मामी का सैलाब

(Mami Ka Sailaab)

राजा कहार 2008-07-25 Comments

अन्तर्वासना के इस सेक्स दरबार में मेरा एक वाकया!
मेरा नाम राज है, मैं जयपुर का रहने वाला हूँ, उम्र 21 साल है।

यह बात दो साल पहले की है जब मैंने बारहवीं की परीक्षा दी थी। मेरे मामा और मामी भी यहीं रहते हैं, हमारे दोनों घरों के बीच में लगभग 30 किलोमीटर का फासला है। मेरे मामा और मामी का मिलन दो साल पहले ही हुआ था मतलब उनकी शादी को सिर्फ दो साल ही हुए थे।

मामी एक अध्यापिका हैं और मामा जी सरकारी नौकरी करते है। उनका तबादला दिल्ली हो गया, मामी अपनी नौकरी के कारण उनके साथ नहीं जा सकी इसलिए मामा ने मुझे वहाँ मामी से साथ रहने के लिए बोल दिया। मैं तो खुशी के मारे उछल पड़ा।

अब मैं आपको अपनी मामी के बारे में बताता हूँ। उनकी उम्र 24 साल, रंग गोरा, तनाकृति तो पूछो मत यारो! साड़ी पहने या जींस टॉप…या फिर चाहे राजस्थानी पोशाक… लगती तो हमेशा एक पटाखा ही… जिसे मैं हमेशा जलाने की सोचता था।

मामा जी के चले जाने के बाद मैं वहाँ जाकर रहने लगा। शुरु के 3-4 दिन तो सब सामान्य चलता रहा, धीरे धीरे हल्का खुलापन आ गया। उसके बाद तो हम एक ही बेड पर सोने लगे पर पूरी दूरी बनाकर।

जब सुबह वो नहाने जाती तो मैं टॉयलेट में जाकर दीवार के छेद से उनके बाथरूम में उन्हें देखता था, उनकी चूत और गांड को देखकर मुट्ठी मारता था।

फ़िर 8-9 दिन बाद की बात है, रात को मामी ब्लाउज और पेटीकोट पहने थी और हम साथ में बैठ कर क्रिकेट मैच देख रहे थे। हम उसी बेड पर बैठे थे जिस पर हम सोते थे।

मामी को नींद आ गई। मैं देर रात तक टीवी देखता रहा था। लगभग दो बजे मैच ख़त्म हो गया। मैं ऐसे ही टीवी के चैनेल बदलकर सोने वाला ही था कि टीवी पर फैशन टीवी पर ब्रा-बिकनी शो चल रहा था।

मेरा लंड एकदम से कड़क हो गया। मैंने मामी की तरफ देखा, वो अपने पांवों को ऊपर की ओर मोड़कर सो रही थी और उनका पेटिकोट उनकी जांघों के नीचे आ गया था जिससे उनकी चूत साफ़ दिख रही थी।

मैंने झटके से उनके चहरे की तरफ देखा… वो आराम से सो रही थी।

मैंने अपने इरादे को उस रात पूरा करने का मानस बना लिया।

मैं उठा और निकर और बनियान पहनकर, बेड पर आकर सोने का नाटक करने लगा। 15-20 मिनट बाद मैंने नींद का नाटक करते हुए अपना हाथ उनके बोबों पर और एक पांव उनके दोनों पांवों के बीच में चूत पर डाल दिया।

मामी नींद के नशे में मेरी तरफ़ घूमी और अपनी बाहें मेरे गले में और टाँगे एक के ऊपर एक डाल दी। मेरा पाँव अब उनकी चूत के बहुत पास आ गया और मुझे उसकी गरमी का अहसास हुआ।

मामी अब भी नींद के नशे में मुझे अपना पति समझ कर पप्पी ले रही थी और और अपनी बांहों में जकड़ कर अपने सीने से लगा रही थी और कुछ बोल रही थी। मैं जाग कर भी सोने का नाटक कर रहा था।

थोड़ी सी देर बाद जब हम दोनों एक दूसरे के पूरे चिपक गए थे, वो एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ने की कोशिश करने लगी, मेरी निकर में हाथ डाल दिया और मेरे होंठों को चूमने लगी। मैं तो पहले से ही गर्म था और इसके बाद तो जैसे पूरी आग मुझ में और मामी में ही आ गई।

मामी ने लंड हाथ में लिया तो ऐसे लगा जैसे मुझे स्वर्ग मिल गया और मुँह से आह निकल पड़ी। मामी उसे बाहर निकाल कर चूत में डालने की कोशिश करने लगी। अब मैंने भी सोने का नाटक छोड़ दिया और मामी के चिकने बदन को मसलने लगा, जोर जोर से उनके बोबे दबाने लगा। होंठों से होंठों पर चुम्बन अब भी चालू था, हम दोनों अब अपनी अपनी आँखें खोल दी थी और एक दूसरे का पूरा साथ देने लगे थे।

अब तो सिर्फ अपनी आग शांत करने की देरी थी, मैंने मामी का ब्लाऊज उतार दिया। मामी ने ब्रा नहीं पहन रखी थी। उनके चुचूकों को जैसे ही मैंने अपने मुँह में लिया, मामी जोर जोर से आहें भरने लगी और अपने दोनों हाथों से मुझे अपने बोबों पर दबाने लगी।

मैंने दूसरे हाथ से पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट को टांगो से निकाल कर दूर फ़ेंक दिया, मैंने अपनी बनियान और निकर निकाल कर फ़ेंक दी।

मामी मेरा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगी। मैंने देर न करते हुए अपने होंठ सीधे मामी की चूत पर टिका दिए और मामी ने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए।

जैसे जैसे मैं उनकी चूत को चाट रहा था, वैसे वैसे उनके मुँह से आहें निकाल रही थी और जैसे ही मैं उनके दाने को दांतों से हल्का काटता या चूसता वैसे वैसे वो मेरे बाल अपने हाथ से नोच रही थी।

थोड़ी देर चूत चूसने के बाद अब मैं ऊपर आ गया और फिर से चुम्बन करने लगा।

नीचे से मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर उसे चूत के बाहरी इलाके में घुमाने लगा और मामी मुझे निचोड़ रही थी और बार बार कह रही थी- अन्दर डालो!

अचानक उनकी सिसकारियाँ तेज़ हो गई और मुझे अपने सीने से कस कर लगा लिया और इसी के साथ उनका सैलाब फ़ूट पड़ा जिसे मैंने अपने लंड पर महसूस किया। मेरा लंड तो अभी भी बाहर था, और उस पर इतना पानी… मामी की चूत से इतना पानी निकला कि मेरा लंड पूरा गीला हो गया और मामी जोर जोर से सकून की साँसें लेने लगी।

अब मैंने अपना लंड लेकर चूत के द्वार पर रखा, गीला होने के बावजूद अंदर जाने में दिक्कत हो रही थी इसलिए मैंने एक तगड़ा झटका दिया और लंड महाराज पूरे के पूरे चूत रानी की शरण में!

और ऊपर मामी के मुँह से दर्द भरी आह!

मैंने लंड अन्दर करने के बाद धीरे-धीरे से अपना काम पूरी पूरी लगन के साथ शुरू किया… अब धीरे धीरे बेड से चूँ-चूँ और धम्म धम्म की आवाज आने लगी और साथ ही कमरा मामी की सिसकारियों की आवाज़ से भर गया।

मामी बार बार मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा रही थी। जब भी वो झड़ने लगती, मैं अपनी स्पीड और तेज़ कर देता और उनके मुँह पर अपने होंठ रख देता… जिससे वो और तिलमिलाती…

आधे घंटे की ताबड़-तोड़ मेहनत और इस घमासान के बाद अब मुझे भी अहसास होने लगा कि मेरा निकलने वाला है। मैंने अपनी गति बढ़ा दी और उनकी चूत में अपनी मलाई डाल दी। अब मैं निढाल होकर उनकी आँखों में देखने लगा। उनकी आँखों में एक सकून था और मुस्करा रही थी। उन्होंने बड़े प्यार से मुझे चूम लिया।

अब हम दोनों उठे तो देखा कि चादर तो बीच में पूरी गीली हुई पड़ी है। तो मामी ने बताया कि उनकी चूत से पानी बहुत निकलता है।

उसके बाद तो मामी ने और मैंने चार महीने साथ गुज़ारे और मुझे सब कुछ सिखाया जैसे मुझे चूत का गुरु बना दिया। उसके बाद तो मैं मामी के सहयोग से महीने की औसतन एक चूत मारने लगा।

उसके बाद तो पता नहीं किन किन की चूतों पर धावा बोला…तीन कुंवारी चूतों पर विजयी काला लंड फहराया।

अगर वक़्त मिला तो जल्द ही बाकी कहानियाँ ‘अन्तर्वासना’ के दरबार में सुनाई जाएँगी।

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