मेरा गुप्त जीवन- 142
उर्वशी भाभी भी आ गई बैठक में और आते ही उसने मुझको एक कसके जफ्फी मारी और एक हॉट किस भी मेरे होटों पर जड़ दी और मैं भी उसके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा।
जवान लड़की को प्रेम प्यार के चक्कर में फांस कर सेक्स का मजा लेने या अपनी अन्तर्वासना शांत करने के लिए चूत चुदवाने वाली कहानियाँ हिंदी में
jwan Ladki Ko Prem Pyar ke chakkar me fans kar sex ka maja lene ya apni antarvasna shant karne ke liye bur chudvane vali kahaniyan
Indian Sex stories of teen girls and Boys
उर्वशी भाभी भी आ गई बैठक में और आते ही उसने मुझको एक कसके जफ्फी मारी और एक हॉट किस भी मेरे होटों पर जड़ दी और मैं भी उसके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा।
मैंने थोड़ी हिम्मत करके अपना हाथ उसके हाथ पर रखा.. उसने कोई विरोध नहीं किया। इससे मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उसे अपनी गोद में बैठा लिया उसने मेरा साथ दिया।
हम सहेलियों ने कुछ दिन पहले एक ब्लू फिल्म देखी थी.. उसमें दिखाया गया था कि एक लेडी बहुत देर तक मर्द के मुँह पर नंगी बैठ जाती है और शायद झड़ने के बाद ही उठ जाती है..
पिंकी मेरे जींस पर अपने हाथ से सहला रही थी। फिर पिंकी ने मेरी जींस को उतार दिया और अंडरवीयर के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी। मैं भी अब उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को सहला रहा था और साथ ही लबों को चूम रहा था।
निधि बड़ी मुश्किल से लौड़े को चूस पा रही थी.. क्योंकि इतना बड़ा लौड़ा पूरा उसके गले तक जा फँसा था। दस मिनट तक अर्जुन बड़ी बेरहमी से निधि के मुँह को चोदता रहा.. उसकी आँखे लाल हो गईं.. और आँसू भी आ गए..
मैंने नीचे आकर उसकी पैन्टी निकाल दी, उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी। मैं उसकी चूत चाटने लगा, मेरा मुँह चूत पर लगते ही वो उछल गई। मैं उसकी चूत में जहाँ तक हो सका.. जीभ डालकर चाटने लगा था। वो काबू से बाहर हो रही थी।
रति की भाभी से अनुमति लेकर कम्मो ने रति की सीलबन्द चूत के प्रथम समागम की तैयारी कर ली, उसने रति को एक दवा पिलवाई और रति कामातुर होकर मेरे घर आकर मुझसे लिपट गई।
मेरे पड़ोस की एक सीधी सादी पर हसीन लड़की पर मेरा दिल आ गया। वो अपनी दुकान भी सम्भालती थी। मैं उसकी दुकान पर उसे पटाने जाया करता था। आखिर एक दिन मैंने उसे पकड़ ही लिया।
कम्मो ने रति के ठण्डेपन की समस्या का एक इलाज यह बताया कि उसे नर नारी के सम्भोग का सजीव दर्शन कराया जाए। रति भी मेरी और कम्मो की सजीव चुदाई देखने के लिये राजी हो गई और…
मेरी सहेली ने मेरी चुदास को शांत करने के लिए अपने भाई को बुला कर मुझे उसके साथ भेज दिया. वो मुझे एक होटल में ले गया जहां उसने बड़े आराम से, मज़े से मेरी चूत की सील खोली.
एक बन्जारन लड़की मेरे घर के सामने रहती थी। वो कुछ सांवली थी पर उसके मम्मे बड़े मस्त थे। वो मेरे सामने आती थी तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था.. पर वो मुझे थोड़ी छोटी लगती थी। पर मुझे इससे क्या.. मुझे तो चूत चाहिए थी।
अपने भाई भाभी की चुदाई देख देख कर मेरी अन्तर्वासना जागृत हो गई थी और मैं किसी से भी चुदना चाहती थी. मेरी सहेली ने अपने भाई, जिससे वो खुद भी चुद चुकी थी, से चुदवाने को कहा.
रति ने अब मेरे लंड को पैंट के बाहर निकाल लिया और उसके अकड़े हुए रूप को देख कर उसके मुंह से यकलख्त निकल गया- हाय माँ, कितना बड़ा है सोमू तुम्हारा तो?? उफ़्फ़ कैसे अंदर जाएगा यह साला? मेरी तो बड़ी टाइट है।
वो आपके दोस्त मेरी भाभी के साथ कर रहे थे.. मैंने चाबी के छेद से सब देख लिया था, व्व..वो मुझे शर्म आती है.. सब बताने में.. बस वो बिना कपड़ों के एक-दूसरे से चिपके हुए थे। मैंने इतना ही देखा..
उसकी आँखें बंद थीं.. शायद नींद में होने का नाटक कर रही थी। मेरी हिम्मत अब बढ़ गई थी। मैंने उसका लोअर और पैंटी नीचे सरका दी और उसकी योनि का मर्दन अपनी उंगली से करने लगा।
मैं होश खो चुकी थी और मेरी चूत में सनसनी सी हो रही थी, कीड़ा सा रेंग रहा था, हर पल मैं और कमज़ोर पड़ रही थी, होश खो रही थी कि अचानक उसने मेरी ब्रा का हुक खोल कर मेरी ब्रा निकाल दी..
चुदाई के दौरान मुझ को लगा कि कम्मो की चूत सिकुड़ और खुल रही थी जैसे दूध धोने की प्रक्रिया कर रही हो, ऐसा पहले उसने कभी नहीं किया था और मुझको लगा कि यह क्रिया उसने अभी कुछ समय पहले ही सीखी होगी।
उसने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया, मैं कमज़ोर पड़ गई और मेरी बाँहें भी उसके चारों तरफ बँध गईं, मेरी चूचियाँ उसके चौड़े सीने में दब रही थीं और मेरी पैंटी में सुरसुराहट सी हो रही थी।
वो मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हुई थी और मेरा लण्ड उसके चूतड़ों से दबा हुआ था। मेरा लण्ड अब तक खड़ा हो गया था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं पिंकी को बार-बार ‘कोई देख ना ले..’ ये कहकर और ज़ोर से खींच रहा था।
उसने मुस्कुराते हुए अपने होंठ सिकोड़े और मेरे लंड को पूरा मुँह के अन्दर भर लिया। उसने जो पूरी लम्बाई का मेरा लंड अन्दर लिया.. तो पहली बार उसे खांसी आई। 'पूरा नहीं जाता..'