पड़ोसन चाची की चूत की चुदाई की-3

(Hindi Porn Kahani: Padosan Chachi Ki Chut Ki Chudai- Part 3)

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नमस्कार दोस्तो, मेरी हिंदी पोर्न कहानी की पिछली कड़ी में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने रात को सोती हुई पड़ोसन चाची को चोदा और फिर चुपचाप सो गया.
अब आगे..

अगली सुबह मेरी नींद जल्दी खुल गई. सब सो रहे थे तभी मेरी नजर चाची पर पड़ी. चाची का पेटीकोट अभी तक कमर के ऊपर था और ब्लाउज के बटन भी खुले हुए थे और उनके चूचे बाहर निकले हुए थे. सुबह के उजाले में चाची की चूत साफ दिख रही थी.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया पर ये चुदाई करने के लिए सही वक्त नहीं था तो मैं नीचे आ गया और सीधे बाथरूम में जाके रात की चुदाई को याद करके मुठ मार कर लंड को शांत करने लगा.
थोड़ी देर में ही मेरे लंड ने लावा उगल दिया. फिर मैं बाहर आ गया और किताब लेकर बैठ गया और पढ़ने लगा.

तभी चाची सीढ़ियों से नीचे उतरती हुई दिखाई दीं. चाची अभी तक सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ही थीं और बहुत सेक्सी लग रही थीं.

उस समय मेरी उम्र 18 साल थी पर उनकी नजर में मैं अभी भी बच्चा ही था शायद इसीलिए उन्हें मेरे सामने ब्लाउज पेटीकोट में रहने में कोई शरम नहीं थी. पर उन्हें क्या पता था कि मैं उन्हें 2 बार चोद चुका था.. या वे नासमझ बन कर मेरे लंड का मजा ले रही थीं. जो भी हो मजा भरपूर आ रहा था.

फिर चाची झाडू लगाने लगीं. वो झुककर झाडू लगा रही थीं तो उनके चूचे लटक रहे थे. मैं बीच-बीच में किताब से नजरें हटा कर उनके मम्मों को देख लेता था. वो सिर्फ पेटीकोट में झुककर झाडू लगा रही थीं, उससे पीछे से उनकी गांड की दरार भी साफ़ दिख रही थी. मेरा मन तो कर रहा था कि अभी चाची को पकड़कर पीछे से उनकी चूत में लंड डाल दूं. पर मैं ऐसा नहीं कर सकता था तो देख कर काम चला रहा था.

मैंने देखा कि चाची के पेटीकोट के पीछे मेरे वीर्य का दाग अभी भी लगा था, जो रात को चुदाई के बाद बहा होगा. चाची की गदराई हुई चौड़ी गांड देख कर उनकी गांड मारने का मन करने लगा.

सारे काम करके चाची नहाने चली गईं. मैंने भी किताब बंद कर दी और सोचने लगा कि चाची की चूत तो चोद ली, अब चाची की गांड कैसे मारी जाए. मुझे दो ही रास्ते दिखे, जिसमें पहला था कि चाची खुद मेरा लंड अपनी गांड में डलवा लें, जो कि मुझे मुमकिन नहीं लग रहा था. और दूसरा रास्ता था कि चाची को नींद की गोली खिला दूँ और पूरा मजा लूं.

मैंने दूसरा ही रास्ता अपनाने की सोची और खुश हो कर स्कूल के लिए तैयार होकर स्कूल के लिए निकल गया.

शाम को स्कूल से वापस आते हुए मैंने नींद की गोली ले ली, जो कि बड़ी मुश्किल से मिली थी. रात को खाना खाने के बाद सारे बच्चे सोने के लिए छत पर चले गए और मैं टीवी देखने लगा.

तभी मैंने चाची से चाय बनाने के लिए कहा. वो चाय गैस चूल्हे में पकने के लिए रख कर मेरे पास आकर बेड में बैठ गईं. थोड़ी देर बाद मैं चाय छान कर लाने के लिए जाने लगा तो चाची बोलीं- मेरे लिए मत लाना, मैं नहीं पियूंगी.

मेरा दिल बैठ गया क्योंकि चाची को नींद की गोली देने का और कोई उपाय नहीं था. पर मैं कर भी क्या सकता था तो चुपचाप चाय छान कर पीने लगा.

फिर चाची सोने चली गईं तो मैंने भी टीवी बंद की और सोने के लिए छत पर आ गया. सोचा चलो आज और चाची की चूत में लंड डाल कर काम चला लिया जाए गांड मारने का किसी और दिन मौका मिल ही जाएगा.

मैं लेटकर चाची के सोने का इंतजार करने लगा और कल रात की चुदाई को याद करके लंड को सहलाने लगा. चूंकि कल रात को मैं काफी देर तक जागा था इसी वजह से कब मेरी आंख लग गई पता ही नहीं चला.

जब आंख खुली तो सुबह के 7 बज चुके थे और चाची भी उठकर नीचे जा चुकी थीं. मैं अपने आपको कोसते हुए नीचे आ गया. मैंने आज फिर स्कूल ना जाने का मन बनाया और चाची को बता दिया कि मैं स्कूल नहीं जाउंगा. चाची ने खाना बनाया और मेरी बहनें और चाची का बड़ा लड़का जो कि 4 साल का था खाना खाकर सब स्कूल चले गए.

अब घर में सिर्फ मैं चाची और उनका छोटा लड़का ही बचे थे. उनका छोटा लड़का दो साल का था. चाची जाकर कपड़े धोने लगीं और मैं उनकी गांड मारने का प्लान बनाने लगा.

काफी देर के बाद चाची वापस आईं तो मैंने देखा कि उनकी साड़ी और पेटीकोट काफी भीग चुके थे. मैंने कहा- चाची कपड़े भीग गए हैं.. बदल लो.
मैं देखना चाहता था कि चाची मेरे सामने कपड़े बदलती हैं या नहीं.
तो चाची बोलीं- कपड़े बदलने के लिए तो घर जाना पड़ेगा.
मैंने कहा- मम्मी की मैक्सी रखी है आप चाहो तो पहन लो.
वो मान गई तो मैंने मम्मी की मैक्सी लाकर उन्हें दे दी.

फिर उन्होंने मेरे सामने ही अपनी साड़ी उतार दी और फिर दूसरी तरफ घूम कर मेरी तरफ पीठ करके अपना ब्लाउज भी उतार दिया और मैक्सी पहन ली. फिर मैक्सी के अन्दर हाथ डाल के पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगीं और उसे भी उतार दिया.

अब चाची के शरीर पर सिर्फ एक पतली सी मैक्सी थी. मेरा लंड फिर से उठने लगा था, पर मैंने उसे कंट्रोल किया.
मैं बोला- चाची, मैं खाना खाने जा रहा हूं.. तुम्हारे लिए भी निकाल लूँ क्या?
चाची बोलीं- हां, निकाल कर यहीं लेते आओ.. बेड पर ही खा लेंगे.

मैं तो यही चाहता था. मैंने खाना निकाला और 2 नींद की गोलियां उनकी दाल में मिला दीं और थाली ला कर चाची को दे दी और अपना खाना खाने लगा. मुझे डर था कि कहीं चाची को पता ना चल जाए कि दाल में कुछ मिला हुआ है. पर उन्हें पता नहीं चला और वो खाना खा गईं और साथ में अपने बच्चे को भी दाल से रोटी खिला दी.

इधर मैंने भी अपना खाना खत्म किया और बैठ कर गोली के असर करने का इंतजार करने लगा.

थोड़ी देर में उनका बच्चा सो गया, चाची भी जम्हाई लेने लगीं.

चाची मुझसे बोली- आज पता नहीं क्यों मुझे नींद आ रही है.
मैंने कहा- तो सो जाओ ना यहीं बेड पर.. मैं तो अभी जाग ही रहा हूं.

चाची बेड की पुश्त पर अपनी पीठ टिका कर लेट गईं और थोड़ी ही देर में उन्हें नींद आ गई. गोली का असर हो चुका था. मैं उठा और चाची के पास गया पर कुछ करने से पहले मैं ये सुनिश्चित कर लेना चाहता था कि चाची पूरी तरह सो चुकी हैं या नहीं.

मैंने चाची को पहले धीरे से फिर तेजी से पकड़कर हिलाया पर चाची ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और बेसुध पड़ी रहीं.

अब मुझे चाची के जागने का कोई डर नहीं था तो मैंने टीवी चालू ही रहने दिया और अपने बनियान और लोअर उतार कर पूरा नंगा हो गया और बेड पर चढ़ गया.

पहले चाची के लड़के को खिसका कर बेड के किनारे पर किया, फिर चाची को भी थोड़ा सा बीच की तरफ खिसका दिया और बैठ गया. फिर मैंने बेखौफ होकर चाची की मैक्सी को समेट कर उनके गले तक चढ़ा दिया. चाची अब गले के नीचे पूरी तरह नंगी थीं.

अब मैं चाची के मम्मों पर बेख़ौफ़ टूट पड़ा और उन्हें दबाने लगा.. बारी बारी से चूसने लगा.

मैं बता नहीं सकता मुझे कितना मजा आ रहा था. लगभग दस मिनट तक उनके चूचे चूसने के बाद मैं धीरे से अपना एक हाथ उनकी चूत पर ले गया और चूत को सहलाने लगा.

मैं पूरी मस्ती में चाची के चूचे चूस रहा था और चूत सहला रहा था.

फिर मैंने सोचा चाची की चूत चाटी जाए. मैंने चाची की टांगें फैला कर चौड़ी कर दीं और टांगों के बीच आ गया. चाची की चूत पूरी तरह खुल चुकी थी और मेरे लिए बल्ब की सफेद रोशनी में जन्नत से कम नहीं दिख रही थी.

मैंने सीधे अपना मुँह चूत पे लगा दिया. बड़ा अजीब सा कसैला स्वाद था, कुछ नमकीन सा.. पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा.. मैं तो बस चूत चाटने लगा.

मैं दोनों हाथ ऊपर करके चाची के मम्मों को दबाने लगा और चूत के छेद में जीभ डाल के चूत चाटने लगा. मेरा लंड पूरी तरह अकड़ चुका था. मैं चाची की चूत को छोड़ कर उनके मुंह के पास आ गया और अपने लंड को उनके होंठों पर रगड़ने लगा. फिर मैंने चाची का मुंह खोला और अपना लंड उनके मुँह में घुसेड़ दिया और चाची की गर्दन पकड़ कर आगे-पीछे करने लगा.

कुछ 3-4 मिनट ही हुए मैं चरम पर पहुँच गया. मैंने चाची का सर पकड़ा और पूरी ताकत से अपना 8 इंच का लंड चाची के गले तक उतार दिया और झड़ गया. वीर्य की आखरी बूंद निकलने तक मैंने लंड चाची के मुँह में ही रखा और फिर निकाल लिया. मुझे थोड़ी थकान सी लगी, पर मैं इस दिन को ऐसे ही नहीं जाने देना चाहता था. अभी तो ये सिर्फ शुरुआत थी.

मैंने उठकर पानी पिया और फिर चूत सहलाने लगा और मम्मों को चूसने लगा. कुछ मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था.

फिर मेरे दिमाग में एक विचार आया. मैंने चाची को थोड़ा सा नीचे की तरफ खींचा और उल्टा होकर चाची के ऊपर चढ़ गया. अब मेरा लंड चाची के मुँह के पास और मेरा मुँह चाची की चूत के पास था. मैंने अपना लंड चाची के मुँह में डाल दिया और ऊपर-नीचे करने लगा और इधर चूत भी चाट रहा था. कुछ मिनट तक मैंने ऐसे ही चूत चाटी और फिर लंड मुँह से निकाल कर सीधा हो गया. मैं उनकी टांगों के बीच आ गया और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.

फिर मैं चाची के ऊपर झुक गया और चाची की चूत में लंड सरका दिया. क्योंकि चूत गीली थी इसीलिए मेरा लंड एक ही बार में पूरा चाची की चूत में समा गया. उस समय चाची सिर्फ एक सेक्स डॉल थी और कुछ नहीं. मैं 7-8 मिनट तक चाची को ऐसे ही चोदता रहा. फिर मैंने चूत से अपना लंड निकाल लिया और चाची की बगल में लेट गया.

फिर मैंने चाची की एक टांग उठा कर ऊपर कर दी और साइड से ही अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया और चोदने लगा.

इस पोजीशन में मेरा पूरा लंड चूत में नहीं जा पा रहा था तो मुझे ज्यादा मजा नहीं आ रहा था. मैं फिर से चाची के ऊपर झुक गया और उनकी दोनों टांगें अपने कंधे पर रख कर फिर से लंड उनकी चूत में पेल दिया.

अब मैं पूरी ताकत से उन्हें चोद रहा था वो भी पूरी स्पीड में.. जिससे पूरा बेड तेजी से हिल रहा था. पांच मिनट तक चोदने के बाद मैं उनकी चूत में ही झड़ गया. मैं चाची के ऊपर ही लेट गया. मेरा लंड अभी भी चाची की चूत में था.

अब मैं थक गया था तो मेरी आँखें बन्द होने लगीं. पर मैंने सोचा मैं सोऊंगा नहीं.. पूरी चुदाई के मजे लूंगा. इसी कशमकश में कब मेरी आंख लग गई मुझे पता ही नहीं चला.

मेरी हिंदी पोर्न कहानी की इस कड़ी में इतना ही मेरे दोस्तो.. आगे की कहानी अगली कड़ी में बताऊंगा.
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कहानी जारी है.

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