चाची ने चुदाई का तजुर्बा दिला दिया-2
साहिल
मैंने आँख खोल कर देखा मेरा मुँह उनकी झांटों के बीच में था।
‘इसको चाट रे… तेरी चाची की बहुत तरसी चूत है..!’
ऐसा कह कर उन्होंने दोनों हाथों से अपनी चूत को फैला दिया, मैं उनकी चूत को चाटने लगा।
अजीब सी गन्ध आ रही थी।
करीब दो मिनट चाटा होगा कि चाची ने मेरा मुँह झटके से अलग कर दिया, मेरा मुँह गीला हो गया था।
मैंने चाची के गाउन से मुँह साफ़ किया।
‘खड़ा हो जा रे..!’ चाची ने मुझ से कहा।
मैं खड़ा हो गया, फिर चाची मेरे सामने बैठ गईं, मेरा लण्ड पकड़ कर अपने होंठों पर फेरने लगीं।
मेरे लण्ड से पानी निकलने लगा था।
फिर उन्होंने मेरा लण्ड अपने मुँह में रखा और जुबान से उसको सहलाने लगीं।
मेरे मुँह से बहुत जोरदार आवाज़ निकली- ओह्ह्ह्ह्ह..! चाची यह क्या कर दिया आपने..?
‘कुछ नहीं होगा.. मेरे राजा..!’ चाची ने कहा और ज़ोर से मेरे टट्टे दबा दिए।
मैं दर्द से तड़प गया।
‘चल अब लेट जा..’ चाची ने कहा।
मैं लेट गया, फिर चाची ने मेरी टाँगों को मोड़ा और मेरे ऊपर आ गईं।
यह 69 की पोजीशन थी। मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर उन्होंने अपनी गीली चूत मेरे मुँह पर रख दी और एकदम शान्त लेट गईं।
चाची की चूत से पानी निकल रहा था और मजबूरी में मुझ को पीना पड़ रहा था।
मेरा लण्ड भी पानी छोड़ रहा था जिसको चाची थोड़ी-थोड़ी देर बाद पी जाती थीं। अब मैं समझ गया था कि क्या चल रहा है और क्या होने वाला है।
फिर चाची सीधी लेट गईं और अपनी टाँगें मोड़ कर फैला लीं, ‘आ साहिल चोद.. आज अपनी चाची को चोद.. मेरे राजा..!’
मैं घुटनों के बल उनके सामने बैठ गया। फिर उन्होंने मुझ को पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया। मेरा लण्ड सीधा चाची की चूत से टकराया हम दोनों की चीख निकल गई, ‘ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चाची..!’
मेरे मुँह से बस इतना ही निकला।
चाची का बदन बुरी तरह से काँप रहा था। हाल मेरा भी बहुत खराब था, मेरा लण्ड चूत से टकरा कर नीचे बिस्तर की तरफ़ मुड़ गया था।
फिर चाची ने मुझ को ऊपर उठाया और मुझ से कहा- मैं जैसा कहूँ करते जाना.. ओके..!
‘जी..’ बस मेरे मुँह से इतना ही निकला।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत से लगाया, इस वक्त मैं बेहोश सा हो गया था। यह कहना गलत नहीं होगा।
‘साहिल..!’
‘जी चाची..!’ मैंने कहा।
‘चाची मत कह… अब मेरे राजा.. उस रिश्ते से अब हम आगे निकल आए हैं। सायमा कह या रानी कह।’ मैं चूत को फैलाती हूँ.. तू अपने लण्ड को इसमें सीधे डालना.. पर आराम से..।’
‘जी..!’ मैंने कहा और घुटनों के बल बैठ गया।
उन्होंने अपनी टाँगें मोड़ कर ऊपर उठाईं और दोनों हाथों से अपनी चूत को चीर लिया। मैंने घबराहट में अपना लण्ड उनकी गीली चूत से लगाया और आगे धकेला.. मेरा लण्ड फिसल कर उनकी गांड से जा टकराया।
‘नहीं रे.. ऐसे नहीं.. अच्छा चल.. नाइट-बल्ब जला ले..!’
मैंने उठ कर बल्ब जला दिया। मैंने देखा चाची मुझको देख रही थीं। मैंने भी उस अधेड़ जवानी को रोशनी में पहली बार देखा।
फिर मैं उनकी टाँगों के सामने जा बैठा, उन्होंने अपने हाथों से अपनी चूत को चीरा और मैंने अपने लण्ड को पकड़ कर उनकी चूत में फंसा दिया और थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपने लण्ड को अन्दर धक्का दिया।
मेरा लण्ड एक ही बार में पूरा चाची की चूत में चला गया। बाहर बहुत जोरदार बिजली कड़की और मैंने अपने लण्ड को चाची की चूत में समा कर चाची-भतीजे के रिश्ते को पूरी तरह से खत्म कर दिया। अब हम सिर्फ़ औरत और मर्द थे, मैंने पहली बार चूत की गर्माहट महसूस की, चाची की चूत काफ़ी गरम थी।
‘आह्ह्ह्ह्ह्’ चाची के मुँह से कराह निकली.. ‘साहिल मेरे राजा.. आज दम से चोद.. अपनी इस रानी को… आह.. यह चूत तेरी ही है रे.. चोद..!’
मैं अब अपने लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा था, चाची की चूत से पानी निकलना शुरू हो गया था।
‘ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सायमा मेरी रानी..!’
‘फ़क.. फ़क.. फ़क’ की आवाज़ कमरे में गूँजने लगी थी और यहाँ मैंने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ाई वहाँ बाहर बारिश ने अपनी भी झूम कर बरसना आरम्भ कर दिया था।
‘हाँ.. हाँ.. हाँ.. चोदो मेरे राजा चोदो आज फाड़ दो इस रन्डी चूत को …चोदो.. चोद साहिल.. चोद ..ओह्ह्ह्ह….!’
मेरे मुँह से जोर से आवाजें निकल रही थीं और चाची के मुँह से भी..
और इस शोरगुल की आवाज बाहर बारिश की आवाज में दब गई थी और इस वजह से कोई डर नहीं था।
हम दोनों पसीने से नहा गए थे.
फिर कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड चाची की चूत से बाहर निकाला और ऊपर आकर उनके मुँह में डाल दिया और उनके बाल पकड़ कर लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा।
वो रन्डी लण्ड पूरा का पूरा ले रही थी।
मुझ को अपना लण्ड उसके हलक में फंसता हुआ सा महसूस हो रहा था। चाची की आवाज़ निकलना बन्द हो गई थी। उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरा लण्ड पकड़ लिया था और छूटने की कोशिश कर रही थीं।
मैं तो जैसे पागल सा हो गया था। उन्होंने मेरे लण्ड में बहुत ज़ोर से काटा, मैं दर्द से तड़प गया था।
‘साली.. मादरचोद ..रन्डी..!’ कह कर मैंने गुस्से में एक ज़ोरदार चांटा उनके गाल पर लगाया और अपने लण्ड को सहलाने लगा।
उनको शायद अपनी गलती का अहसास हो गया था। वो उठ कर मुझ से चिपक गईं।
‘साहिल मुझ को माफ़ कर दे.. मैं डर गई थी।’ मेरे लण्ड में दर्द हो रहा था।
‘चल तेरे लण्ड की मालिश कर देती हूँ।’ उन्होंने मेरे लण्ड को पकड़ा और तेल से मालिश करने लगीं।
मेरे सामने उनकी गान्ड थी, जो काफ़ी काली थी।
मैंने अपने हाथ में थूक लिया और उनकी गान्ड पर लगा दिया और अपनी उंगली से उस को सहलाने लगा। उनकी सिसकारियां निकलने लगी थीं।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उनकी गान्ड में डालने की कोशिश की, गान्ड काफ़ी टाइट थी… मैंने ज़ोर से उंगली अन्दर धकेली। मेरी आधी उंगली उनकी गान्ड में चली गई।
‘आआआह्ह्ह्ह..!’ उनके मुँह से सिस्कारी निकली। उन्होंने अपनी गान्ड को अन्दर भींचा मेरी उंगली अन्दर की तरफ़ चली गई। मैं उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा। उनको मज़ा आने लगा था। फिर उन्होंने भी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैं डर गया.. पर इस बार रन्डी ने काटा नहीं। चाची की चूत से पानी निकल कर बिस्तर पर टपकने लगा था।
‘बस कर मेरे राजा.. क्या उंगली से ही मज़ा दे डालेगा..!’
मैंने उंगली निकाल ली, फिर वो सीधी लेट गई और अपनी टाँगें मोड़ कर फैला लीं।
अब वो अधेड़ चूत चुदने को बेताब थी और मैं अपनी पहली चुदाई का अनुभव एक तजुर्बेकार औरत के साथ लेने जा रहा था।
‘साहिल थोड़ी देर सीधे-सीधे करो.. मैं चाहती हूँ कि तुमको चूत की गर्मी का मज़ा दिया जाए..! फिर कन्डोम पहन लेना..!’
‘जी..!’ मैंने कहा।
उन्होंने हाथों से अपनी चूत को फैलाया, मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चिरी हुई चूत में अन्दर लगा कर ऊपर-नीचे घुमाया। मेरा लण्ड गीला हो गया।
उन्होंने मुझ को कमर से पकड़ लिया और कहा- चल अब अपने लण्ड को अन्दर घुसेड़….!
मैंने जोरदार धक्का मारा और चाची मेरा लण्ड एक ही बार में पूरा अपनी चूत में ले गई ‘आह्ह्ह्ह्ह् साहीईईईईईल मेरे राजाजाजजा ओह्ह्ह्ह्ह..!’
मेरे मुँह से भी तेज़ आवाज़ निकली। उन्होंने 2-3 जोरदार झटके दिये।
‘फ़क.. फ़क.. फ़क..’ एक बार फिर से कमरे में चुदाई की आवाजें गूँजने लगी थीं।
मैं अब ज़ोरदार धक्के मार रहा था और हर धक्के के साथ उसकी आवाज़ तेज़ होती जा रही थी।
‘आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह आअह्ह..!’ आवाजें दबाने के लिये चाची ने अपना गाउन अपने मुँह में दबा लिया था, पर आवाजें बढ़ती ही जा रही थीं।
मेरा और उस रन्डी का दिमाग गुम हो चुका था अब मैं कुछ समझने की स्थिति में नहीं था और होश तो वो भी खो चुकी थी।
यहाँ तक कि कन्डोम पहनना भी भूल चुका था।
बाहर बारिश कहर बरसा रही थी और अन्दर हम चुदाई की चरम सीमा पर जा पहुंचे थे।
अचानक मेरे शरीर में बहुत तेज़ अकड़न भरा दर्द हुआ और चाची की एक ज़बर्दस्त चीख निकली और बाहर बिजली गिरी और यहाँ मेरे लण्ड में से बहुत सारा पानी निकल कर चाची की चूत में जा समाया।
‘ओह्ह मर गई.. साहिल में मर गई..!’ वो रन्डी मुझसे चिपक गई।
‘ओह्ह्ह्ह सायमाआआआअ..!’ मैं बहुत ज़ोर से चीखा और मैं अपना होश खो बैठा था। एक अजीब सा दर्द था वो मगर बहुत मीठा दर्द था।
मैं चाची के ऊपर जा गिरा और ज़ोर से साँसें लेने लगा, सासें चाची की भी उखड़ चुकी थीं।
हम काफी देर तक बेसुध एक-दूसरे के ऊपर पड़े रहे।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड ने सिकुड़ना शुरु किया और चाची की चूत से बाहर आने लगा और उस के साथ-साथ वीर्य ने भी बाहर आना शुरु कर दिया था और निकल कर बिस्तर पर गिर रहा था।
अब जाकर चाची को भूल का अहसास हुआ था कि कन्डोम नहीं पहना.. मगर चुदाई का हसीन अहसास दोनों के चेहरे पर था।
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments