भाई बहन

सगे भाई बहन, चचेरे, ममेरे, फुफेरे भाई बहन के बीच चुदाई खेल की कहानियाँ

Bhai bahan sex, bahan ki chut chudai ki kahaniyan

Incest Sex stories about Real Brother Sister Sex Relations

जिस्मानी रिश्तों की चाह -31

मेरे और आपी के जिस्म पर सिर्फ़ हमारी सलवारें ही थीं और आपी के सीने के उभारों पर उनकी खुली हुई ब्रा रखी हुई थी। मैंने अपने दोनों घुटने आपी की टाँगों के इर्द-गिर्द टिकाए और उनके सीने के उभारों पर अपना सीना रखते हो आपी के ऊपर लेट गया।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -30

आपी ने मेरे सख़्त हाथ को अपने नर्म और मुलायम उभार पर महसूस किया और एक 'अहह..' भरते हुए मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मेरे हाथ को हटाने के बजाए अपने हाथ से मेरे हाथ को दबाने लगीं।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -29

मैंने आपी के कूल्हों में अपने लण्ड को ज़रा और दबाया.. तो उन्होंने मेरे लण्ड के दबाव से बचने के लिए अपने कूल्हों को दायें बायें हरकत दी तो उसका असर उलटा ही हुआ और मेरा लण्ड आपी के कूल्हों की दरार में मुकम्मल फिट हो गया।

जिस्मानी रिश्तों की चाह-28

मैं खाना खाते-खाते नज़र उठा कर आपी के सीने के उभारों और पूरे जिस्म को भी देख लेता था। आपी ने मेरी नजरों को महसूस कर लिया था, लड़कियों की सिक्स सेंस्थ इस मामले में बहुत तेज होती है।

जिस्मानी रिश्तों की चाह-27

अपनी बहन के सीने के दोनों उभारों को अपने दोनों हाथों में दबोचा और आपी की चूत पर अपना मुँह रखते हुए उनकी चूत के दाने को पूरी ताक़त से अपने होंठों में दबा लिया और चूस लिया।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -26

आपी का जिस्म… कमर से थोड़ा नीचे से साइड्स से उनकी कूल्हे बाहर की तरफ निकलना शुरू हो जाते थे और एक खूबसूरत गोलाई बनाते हुए रानों की शुरुआत पर वो गोलाई खत्म हो जाती थी।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -25

सलवार का ऊपरी किनारा वहाँ पहुँच गया था.. जहाँ से आपी के कूल्हों की गोलाई शुरू होती थी। सलवार थोड़ा और नीचे हुई.. तो उनके खूबसूरत शफ़फ़ और गुलाबी कूल्हों का ऊपरी हिस्सा और दोनों कूल्हों के दरमियान वाली लकीर नज़र आने लगी।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -24

आपी ने अपना हाथ डिल्डो की तरफ बढ़ाया और अपने लेफ्ट हैण्ड की मुट्ठी में उसे थाम लिया और उठा कर अपना राईट हैण्ड की नर्मी से डिल्डो की पूरी लंबाई पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फेरने लगीं।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -23

सम्पादक जूजा हम भाइयों की जिद पर आपी ने अपनी कमीज उतार कर अपनी नंगी चूचियाँ हमें दिखाई और जब आपी क़मीज़ पहनने लगी तो हम उदास हो गए। तब आपी ने एक बार अपनी क़मीज़ ऊपर की और अपने खूबसूरत दूधों को नंगा करके दायें बायें हरकत देने लगीं। आह्ह.. 4-5 झटकों के बाद […]

जिस्मानी रिश्तों की चाह -22

उनके गुलाबी मम्मों पर हरी नीली रगों का जाल था और एक-एक रग साफ देखी और गिनी जा सकती थी। आपी ने अंगड़ाई लेने के अंदाज़ में अपनी टाँगें सीधी कीं और पाँव ज़मीन पर टिकाते हुए टाँगों को थोड़ा खोल लिया..

जिस्मानी रिश्तों की चाह -21

यह मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन तरीन नज़ारा था… मेरी आपी.. मेरी वो सगी बहन.. जिसकी हया.. जिसके पर्दे.. जिसकी पाकीज़गी.. की पूरा खानदान मिसालें देता था.. वो मेरे सामने बगैर क़मीज़ के खड़ी थीं… उसके मम्मे मेरी नजरों के सामने थे।

मेरा गुप्त जीवन- 178

मैं भी धड़ल्ले से बोली- वो मैं सम्भाल लूंगी, तुम बेफिक्र रहो! लेकिन उस रात भाभी को चोदने के बाद तुम मुझको आखिरी बार ज़रूर उसी कमरे में चोदोगे, वायदा करो??

जिस्मानी रिश्तों की चाह -18

'अब मुझे ये बताओ कि बाजी के जिस्म में ऐसी कौन सी चीज़ है.. जिसे देख कर तुम्हें बहुत मज़ा आता है और तुम्हारा जी चाहता है बार-बार देखने का?' आपी सवालिया नजरों से मुझे देखने लगीं।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -17

'अच्छा जी तो मेरे सोहने भाई की कहाँ-कहाँ नज़र पड़ी है.. और क्या-क्या देखा है जनाब ने.. अपनी सग़ी बाजी और सग़ी खाला का?' आपी ने ये कह कर सोफे से पाँव उठाए और टाँगें सीधी करते हुए पाँव ज़मीन पर टिका दिए।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -15

आपी का भी एक हाथ टाँगों के दरमियान और दूसरा उनके एक उभार पर था.. फिर आहिस्तगी से उन्होंने अपनी सलवार से ही अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को साफ किया और फिर सीधी बैठीं!

जिस्मानी रिश्तों की चाह -14

जैसे-जैसे दास्तान आगे बढ़ती जा रही थी आपी की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। वो कभी टाँगों को आपस में भींचती थीं तो कभी अपनी दोनों रानों को एक-दूसरे से रगड़ देती थीं..

मौसेरी बहन की चूचियों का दूध और चूत का पानी-2

वो बोली- अरे भैया, तब मैं थी भी कितनी, अब तो दो बच्चे हो गए हैं, और तीन जानों ने चूसे हैं, इनको तो खुद बहत पसंद हैं, बहुत दबाते हैं और बहुत पीते हैं।

जिस्मानी रिश्तों की चाह -13

जब आपी ने देखा तो उनकी ब्रा मेरे बायें हाथ में थी और मैं कप के अन्दर ज़ुबान फेर रहा था। मैंने आपी को देखा लेकिन अब मैं अपनी मंज़िल के बहुत क़रीब था इसलिए अपने हाथ को रोक नहीं सकता था।

मौसेरी बहन की चूचियों का दूध और चूत का पानी-1

मेरी मौसी की लड़की 15 साल बाद हमारे घर आई, शादी हो चुकी है. कोई समय था जब हम दोनों आपस में काफी आगे बढ़ गए थे. मैं बार बार उसे पुराने वक़्त की यादें दिला रहा था और वो बार बार बचती जा रही थी।

जब पहली बार मुझे सेक्स के बारे में पता चला-4

मैंने अपनी बहन को लंड पकड़ने को कहा तो वो मना करने लगी लेकिन फ़िर पकड़ लिया, कहने लगी कि अब तुम क्या करना चाहते हो। वो भी चाह रही थी पर डर रही थी।

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