फ्रेश लग रही थी, उन्होंने बड़ा खूबसूरत सा टाईट सा पंजाबी सूट और लेगिंग पहनी थी। मैं लेटा लेटा फिर से अपने लंड को चादर के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैं चाहता था कि मौसी मेरे खड़े लंड को ठीक से देख लें, ताकि उन्हे पता चल जाए कि कितना बड़ा लंड मैं अपने कच्छे में उनके लिए घूम रहा हूँ।

पांच मिनट में ही वो चाय का कप हाथ में लिए फिर से मेरे सामने प्रकट हुयी। मैंने ऐसे एक्टिंग की जैसे मैं उनके जाने के बाद फिर से सो गया था। बड़ी आँखें मलते, जम्हाई लेते, अंगड़ाई सी लेते हुये मैं उठा।
मौसी जब मुझे चाय देने के लिए थोड़ा झुकी तो उनके खूबसूरत गोरे और विशाल मम्मों की एक खूबसूरत झलक उनके कमीज़ के गले से मुझे देखने को मिली। उनका क्लीवेज देख कर मैं तो चाय पकड़ना ही भूल गया।
जब मौसी ने मेरी निगाह उनके मम्मों पर फिसलती हुई देखी तो वो थोड़ा संभल गई और सीधी खड़ी हो गई। मैंने उनसे चाय पकड़ी और उनको ‘थैंक यू’ कहा।

उन्होंने भी चादर के अंदर मेरे तने हुये लंड की पूरी शेप बनी हुई देख ली थी। उनको भी यह एहसास हो चुका था कि मेरे पास भी एक अच्छा औज़ार है, और उस से मैंने उनकी पूरी तसल्ली कर सकता हूँ।
आज तक मौसी ने मुझे कभी भी इस नज़र से नहीं देखा था, मगर आज न जाने क्यों वो जाती हुई मुड़ी और मुझे एक प्यारी सी स्माइल दे कर गई।

मैंने चाय का कप एक तरफ रखा और बिस्तर पर ही उछल पड़ा और धीरे से फुसफुसाया ‘यस…’
शायद मौसी को भी संभावना अपने लिए दिखी।

चाय पीने के बाद मैं बाथरूम गया, फ्रेश हो कर नहा धो कर बाहर आया, नए कपड़े पहने।
काम वाली लड़की आई, वो कमरे में झाड़ू पोंछा कर गई, 19-20 साल की वो भी मस्त माल लगी मुझे।

मगर मेरा सारा ध्यान तो मौसी की ओर था और कोई काम तो था नहीं सो मैं मौसी के साथ ही काम करवाता रहा, कभी उसके साथ मटर निकलवा रहा हूँ, कभी गाजर छिलवा रहा हूँ, और बातों बातों उन्हें खूब हँसाया, खुश किया।
मौसी खूब खुल कर हँसती हैं, और ऊंची आवाज़ में हँसती हैं।
सारा दिन वो मेरे सामने रही और मैंने जी भर कर उनके कपड़ों में उभर रहे उनके कोमल अंगों को ताड़ा। मौसी भी जान चुकी थी कि उनके बदन पर मेरी निगाह कहाँ कहाँ घूम रही है, मगर उन्होंने कोई परवाह नहीं की, दुपट्टा उन्होंने लिया नहीं जिस वजह से मुझे बहुत आसानी हुई।

सेक्सी कहानी जारी रहेगी.
[email protected]

कहानी का अगला भाग : मेरी जयपुर वाली मौसी की ज़बरदस्त चुदाई-2

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top