रिश्तों में चुदाई

इंडियन इन्सेस्ट स्टोरी, चाचा-भतीजी, चाची-भतीजा, मौसी, बुआ सास, ससुर जैसे रिश्तों में, परिवार में, रिश्तेदारी में चुदाई की कहानियाँ जिसे वर्जित माना जाता है.

Indian homemade Sex Stories in Hindi of Bhai-Bahan, Rishton mein chudai, Jija Sali and Devar-Bhabhi

अन्तर्वासना की कुछ चुनिन्दा हिंदी कहानियाँ आप के लिए यहाँ पर भी हैं.

कमाल की हसीना हूँ मैं-33

By शहनाज़ खान On 2013-05-25 Tags:

मेरी पीठ मेरे ससुर ताहिर अज़ीज़ खान जी के सीने से लगी हुई थी। मैंने अपना सिर पीछे की ओर करके उनके कंधे पर रख दिया। साढ़े-चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने से मेरा कद उनके कद से मेल खा रहा था। उनके हाथ मेरे सीने के दोनों उभारों को बुरी तरह मसल […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-32

By शहनाज़ खान On 2013-05-24 Tags:

“आज मैं आपके बेटे की बीवी हूँ।” “लेकिन पहले तू मेरी सेक्रेटरी है। यहाँ पर तू मेरी सेक्रेटरी बन कर आई है… मेरे बेटे की बहू नहीं ! और सेक्रेटरी का काम होता है अपने एंपलायर को खुश रखना। देखा नहीं यहाँ मौजूद दूसरी सेक्रेटरियों को?” “क्या हो गया है आज आपको?” मैंने थूक निगलते […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-31

By शहनाज़ खान On 2013-05-23 Tags:

कुछ देर बाद हम वहीं आराम करके अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गये। बाहर अपनी टेबल पर आकर देखा कि टेबल खाली थी। मैंने बैठते हुए इधर-उधर नज़र दौड़ाई लेकिन साशा और ससुर जी कहीं नहीं दिखे। हैमिल्टन ने अपनी कुर्सी पर बैठ कर मुझे अपनी गोद में खींच लिया। मैंने उसकी गोद में […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-29

By शहनाज़ खान On 2013-05-21 Tags:

मैं कमरे से बाहर निकल कर बगल वाले कमरे में, जिसमें ससुर जी रह रहे थे, उसमें चली गई। ससुर जी कमरे में नहीं थे। मैंने इधर उधर नज़र दौड़ाई। बाथरूम से पानी बहने की आवाज सुनकर उस तरफ़ गई तो देखा कि बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था। सामने ताहिर अज़ीज़ खान जी […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-28

By शहनाज़ खान On 2013-05-20 Tags:

लाँग स्कर्ट्स के बाद माइक्रो स्कर्ट्स की बारी आई। मैंने एक पहना तो मुझे काफी शर्म आई। स्कर्ट्स की लम्बाई पैंटी के दो अंगुल नीचे तक थी। टॉप भी मेरी गोलाइयों के ठीक नीचे ही खत्म हो रही थी। टॉप्स के गले भी काफी डीप थे। मेरे आधे बूब्स सामने नज़र आ रहे थे। मैंने […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-27

By शहनाज़ खान On 2013-05-19 Tags:

अभी दो महीने ही हुए थे कि मैंने अपने ससुर ताहिर अज़ीज़ खान जी को कुछ परेशान देखा। “क्या बात है अब्बू… आप कुछ परेशान हैं?” मैंने पूछा। “शहनाज़ ! तुम कल से हफ़्ते भर के लिये ऑफिस आने लगो !” उन्होंने मेरी ओर देखते हुए पूछा, “तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं होगी ना, अपने […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-19

By शहनाज़ खान On 2013-05-11 Tags:

मैंने शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर लीं। मेरा चेहरा शर्म से लाल हो रहा था। लेकिन मैं इस हालत में अपने पेशाब को रोकने में नाकाम थी और नशे में मुझसे खड़ा भी नहीं रहा जा रहा था। इसलिये मैं कमोड की सीट पर इसी हालत में बैठ गई। जब मैं फ्री हुई […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-18

By शहनाज़ खान On 2013-05-10 Tags:

उन्होंने मुझे बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। फिर वो मेरी बगल में लेट गये और मेरे चेहरे को कुछ देर तक निहारते रहे। फिर मेरे होंठों पर अपनी उँगली फ़िराते हुए बोले, “मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम जैसी कोई हसीना कभी मेरी बाँहों में आयेगी।” “क्यों? भाभी तो मुझसे भी […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-17

By शहनाज़ खान On 2013-05-09 Tags:

अचानक उन्होंने अपनी मुठ्ठी में बंद एक खूबसूरत लॉकेट मेरे गले में पहना दिया। “ये?” मैं उसे देख कर चौंक गई। “यह तुम्हारे लिये है। हमारी मुहब्बत की एक छोटी सी निशानी !” उन्होंने उस नेकलेस को गले में पहनाते हुए कहा। “ये छोटी सी है?” मैंने उस नेकलेस को अपने हाथों में लेकर निहारते […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-16

By शहनाज़ खान On 2013-05-08 Tags:

“शहनाज़ ! बहुत टाईट है तुम्हारी…” कहते हुए फिरोज़ भाईजान के होंठ मेरे होंठों पर आ लगे। “आपको पसंद आई?” मैंने पूछा तो उन्होंने बस ‘हम्म’ कहा। “यह आपके लिये है… जब जी चाहे इसको इस्तेमाल कर लेना।” मैंने उनके गले में अपनी बांहें डाल कर उनके कान में धीरे से कहा, “आज मुझे इतना […]

दीप के स्वप्नदोष का उपचार-1

दीप के स्वप्नदोष का उपचार-1 निधि बजाज मेरे प्रिय मित्रो, मैं हूँ निधि, जो पहली बार अपने जीवन का यथार्थ आप सबके साथ सामने प्रकट कर रही हूँ ! मैं 27 वर्षीय बहुत खूबसूरत स्त्री हूँ और मेरे जिस्म का माप 36/24/38 है। मेरा शरीर बहुत गोरा है, चेहरा गोरा और अंडाकार है, कद पांच […]

दीप के स्वप्नदोष का उपचार-2

निधि बजाज मैं उसके लौड़े को पकड़ कर आगे पीछे हिला हिला कर उसकी मुठ मारने लगी और उसे बताती रही कि ऐसा करने से वह उतेजित हो जाएगा और उसके अंदर का वीर्य बाहर आ जाएगा ! तब दीप ने पूछा- इससे क्या होगा, जो नया रस बनेगा उसके निकलने से भी तो पजामा […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-15

By शहनाज़ खान On 2013-05-07 Tags:

मैंने उन्हें सताने के लिये उनके लंड के टोपे पर हल्के से अपने दाँत गड़ा दिये। वो ‘आआआह’ कर उठे और मुझसे बदला लेने के लिये मेरे भगनास को अपने दाँतों के बीच दबा लिया। मैं उत्तेजना से छटपटा उठी। वो काफी गर्म हो चुके थे, उनको शायद इस पोजीशन में मज़ा नहीं आ रहा […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-14

By शहनाज़ खान On 2013-05-06 Tags:

मेरे जेठ फ़िरोज़ मेरे इस तरह उन्हें बुलाने से बहुत खुश हुए और मेरी बगल में लेट गये। हम दोनों की ओर देख कर जावेद दूसरी तरफ़ सरक गया और हमें जगह दे दी। अब मेरा मजनूं मेरी बाँहों में था इसलिये मुझे कहीं और देखने की जरूरत नहीं थी। मैं उनके जिस्म से चिपकते […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-13

By शहनाज़ खान On 2013-05-05 Tags:

दोनों भाइयों ने लगता है दूध की बोतलों का मुआयना करके ही निकाह के लिये पसंद किया था। नसरीन भाभी के निप्पल काफी लंबे और मोटे हैं, जबकि मेरे निप्पल कुछ छोटे हैं। अब हम चारों एक दूसरे की जोड़ी को निहार रहे थे। पता नहीं टीवी स्क्रीन पर क्या चल रहा था। सामने लाईव […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-12

By शहनाज़ खान On 2013-05-04 Tags:

मैं सैक्स की भूखी किसी चुदक्कड़ वेश्या की तरह छटपटा रही थी उनके लंड के लिये। “एक मिनट ठहरो।” कहकर उन्होंने मेरा गाउन उठाया और मेरी चूत को अच्छी तरह साफ़ करने लगे। यह जरूरी भी हो गया था, मेरी चूत में इतना रस निकला था कि पूरी चूत चिकनी हो गई थी। उनके इतने […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-11

By शहनाज़ खान On 2013-05-03 Tags:

मैं काफी उत्तेजित हो गई थी। जावेद इतना फोर-प्ले कभी नहीं करता था। उसको तो बस टाँगें चौड़ी करके अंदर डाल कर धक्के लगाने में ही मज़ा आता था। उन्होंने मेरी टाँगें पकड़ कर नीचे की ओर खींचा तो मैं बिस्तर पर लेट गई। अब उन्होंने मेरी दोनों टाँगें उठा कर उनके नीचे दो तकिये […]

कमाल की हसीना हूँ मैं-10

By शहनाज़ खान On 2013-05-02 Tags:

मैं उनका हाथ थाम कर बिस्तर से उतरी। जैसे ही उनका सहारा छोड़ कर बाथरूम तक जाने के लिये दो कदम आगे बढ़ी तो अचानक सर बड़ी जोर से घूमा और मैं हाई-हील सैंडलों में लड़खड़ा कर गिरने लगी। इससे पहले कि मैं जमीन पर भरभरा कर गिर पड़ती, फिरोज़ भाईजान लपक कर आये और […]

कमाल की हसीना हूँ मैं -9

शुरू-शुरू में तो मुझे बहुत शर्म आती थी। लेकिन धीरे-धीरे मैं इस माहौल में ढल गई। कुछ तो मैं पहले से ही चंचल थी और पहले गैर मर्द, मेरे ननदोई ने मेरे शर्म के पर्दे को तार-तार कर दिया था। अब मुझे किसी भी गैर मर्द की बाँहों में जाने में ज्यादा झिझक महसूस नहीं […]

कमाल की हसीना हूँ मैं -4

मैं जावेद को उत्तेजित करने के लिये कभी-कभी दूसरे किसी मर्द को सिड्यूस करने लगती। उस शाम तो जावेद में कुछ ज्यादा ही जोश आ जाता। खैर हमारा निकाह जल्दी ही बड़े धूमधाम से हो गया। निकाह के बाद जब ताहिर अज़ीज़ खान जी दुआ देते हुए अपने सीने से लगा लिया तो इतने में […]

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