तपस्या से मिले काम पुरुष- 2

(God Sex Kaam Dev Kahani)

रोमा शर्मा 2025-03-03 Comments

गॉड सेक्स काम देव कहानी में मेरे दुर्भाग्य से मेरे पति की मौत हो गयी. मुझे चुदाई, सेक्स का मजा मिलना बंद हो गया. तो मैंने क्या किया, अपना भाग्य कैसे बनाया मैंने!

कहानी के पहले भाग
मेरी चूत में पहला लंड पति का गया
में आपने पढ़ा कि मेरी शादी के बाद मैंने अपनी पति से चुदकर सुहागरात मनाई. मुझे सेक्स की लत लग गयी.
पर मेरे पति की मौत से मैं टूट गयी.

यह कहानी सुनें.

अब आगे गॉड सेक्स काम देव कहानी:

मेरे माँ बाप से मेरी ऐसी हालत देखी नहीं जा रही थी तो वो लोग मुझे एक सुप्रसिद्ध पंडित या यूं कहें कि एक बाबा के पास ले गए।
उस बाबा ने फिर से मेरी कुंडली देखी और बताया- इसकी कुंडली में बहुत बड़ा दोष है. जिस किसी के साथ भी यौन संबंध बनाएगी, उसकी मृत्यु निश्चित है।

यह सुन कर मैं बाबा के सामने ही फूट फूट कर रोने लगी और कहने लगी- यह तो मेरे जीवन के लिए बहुत ही कष्टकारी है. जब तक मेरी शादी नहीं हुई थी तब तक तो मैं किसी तरह अपनी यौन इच्छाओं को कंट्रोल कर लेती थी पर जब शादी के बाद और पति से यौन संबंध बनाने के बाद मैं अपनी यौन इच्छाओं पर कंट्रोल नहीं कर पा रही हूं. और अब पति की मृत्यु के बाद तो यह मेरे लिए और भी ज्यादा दुखदाई हो गया है. मैं कैसे अपना जीवन व्यतीत करूंगी?

मैंने उनसे कहा- इसका कोई तो उपाय निकालिये।
बाबा ने कहा- इसके लिए मुझे कुछ टाइम चाहिये। इसका मैं कुछ न कुछ उपाय निकलता हूँ।

कुछ दिनों बाद मैं दोबारा उस बाबा के पास गई और उनसे पूछा- बाबा, क्या कोई उपाय निकला है मेरी समस्या का?
बाबा- बेटी, तुम्हारी समस्या का मेरे पास एक उपाय तो है जिससे तुम यौन सुख का आनंद भी ले पाओगी और तुम्हारे साथ यौन संबंध बनाने वाले की मृत्यु भी नहीं होगी।

मैं- बाबा, वो कौन सा उपाय है? कृपया करके मुझे बताइये।
बाबा- उपाय तो मैं तुम्हें बता दूंगा. पर यह उपाय थोड़ा कठिन है. इस उपाय को करने के लिए कठिन तपस्या करनी होगी। और अगर तुम इस तपस्या को करने में सफल हो गई तो तुम यौन सुख को जब चाहे प्राप्त कर सकती हो।

मैं- बाबा, मैं आपसे निवेदन करती हूं मुझे जल्द ही उस उपाय के बारे में बताए। उस उपाय को करने के लिये मुझे जो कुछ भी करना पड़ेगा, मैं वो सब कुछ करूंगी।

बाबा- ठीक है. तो मैं तुम्हें वो उपाय बताता हूँ। बेटी, इस उपाय के लिए तुम्हें काम पुरुष की साधना करनी होगी।
मैं- काम पुरुष की साधना? ये क्या है होती है बाबा?

बाबा- बेटा काम पुरुष का संबंध प्रेम और कामेच्छा से है. काम पुरुष को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। ग्रंथों में काम पुरुष को प्रेम और आकर्षण का देवता कहा जाता है. तो अगर तुम तुम काम पुरुष की साधना करोगी तो तुम काम पुरुष को प्रसन्न कर पाओगी और उससे अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति कर पाओगी. इससे तुम्हें किसी पुरुष के साथ यौन संबंध भी नहीं बनाना पड़ेगा तुम्हारी सारी यौन इच्छायें काम पुरुष ही पूरी करेंगे।

मैं- अगर ऐसा है तो बाबा जी, आप मुझे काम पुरुष की साधना करने की पूर्ण विधि बताइये. मैं इस साधना को करने के लिए तैयार हूँ।

बाबा- ठीक है. लेकिन काम पुरुष साधना को करने के लिए तुम्हें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होगा।
मैं- बाबा जी, आप मुझे विस्तारपूर्वक पूर्ण विधि और किन बातों का ध्यान रखना है, सब बता दीजिए। मैं इसके लिए तैयार हूँ।

तब बाबा जी ने मुझे इसकी पूर्ण विधि और किन बातों का ध्यान रखना है सब कुछ बताया.

तुम्हें यह साधना पूर्णतः एकांत स्थल पर करनी होगी.
इसमें किसी भी किस्म की कोई बाधा न हो.
इस साधना का पता कभी किसी को नहीं चलना चाहिए. कोई देख भी न पाए कि तुम साधना में लीन हो.
तुम्हें यह साधना रोज रात में लगातार 21 दिन तक करनी है.
इसके लिए एक मंत्र है जो मैं तुम्हें बता रहा हूँ.
जब भी तुम रात में एकांत में साधना में लीन होगी तो तुम्हें उस मंत्र का ही उच्चारण करना है लगातार … इसमें किसी भी किस्म की रुकावट नहीं होने चाहिए।
और एक बात ध्यान रखना कि जब भी तुम साधना के लिये तैयार हो तो तुमने पूरा सोलह शृंगार कर के ही इस साधना को करना है क्योंकि काम पुरुष का वास स्त्री के सोलह शृंगार में ही होता है।

अगर काम पुरुष तुम से प्रसन्न हो गए तो वे तुम्हें दर्शन जरूर देंगे और फिर तुम्हारी सारी यौन इच्छाओं की पूर्ति करेंगे।
लगातार 21 दिन की इस साधना में अगर काम पुरुष प्रसन्न हुए तो 15वें से 18वें दिन में तुम उनका आभास होने लगेगा।
और 21वें दिन वे जरूर तुम्हें दर्शन देंगे।

बाबा जी इन सारी बातों को मैंने ध्यान से सुना और काम पुरुष की साधना का मंत्र लेकर मैं घर गई।

घर आकर मैंने तय किया कि यह साधना मैं रात में अपने कमरे में ही करूंगी।
तो मैं इस साधना को करने के लिए तैयार करने लगी।

अगली रात से मैं काम पुरुष की साधना के लिए तैयार थी.
तो मैंने रात में 12 बजे के बाद एकांत में अपने आप को पूरे सोलह शृंगार करके तैयार किया और साधना के लिए बैठ गई और मंत्र का उच्चारण करने लगी।

मैं लगातार रोज रात में काम पुरुष की साधना करने लगी।
काम पुरुष की रोज साधना करते हुए मुझे 15 दिन बीत चुके थे.

बाबा जी ने मुझे कहा था कि अगर मेरी साधना सही तरीके से हो रही है तो 15 दिन के बाद मुझे काम पुरुष की अनुभूति महसूस होने लगेगी।

और हुआ ऐसा ही … 15 दिन के बाद मुझे कुछ कुछ महसूस होने लगा था।
फिर 17वें से 18वें दिन मुझे किसी की आवाज़ सुनाई देने लगी जैसे कोई मेरे पास हो और मुझे पुकार रहा हो।

फिर 19वें और 20वें दिन मुझे महसूस हुआ कि जैसे मेरे पास ही कोई हो और मुझे वो स्पर्श कर रहा हो।
पर मैं अपनी साधना में लीन ही रही।

फिर आखिरकार वो दिन आ ही गया.
जब 21वीं रात को मैं काम पुरुष की साधना के लिए बैठी थी.
मुझे मंत्रों का उच्चारण करते हुए कुछ ही समय हुआ था कि काम पुरुष मेरे सामने प्रकट हुए।

मेरी आँखें तो बंद ही थी और मैं लगातार मंत्रों का उच्चारण कर कर रही थी।

तभी काम पुरुष जी ने कहा- ज्योति, अपनी आँखें खोलो. मैं काम पुरुष हूँ और मैं तुम्हारी साधना से प्रसन्न हो गया हूँ।

मैंने जब अपनी आंखें खोली तो मैं काम पुरुष को देख कर उन्हें देखती ही रह गई।
काम पुरुष दिखने में बहुत ही खूबसूरत थे उनका शरीर काफी हृष्ट-पुष्ट था.
उनकी पीठ पर सुनहरे पंख थे, वे काफी आकर्षक लग रहे थे।

काम पुरुष एक तोते के रथ पर सवार थे और उनके हाथों में फूलों से बना धनुष और बाण था।

जब वे अपने रथ से उतरे तो मैंने देखा कि उन्होंने सुनहरे रंग की ही धोती पहनी हुई थी और गले में एक सोने का हार था।

काम पुरुष अपनी बड़ी बड़ी आँखों से एकटक मुझे देख रहे थे और मैं भी अपनी नज़रें उन्हीं पर गड़ाए उन्हें देख रही थी।

फिर काम पुरुष ने मुझ से कहा- भद्रे … मैं तुम्हारी साधना से प्रसन्न हुआ हूँ. तुमने मुझे सिद्ध कर लिया है। तो तुम मुझे बताओ कि तुम मुझे किस रूप में प्राप्त करना चाहती हो?

मैं काम पुरुष की यह बात सुन कर रोने लगी।

काम पुरुष- प्रिये, तुम रो क्यों रही हो?

मैं- हे देव, मेरी कुंडली में कुछ दोष होने के कारण मेरी शादी नहीं हो पा रही थी. और फिर जैसे तैसे मेरी शादी हुई तो विवाह के उपरांत मेरे पति की मृत्यु हो गई. और अब सभी विज्ञों का यही कहना है कि मेरी अब कभी शादी नहीं हो सकती. और अगर मैंने किसी पुरुष के साथ यौन संबंध बनाए तो उस पुरुष की मृत्यु हो जाएगी।

मैंने आगे बोला- हे देव, जब तक मेरी शादी नहीं हुई थी तब तक तो सब कुछ ठीक ही था. परंतु शादी के बाद जब मुझे यौन सुख मिला तो मैं अत्यंत प्रसन्न थी. किन्तु अब मेरे पति की मृत्यु के बाद मैं यौन सुख से वंचित हो गई हूँ। एक बाबा ने मुझे आपकी साधना के बारे में बताया था इसलिए मैंने आपकी साधना की है और अब मैं आप को अपने पति के रूप में प्राप्त करना चाहती हूँ ताकि आप मुझे मेरे पति की तरह ही यौन सुख दे पायें।

काम पुरुष- अवश्य प्रिये, मैं तुम्हारी साधना से प्रसन्न हूँ. तुम जो चाहती हो वो तुम्हें अवश्य मिलेगा। मैं तुम्हें तुम्हारे पति के रूप में ही मिलूंगा और तुम्हें यौन सुख प्रदान करूँगा। अब से तुम जब चाहो जहाँ चाहो मेरे मंत्र का एक बार ही उच्चारण करोगी तो मैं तुरंत ही तुम्हारे सामने प्रकट हो जाऊंगा। लेकिन एक बात का ध्यान रहे कि यह बात कभी किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए। अगर किसी को पता लगी तो मैं दोबारा कभी भी तुम्हें न ही दर्शन दे पाऊंगा और न ही यौन सुख!

मैं- मैं आपकी बात समझ गई हूं. मैं इस बात का पूरा पूरा ध्यान रखूंगी।

काम पुरुष- तो आओ, अब मैं तुम्हारी यौन इच्छा की पूर्ति करता हूँ।

इतना कह कर काम पुरुष मेरे पास आये और उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.
और फिर हम दोनों धीरे से बिस्तर पर बैठ गए।

यह अनुभव बहुत ही शानदार था क्योंकि असl में एक देवदूत के साथ संभोग करने वाली थी।
मैं एक दुल्हन की तरह पूरे सोलह शृंगार में थी.

मैंने अपना कांपते हाथ जब काम पुरुष के बदन पर रखे तो महसूस किया कि उनका बदन गर्म था.

तभी काम पुरुष ने भी मुझे कसकर पकड़ा और अपनी तरफ खींचा।
फिर एक एक करके उन्होंने मेरे शरीर के गहने को उतार दिये।

फिर धीरे से उन्होंने अपने होठ मेरे होंठों पर रखे और उन्हें चूसने लगे।

उसके बाद उन्होंने मेरी साड़ी के पल्लू को नीचे किया.
तो अब मेरे 36″ के स्तन अब उनके सामने थे.

मैंने ब्लाउज के अंदर एक गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी, मेरे अंदर एक अजीब से हलचल हो रही था।

अब काम पुरुष और मैं एक दूसरे के ठीक आमने सामने थे।

काम पुरुष ने फिर धीरे से मेरे आवरित स्तनों पर हाथ रखे तो मुझे एक झटका सा लगा.

फिर उन्होंने एक चुटकी बजाई तो उनके हाथ में एक गुलाब का फूल आ गया जिसे काम पुरुष मेरे पूरे शरीर पर फिराने लगे।

काम पुरुष के फूल के स्पर्श से मेरे रोम रोम में काम की ज्वाला सी फूट पड़ी।
मेरे सामने स्वयं काम पुरुष प्रकट थे जिनमें संत महात्माओं, देवी देवताओं यहां तक कि प्रखर ऋषि मुनियों में भी काम प्रज्ज्वलित करने की क्षमता थी.
तो मैं तो इस नश्वर धरती की एक साधारण स्त्री थी।

स्वयं पूरे विश्व को मोहित करने वाले काम पुरुष मेरे अंगों का सौंदर्य देख मुझे कामातुर दृष्टि से ऐसे देख रहे थे जिससे मेरी चूत में से मेरा प्रेम रस रिस नहीं रहा था, मेरे प्रेम रस की धार बह रही थी।

मेरे आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही जब मैंने देखा कि काम पुरुष की श्वेत धोती में से उनका विशाल लण्ड तम्बू बनाता हुआ धोती के बाहर उभरता हुआ दिख रहा था।
क्या मेरे सैंदर्य से सेक्स गॉड काम पुरुष स्वयं मोहित हो रहे थे?

पर यह प्रश्न का उत्तर स्वयं काम पुरुष दे रहे थे।

धीरे धीरे अब काम पुरुष मेरे पूरे बदन को स्पर्श करने लगे और उस गुलाब के फूल को मेरे पूरे बदन पर घुमाने लगे।

अनायास ही मेरा हाथ काम पुरुष की धोती में उनकी जाँघों के बीच चला गया।
शायद स्वर्ग में कोई जांघिया पहनने का रिवाज नहीं होगा।
जैसे ही मैंने मेरे हाथ को काम पुरुष की जाँघों के बीच में डाला तो मेरी उँगलियों का काम पुरुष के लिंग (लण्ड) का स्पर्श हुआ।

काम पुरुष के लण्ड का स्पर्श क्या हुआ, मेरा पूरा बदन हिलने लगा।

उस दिन तक सबसे बड़ा, लंबा और मोटा लण्ड मैंने विदेशी पोर्न वीडियो में काले अफ्रीकन लोगों का देखा था।

काम पुरुष के लण्ड के आगे तगड़े से तगड़े अफ्रीकन का लण्ड मामूली खिलौने जैसा ही लगेगा।
लम्बाई में काम पुरुष का लण्ड 12 इंच से कम का नहीं होगा।
मोटाई में वो करीब चार इंच तक का हो सकता था।

ऐसा लण्ड किसी पुरुष का तो मैंने ना ही देखा था और ना ही मैं कल्पना भी कर सकती थी।
पर आखिर काम पुरुष तो काम पुरुष ही ठहरे।

सबसे खूबसूरत बात काम पुरुष के लण्ड की जड़ वाला लण्ड का अण्डकोष था।
काम पुरुष के लण्ड का अण्डकोश एक पानी से भरे हुए गुब्बारे सा पर अति सुन्दर, गोरा और सुगन्धित था।

मैंने दूसरे हाथ से काम पुरुष की धोती हटाने की चेष्टा क्या की … अपने आप ही काम पुरुष की इच्छा शक्ति से ही उनकी धोती नीचे गिर पड़ी और काम पुरुष पूरे नंगे शोभायमान मेरे सामने खड़े थे।

काम पुरुष ने मेरे स्तनोँ पर गुलाब के फूल का स्पर्श किया और करते ही मेरे ब्लाउज के बटन अपने आप खुल गए और मेरे हाथ ऊपर उठाने पर ब्लाउज अपने आप ही हवा में ऊपर उठ, बाहों में से निकल कर धरती पर जा गिरा।
कुछ ही देर में काम पुरुष ने मेरी साड़ी और घाघरे को भी इसी तरह अपनी काम दृष्टि से ही निकाल दिया।
अब काम पुरुष के सामने मैं सिर्फ ब्रा और पेंटी में खड़ी थी।

काम पुरुष ने अपनी बांहें फैलायीं और बांहें फैलाते ही मैं जैसे किसी पंछी के हल्के फुल्के पंख की तरह हवा में तैरती हुई ऊपर उठी और काम पुरुष की फैली हुई सशक्त बांहों में आ गयी।

उन्होंने किंचित मुस्कुराते हुए मुझे देखा तो मैंने खुद को एक विशाल रेशमी भारी गद्दे से सजे हुए बिखरे हुए गुलाब के फूलों से सजे बिस्तर पर पाया जिसकी चारों और रंगबिरंगी परदे टंगे हुए थे।

नग्न काम पुरुष का हरेक अंग ऐसा था जैसे संगेमरमर में तराशी गयी स्वयं काम पुरुष की प्रतिमा हो।

मैं शर्माती हुई काम पुरुष के उस महाकाय लण्ड को मेरी चूत में कैसे लूंगी, उसकी चिंता किये बिना काम पुरुष के लण्ड के लिए इस तरह तड़प रही थी जैसे चातक बारिश की पहली बून्द के लिए तरसता है।

जिस दृष्टिपात से काम पुरुष ने मेरे दूसरे कपडे निकाले थे उसी तरह मेरी पैंटी को छूते ही मेरी पैंटी और ब्रा दोनों गायब हो गए और मैं पूरी नंगी काम पुरुष के सामने बिस्तर पर लेटी हुई थी।

काम पुरुष ने अपने हाथों से मेरी टांगें चौड़ी की और अपना सर झुका कर अपना मुंह मेरी चूत के करीब लाये।
काम पुरुष के दोनों हाथ मेरे दोनों स्तनोँ को सेहला रहे थे।

अब मेरी चूत गीली होने लगी थी।
कुछ ही देर में अब उन्होंने अपना मुँह चूत के करीब लाये तो फिर अपने अपने हाथों से मेरी चूत के होंठों को अलग किया और मेरी चूत के रस को सूंघने लगे।
काम पुरुष के इस करने और उनके होंठ जा मेरी चूत के होंठों से स्पर्श हुए थे मेरे मुँह से जोर से कराह निकली- आह हह हहह स्वामी … आ हह हहहह।

मेरी कराह सुनते ही काम पुरुष मेरी चूत को और अधिक तेजी के साथ चाटने लगे और अपने जीभ को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे।

तो मैंने भी काम पुरुष के सर को अपनी चूत में घुसा दिया।
उनकी इस हरकत से मैं और अधिक मचल उठी।

मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी- आ हहह हहह स्वामी … आज बहुत दिनों बाद मैं इस काम क्रीड़ा का आनंद ले पा रही हूँ. आप खा जाओ मेरी चूत को … पी जाओ मेरी चूत के पानी को! आज मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं स्वर्ग में आ गई हूँ।

धीरे धीरे मैंने अब अपना हाथ काम पुरुष के लंड के पास ले गई और उनके लंड को छुआ तो उनका लंड बहुत ही गर्म था.
उनका लंड इतना बड़ा था कि वो ठीक से मेरे हाथ पर समा नहीं रहा था।

पर फिर भी मैं काम पुरुष के लंड को हाथ में ले कर सहला रही थी.

देखते ही देखते काम पुरुष ने घूम कर अपना लंड मेरे मुंह के सामने ला दिया और अपने मुंह उन्होंने मेरी चूत पर ही रखा.

अब हम 69 की पोजिशन में आ गए थे।

मैंने काम पुरुष के लंड जैसे तैसे अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी.
काम पुरुष में मेरी चूत चाट रहे थे।

काम पुरुष का लंड चूसते हुये मैं गहरे आनंद की अनुभूति कर रही थी।
उसी तरह काम पुरुष भी मेरी चूत चाट चाट कर मुझे आनंद दे रहे थे.

मैं अत्यधिक जोश में आकर लंड को पूरा मुँह में लेने की कोशिश कर रही थी तो काम पुरुष कुछ धक्के लगा कर लंड को मेरे मुंह के अंदर पेल रहे थे।

काफी देर तक हम दोनों यूँही एक दूसरे एक साथ खेलते रहे, मैं काम पुरुष का लंड चूसती रही और काम पुरुष मेरी चूत चूसते रहे।

फिर मैं काम पुरुष से बोली- स्वामी, अब मेरी गीली और गर्म चूत को आप अपने लंड से चोदिये. अब मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मेरी चूत आपका लंड लेने के लिए तड़प रही है।

काम पुरुष मेरे ऊपर से उठे और उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और फिर मेरी दोनों पैरों को खोल कर अपने लिए जगह बनाई और अपने लंड को मेरी गीली चूत पर रख कर एक धक्का लगाया।

मेरी चूत कसी हुई थी जिसके कारण लंड अंदर नहीं जा पा रहा था.

अब मेरी चूत की दीवारों पर काम पुरुष के लंड का घर्षण होना शुरू हो गया था।
और इस घर्षण से मेरे अंदर अत्यधिक सुख और आनन्द की प्राप्ति हो रही थी.

काम पुरुष का लंड धीरे धीरे मेरी चूत की गहराई में समाने लगा था.

तब मैंने काम पुरुष को कस कर पकड़ लिया और अपने दोनों पैरों को उनकी कमर पर लपेट लिया।

काम पुरुष का लंड मेरी चूत के निकल रहे रस से पूरा गीला हो चुका था.
तभी काम पुरुष ने अपने लंड को चूत से बाहर निकाला और फिर से एक जोरदार धक्के के साथ लंड को चूत में घुसा दिया.

तो मेरे मुँह से जोर के कहरने की आवाज़ आई- आह हह हहह स्वामी ईई … आ हह!

अभी काम पुरुष का आधा ही लंड मेरी चूत की गहराई में समाया था कि उन्होंने फिर से एक जोर का धक्का मारा जिससे उनका लंड और अधिक मेरी चूत में घुस गया और मैं सिसकारियां लेने लगी।

फिर काम पुरुष ने धीरे धीरे अपने लंड को चूत में अंदर बाहर करने की गति को बढ़ाना शुरू कर दिया और मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी।

मेरे अंदर एक दर्द और सुख के आनन्द दोनों की ही अनुभूति हो रही थी.
काम पुरुष और मेरी की गर्म सांसें एक दूसरे से मिल रही थी.

अब काम पुरुष ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख कर मेरे होंठों का रसपान करना भी शुरू कर दिया।

काम पुरुष पूरे जोश के साथ मुझे चुदाई के सुख दे रहे थे।
मैं काम पुरुष से कहने लगी- स्वामी, और तेजी से चोदो. फाड़ दो मेरी चूत को चोद चोद कर! मुझे आज ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे मैं स्वर्ग में हूँ।

चुदाई करते हुए अब हमें करीब करीब 35-40 मिनट हो चुके थे पर ऐसा लग रहा था जैसे अभी कुछ ही पल बीते हों।
हम चुदाई के काम रस में पूरी तरह डूबे हुये थे पर अभी तक चरम सुख पर नहीं पहुंच पाए थे।

काम पुरुष लगातार चुदाई कर रहे थे.
अब उन्होंने पॉज़िशन बदलने के लिए कहा तो मैं जल्दी से घोड़ी की पॉज़िशन में आ गई और काम पुरुष अब पीछे से मेरी चूत की चुदाई करना शुरू कर दिया।

अब मैं चरम सुख के शिखर पर पहुंच चुकी थी।

काम पुरुष ने पीछे से ही हाथ डाल कर मेरे स्तनों को भी पकड़ लिया था और उन्हें दबाने लगे.
वे कभी मेरे स्तन को दबाते तो कभी मेरी गांड पर जोर जोर से थप्पड़ मारते तो मेरे मुंह से सिसकारियां निकल जाती।

काम पुरुष पीछे से मेरी जोर जोर से चुदाई कर रहे थे।
मैं भी मज़े से चुदवा रही थी।

काम पुरुष और मैं अब अति आनन्द में चुदाई कर रहे थे।
अब हम दोनों ही चरम सुख की तरफ बढ़ रहे थे।

तभी काम पुरुष ने कहा- प्रिये, अब मेरा स्खलित होने वाला है.
तब मैंने भी काम पुरुष से कही- स्वामी, अब मैं भी चरमसुख के पास हूँ और मेरी चूत से भी भी रस निकलने वाला है.

तभी काम पुरुष ने वापस मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत में अपना लंड जोर से डालकर चूत को और जोर जोर से चोदने लगा।

अब हम दोनों ही चार्म सुख की तरफ बढ़ रहे थे।
कुछ ही पलों में मेरी चूत ने तो अपना रस छोड़ दिया पर काम पुरुष अभी भी जोर जोर से धक्के लगा कर चुदाई कर रहे थे.

फिर अचानक मेरी चूत के अंदर काम पुरुष के लंड से उनके वीर्य का लव फूट पड़ा।

गॉड सेक्स काम पुरुष के वीर्य से मेरी चूत पूरी भर गई थी और वीर्य चूत से निकल कर बाहर मेरी जांघों पर बहने लगा।

अब मैं बुरी तरह थक चुकी थी.
हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर बांहों में जकड़ लिया।

इस संभोग क्रिया में पूरी रात बीत चुकी थी और सुबह होने को थी.

कुछ देर काम पुरुष और मैं एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही रहे.
फिर काम पुरुष ने कहा- प्रिये, अब से तुम जब भी मेरे साथ इस संभोग क्रिया का आनंद लेने चाहो तो मेरे मंत्र का उच्चारण कर लेना. मैं तुरंत ही तुम्हारे सामने प्रकट हो जाऊंगा।

इतना कह कर काम पुरुष चले गए।

अब जब भी मुझे संभोग करने की इच्छा होती तो मैं काम पुरुष के मंत्र का उच्चारण करती और काम पुरुष मेरे सामने प्रकट हो जाते हो हम जम कर चुदाई का खेल खेलते।

दोस्तो, यह थी मेरी आज की कहानी.
उम्मीद है कि आप लोगों को गॉड सेक्स काम देव कहानी पसंद आई होगी.
मुझे मेल कर के कहानी का फीडबैक जरूर दीजिये धन्यवाद।
आप सबकी प्यारी रोमा शर्मा
[email protected]

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