वासना जगाने की कला से बुआ को चोदा
(Aunty Xxx Sex Kahani)
आंटी Xxx सेक्स कहानी में मेरे दिमाग में हर समय रहता था। मेरे दोस्त भी बहुत कामुक थे। उन्होंने मुझे चूत पाने की ऐसी कला सिखाई। यह कला सबसे पहले मैंने अपनी बुआ पर आजमायी।
दोस्तो, मैं नितिन वर्मा एक बार फिर से आप लोगों के सामने हाजिर हूं।
मेरी पिछली कहानी थी
हस्तमैथुन के चक्कर में जीजी की चूत मिली
यशी कहानी मेरी अगली चुदाई का आधार बनी.
मैं बिना देरी किए कहानी की शुरुआत करता हूं।
तो उस दिन हुआ यूं कि जीजी के साथ हुई इस घटना को जब मैंने अपने स्कूल के उन्हीं लड़कों के साथ शेयर किया तो पता चला कि इसे तो चुदाई करना कहते हैं।
उन लड़कों ने चुदाई की मोहर चेक करना चाही।
जिसके लिए उन्होंने मुझे मेरा लंड उन्हें दिखाने को कहा।
मैंने उनको अपना लंड निकाल कर दिखाया।
लंड देखकर उनको पता चला कि इसका धागा तो टूट चुका।
यानी मैं सही बोल रहा था।
फिर वो बोले- ठीक है, आज से तू हमारा चेला है। तेरा लंड देखने के बाद आज हम तुझे सिड्यूस करने की तकनीक सिखाएंगे।
मैंने पूछा- ये कैसी तकनीक होती है?
वो बोले- यह ऐसी तकनीक होती है कि लड़की खुद सामने से चुदने के लिए ऑफर मारेगी।
यह बात सुनकर तो मेरा मन खुशी से झूम ही उठा, ऐसी तकनीक भला कौन नहीं सीखना चाहेगा!
मैं बोला- हां-हां, सिखाओ ये तकनीक, मुझे तो सीखनी है।
वो बोले- घर में जब औरतें बातें कर रहीं हों तो ध्यान देना। पता चलेगा कि आसपास रिश्तेदारी में कौन चालू माल है। यानी ऐसी चूत जो घर के बाहर भी मुंह मारती हो।
तो उसी दिन से मैंने घर में चल रही बातों पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
मैं खासतौर पर मम्मी के आसपास ही भटकता रहता था और कान वहीं लगाए रहता था कि वो किससे, और क्या बातें कर रही है।
इस तरह से कुछ दिनों के भीतर ही मेरे पास एक लिस्ट बनकर तैयार हो गई।
यानी चालू माल की लिस्ट मेरे पास आ चुकी थी।
अब बस मुझे दोस्तो से वो ‘सिड्यूस करने की तकनीक’ सीखनी बाकी थी।
मैं उनके पास गया तो मेरे पूछने पर वे बोले- तुझे इस तकनीक का फायदा तभी मिलेगा जब तेरा लंड हमसे भी थोड़ा बड़ा होगा, और औरतों को ऐसा ही लंड पसंद आता है। ज्यादातर औरतों को बड़ा लौड़ा ही चाहिए होता है।
और दोस्तो, सच में हुआ भी ऐसा ही।
मैं आज तक बड़े लंड के दम पर ही चुदाई करता आ रहा हूं।
तो आंटी Xxx सेक्स कहानी में आगे बढ़ते हैं :
फिर वो बोले- तुझे ज्यादा से ज्यादा ऐसी कोशिश करनी है कि सामने वाली पार्टी को लंड के दर्शन करवाए जाएं और वो भी ऐसे कि उसे लगे कि सब अनजाने में हो गया।
उन्होंने आगे कहा- अगर तूने 2-4 बार ऐसा कर लिया तो समझ ले काम हो ही गया! लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सामने वाली पार्टी चालू हो (यानी लड़की या औरत चुदक्कड़ होनी चाहिए) या फिर पार्टी ऐसी हो कि बहुत दिनों से उसको मर्द का लौड़ा नसीब न हुआ हो।
वो बोले- अगर किसी पवित्रता की मूरत या किसी सावित्री नारी को छेड़ेगा तो बाजी उल्टी पड़ सकती है। चूत मिलना तो दूर, उल्टे लौड़े लग जाएंगे!
तो दोस्तो, उन लड़कों से तकनीक का यह ज्ञान लेकर मैं घर आ गया।
फिर सोचने लगा कि सबसे पहले किस पार्टी पर ट्राई किया जाए?
फिर ध्यान आया कि पास में रह रही मुंहबोली बुआ पर ही क्यों न ट्राई किया जाए!
फिर उसी रात में बुआ के घर चला गया।
वहां बुआ के लड़के के साथ मेरी काफी बनती थी।
उसकी गहरी नींद के बारे में भी मुझे पता था कि वो रात के किस समय घोड़े बेचकर सो रहा होता है।
तो मैं जा पहुंचा बुआ के घर!
रात को खाना-वाना होने के बाद मैं सोने से पहला नहाता जरूर था।
मेरी आदत थी यह पुरानी।
मेरी इस आदत का बाकी लोगों को भी पता था।
तो मेरे लिए कोई खास परेशानी वाली बात नहीं थी।
नहाने के बहाने मैं आराम से बुआ को लंड के दर्शन करवा सकता था।
अब मेरा अगला काम था बुआ को अपना खड़ा लंड दिखाना।
तो मैं बाथरूम में जाकर लंड की मुठ मारने लगा और उसे पूरा खड़ा कर लिया।
अब मैं बुआ के आने का इंतजार करने लगा।
किस्मत ने मेरा साथ दिया।
जब मेरा लंड पूरे ताव पर तना हुआ था तो उसी समय बुआ भी बाथरूम में आ गई।
जैसे ही उन्होंने गेट खोला बुआ की आंखें तो खुली की खुली रह गईं, सामने ही मेरा लंड झटके दे रहा था।
लेकिन एक नजर देखने के बाद फिर जल्दी ही वो नॉर्मल भी हो गई।
मैंने बोला- सॉरी बुआ जी।
बस इतना बोलकर मैं वहां से निकल गया।
दोस्तो, मैं यहां पर बताना भूल गया कि जिस बुआ के घर पर मैं गया हुआ था, उनके पति यानी मेरे फूफा कई साल पहले गुजर चुके थे।
तो मैं नहाने के बाद बिस्तर पर पहुंच गया।
कुछ देर बाद बुआ भी आ गईं।
उन्होंने नाइट बल्ब जलता ही छोड़कर बाकी सारे बल्ब ऑफ कर दिए।
भाई पहले ही सो चुका था जो एक नम्बर का मुट्ठल था।
फिर रात को कुछ देर तक तो मैं ब्लू फिल्म देखता रहा।
मैं चाह रहा था कि बुआ को भी पोर्न की झलकी दिखती रहे।
मैं जान चुका था कि बुआ सो नहीं रही है, क्योंकि सोते आदमी का तो पता चल ही जाता है।
बुआ चुपके से मेरी ओर ही देख रही थी।
अब अगला कदम था लंड को बाहर निकाल कर मुठ मारना।
मैं लौड़ा निकाल कर हिलाने लगा।
कुछ देर हिलाकर मैंने लंड के खूब दर्शन बुआ को करवाये।
लेकिन मैंने माल नहीं निकाला।
फिर मैं सो गया।
अगले दिन जब मैं उठा तो सब नॉर्मल था।
मैंने कुछ भी ऐसा जताने की कोशिश नहीं की कि मैंने कुछ गलत किया हो।
इधर बुआ की नजरें आज बेचैन थीं, वो बार-बार जैसे कुछ ढूंढ रही थीं।
फिर अगली रात आई।
अगली रात को भी मैंने वही सब दोहराया।
फिर तीसरी सुबह सिड्यूस करने की कला का रिजल्ट चेक करना था।
अब आखिरी दांव चलने की बारी थी।
मेरा प्लान था कि भाई यानी बुआ के लड़के के स्कूल जाने के बाद मैं उनके पास जाऊंगा और पैंट की जिप अटकने का नाटक करूंगा।
फिर बुआ को जिप चेक करने को कहूंगा।
मैंने प्लान के मुताबिक वैसा ही किया।
बुआ के लड़के के जाने के बाद मैंने जिप को जानबूझकर फंसाया और बुआ के पास जा पहुंचा।
मैंने कहा- बुआजी जरा देखना … मेरी पैंट की चेन अटक रही है।
बुआ ने देखा कि जिप फंसी हुई थी।
फिर बोली- ठीक है, ला दिखा मुझे!
फिर मैं एकदम से पीछे हटकर बोला- बुआजी मुझे जोर की टॉयलेट लगी है। पहले वो करके आता हूं। फिर आप इसे ठीक कर देना।
मैं जल्दी से टॉयलेट में गया।
फिर दर्द के मारे चिल्लाते हुए वापस दौड़ता आया।
मैंने बुआ से दर्द में कराहते हुए कहा- बुआ, ये (लंड) पैंट ऊपर करते हुए चेन में अटक गया जैसे बचपन में होता था, आह्ह … बहुत दर्द हो रहा है बुआ!
वो बोली- हां-हां ठीक है, रो क्यों रहा है, दिखा मैं देखती हूं। मैं बचपन की तरह ही निकाल दूंगी तेरा सामान फंसा होगा तो, है तो तू मेरे बेटे जैसा ही न!
मैंने कहा- नहीं बुआ, बहुत दर्द होता है। मैं निकाल लूंगा खुद से ही। आप बस इस पर तेल लगा देना। लेकिन घर पर मत बताना किसी से कि मैंने आपसे ऐसा काम करवाया है, नहीं तो सब खिल्ली उड़ाएंगे।
फिर मैंने दर्द का नाटक करते हुए खड़े लंड को बुआ के सामने बाहर निकाल दिया।
लंड देखते ही बुआ की तो आँखें बड़ी हो गईं।
वो बोली- पैंट उतार दे, मैं सब ठीक कर दूंगी। तेल भी लगा दूंगी और तेरा दर्द भी कम कर दूंगी।
मैंने पैंट जांघों तक उतारी और ऊपर झांटों पर बस एक चुन्नी लपेट ली।
चुन्नी ऐसी लिपटी थी कि चेन ठीक करती बुआ को मेरा खड़ा लंड झटके मारता दिखता रहे।
अभी तक सब प्लान के अनुसार ही हो रहा था।
बुआ फंसी हुई चेन को ठीक कर रही थी।
लेकिन बार-बार उसकी नजर ऊपर मेरी जांघों के बीच में झांक रही थी।
खासकर जब मैं लंड के झटके मारता तो बुआ के होंठ खुल जाते थे और उसके चेहरे पर तैरती हवस को मैं तभी भांप जाता था।
कई मिनट बीत गए और आखिरकार बुआ के सब्र का बांध टूटने को हो गया।
वो बोली- ले मेरे सामने ही पहन कर दिखा, ठीक हुई कि नहीं।
मैं उठकर पैंट पहनने लगा तो लंड चेन में से बाहर निकल आया।
वो बोली- रुक मैं लगाती हूं चेन।
वो मेरे खड़े लंड को हाथ में लेकर अंदर करती हुई चेन ऊपर करने की कोशिश करने लगी।
अब बुआ से रुका न गया और उसने बिना कुछ और सोचे सीधे मेरे लंड को मुंह में भर लिया और आंखें बंद करके चूसने लगी।
मैं बोला- बुआआआ … जी … क्या … कक्क्या … कर रही हो!
अब तक बुआ पर वासना हावी हो चुकी थी।
वो उठी और मेरे गाल पर दो जोर के तमाचे जड़ दिए।
फिर बोली- चुपचाप खड़ा रह, जो कर रही हूं करने दे मुझे! नहीं तो तेरे बाप को बताऊंगी कि तू रात में ब्लू फिल्म देखकर गंदे काम करने लगा है।
बुआ को लग रहा था कि वो मुझे ब्लैकमेल कर रही है, लेकिन यह सब तो मेरी सिड्यूस करने की तकनीक का हिस्सा था।
बस फिर क्या था … मैं चुपचाप सहने लगा।
या यूं कहें कि मजा लेने लगा।
अब बुआ मस्ती में मेरा लंड चूसने में लग गई।
वो मेरे लंड को ऐसे चूसे जा रही थी जैसे दुनिया का सारा सुख उसे इसी में मिल रहा हो।
जीवन का सारा आनंद बस लंड चूसने में ही हो।
फिर बुआ मेरा लौड़ा चूस-चूसकर थक गयी तो उन्होंने मुझसे कहा- जैसा रात में वो मूवी में कर रहे थे बिल्कुल वैसा ही कर मेरे साथ।
मैं उनके कहने पर वैसा ही करने लगा।
मैंने उनका पेटीकोट उठाया और उनकी छोटे-छोटे बालों वाली काली, फटी हुई चूत पर मुंह लगा दिया।
मगर चूत से आने वाली बदबू ने ज्यादा देर चूत को मजा लेकर चाटने नहीं दिया।
चूत की चुदास से परेशान होकर बुआ बोली- ठोक इसे भोसड़े में अपना लौड़ा! चोद दे इसे!
मैंने वैसा ही किया।
मैंने उनकी टांगों को हवा में उठाया और लंड चूत में घुसाकर लगा पेलने।
मेरे मोटे लंड को बुआ कुछ देर में आराम से खाने लगी।
उसकी आंखें बंद होने लगीं।
मैंने उनको पलंग के किनारे किया और पूरे जोश में पेलने लगा।
बुआ मस्ती में आ गई। आह्ह … आह्ह … ऊह्ह … ऊह्ह … ऊंह्ह … की आवाजें करने लगी।
मेरे मोटे लंड के झटके बुआ की चूत की गहराई में लगते तो वो आनंद से सराबोर हो जाती।
मैं भी पूरी ताकत के साथ धक्कापेल में लगा रहा।
बुआ की चूत मारकर मुझे भी मजा आ रहा था।
अभी तक वो झड़ी नहीं थी इसलिए चूत में आग बराबर बरकरार थी।
फिर मैंने बुआ को ऊपर से भी नंगी कर लिया।
चुदाई रोक कर मैं उसकी चूचियों को पीने लगा।
वो भी मेरे सिर को अपने सीने में दबाने लगी।
नीचे से बुआ गांड उठाकर यह भी जता रही थी कि चूत में चुदाई भी जा रहनी चाहिए।
लेकिन बुआ को लौड़े के लिए तड़पाने में मुझे अलग ही मजा आ रहा था।
काफी देर तक मैं उसकी चूचियों को पीता रहा।
बुआ के पपीते काफी भारी थे।
बुआ के बूब्स को चूस-चूसकर मैंने लाल कर दिया।
काफी देर तक वो भी चूचियां पिलाती रही।
लेकिन चूत में लंड के धक्के काफी देर से रुके हुए थे।
जब बुआ से रहा न गया तो बोली- भोसड़ी के … इस भोसड़े की तरफ भी देख ले, चूचियों को ही खाता रहेगा क्या … लगा धक्के जोर के!
बुआ की चुदास मिटाने के लिए मैंने अपनी पूरी ताकत समेटी और लगा उसकी काली चूत को ठोकने।
चोद-चोदकर मैंने बुआ की चूत के चिथड़े उड़ा दिए।
बीच में जब वो तीन बार झड़कर दर्द से कराहने लगी तो रुकने के लिए कहने लगी।
लेकिन मैंने उस पर रहम नहीं किया।
मैंने ताबड़तोड़ आंटी Xxx सेक्स करते हुए उसकी चूत को ठेला।
लंड भी लाल हो चुका था उसे चोदते हुए।
आधे घंटे की चुदाई में बुआ की चूत ने न जाने कितनी ही बार पानी फेंका।
बुआ को चोद-चोदकर मैंने उसके हाल बेहाल कर दिए।
उसके पूरे कपड़े पसीने में भीग गए।
मैं भी पसीने से लथपथ हो गया।
फिर आखिर में धक्के मारते हुए उसकी चूत में ही झड़ गया।
शांत होने के बाद बुआ उठी और मेरे लंड को चूमकर बोली- मूवी की बात मैं किसी को नहीं बताऊंगी। मगर तू भी ये बात किसी को नहीं कहेगा।
मैं बोला- मुझे तो बहुत मजा आया बुआ। मैं क्यों बताऊंगा किसी को?
वो बोली- तो ठीक है, आज के बाद तेरे लिए तो मेरी चूत के दरबार हमेशा खुले हैं। जब मर्जी ठोक लेना इसे!
तो दोस्तो, यहां पर बुआ की चुदाई की कहानी का अंत हुआ।
या यूं कहें कि चुदाई के सिलसिलों की एक नई शुरुआत हुई।
आपको मेरी यह स्टोरी कैसी लगी मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर लिख भेजें।
यह कहानी मेरी आने वाली कहानियों का आधार बनेगी।
इसलिए आपकी प्रतिक्रियाओं का बेसब्री से इंतजार करूंगा।
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