नवाजिश-ए-हुस्न-2
लेखक : अलवी साहब इतने में हम पहुँच गए और चारों को सही सलामत ऊपर उनके कमरे तक पहुँचाया, सामान अन्दर रखवाया, मैं दरवाज़े पे खड़ा हुआ था और जाने लगा तो रज़िया- बोली जा रहे हो? मैंने कहा- शहनाज़ को छोड़ के जाने का दिल तो नहीं कर रहा मगर वो तो मुझसे ऐसे […]