चाची की चुदाई की सच्ची देसी कहानी

(Chachi Ki Chudai Ki Desi Sex Story)

पवन कुमार 2019-04-07 Comments

दोस्तो, मेरा नाम पवन कुमार है, मेरा लंड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. मैं आज आप सभी को अपनी एक मजेदार सेक्सी कहानी सुनाने जा रहा हूँ. यह मेरे और मेरी चाची के बीच की सेक्स की कहानी है.

मैं दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई करता हूँ और मैं वहां पर अपने परिवार वालों के साथ रहता हूँ. मैं एक बार अपनी चाची के साथ जो कि राँची में रहती हैं, उनके साथ बस में पटना जा रहा था. मैं और वो बस में एक स्लीपर ही में थे. उस समय ठंड के दिन थे, इसलिए खिड़कियाँ भी बंद थीं और वो रात का सफ़र था. ठंड अधिक होने के कारण मैं तो अपने पैरों को मोड़कर लेटा हुआ था और जैसा आप सभी लोगों को पता है कि बिहार झारखंड के रोड के बारे में वहां की सभी बसें रोड बहुत ज्यादा खराब होने की वजह से बहुत हिलती हैं. बस की इस यात्रा में हम दोनों इसी वजह से बहुत हिल रहे थे.

फिर उसी क्रम में मेरा हाथ एक बार उनके मम्मों के पास चला गया, मैंने जानबूझ कर अपना हाथ नहीं हटाया. चाची भी मुझसे कुछ भी नहीं बोलीं और मुझे भी उनके मम्मों के स्पर्श को पाकर बहुत मज़ा आ रहा था.

थोड़ी देर के बाद जब बस बिना उछलकूद किए चल रही थी, तब मैं धीरे से उनके मम्मों से सट गया और अपनी हथेली उन पर लगा दी. पहले मैंने एक ही हाथ लगाया, लेकिन जब मुझसे रहा नहीं गया तो दूसरा हाथ भी लगा दिया. उसी समय बस ने एक ज़ोर का झटका खाया और मैंने चाची के मम्मों को ज़ोर से दबा दिया. तो इस बार उन्होंने एकदम झटके से मेरा हाथ हटा दिया.

शायद उन्हें लग रहा था कि मैं गहरी नींद में सोया हुआ था और उसी के चलते ऐसा हुआ है. लेकिन यह मेरा प्लान था मैं सोने का सिर्फ नाटक कर रहा था. मैं चाची के मम्मों का पूरा मजा लेना चाहता था.

फिर उसी समय मैंने अपनी चादर को धीरे से अपने दोनों पैरों में बिल्कुल लपेट लिया और अपने हाथ पैर को जोड़कर सो गया. ये देख कर उन्हें लगा कि मुझे ठंड लग रही है और इसलिए उन्होंने मुझे अपनी चादर में घुसा लिया.

बस फिर क्या था … ये तो सोने पर सुहागा जैसा हुआ. फिर जैसे ही मुझे लगा कि वो गहरी नींद में सो गईं, तो मैं उनके पैर को अपने पैरों से रगड़ने लगा और चाची की प्रतिक्रिया देखने लगा. कुछ देर तक जब उनकी तरफ से कोई हरकत नहीं हुई तो मैंने हिम्मत की और काम पर लग गया.

अब मेरे हाथ उनकी मस्त जगह पर लग गया, मतलब कि मेरी हथेली चाची की चूत पर थी. फिर मैंने उनसे धीरे धीरे सट गया. इस वक्त वो अपनी गांड मेरे लंड की तरफ करके सोई हुई थीं. मेरा लंड तो उनकी चूत का प्यासा था, वो तुरंत उठकर खड़ा हो गया और अब मैं लंड को धीरे धीरे चाची की गांड पर रगड़ने लगा.

तभी मुझे थोड़ी देर में अहसास हुआ कि वो जागी हुई हैं और मेरे इस लंड के काम को एंजाय कर रही हैं. क्योंकि चाची ने अपने चूतड़ों को कुछ जुम्बिश देकर मेरे लंड को और अन्दर आने की जगह सी दी थी.
बस मैं समझ गया कि मजा लेने का समय आ गया है.

अब मैंने अपने हाथ आगे करके उनके मम्मों को ज़ोर से दबा दिया तो उन्होंने मेरे हाथों को दूर हटाकर चादर से बाहर निकाल दिया. इधर मैं अब उन्हें नहीं छोड़ना चाहता था. मैंने भी वो चादर फेंक दी और फिर से जैसे ही बस आगे की तरफ हिली तो मैंने उनके मम्मों पर एक बार फिर से हमला बोल दिया और इस बार मैंने सोच रखा था कि मुझे उनके निप्पल को सहलाना है. इस बार बस हिलने पर मैंने ऐसा ही किया.

मेरे ऐसा करने से वो पूरी तरह तड़प उठीं और नींद में होने के नाटक में ही चाची ने अपने पैरों को फैला दिया. मुझे अब इससे अच्छा मौका कब मिलने वाला था. चाची धीरे धीरे चुदाई के जोश में आ रही थीं. इस बीच मैंने हाथ लगा कर महसूस कर लिया था कि उनकी चूत भी गीली होने लगी थी.

फिर मैंने इस बात का फ़ायदा उठाया और मैंने पहले तो अपने पैर की उंगलियों को चूत के बीच सलवार के ऊपर से ही डाला और फिर पानी पीने के बहाने से उठा और उसकी सलवार के नाड़े को थोड़ा ढीला कर दिया. हम दोनों के कामुक जिस्म उस एक छोटी सी चादर के अन्दर चिपक गए. मेरा लंड भी अब अंडरवियर के अन्दर नहीं रहने वाला था … इसलिए मैंने लंड को बिल्कुल आज़ाद कर दिया और सीधा उनके जिस्म पर सटाकर हिलाने लगा. ऐसा करने से मैं थोड़ी ही देर में झड़ गया. मैंने अपना सारा माल उनके स्वेटर और शमीज के ऊपर निकाल दिया.

इसके बाद मैंने उन्हें ज़ोर से अपनी बांहों में खींच लिया और नीचे से पूरा नंगी हालत में ही चिपक कर सो गया. लेकिन जब मैं सुबह जब उठा तो मैंने देखा कि मैं पैन्ट पहने हुए था और सब कुछ साफ था. मैं समझ गया कि चाची ने पूरा मजा ले लिया है.

हम जब पटना उतरे तो वहां से सीधे एक ऑटो पकड़कर अपने घर पर पहुंचे मतलब कि चाची के मायके में आ गए. उस समय उनके पापा की तबियत बहुत खराब थी इसलिए हम वहां पर गए थे, लेकिन उस समय घर पर कोई नहीं था सिवाए एक नौकर के.

घर पहुंचने के बाद मैं बाहर जाकर एक रेज़र लाया, क्योंकि मेरे लंड पर झांटों का एक बहुत बड़ा जंगल उगा हुआ था और कल की घटना के बाद मैं चाची को साफ़ सुथरा लंड दिखाना चाहता था.

में रेजर लेकर बाथरूम में नहाने चला गया. वहां पर लंड को एकदम चिकना केला सा बनाना शुरू कर दिया.

इस घर में मैं और चाची एक ही रूम में ठहरे हुए थे, लेकिन अब मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई मुझे बाथरूम में बाहर दरवाजे से देख रहा है और कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि वो शायद चाची ही हैं. लेकिन फिर भी मैंने अपने लंड की सफाई को लगातार जारी रखा और लंड की पूरी तरह से साफ सफाई होने के बाद मैंने सरसों का तेल लगाकर अपने लंड की मालिश कि और उसे पूरा 8 इंच लंबा और 2.5 इंच के आकार में ले आया. मैंने लंड को तानकर खड़ा कर दिया.

यह सब कुछ मेरी चाची छुपकर देख रही थीं और मेरे लंड का साईज़ देखकर मानो वो अब मेरे साथ सेक्स करने के लिए तड़प गईं. अब वो खुद ही अपनी चूत में उंगली करने लगीं और धीरे धीरे मोनिंग करने लगीं … इसका आभास मुझे तब हुआ, जब मैंने पानी को बंद कर दिया और उस आवाज़ को ध्यान से सुनने लगा. धीरे धीरे वो आवाज़ और भी तेज हो गई.

अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था. तभी अचानक से मैंने बाथरूम का दरवाजा एक ही झटके से पूरा खोला दिया. उस समय में पूरा नंगा था और फिर मैं बाहर खड़ी हुई चाची को देखकर एकदम हैरान रह गया, क्योंकि वो अपने एक हाथ से अपने मम्मों को दबा रही थीं और दूसरे हाथ से अपनी चूत में उंगली कर रही थीं.

चाची मुझे देखकर पहले तो सकपका गईं. लेकिन मैंने उनको अपनी बांहों में खींचा तो वो कहने लगीं- बस अब मुझे और मत तड़पाओ, अन्दर तो बहुत तेज़ी दिखा रहा था … फिर यहाँ पर इतना चुप क्यों हो गए हो? अब मेरी चूत की प्यास बुझा दो ना. इस लंड को देखकर मैं बस में ही तुमसे चुदवाने के सपने देखने लगी थी.

उनके मुँह से यह बात सुनकर मैं उनको लेकर बाहर कमरे में आ गया और उनको बेड पर ले आया. मैंने उनको बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी टांगें फैला कर चूत को चाटने लगा.

दोस्तो, मैं चाची की चूत का स्वाद आज भी नहीं भूल सकता हूँ. कुछ देर चुत चटाई के बाद वो उठ गईं. मैंने उनकी तरफ सवालिया निगाहों से देखा तो वो मुझे रुकने का इशारा करके चली गईं.

एक मिनट के बाद चाची मेरे लिए कुछ तेल जैसा लेकर आईं, जो कि शायद अंकल काम में लिया करते थे. चाची वो तेल मेरे लंड पर लगाने वाली थीं, जिससे मैं बहुत देर तक नहीं झड़ने वाला था. उन्होंने उसे मेरे लंड पर लगाकर मालिश की और लंड को एकदम टनटना दिया. अब मैं फिर से उनकी चूत को गीली करने के लिए चाटने लगा. लेकिन वो थोड़ी ही देर में झड़ गईं.

मैंने उनसे पूछा कि क्यों झड़ गईं … औरत तो इतनी जल्दी नहीं झड़ती है?
उन्होंने कहा- अगर तेरे जैसा कोई चूत चाटने वाला मिले तो मैं क्या कर सकती हूँ.
फिर मैंने उनकी चूत को और देर तक चाटा, जिससे वो फिर से चुदासी हो गईं. अब मैंने चुत के छेद पर लंड को रखकर एक ही धक्के में पूरा का पूरा लंड डाल दिया. उनकी आह निकल गई, इतना बड़ा लंड उनकी चुत में पहली बार गया था. मैं उन्हें ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा और वो सीत्कार करने लगीं.

चाची कुछ ही देर में अपनी गांड उठा कर मुझसे कहने लगीं कि हाँ और ज़ोर से … मैं आज तुम्हारे लंड आह्ह्हह्ह को अपने अन्दर लेकर बहुत खुश हूँ … हाँ आईईई ईईइ … और ज़ोर से चोदो मुझे उह्ह्हह्ह माँ हाँ … और थोड़ा और अन्दर डालो.

मैं भी बहुत जोश में आकर जोरदार धक्के दे देकर उनकी चूत की चुदाई किए जा रहा था. काफी लम्बी और जबरदस्त चुदाई के बाद अब मैं झड़ने वाला था. मैंने उनसे कहा- चाची, मैं अब झड़ने वाला हूँ … बताओ अपना वीर्य कहाँ पर निकालूं?
उन्होंने झट से कहा- बेटा, मैं तुम्हारा वीर्य एक बार चखना चाहती हूँ.

फिर मैंने लंड को चूत से बाहर निकालकर चाची के मुँह में डाल दिया और अब वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं. उन्होंने मेरे लंड को बहुत देर तक मज़े लेकर चूसा और जब मैं झड़ा तो चाची मेरा सारा वीर्य भी पी गईं.

वीर्य के चटखारे लेते हुए चाची बोलीं- आख़िरकार तुमने आज मेरी प्यास बुझा ही दी. मैं कितने दिनों से इस दिन के लिए तरस रही थी. तुमने मुझे आज चोदकर मुझे बहुत मज़ा दिया और मुझे खुश कर दिया. मैं तुम्हारी चुदाई से बहुत खुश हूँ. आज से तुम मुझे कभी भी चोद सकते हो क्योंकि आज से मैं तुम्हारी हूँ.

मैंने चाची को चूम लिया और उस दिन हम दोनों ने चार बार चुदाई का मजा लिया. इसके बाद तो चाची और मुझे एक दूसरे को चोदे बिना चैन ही नहीं मिलता था. जब तक मैं उनके मायके के घर पर रहा, मैंने उनको बहुत बार चोदा और उनको अपनी चुदाई से संतुष्ट किया और उसके बाद मैंने उनको कई बार अपने घर पर भी चोदा और बहुत मज़े किए.

दोस्तो, यह थी मेरी चाची की सच्ची चुदाई की कहानी, आपको मजा आया या नहीं, प्लीज़ मेल कीजिएगा.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top