बर्थडे पर दीदी की कुंवारी गांड मिली- 3
(Sister Love Sex Kahani)
सिस्टर लव सेक्स कहानी मेरी और मेरी बड़ी बहना के प्यार और चुदाई की है. हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं; तन मन लंड से प्यार करते हैं.
दोस्तो, मैं विशाल जैसवाल आपको अपने बर्थडे पर अपनी दीदी की कुंवारी गांड की चुदाई की कहानी सुना रहा था.
कहानी के पिछली भाग
दीदी की कुंवारी गांड की चुदाई
में अब तक आपने पढ़ा था कि दीदी ने मेरे मूसल लंड से अपनी कुंवारी गांड फड़वा ली थी.
अब आगे सिस्टर लव सेक्स कहानी:
जबरदस्त सेक्स के बाद जब हम लेटे थे, दीदी मेरी बांहों में थीं.
तब मैंने दीदी से पूछा- दीदी, आपने इतना सब मेरे लिए किया?
दीदी मुस्कुराती हुई बोलीं- हां.
“पर क्यों?”
“देख, मैं तुझे चाहती हूँ और तुझे मुझे चोदना सबसे ज्यादा पसंद है … और काफी दिनों से तू मुझसे गांड मांग रहा था, तो बस इसी लिए.”
“पर अचानक से कैसे?”
“अचानक से नहीं हुआ. मन तो मेरा भी करता था. पर तेरे इस भयंकर लंड से डरती थी.” दीदी ने मेरा लंड हाथों में भरते हुए कहा.
मैं उनकी आंखों में देखने लगा.
“ये इतना मोटा और बड़ा है कि मुझे महीनों लगे अपनी चूत को एडजस्ट करने में. अब भी यह हर बार मेरी बच्चेदानी तक कुरेद देता है.”
दीदी मेरे लंड को हाथ में लिए उसकी खूबियां बता रही थीं.
गांड चुदाई के बाद दीदी काफी खुल कर सिस्टर लव सेक्स पर बात कर रही थीं.
“दूसरा, तेरा जोश … जिसकी मैं दीवानी हूँ. हर बार ऐसे चोदता, जैसे सालों से भूखा भेड़िया चढ़ गया हो. तेरे एक बार झड़ने में मैं कई बार झड़ जाती हूँ.” दीदी ने मेरी चौड़ी छाती पर हाथ फेरते हुए कहा.
“उम्म दीदी, आप चीज ही ऐसी हो. मेरे अन्दर का जानवर जगा देती हो.” मैंने उन्हें खुद से चिपकाते हुए कहा.
दीदी मेरी तरफ देख कर शर्म से मुस्कुरा दीं.
लड़कियों की अपनी सुंदरता की तारीफ पसन्द आती है.
मेरी दीदी को भी उनके जिस्म की तारीफ़ पसंद थी.
मैं भी उन्हें ऐसा शर्माते देख कर जोश में आ जाता.
मैंने उनके होंठों को चूमते हुए उनके एक दूध को दबा दिया.
दीदी मुझे अलग करते हुए बोलीं- अरे रुक जा मेरे सांड … अभी तो गांड चुदाई की है. साले थोड़ा चैन तो ले लेने दे मुझे!
“सब्र ही तो नहीं होता आपको देख कर दीदी.” मैं उन्हें सूंघते हुए बोला.
“अभी सब्र कर ले थोड़ा, आज की पूरी रात के लिए तेरी ही हूँ.”
मैंने उन्के गालों काटते हुए कहा- हाय, दीदी आपकी इसी अदा का तो मैं दीवाना हूँ. पर आज आपने इतना नायाब तोहफा दिया है कि आपकी ऋणी बन चुका हूँ. आपकी बात माननी ही पड़ेगी. वैसे आप ठीक तो हो न … मैं बर्फ लेकर आऊं आपके लिए?
“नहीं, मैं ठीक हूँ, मुझे बस थोड़ा टाइम चाहिए.”
“ठीक है, तब तक आप मुझे ये बताओ कि ये सब आपने कैसे किया?”
“मत पूछ छोटे … ये सब बहुत मुश्किल था. जोश में ठान तो लिया, पर अपनी गांड को तेरे लंड के लायक बनाने में नानी याद आ गयी.”
“अच्छा, क्या क्या किया मेरी रंडी बहन ने … थोड़ा विस्तार में बताओगी आप?”
“देख, गांड चुदवाना तो मैं भी चाहती थी. पर कभी किया नहीं था … और तेरे भयंकर लंड से डरती भी थी, इसीलिए हर बार तेरे पूछने पर मना कर देती थी. लेकिन सच कहूं तो मुझे अन्दर से बहुत बुरा लगता कि मैं इस काबिल नहीं की तेरी सेक्स इच्छा पूरा कर सकूं. मुझे बहुत हीन महसूस होता था. पर पिछली बार जब हम मिले थे तो मन पक्का कर लिया था.”
“आपका मतलब, मेरे कॉलेज जाने से पहले?”
“हां, तेरे एग्जाम से पहले.”
“हां, मुझे वो दिन याद है. मैं होस्टल जा रहा था.”
ये कह कर मैं पुरानी यादों में खो गया.
उस दिन मैं कॉलेज जा रहा था. काफी दिन बाद दीदी की चूत मिलनी थी.
मैंने सोचा जाते जाते एक बार को दर्शन करता जाऊं.
पर मैं उनके कमरे में गया तो दीदी कॉलेज के लिए रेडी हो चुकी थीं.
उन्होंने सलवार ब्लू समीज पहन रखी थी जैसा कि मुझे पसंद थी.
दीदी वैसे तो मॉडर्न ख्यालों वाली हैं पर मेरे कहने पर वो जब भी घर से बाहर जाती तो मेरी पसंद की ट्रेडीशनल ड्रेस ही पहनती हैं.
उस दिन मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया था और उनके मम्मे मसलते हुए उन्हें एक बार चोदने की मांग करने लगा था.
दीदी गुस्सा गयी थीं, पापा मम्मी घर में ही थे.
पर मुझे फर्क नहीं पड़ रहा था.
न जाने कब मिले ये चुत.
मैं उन्हें चूमते हुए गर्म करने लगा.
मेरे लगातार हठ करने पर दीदी ने हार कर असल बात बताई.
दरअसल उनके पीरियड्स आ गए थे.
मैं गर्म था, मैंने उनके चूतड़ों को मसलते हुए धीरे से कान में कहा- और भी तो छेद होते है न दीदी!”
दीदी ये सुनकर भड़क गईं और मुझसे अलग हो गईं.
मैं मन मार कर जाने लगा तो दीदी ने मुझे रोका और घुटनों पर बैठ गईं.
फिर उन्होंने अपने मुँह से मेरे लंड को चूस कर मुझे राहत देना शुरू किया.
मैंने मुख चोदन करके उनके मुँह में ही माल गिरा दिया.
क्या सेक्सी लग रही थीं दीदी इस हालत में … मेरा वीर्य से उनके होंठों से बह रहा था.
सजी धजी दीदी का मेकअप मैंने पल में खराब कर दिया था.
मुझे इस तरह उन पर मन मर्जी करना बड़ा अच्छा लगता था.
दीदी ने भी मुझे कभी निराश नहीं किया.
मैं अपने ख्यालों में खोया था.
आज भी वो सब याद करने पर तन बदन मचल उठता.
तभी दीदी ने मुझे हिलाया- कहां खो गए?
“आपकी यादों में!” मैंने उन्हें सूंघते हुए कहा.
“मुझे वो दिन याद है, आप आगे बताओ.”
“हां, तो अबकी बार ये बात मेरे ईगो पर लग गयी थी और उसी दिन मैंने मन ही मन ठान लिया था कि अब तो गांड में तेरा लंड ले कर रहूंगी. पर ये मुश्किल थी कैसे लूं इतना बड़ा मूसल?”
मैंने कहा- फिर?
“फिर मैंने इंटरनेट से इसके बारे में जानकारी ली. काफी रोचक तरीके मिले मुझे … साथ में कुछ सावधानियां भी पता चलीं. मुझे पता चला कि गांड भी चूत की तरह ही फैलती है और आसानी से गांड के छेद में भी लंड लिया जा सकता है. बस गांड के छेद में थोड़ी ऐंठन पायी जाती है, ये चूत की तरह सीधी नहीं होती. साथ ही गांड सूखी होती है. इसमें चूत के जैसा कोई अपना रस नहीं निकलता है. इसी लिए हमें लंड लेने में परेशानी होती है. साथ ही इसमें सफाई का थोड़ा ध्यान रखना पड़ता है.”
दीदी बताती रही- मैंने निर्देशानुसार पहले उंगलियों से शुरू किया. पहली बार में तो मैं एक उंगली ही अन्दर ले पायी, वो भी आधी. पर निर्देशानुसार मैं दिन में दो या तीन बार प्रेक्टिस करती.
जल्द ही मैंने दो उंगलियों को लेने की जगह बना ली. फिर 3 की जगह बनी, हालांकि इसमें मुझे हफ़्तों लगे होंगे. मैंने कुछ वीडियोज की भी मदद ली और उनके द्वारा बताए गए टॉय (उपकरण) ऑनलाइन मंगाए. जिसमें बट प्लग और डिल्डो मुख्य थे. वीडियो वाली लड़की के निर्देशन में मैंने बट प्लग पहनना सीखा और साफ सफाई के कुछ तरीके भी सीखे. पर समस्या थी कि मैं 4 इंच से ज्यादा नहीं बढ़ पा रही थी. चार इंच के लौड़े से तो मेरा काम कहां होने वाला था. मुझे तेरा मूसल लेना था. फिर मैंने काफी रिसर्च की और पाया मुझे टाइम बढ़ाना पड़ेगा. एक दो घंटा के अभ्यास से कुछ नहीं होगा. मैं अब पूरे दिन बट प्लग पहन कर घूमती, घर में भी या फिर कहीं भी जाती तो हमेशा अपनी गांड में प्लग लगाए रहती.
“क्या बात कर रही हो दीदी? आप कॉलेज में भी बट प्लग पहन कर जाती थीं?” मैंने उन्हें बीच में टोकते हुए कहा.
दीदी ने शर्मीली से मुस्कान के साथ कहा- हां जाती थी, क्योंकि मुझे जल्दी से खुद को गांड चुदाई के लिए तैयार करना था.
“फिर?” मैंने उत्सुकता से पूछा.
“फिर क्या, शुरू शुरू तो मुझे बट प्लग के साथ चलने में बहुत दिक्कत हुई और बैठने पर लगता मानो गांड ही फट जाएगी. पर मैंने आहिस्ते आहिस्ते अपनी ट्रेनिंग जारी रखी. हर रोज जब घर आती, तो गांड में सूजन और दर्द भी होता. फिर मैं बर्फ से सिकाई करती.”
“वॉओ दीदी, यू आर अमेजिंग. आप महान हो.”
मैंने दीदी के दोनों हाथ चूमते हुए बोला.
“यही नहीं, मैंने तो पीरियड में भी अपनी ट्रेनिंग जारी रखी. चूत अलग दुखती, गांड अलग.”
“वॉव दीदी, सच में?”
“अब मेरी गांड काफी फैल चुकी थी. तीन उंगलियों से आगे बढ़ी. अब मैं कभी कभी चार उंगलियां गांड में आसानी से ले लेती, पर अभी मैं ऐच्छिक गहराई तक नहीं पहुंच पायी थी. तो मैंने बट प्लग पहन कर सोना भी चालू कर दिया. दिन में कुछ रोजमर्रा के कामों के लिए निकालती, बाकी दिन रात मेरी गांड में बट प्लग घुसेड़े रहती.”
“मम्मी को शक नहीं हुआ?”
“मम्मी क्या मेरी गांड में झांकती हैं … तू न … गधा ही रहेगा हमेशा!” दीदी झल्लाती हुई बोलीं.
उनकी इस बात पर हम दोनों हंस पड़े.
हालांकि दीदी आज काफी कॉंफिडेन्टली और खुल कर गन्दे वर्ड्स का प्रयोग कर रही थीं. लगता है गांड चुदाई ने उनकी शर्म की देहरी को भी तोड़ दिया था.
“अच्छा, फिर क्या हुआ?” मैंने उनसे पूछा.
“हां, ऐसे ही महीना बीत गया. मैं काफी हद तक गांड को ट्रेंड कर चुकी थी. अब मैंने डिल्डो ट्रेनिंग स्टार्ट की. दिन भर मैं गांड का छेद की चौड़ाई बढ़ाने के लिए बट प्लग पहन कर घूमती और रात में डिल्डो से गहराई बढ़ाने का काम करती. शुरू से ही मैं हर आसान में प्रेक्टिस करती. हालांकि, वीडियो वाली ने तो बताया था कि खड़े लंड पर बैठना सबसे आसान होता. पर मुझे पता था कि तू मुझे मेरे मन चाहे आसान में तो नहीं चोदेगा, जोश तुझे होश कहां रहता है.”
“ये तो है, पर मैं क्या करूँ. आप गर्म ही इतना कर देती हो.”
“चल हट बदमाश, वो तो गनीमत यह थी कि तेरे एग्जाम थे, तो मेरी चूत को थोड़ा आराम था, इसी लिए मैं गांड पर फोकस कर पाई.”
“ओह शिट … फिर तो मुझे एग्जाम छोड़ देने चाहिए थे.”
“हां, तुझे तो बस मौका चाहिए, मेरी चूत फाड़ने का.”
“अब आप हो ही इतनी गर्म माल … मैं क्या करूँ?”
“चल हट, सांड कहीं का!”
दीदी कुछ देर के मौन के बाद बोलीं- मुझे विश्वास नहीं होता छोटे कि गांड चुदाई से भी इतना सुखद चर्मोत्कर्ष मिल सकता. मुझे अब तक ये एक दर्द भरा खेल लगता था.
“देखो, मैंने तो बोला ही था कि बड़ा मजा आएगा.”
“हम्म … सच में यार, मजा तो काफी आया.”
“अच्छा, ये इशिता की क्या कहानी है?”
“वो इशिता! वो तो बहुत पहले से चुदना चाहती थी तुझसे … मुझसे रोज ही तेरा नम्बर मांगती. फिर मुझे दिमाग में आईडिया आया कि क्यों न अपने चोदू भाई को चूत ही गिफ्ट की जाए.”
“अच्छा जी!”
“हां, पर इसके पीछे मेरा सीक्रेट प्लान भी था.”
“अच्छा जी, वो क्या था?”
“देख, मैं तुझे अच्छे से जानती हूँ. तू दो महीने से भूखा था. मिलते ही टूट पड़ता मुझ पर … और तब तक नहीं रुकता जब तक मेरे चूत के परखच्चे न उड़ा देता. अब ऐसे में मैं तुझे गांड परोसती, तो तू मेरी गांड का गड्डा बना देता. मैंने सोचा कि ऐसे भूखे सांड से मेरी गांड की क्या हालत होती?”
“हां, ये भी है.”
“इसी लिए मैंने इशिता को तेरे लंड का चारा बनाया, ताकि मेरा शेर कुछ देर के लिए शांत हो जाए. फिर मैं आराम से गांड चुदाई करवा लूँगी.”
“अच्छा जी, तो ये सब मेरी रंडी बहन का प्लान था.”
“हम्म्म … कह सकते हो.”
“दीदी लव यू सो मच.” मैंने उनकी गर्दन को चूमते और सूंघते हुए बोला.
“लव यू टू मेरे सांड.” दीदी ने किस करते हुए जवाब दिया.
मेरे हाथ अब तक उनके मम्मे मसलने लगे थे.
दीदी की गर्म बातों ने मुझे उत्तेजित कर दिया था.
उनकी बातों ने मुझे दूसरे राउंड के लिए तैयार कर दिया था.
मैं दोबारा से दीदी के चूत व मम्मे चाटने लगा और उन्हें भी गर्म कर दिया.
उन्हें घोड़ी बनाने लगा.
दीदी ने मना किया और मुझे पीठ के बल बेड पर लिटा दिया.
वो खुद मेरे ऊपर आ गईं और बैठ कर लंड अपनी गांड में घुसवाने लगीं.
दीदी का चेहरा लाल पड़ जा रहा था, पर वो मानी नहीं … वो अपनी गांड में मेरा पूरा लंड ले कर ही मानी.
मैंने दोबारा से उनकी गांड मारी या यूं कहें कि दीदी ने खुद अपनी गांड चोदी.
इस बार पूरे लंड से गांड चुदाई हुई.
फिर मैंने उनकी चूत चोदी.
सुबह तक दीदी की गांड और चूत के दोनों छेद सूज चुके थे.
पर दीदी के चेहरे पर सन्तोष का भाव था.
सच में इतना अच्छा बर्थडे मैंने आज तक नहीं मनाया था. इसके लिए मैं अपनी बहन का ऋणी हूँ.
तो दोस्तो ये थी दीदी की गांड की पहली चुदाई की कहानी.
आप मेल करके जरूर बताएं कि आपको इस सिस्टर लव सेक्स कहानी में सबसे अच्छा क्या लगा.
मैं फिर हाजिर होऊंगा एक नई सेक्स कहानी के साथ.
आपका विशाल
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