कमाल की हसीना हूँ मैं-16
“शहनाज़ ! बहुत टाईट है तुम्हारी…” कहते हुए फिरोज़ भाईजान के होंठ मेरे होंठों पर आ लगे। “आपको पसंद आई?” मैंने पूछा तो उन्होंने बस ‘हम्म’ कहा। “यह आपके लिये है… जब जी चाहे इसको इस्तेमाल कर लेना।” मैंने उनके गले में अपनी बांहें डाल कर उनके कान में धीरे से कहा, “आज मुझे इतना […]