चुदासी चाची के मोटे चूचे और गांड
(Chudasi Chachi ke mote chuche aur Gand)
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम! मैं इस साइट का नियमित पाठक हूँ. यह मेरी दूसरी कहानी है. यह कहानी मेरी और मेरी चाची की है. मैं आपको बताऊंगा कि मैंने अपने चाची को किस तरह चोदा.
कहानी शुरू करने से पहले मैं आप सब लोगों को अपने बारे में कुछ बता देता हूँ।
मेरा नाम रोहन शर्मा है. मेरा कद 5 फीट 11 इंच है और रंग गोरा है. मैँ एक गठीले बदन का मालिक हूँ। इसके पीछे का राज़ भी आपको बता देता हूँ। मैं नियमित रूप से जिम जाता हूँ। मैं एम.पी. के ग्वालियर का रहने वाला हूँ।
इस कहानी को मैं अपनी मदमस्त चाची को समर्पित करना चाहता हूँ।
वह एक गर्दाए हुए जिस्म की मालकिन है. चाची से आपका परिचय करवाता हूँ। चाची का नाम सुनीता शर्मा है. मैं उनका असली नाम यहाँ पर नहीं बता रहा हूँ. मैंने नाम बदल दिया है. उनकी उम्र 42 साल के करीब है. अगर उनके फिगर की बात करूँ तो उनकी हाइट 5 फीट 4 इंच की है और उनका साइज़ 40-34-42 है. साइज से आपको खुद ही अंदाज़ा लग गया होगा कि मेरी चाची की गांड कितनी मस्त होगी.
उनका शरीर भरा हुआ है और पेट पर पड़ने वाली सिलवटें उनको और भी ज्यादा मादक बना देती हैं।
मेरी चाची की शादी को 18 साल हो चुके हैं और मेरे चाचा बाहर जॉब करते हैं। चाची अकेली ही अपने 15 साल के बेटे के साथ रहती है. मैंने जब से अपनी जवानी में कदम रखा है तब से ही मैं उनका दीवाना हूँ. मुझे उनके शरीर की दो विशेषताएं सबसे ज्यादा अपनी तरफ खींचती हैं. एक तो उनके मोटे-मोटे चूचे और दूसरी उनकी उभरी हुई मदमस्त गांड.
शायद चाची भी इस बात को जानती थी क्योंकि अक्सर उन्होंने मुझे उनके चूचों को घूरते हुए देखा हुआ है.
चाची के घर पर किरायेदार भी रहते हैं. इसलिए उनके घर में काफी चहल-पहल रहती है.
एक दिन चाची के घर पर रहने वाली किरायेदार महिला अपने किसी रिश्तेदार के यहां पर गई हुई थी. चाची घर में अकेली रह गई थी. शाम के वक्त चाची का मेरी माँ के पास फोन आता है और वह उनको बताती है कि वह घर पर अकेली हैं.
चाची ने बताया कि रात को उनको घर पर अकेले में डर लगेगा तो उन्होंने मेरी माँ से कह दिया कि वह रोहन यानि कि मुझे उनके घर पर भेज दें। माँ ने भी चाची को हाँ कह दिया.
शाम को 6 बजे माँ ने बोला- रोहन, आज तुम सुनीता चाची के यहाँ पर ही सो जाना. वह घर पर अकेली है और उनको घर में अकेले होने के कारण डर लगता है. यह सुनकर मेरे तो मन में जैसे लड्डू फूटना शुरु हो गए.
मैं तो कब से इसी फिराक में था कि कैसे चाची को चोदने का मौका मिले. मैं नहाया और मैंने परफ्यूम लगा कर चाची को चोदने का सारा प्लान भी अपने दिमाग में बना लिया.
तैयार होकर मैं चाची के घर पर पहुंचा और मैंने दरवाज़े पर जाकर घंटी बजाई. जैसे ही उन्होंने दरवाज़ा खोला मैं तो चाची को देखता ही रह गया. मेरी आँखों के सामने मेरी सपनों की रानी मदमस्त जवानी से भरी हुई चाची खड़ी थी, जिसके 40 के साइज़ के चूचे उसके ब्लाउज़ में कसे हुए थे. वो उसके ब्लाउज़ से आधे बाहर झांक रहे थे. मेरी आँखें उसके चूचों पर टिकी हुई थीं.
तभी चाची मेरे सिर पर प्यार से थप्पड़ मारा और बोली- आ गया नालायक… चल अन्दर आजा!
अंदर आते ही चाची ने गेट बंद किया और मुझे बैठने को कहा, मैं सोफे पर बैठ गया और चाची भी वहीं बैठ गयी और हम टीवी देखने लगे.
तभी चाची बोली- और बता.. तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है?
मेरी नज़रें अभी भी मेरी प्यारी चाची के कसे हुए चूचों पर थी और चाची भी समझ गई थी, पर कुछ बोली नहीं.शायद उसे भी मज़ा आ रहा था. एक जवान लड़के को तड़पाने में चाची भी पूरा मज़ा ले रही थी.
तभी अचानक बोली- तू बहुत हरामी हो गया है.
मैं बोला- क्यों?
वह बोली- दीदी (मेरी माँ) बता रही थी कि एक दिन तू घर पर किसी लड़की के साथ पकड़ा गया था. किसको लाया था?
मैंने कहा- चाची, वह फ्रेंड थी मेरी.
चाची- अच्छा … मैं तो यही समझती थी कि तू अभी छोटा है.
मेरे मुंह से निकल गया- आज़मा कर देख लो।
मैं बोला- सॉरी-सॉरी चाची, गलती से निकल गया।
चाची बोली- कोई बात नहीं, अगर मैं तेरी चाची न होती तो आज़मा कर देख भी लेती।
मैं सुनते ही पागल हो गया और यकीन नहीं हुआ कि यह सब चाची कह रही है.
मैंने भी आग में घी डाल दिया.
उनकी जांघ पर हाथ रखते हुए कहा- चाची हो, माँ नहीं।
चाची ने मेरे हाथ पर हाथ रखते हुए कहा- तो फिर आज ही आजमा लेती हूं … देखूँ तो कितना बड़ा हो गया है मेरा बेटा.
यह कहकर चाची उठ कर किचन में गयी.
चाची ने कहा- मुझे खाना बनाना है।
मैंने चाची के बेटे अंकुर से कहा- तुझे पढ़ाई नहीं करनी है क्या … जा ऊपर जाकर पढ़ाई कर ले.
वह उठा और पढ़ने के लिए ऊपर चला गया.
और मैं किचन में दूर से देखने लगा कि चाची की साड़ी उसकी गांड को टाइट कसे हुए थी और कमर का हिस्सा साफ नज़र आ रहा था. गोरा, मक्खन जैसा जिस्म था चाची का. चाची को देखते-देखते मुझसे कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था और मैंने किचन में जाकर पीछे से उनकी कमर में हाथ डाल दिया. चाची एकदम से चौंक गई.
बोली- पागल है क्या … अंकुर देख लेगा.
मैंने कहा- आप उसकी चिंता मत करो, मैंने उसको पढ़ाई करने के लिए ऊपर भेज दिया है.
चाची बोली- बेटा, मैं तेरी चाची हूँ।
मैंने अपना एक हाथ चाची की कमर पर फिराते हुए उसके पेटीकोट के अंदर से उसकी चूत पर रख दिया. हाथ रखते ही मुझे पता चल गया कि मेरी चाची पहले ही चुदासी हो चुकी है और उसकी गवाह उनकी गीली पैंटी थी.
मैंने चाची से कहा- चाची, यह तो आग उगल रही है.
चाची ने शरमाते हुए कहा- बेटे का लंड अपनी गांड पर महसूस करने के बाद तो किसी की भी चूत गीली हो जाएगी.
मैंने वहीं पर चाची की गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. एक हाथ से उसकी चूत और दूसरे हाथ से उनके चूचे को सहलाने लगा. चाची की जवानी आग में जलने लगी. मेरी चाची की चुदास भड़क उठी थी.
चाची की सांसें तेज़ हो चुकी थीं. मैं चाची की गर्दन को चाट रहा था और उनकी पीठ को चाटते हुए मुझे ऐसा लग रहा था जैसे चाची कोई बिन पाऩी के फड़फड़ाती हुई मछली हो.
मैंने चाची के ब्लाउज़ की डोरियों को अपने मुंह से खोल दिया और चाची को ऊपर उठा कर किचन की स्लैब पर बिठा दिया. उनका ब्लाउज उतार कर मैंने चाची के चूचों को ब्रा के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया.
चाची की कामुक आवाज़ें किचन में गूंजने लगी स्स्स … उउम्म्ह… अहह… हय… याह…
चाची के चूचे कड़क हो गए थे.
मैंने चाची की ब्रा को उतार कर उसके एक चूचे को तो मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. और साथ ही दूसरे चूचे को दबाना शुरू कर दिया.
धीरे-धीरे मैंने चाची के पेट को चाटते हुए उनके पूरे पेट को गीला कर डाला और फिर मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैंने चाची के पेटीकोट को उसकी जांघों तक चढ़ा कर उनकी जांघों को सहलाना शुरु कर दिया. अपनी दोनों उंगलियों से चाची की चूत को दबाया और फिर मैंने अपनी दोनों ही उंगलियों को चाची की चूत में डाल दिया.
मेरी इस हरकत पर चाची की सिसकारी निकलना शुरू हो गई और चाची ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरे होठों को चूसना शुरू कर दिया. चाची पागल हो चुकी थी. उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी. मैं भी चाची की चूत से खेलने में लगा हुआ था. मैंने चाची की चूत की मसाज करना शुरू कर दिया था.
जब चाची से और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ तो चाची ने मुझसे बेडरूम में चलने के लिए कह ही दिया. अपनी बांहों में लेकर मैंने चाची को बेडरुम में ले जाकर उनके बेड पर पटक दिया. अंदर जाकर मैंने रूम को लॉक कर लिया और चाची के पैरों से फिर शुरूआत कर डाली.
मैंने चाची के पैर को अपनी छाती पर रख दिया. वह लेटी हुई थी, मैं उसके पैरों के नीचे बैठा हुआ था. पैरों की उंगलियों को मुंह में लेकर चूस रहा था. चाची अपनी आंखें बंद करके बड़बड़ाने लगी थी.
उसके मुंह से निकल रहा था- रोहन बेटा, चोद दे अपनी चाची को … तेरे चाचा से तो चोदा नहीं जाता है. तेरी चाची की चूत बहुत प्यासी है बेटा. चोद दे इसको!
इतना सुनते ही मेरी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और मैं उसकी उंगलियों को चूसते हुए उसकी जांघों को चाटते हुए उसकी चूत तक पहुँच गया था. अभी मैं उसकी चूत के अगल-बगल में ही चाट रहा था. मैं चाची को और ज्यादा तड़पाना चाहता था. चाची बेड की चादर को नोचने में लगी हुई थी. चाची की चूड़ियों की आवाज़ मुझे पागल कर रही थी.
फिर मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल दी. अपनी जीभ से मैं चाची की नाभि को ही चोदने लगा. साथ ही साथ मैं अपने हाथों से चाची के निप्पलों को खींच कर दबा रहा था. मैंने अब एक उंगली चाची के मुंह में डाल दी और चाची मेरी उंगली को लंड समझ कर चाट रही थी.
वह बोली- चोदेगा आज … या ऐसे ही तड़पा कर मुझे मार डालेगा?
मैंने नीचे बढ़ते हुए उसकी चूत पर फिर से जीभ लगा दी. चूत पर मुंह लगते ही चाची चहक उठी. उसके मुंह से गज़ब की कामुक सिसकी निकल गई. मैं भी खिलाड़ी था. मैंने अब चाची की चूत की फांकों को खोलकर उसकी चूत के अंदर अपनी जीभ डाल दी. चाची का आनंद सातवें आसमान पर था. उसके हाथ मेरे बालों में आ चुके थे. चाची मेरे बालों को सहला रही थी. मैं कुत्ते की तरह चाची की चूत को चाट रहा था. चाची अपने होठों को चबा रही थी.
अचानक ही चाची ने मुझे बिना बताए ही अपनी चूत का पानी छोड़ दिया या फिर यूं कहें कि चाची के वश में ही नहीं रह गया था कि वह अपनी चूत के पानी को रोक कर रख सके.
उसके बाद चाची और मैं 69 की पॉजिशन में आ गए. चाची मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और मुझे गज़ब का मज़ा आने लगा.
चाची ने फिर मुझसे मिन्नत की- रोहन बेटा, अब तो चोद दे मुझे … मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ।
इतना तड़पाने के बाद मैंने चाची को अब और ज्यादा परेशान करना ठीक नहीं समझा. मैं चाची की चूत की तरफ बढ़ा और मैंने चाची की टांगों को चौड़ी करके उनकी चूत पर अपने लंड का सुपाड़ा रगड़ना शुरू कर दिया.
चाची से रहा नहीं गया और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया जिससे मेरा लंड खुद ही चाची की चूत में अंदर चला गया.
फिर मैंने चाची की चूत की चुदाई शुरू कर दी. चाची मेरा लंड लेने के बाद पागल हुई जा रही थी, मेरे होठों को चूस रही थी, मेरी कमर को नोच रही थी. मैं भी कुत्ते की तरह चाची की चूत को चोदने में लगा हुआ था.
इसी स्पीड में चाची की चुदाई लगभग 10 मिनट तक चली और उसके बाद चाची की चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया. मेरा पूरा लंड चाची की चूत के पानी में सराबोर हो गया. उसके बाद मैंने चाची को अपने ऊपर बैठा लिया और चाची मेरे लंड पर बैठकर उछलने लगी. चाची के चूचे मेरी आंखों के सामने ही उछल रहे थे. मैंने चाची के उछलते हुए चूचों को पकड़ कर उनको दबाना शुरू कर दिया.
अब मेरा भी पानी निकलने वाला था. मैंने चाची से पूछा- चाची कहां पर निकालूँ अपना पानी.
चाची बोली- बाहर निकाल दे.
मैंने कहा- चाची फिर तो मैं आपकी मांग में अपना वीर्य छोडूंगा.
चाची नीचे बैठ गई और मैंने अपने लंड की मुट्ठ मारना शुरू कर दिया. कुछ देर लंड को हिलाने के बाद मैंने चाची की मांग में अपना वीर्य छोड़ दिया और उसकी मांग को अपने वीर्य से भर दिया. मेरा वीर्य चाची की मांग से होकर उसके माथे पर बहने लगा.
चाची काफी खुश लग रही थी. चाची बोली- रोहन बेटा, आज तो तूने मुझे खुश कर दिया.
उसके बाद चाची नहाने के लिए चली गई.
मैं वहीं कमरे में लेटकर टीवी देखने लगा. उसके बाद रात को फिर से मैंने चाची की चुदाई की. लेकिन वह कहानी मैं अगली बार बताऊंगा.
आप सबको मेरी यह कहानी कितनी पसंद आई आप मुझे मेरी ई-मेल आईडी पर ज़रूर बता देना. यह मेरी रीयल चुदाई स्टोरी है। मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा.
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