चाची की सम्पूर्ण यौन आनन्द कामना पूर्ति-2
(Chachi Ki Sampurn Yaun Aanand Kamna Purti-2)
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keyboard_arrow_left चाची की सम्पूर्ण यौन आनन्द कामना पूर्ति-1
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keyboard_arrow_right चाची की सम्पूर्ण यौन आनन्द कामना पूर्ति-3
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मेरी बात सुन कर चाची बोली- इतने उतावले मत हो, पहले जल्दी से कपड़े धो लेते हैं फिर नहाने से पहले तुम इन्हें साफ़ कर देना।
इसके बाद मैंने चाची के होंटों को चूमा और उनके स्तनों को मसल दिया जिससे वह कराह उठी और तब उन्होंने भी मेरे लिंग को पकड़ कर झट से उमेठ दिया।
चाची की इस हरकत के कारण मैं भी कराह उठा, हम दोनों ही उछल कर एक दूसरे से अलग हो गए और इसके बाद हम दोनों नग्न हालत में ही कपड़े धोने लगे।
चाची कपड़ों पर साबुन लगा कर और उन्हें मसल कर धोती जाती, मैं उन कपड़ों के साफ़ पानी में छीछालता तथा उनमें से पानी निचोड़ कर उन्हें आँगन में सूखने डाल देता।
जब भी मैं चाची से कपड़े लेने गुसलखाने में आता तो अपना तना हुआ लिंग उनके आगे कर देता तब वह उसे बड़े प्यार से अपने हाथ में पकड़ लेती और कभी कभी उसका चुम्बन भी ले लेती।
मैं भी उसी समय कभी तो उनके स्तनों को हल्के से मसल देता और कभी उनके होंठों पर चुम्बन कर लेता।
हाँ, एक बार मैंने उनके पीछे से नीचे झुक कर उनकी योनि में उंगली भी कर दी जिस हरकत के लिए मुझे चाची की डांट भी खानी पड़ी।
अब चाची की सम्पूर्ण यौन आनन्द कामना पूर्ति-1 से आगे
बीस मिनट के बाद जब हम दोनों अपनी कामवासना का ऐसे ही प्रदर्शन करते हुए सभी कपड़ों को धोकर निवृत हुए तब चाची ने मुझे उनके जंगल की सफाई करने का संकेत दिया।
उनका संकेत समझ कर मैं जब तक भाग कर उनके कमरे में से बड़े चाचा का शेव का समान ले आया तब तक चाची मेरे कमरे में जा कर मेरे बिस्तर पर अपनी टांगें नीचे लटका कर लेट गई।
मैं जाकर उनकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और शेविंग ब्रश पर क्रीम लगा कर उनके जघन-स्थल के जंगल पर लगाने लगा।
थोड़ी देर में उनका जघन-स्थल जब बहुत सी झाग से ढक गया तब मैंने रेजर में एक नया ब्लेड लगा कर उनकी खेती को साफ़ करना शुरू किया।
जैसे जैसे झाग के साथ उनका जंगल भी साफ़ होता गया वैसे ही उनकी योनि के बाहर की चिकनी सफ़ेद त्वचा चमकने लगी।
मैंने उनकी टाँगें थोड़ी चौड़ी करके उनकी योनि के होंठों को पकड़ कर उन पर उगे सभी बाल भी रेजर से बिल्कुल साफ़ कर दिए।
दस मिनट के बाद जब मैंने उनकी योनि और आस पास के स्थान को पानी से अच्छी तरह धोया तो मुझे चाची की सबसे कीमती अमानत के खुले दर्शन हुए।
उनकी योनि बहुत ही गोरी और पाव-रोटी की तरह फूली हुई थी तथा किसी जवान नवयुवती की योनि जैसी दिख रही थी।
उनकी योनि की फांकें एकदम कसी हुई थी और उन्हें थोड़ा सा खोलने पर मुझे चाची का मटर के दाने जितना मोटा, लाल रंग का भगांकुर दिखाई दिया जिसे छूते ही वह सिसकारी मारते हुए कांप उठी।
थोड़ा नीचे उनकी योनि के होंठ थे जिन्हें फैलाते ही उसके अन्दर का गुलाबी रंग का एक बहुत ही आकर्षक दुनिया दिखाई दी जो बिल्कुल गीली हो रही थी।
जब मैंने योनि के होंटों को पूरा खोल कर ऊँगली से भगांकुर को छुआ तब ऐसा लगा कि अंदर की माँस-पेशियों के सिकुड़ने और फैलने से उसके बीच का छिद्र भी छोटा-बड़ा हो कर मुझे निमंत्रण दे रहा था।
उस दिन तक मैंने सिर्फ बुआ और चाची की योनि ही देखी थी और दोनों में से मुझे सब से अधिक सुंदर एवं आकर्षक योनि चाची की ही लगी थी।
इतना मनमोहक दृश्य देख कर मैं बहुत ही उत्तेजित हो उठा और मैंने योनि का निमंत्रण स्वीकार करके उस पर अपना मुँह रख दिया तथा अपनी जीभ को उस छोटा-बड़ा होते हुए छिद्र में डाल दी।
मेरा ऐसा करने पर चाची बोली- विवेक, खुद तो तुम मेरी मुनिया के मज़े लेने में लग गए और मुझे प्यासा ही छोड़ दिया है। चलो घूमो और जल्दी से अपना मुन्ना मेरे मुँह में दे दो।
उनका ऐसा कहने पर मैंने चाची को बिस्तर पर ठीक से लेटने दिया और फिर घूम कर 69 की अवस्था में हो गया और अपना लिंग उनके मुँह में दे दिया।
पन्द्रह मिनट तक हम दोनों उसी अवस्था में एक दूसरे को चूसते एवं चाटते रहे और सिसकारियाँ भरते रहे।
तभी चाची अपने कूल्हे उछाल कर बहुत ही ऊँचे स्वर में सिसकारी भरने लगी और उनका पूरा शरीर अकड़ने लगा तथा मेरा सिर उनकी अकड़ी हुई टांगों के बीच में फंस गया।
मैंने चाची की योनि के अंदर अपनी जीभ को चलाते हुए अपने सिर को उनकी टांगों की जकड़न से छुड़ाने की कोशिश कर रहा था तभी चाची ने बहुत ही जोर से चिल्लाते हुए सिसकारी भरी और योनि-रस की फुआर मेरे मुँह में छोड़ दी।
उनकी योनि में से निकले रस में से आधा रस तो मेरे हल्क में उतर गया और बाकी का आधे रस से मेरा पूरा चेहरा धुल गया।
योनि में से रस निकल जाने के बाद जब चाची के शरीर में अकड़न कुछ कम हुई तब मैं उनकी टांगों में से आज़ाद हो कर उठा और अपने होंठों पर लगे रस का स्वाद लेते हुए उन्हें चाची के होंठों पर रख दिए।
कुछ क्षण एक दूसरे के होंठ चूसने के बाद चाची ने कहा- विवेक, अब अधिक देर मत कर और गर्म लोहे पर झट से चोट मार दे।
उनकी बात सुन कर मैं उठ कर उनकी टांगों को चौड़ा करते हुए उनके बीच में घुटनों के बल बैठ गया और अपने लिंग तो उनके हाथ में दे दिया।
चाची ने मेरे लिंग को जैसे अपनी योनि के होंठों के बीच में डाला मैंने हल्का सा धक्का दिया और लिंग-मुंड को उनकी योनि में प्रवेश करा दिया।
चाची की योनि ने मेरे लिंग-मुंड का उसके अंदर पदार्पण को बहुत ही गर्म जोशी से किया और तुरंत सिकुड़ कर उसे ऐसे जकड़ लिया जैसे कोई बिछड़ा प्रेमी बहुत समय के बाद मिला हो।
तभी चाची ने भी मुहे अपने बाहुपाश में जकड़ लिया और अपने हाथों से मेरे नितम्बों के जोर से दबाया।
उनके ऐसा करने से मेरा लिंग सरकता हुआ चाची की गीली योनि में घुस गया और हम दोनों के मुँह से एक साथ सिसकारी निकली।
इसके बाद मैंने अहिस्ता अहिस्ता अपने लिंग को चाची की योनि के अन्दर बाहर करने लगा।
चाची भी मेरा साथ देने लगी और जब मैं लिंग को उनकी योनि के अंदर धकेलूँ तब वह अपने कूल्हे उठा मेरे लिंग को उसकी जड़ तक अपने अंदर ले लेती।
दस मिनट तक हम दोनों ऐसे ही करते रहे तब चाची बोली- विवेक, आज मुझे बहुत आनन्द चाहिए जो की अभी नहीं मिल रहा है। थोड़ा तेज़ी से धक्के लगाओ।
मैंने उत्तर दिया- चाची, मुझे नहीं लगता की आज मेरे कुछ करने से आपको आनद मिले। ऐसा करता हूँ कि मैं नीचे लेटता हूँ और आप ऊपर चढ़ कर अपनी चाहत के अनुसार धक्के लगा लीजिये।
इससे पहले कि चाची कुछ कहती, मैंने अपने लिंग को उनकी योनि में से बाहर निकल लिया और उनकी बगल में सीधा होकर लेट गया।
तब चाची ने पलटी मारी और मेरे ऊपर चढ़ कर घुटनों के बल ऊँची हुई तथा मेरे लिंग को अपने हाथ से अपनी योनि के मुँह पर रख कर उस पर बैठ गई।
फिर चाची अपनी इच्छा अनुसार, कभी आहिस्ता और कभी तेज़ी से उछल उछल कर मेरे लिंग को अपनी योनि के अन्दर बाहर करने लगी।
बीच बीच में जब उनकी योनि सिकुड़ती और उनका शरीर अकड़ जाता तब वह रुक जाती और अपने योनि-रस से मेरे लिंग को नहला देती।
बीस मिनट तक इसी तरह मेहनत करने के बाद जब चाची पसीने में नहा गई तब हाँफती हुई बोली- विवेक, मैं उछलते उछलते बहुत थक गई हूँ और धक्के नहीं लगाने में दिक्कत हो रही है इसलिए अब तुम ऊपर आ जाओ।
उनकी बात सुन कर मैंने कहा- नहीं चाची मैं ऊपर चढ़ कर नहीं बल्कि खड़े हो कर धक्के लगाऊँगा।
चाची बोली- वह कैसे?
मैंने कहा- चाची आप फर्श पर खड़े हो कर नीचे की ओर झुक जाइए तथा अपने कंधे तथा सिर को बिस्तर पर रख कर घोड़ी बन जाइए और मैं आपके पीछे से आपकी योनि में अपना लिंग डाल कर धक्के लगाता हूँ।
मेरी बात सुन कर चाची बोली- मैं पहले कभी ऐसे नहीं किया है इसलिए पता नहीं आनन्द आएगा या नहीं।
मैं उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा- चाची, आप चिंता मत कीजिए। आप को इस मुद्रा में इतना आनन्द आएगा की आप आगे से मुझे इसी मुद्रा में करने की ही जिद करेंगी।
अनिश्चित सी चाची उठ कर मेरे कहे अनुसार आगे झुक कर अपना सिर एवं कंधे बिस्तर पर रख कर खड़ी हो गई।
तब मैंने उनके पीछे जा कर उनकी टांगों को थोड़ा चौड़ा किया और अपने लिंग को उनकी योनि की सीध में करके बोला- चाची, तैयार हो जाइए अब मैं आपके अन्दर डाल रहा हूँ।
मैंने एक ही धक्के में पूरा लिंग उनकी योनि में धकेल दिया और तेज़ी से उसे अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ देर के बाद चाची ने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया और मेरे हर धक्के के उत्तर में अपने नितम्बों को उसी लय में पीछे की ओर धकेलने लगी।
हम दोनों के उस धकम-पेल में पन्द्रह मिनट का समय कैसे बीत गए किसी को पता ही नहीं चला।
उन पन्द्रह मिनट में चाची की योनि ने दो बार इतनी अधिक रस की बौछार करी की वह योनि से बाहर निकल कर चाची की जाँघों पर बहने लगा था।
अधिक गीलेपन के कारण उनकी योनि में से ‘फचा… फच… फचा… फच…’ की ध्वनि कमरे में गूंजने लगी थी।
उस ‘फचा… फच… फचा… फच…’ की ध्वनि ने मुझे उत्तेजना से पागल कर दिया और मैं पूरा जोर लगा कर तीव्र धक्के लगा रहा था तभी चाची की योनि एकदम से सिकुड़ गई और वह मेरे लिंग को जकड़ कर अंदर खींचने लगी।
चाची का शरीर एवं उनकी टाँगें अकड़ने लगी और उनका पूरा बदन कांपने रहा था तथा उन्होंने अपनी दोनों टांगों को भींच लिया था जिसके कारण मेरे लिंग पर उनकी योनि की रगड़ बहुत ही जोर से लगने लगी।
इसके बाद के दो-तीन धक्कों ने हम दोनों को उत्तेजना के उन्माद की उस ऊँचाई पर पहुँचा दिया कि दोनों ने चिल्लाते हुए एक साथ ही अपने अपने रस का स्खलन कर दिया।
चाची की योनि के अंदर हो रही सिकुड़न एवं खिंचावट तथा उनके शरीर एवं कांपती टांगों में हो रही अकड़न के कारण वह अपने को सम्भाल नहीं पाई और धम्म से औंधे मुँह बिस्तर पर लेट गई।
मेरा लिंग जो उस समय उनकी सिकुड़ी हुई योनि में बुरी तरह फंसा हुआ था एकदम से खींचा जिसके कारण मेरे शरीर को भी झटका लगा और मैं चाची के उपर ही गिर पड़ा।
लगभग पांच मिनट तक दोनों पसीने से लथपथ तथा हाँफते हुए लेटे रहे और अपनी अपनी साँसों को नियंत्रित करने की चेष्टा करते रहे।
जब हम दोनों की साँसें सामान्य हुई और चाची की शरीर की कंपकपी तथा योनि की सिकुड़न समाप्त हुई तभी मेरे लिंग को आज़ादी मिली।
कहानी जारी रहेगी…
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