चाची की चुदास का इलाज-5
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Chachi Ki Chudas Ka Ilaj-5
मेरे लवड़े से चुचाते रस को चाची ने देख लिया था.. लेकिन उन्होंने अनजान बनते हुए फिर से कहा- ला.. मैं इसकी खुजली का इलाज करती हूँ।
मैंने लौड़ा आगे किया और उन्होंने मौका पाते ही मेरा लंड पकड़ कर अपने मुँह में रख लिया और मस्त चूसने लगीं… मैं भी समझने लगा था कि चाची चुदना ज़रूर चाहती हैं.. पर नादान बनकर…
इसलिए मैंने चाची की चूत पर ऊँगली रखते हुए कहा- चाची यहाँ पर लगता है.. चींटी अन्दर घुस गई है.. इसलिए तो पानी निकल रहा है.. क्या मैं इसे निकाल दूँ?
चाची ने कहा- अरे जल्दी निकालो.. यह भी कोई पूछने वाली बात है क्या?
मैंने भी चाची की चूत में अपनी ऊँगली डाल दी और आराम से उसे अन्दर-बाहर करने लगा। चाची भी मेरा लंड चूस चूसकर बरसों की प्यास बुझा रही थीं।
फिर मैंने चाची की चूत में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा.. मेरी जीभ की नर्माहट से चाची की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी। लेकिन वो खुल कर मुझसे चोदने के लिए नहीं बोल रही थीं। मैं यह सोच रहा था कि इतने बहाने कैसे बनाऊँगा?
लेकिन मैंने एक आइडिया निकाला और चाची के मुँह को ही चोदने लगा.. वो भी इसे बुरा नहीं मान रही थीं… शायद चाचा ने कभी चाची के मुख-मैथुन किया ही नहीं होगा.. यह उनके लिए पहली बार था। मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ाई और चाची के गले में और अन्दर.. और अन्दर.. लंड डालने लगा… चाची तो मानो पागल हो रही थीं।
फिर मुझे जब लगा कि मैं अब झड़ने वाला हूँ.. तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और चाची के पूरे बदन पर अपना सारा माल निकाल दिया… मेरे लंड में से पहली बार इतना सारा माल निकला था, चाची का ब्लाउज पूरा चिकना हो गया था.. फिर उन्होंने अनजान बनते हुए गुस्से में कहा- सन्नी.. यह क्या किया तूने.. पूरे कपड़े गंदे कर दिए?
मैंने तुरंत चाची के कहने पर कहा- लाओ चाची में इसे उतार देता हूँ.. आपके हाथ गंदे हो जाएँगे…
इस बात पर उन्होंने बनते हुए कहा- अच्छा ठीक है.. पर आगे से ऐसा मत करना…
फिर वो बैठ गईं और मैंने अपने हाथ चाची के कंधे पर रख दिए और चाची के कंधे को सहलाते हुए उनके हाथों के बगलों से होते हुए मैंने दोनों तरफ से चाची के मम्मों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा। चाची बस आँखें बंद करके मजा ले रही थीं। फिर मैंने चाची के ब्लाउज का हुक खोलना शुरू किया और फिर एक.. दो.. तीन और चार करके सारे हुक खोल दिए और चाची का ब्लाउज आराम से उतार दिया।
अब चाची काले रंग की ब्रा में रह गई थीं। सच में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और वो चाची की कमर को छू रहा था.. चाची को इस बात का पता चल रहा था।
फिर उन्होंने मेरी ओर देखते हुए कहा- रुक क्यूँ गए.. इसे भी उतार न.. कितनी गंदी हो गई है?
मैंने तुरंत आज्ञाकारी बच्चे की तरह चाची की ब्रा के हुक को पीछे से खोला और निकाल दिया।
अब चाची कुछ और ही रंग में थीं- बेटा.. अब इनको भी मसाज कर दे।
और ऐसा कहकर उन्होंने मेरे हाथ अपने हाथों में ले कर अपने मम्मों पर रख दिए और अपने मम्मे सहलवाने लगीं। वो अब कामुक हो रही थीं.. मैं भी अब चाची से एकदम सट कर बैठ गया और मम्मों को मस्ती से दबाने लगा।
उनके दोनों मम्मों को मेरे हाथों में मैंने पकड़ कर गोल-गोल घुमाया और फिर दोनों हाथों में उनके निपल्स को ऊँगलियों में लेकर उसे मींजा तो चाची के मुँह से एक ‘आआआहह..’ निकला.. पर उनको मज़ा आया।
फिर मैंने उन्हें लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया और मम्मों को दबाने लगा। अब मैंने बिने पूछे एक मम्मे की चौंच को अपने मुँह में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। चाची के चेहरे पर शिकन की लकीरें देख कर मैं रुक गया तो चाची ने आँखें खोलकर कहा- अरे रुक क्यूँ गया.. और करो.. अच्छा लगता है…
मैं फिर से चाची के मम्मों को मसलने में लग गया.. फिर मैंने चाची की नाभि में अपनी ऊँगली डाली और उसे घुमाया और अन्दर घुसेड़ने भी करने लगा। थोड़ा ज़्यादा ज़ोर से डालते ही चाची अपने आपको रोक नहीं पाईं..और बोल पड़ीं- आह्ह.. सन्नी बेटा.. ज़रा धीरे करो.. न…
फिर मैंने चाची की चूत में हाथ डाला और चाची की क्लिट को मसलने लगा और थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने चाची की चूत में ऊँगली डाल दी और उसे अन्दर-बाहर करने लगा।
चाची को मस्त लग रहा था.. अब उनसे रहा नहीं गया और बोल पड़ीं- यस.. सन्नी बेटा.. और करो.. अच्छा लग रहा है.. प्लीज़ फक मी…
चाची के मुँह से ‘फक मी’ सुनने का ही इन्तजार था.. फिर मैंने चाची की चूत में दो ऊँगलियाँ डाल दीं और चाची मचल उठीं और अंगड़ाई लेने लगीं…
मैं चाची की नाभि को चुम्बन कर रहा था और दो ऊँगलियों से चूत मसल रहा था… फिर मैंने फिर से उठ कर चाची के ऊपर 69 की अवस्था में आ गया और चाची की चाची की चूत को मुँह में ले कर चूसने लगा।
चाची भी बिना कुछ सोचे मेरे लंड को चूसने लगीं और अपने मुँह में जी भर के लंड को उतारने लगीं। फिर उन्होंने मेरे दोनों अण्डकोषों को पकड़ा और दबाया.. आह्ह.. मैं भी उत्तेजित हो गया और चाची की चूत में और गहरे जीभ डालने लगा। चाची अब ज़ोर से सीत्कार कर रही थीं…
फिर मैंने अपनी दो ऊँगलियाँ फिर से चाची की चूत में डालीं और जोरों से अन्दर-बाहर करने लगा। अपनी जीभ से चाची की चूत को चाटने लगा… अब मेरे बस में मैं खुद ही नहीं था इसीलिए मैंने सीधे होकर चाची के दोनों पाँव फैला दिए और चाची की चूत पर अपना लंड रखा और लौड़े को अन्दर घुसेड़ने के लिए धक्का मारने लगा.. पर लंड अन्दर नहीं गया।
चाची हंस कर बोलीं- बेटा चाहे जितना ब्लू-फिल्म देख लो.. पहली बार तो औरत से पूछना ही पड़ता है…
फिर उन्होंने मेरे लौड़े को पकड़ा और अपने छेद पर रखा और अब ज़ोर लगाने को कहा… मैंने ज़ोर लगाया और इस बार चाची की चूत में मेरा लंड चला गया.. पूरा नहीं गया था.. पर दूसरी बार में पूरा चला गया।
अब चाची ने कहा- ओह्ह.. धीरे-धीरे शुरू कर ना.. फिर अपने आप रफ़्तार आ जाएगी…
मैंने फिर अपना लंड चूत में ही रहने दिया और चाची के ऊपर लेट गया और चाची के होंठों को चूसने लगा। चाची भी मेरे होंठों को चूस रही थीं। फिर उन्होंने मेरी जीभ को पकड़ लिया और उसे चूसने लगीं।
मेरे लिए यह पहली बार था.. लेकिन मज़ा आया और मैं भी उनकी जीभ को चूसने लगा… वो इस चुम्बन में मस्त थीं और मैंने उनकी चूत को चोदना शुरू कर दिया।
तकरीबन 5 मिनट तक चूसने के बाद मैंने चाची की जीभ को छोड़ा और अब सीधा बैठ गया और ज़ोर-ज़ोर से चाची को धक्के लगाना शुरू कर दिया। चाची की चूत में से मस्त रस निकल रहा था.. जिसके साथ मेरे लौड़े के टकराने से “च्चपक.. चप्पक..” की आवाज़ आ रही थी।
मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं और चाची भी ज़ोर-ज़ोर से सीत्कार कर रही थीं। मैंने चाची को बगल से लिटा कर चोदना शुरू किया और साथ में ही उनके मम्मों को भी दबाने लगा।
मेरी चुदाई और भी तेज़ हो रही थी.. पूरा बिस्तर हिल रहा था.. पता नहीं चाची को चाचा ने ऐसे कभी चोदा भी था या नहीं… बगल से होते हुए ही मैंने चाची को पलटा दिया और चोदना तो चालू ही था। अब मैं चाची को ओर ज़ोर से धक्के लगाने लगा.. वो भी जानबूझ कर ज़ोर से वापस आती थीं.. तकरीबन आधे घंटे तक मैंने चाची को बिना रुके चोदा।
आखिरी दौर में मैं जब उन्हें कुतिया बना कर चोद रहा था.. तब मुझे कुछ झटका सा लग रहा था।
मैंने चाची से कहा तो उन्होंने कहा- पहली बार कर रहे हो.. इसलिए तुम्हें पता नहीं.. इसे स्खलन कहते हैं.. तुम अब झड़ने वाले हो.. प्लीज़ और भी ज़ोर से चोदो.. मैं भी फिर से झड़ने वाली हूँ।
मैंने तो जैसे चाची जो कुतिया बनी हुई थीं.. मैंने उन्हें उनके पेट से पकड़ कर उठा लिया और दम लगा कर झटके मारने लगा। चाची भी चरम के लिए ज़ोर लगाने लगीं और फिर एकदम से उनकी चूत में से रज छूटा और वो शांत हो गईं। उनके झड़ने के दो ही मिनट बाद ही मैंने भी चाची के अन्दर ही अपना सारा वीर्य झटके से उढ़ेल दिया और चाची के ऊपर ही लेट गया।
चाची पेट के बल लेटी थीं। मैंने चाची के ऊपर अपना चेहरा रखा और उनके गाल को चुम्बन करने लगा, उनके कान में कहा- थैंक्स चाची.. यू आर सो नाइस।
चाची- सन्नी, आई एम थैंकफुल टू यू.. आज बहुत दिनों के बाद अपने औरत होने का एहसास हुआ है।
वो मेरी ओर पलटीं और मैंने उनकी आँखों में प्यार से देखा, अब उसमें एक संतुष्टि का भाव था.. जो कि चुदाई के लिए मुझे कब से उकसा रहा था, फिर मैं उनके होंठों पर चुम्बन करने लगा। फिर मेरी और चाची के समागम निरंतर होने लगे.. और वो अब पहले से भी अधिक निखर गई थीं।
बस.. अगर कुछ अच्छे ईमेल मिले और प्रोत्साहन मिला.. तो वो मुझे और अच्छे तूफान मचाने वाली सत्य घटनाएँ लिखने प्रेरणा देंगे।
दोस्तो.. अपना प्यार बस यूँ ही देते रहना.. आपका अपना गौरव।
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