बात बनती चली गई-1
विजय पण्डित घर में हम तीन लोग ही रहते थे- मैं, मेरी भाभी और भैया। मेरा अधिकतर समय कॉलेज में या खेलने कूदने में ही निकलता था। मेरा एक दोस्त उस समय एक छोटी सी दुकान से अश्लील पुस्तकें लाया करता था। वो किताब उसने मुझे भी पढ़ने दी। धीरे धीरे मुझे सेक्स की उन […]