सौतेली माँ के साथ चूत चुदाई की यादें-4

(Sauteli Ma Ke Sath Chut Chudai Ki Yade Part-4)

पूनम चोपड़ा 2018-06-23 Comments

This story is part of a series:

अब तक की चुदाई की कहानी में आपने पढ़ा था कि चंदर ने मेरी चूत को भोसड़ा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, जिसके बाद मैंने बिंदु से चंदर को घर से बाहर भगाने के लिए कह दिया था. अन्यथा कि स्थिति में पापा से सब कुछ कह देने की धमकी दी थी, तब जाकर उस हरामी से पीछा छूट सका था.
अब आगे..

हर बार नए लंड से चुदते चुदाते मेरी चूत की भूख बढ़ती ही जा रही थी.

इसी तरह से चूत चुदवा कर मैं मज़े कर रही थी. जब मैं और बड़ी हो गई तब तक आशीष भी एक सांड जैसा मर्द हो चुका था. पापा ने पैसे के बलबूते पर उसे साउथ में किसी शहर में इंजीनियरिंग करने के लिए भेज दिया. बिंदु की शायद पापा आजकल कम चुदाई करते थे इसलिए वो बार बार मुझ से अपनी चूत चटवाती थी.

एक दिन मैंने उससे पूछा- आजकल रात को पापा तुमको नहीं चोदते?
उसने कहा- क्या बताऊं नेहा.. उनका लंड अब पहले जैसा नहीं रहा. जल्दी ही पानी छोड़ देता है और मैं प्यासी ही रह जाती हूँ.
इस पर मैं कुछ ना कह पाई.

फिर एक दिन मैंने उससे कहा- सुनो बिंदु, मैंने नेट पर देखा है कि आर्टिफिशियल सॉलिड रबर या प्लास्टिक का लंड बाज़ार में मिल जाता है.. क्यों ना तुम उससे ही कुछ करो.
वो बोली- अरे वाह यार.. यह आइडिया तुमने पहले क्यों नहीं बताया, मैं भी कितनी पागल हूँ.. मेरे दिमाग में यह सब क्यों नहीं आया.
खैर इसका असर यह हुआ कि उसने ऑनलाइन एक लंड स्ट्रेप ऑन वाला मंगवा लिया.

अब वो मुझसे बोली- मैंने अपने साथ तुम्हारा भी इंतज़ाम कर लिया है. क्योंकि तुम्हें भी बहुत मुश्किल होती है न.. गरम चुत को ठंडा करने के लिए.

जो लंड ऑनलाइन आया था, वो ढाई इंच मोटा और आठ इंच लंबा था. उसे चूत के ऊपर बाँध कर दूसरे की चूत में डालना होता था. जो बाँधती थी वो लड़के का रोल करती थी और जो डलवाती थी, वो लड़की का. इस तरह हम दोनों एक दूसरे की चुदाई करते रहे.

इसी तरह से दो साल और बीत गए. अब मैं पूरी जवान हो चुकी थी और चूत मेरा कहना नहीं मानती थी. उसको अब हमेशा ही खूब मोटा और लंबा लंड चाहिए होता था. मैं नकली लंड से चूत ठंडी करके तंग आ चुकी थी. असली वाला साला ना सिर्फ चुत को निचोड़ता है, बल्कि वो पूरे जिस्म पर हाथ फेर कर उसे बेहाल करता रहता है और फिर मम्मों का इलाज़ भी उसी के पास ही होता है.

बिंदु के किसी दूर के कज़िन की नौकरी हमारे शहर में लग गई थी. उसने बिंदु को फोन करके कहा कि मेरी हेल्प कीजिए ताकि मैं एक कमरा कहीं पर किराए पर ले लूँ.

बिंदु ने पापा से पूछ कर उसको अपने गेस्ट हाउस में रखवा लिया. उस लड़के का नाम जगत था और वो छह फुट लंबा और पूरा स्मार्ट था. उसे देख कर मेरी चुत हमेशा ही गीली हो जाती थी. मगर मैं किसी मौके की तलाश में थी. मगर मुझे नहीं पता था कि बिंदु ने अपनी चूत का हिसाब पूरा करने के लिए उसको घर में सैट किया था.

एक दिन में बिंदु के पास जा रही थी तो उसके कमरे से कुछ अजीब से आवाजें सुनाई पड़ीं, जैसे कि आह.. और जोर से करो ना.. हां मज़ा आ रहा है करो..
मतलब बिंदु की चुत का कुछ खेल चल रहा था.

मैं वापिस अपने कमरे में आकर अपनी चूत में उंगली मारने लग गई. दो दिन बाद मैं आधी रात को उठ कर बाहर आई तो देखा कि बिंदु के कमरे में रोशनी जल रही है और पापा तो यहाँ पूरे अगले दस दिनों के लिए नहीं थे. मुझे कुछ शक़ हुआ. मैं उनके रूम की खिड़की के पास चली गई, जो पूरी खुली थी और उस पर पर्दा लगा हुआ था. मगर उनकी बदनसीबी से और मेरी खुशनसीबी से वो आधा खुला रह गया था, जिससे बाहर से सब कुछ देखा जा सकता था. मैं दबे पांव वहाँ गई और देखा कि बिंदु जगत के लंड पर चढ़ कर धक्के मार रही थी और उसके हिलते हुए मम्मों को जगत मजबूती से दबा रहा था. मैंने झट से खड़की से अपने मोबाइल से 4 फोटो उनकी चुदाई की निकाल लीं.

अगले दिन में बिंदु के पास इस तरह से गई, जैसे कुछ खास बात नहीं हो. बातों बातों में मैंने उससे पूछा कि बिंदु आज कल पापा नहीं हैं, तुम्हें रात को अकेले डर नहीं लगता.
वो बोली- डर कैसा.
मैंने कहा- पहले तो तुम मुझको अपने पास बुला लेती थीं, मगर आजकल बहुत आराम से सो जाती हो.
वो बोली- नहीं यार ऐसी कोई बात नहीं है, अब मैं तुम्हें हर रोज़ तो तंग नहीं कर सकती ना.. उनका अब बाहर अन्दर जाना तो आम बात हो गई है. फिर अकेले रहना भी सीख लेना चाहिए ना.
मैंने कहा- हां वो तो है.. और अगर कज़िन साथ में हो तो फिर किस बात का डर.
वो उछल कर बोली- क्या बोलती हो, जो मुँह में आ जाता है बोल देती हो.
मैंने कहा- नाराज़ ना हो मेरी अम्मा.. मैं सब कुछ जान चुकी हूँ.. अब नदी में रह कर मगरमच्छ से दुश्मनी ना लो. दोस्ती बना कर रहो.

यह कह कर मैंने उसे अपना फोन दिखाया. उसका एक रंग आ रहा था और दूसरा जा रहा था, वो बोली- नेहा प्लीज़ इसे डिलीट कर दो वरना मैं कहीं की नहीं रहूंगी.
मैंने कहा- मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी, जिससे तुम पर कोई भी आँच आए. आज तुम उसे मेरे कमरे में ले कर आओगी और मुझे उसी तरह से उससे चुदवाओगी, जिस तरह से तुमने मुझको आशीष से चुदवाया था.

उसने हां बोलने में एक मिनट भी नहीं लगाया, बोली- मैं रोज़ ही उसे तुम्हारे कमरे में भेज दूँगी यार.. तुमसे क्या छिपाना.. उसका लंड बहुत मस्त है. एक बार चुद लिया ना.. तो फिर किसी और से चुदने का नाम नहीं लोगी.
मैंने कहा- वो तो देखूँगी मगर पहली चुदाई मेरी तुम अपने सामने नंगी हो कर उसी तरह से उससे अपनी चुदाई करवाओगी, जैसे उस दिन आशीष से करवाई थी. उसे समझा देना कि कैसे कमरे में आना है.
बिंदु बोली- ओके रात को दस बजे मस्त लौड़े से चुदने के लिए पूरी तैयार रहना.
मैंने कहा- अभी बुलाओ… मैं तो अभी तैयार हूँ.
वो हंस कर बोली- यार मेरी ग़लती थी कि मैंने तुमसे उसका लंड शेयर नहीं किया. खैर ऐसी ग़लती दुबारा नहीं होगी.

रात तो दस बजे मैं पूरी नंगी हो कर अपने रूम में बैठी थी और बिंदु अपने साथ जगत को लाई. वो दोनों भी पूरे नंगे ही थे. जगत का लंड जो पूरा लौड़ा बन कर आसमान को देख रहा था.. कम से कम आठ इंच लंबा और तीन इंच मोटा था.

इससे पहले कि बिंदु कुछ करती या कहती, वो मेरी चुत पर उस लोमड़ी की तरह टूट पड़ा, जैसे कि मेरी चुत ना हो वो कोई मांस का टुकड़ा हो. उसने बुरी तरह से चुत को चूसा, इसके बाद बोला- मैं तो आपकी चुत का दीवाना उसी दिन हो गया था, जिस दिन बिंदु के यहाँ आया था. मगर डरता था कि कहीं कोई ऐसी बात ना हो जाए, जिससे मुझे यहाँ से बाहर का रास्ता देखना पड़े.

मैंने कहा- नहीं, अब अन्दर का ही रास्ता है और हमारे घर से बाहर का नहीं मिलेगा.
वो सवालिया नजर से देखने लगा.

मैं अपनी और बिंदु की चुत को दिखा कर बोली- यहाँ जो अन्दर एक बार घुस जाता है, वो फिर अपनी मर्ज़ी से नहीं जाता और अगर उसका अन्दर जाना पसंद आ गया तो कोई भी उसे बाहर का रास्ता नहीं दिखा सकता.
इतना सुनते ही उसने मुझे धक्का देते हुए लिटा दिया और अपने खड़े हुए लंड को एक ही झटके में मेरी चुत में घुसेड़ दिया. उसका आठ इंच लंबा मेरी चुत में पहली बार गया था इसलिए मेरी चीख निकल गई. मगर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

बिंदु उसको उकसा रही थी- चोद साली को, कोई रहम नहीं करना जगत इस चुत पर.. साली बहुत बड़ी चुदक्कड़ है पूरा लौड़ा गटक जाती है.. ज़रा सा भी बाहर नहीं रहने देगी. इसे अच्छी तरह से रगड़ रगड़ कर कस कस के धक्के मारियो.. तब इसकी तसल्ली होगी.

जगत तो शायद मेरा नाम सुन कर ही हवा भर रहा था, वो कहाँ अब रुकने वाला था, वो बोला- आह.. बिंदु तुम देखती जाओ आज जब तक ये खुद नहीं कहेगी कि जगत मेरी चूत अब तुम्हारी गुलाम है, तब तक अपना लंड इसकी चूत से नहीं निकालूँगा.

उसने सही कहा था.. आठ इंच लंबा और तीन इंच मोटा लंड मेरी चुत में फंस फंस कर जा रहा था और जगत बुरी तरह से चुत को ठोक रहा था.
मैंने कराहते हुए कहा- जगत मेरी चुत सच में तुम्हारी गुलाम बन गई है.. तुम जब चाहो इस पर चढ़ जाना.. मगर अब इस पर कुछ रहम करो वरना मेरी चूत रो पड़ेगी.
उसने मेरे दूध चूसते हुए कहा- ठीक है अभी इसका पानी निकलेगा, तब मैं तुमको छोड़ कर बिंदु पर चढ़ जाऊंगा.
मैंने कहा- नहीं तुम अभी ही निकाल लो इसको.. बिंदु की चूत में ही अपना पानी निकलाना.

उसने मेरा कहना मान लिया और मेरी चूत से अपना मोटा मूसल लंड निकाल कर फट से बिंदु की चूत में फंसा दिया.
अब जगत हम दोनों की चूत को ठंडा करने लगा. इस तरह अब मेरी रातें रंगीन होने लग गईं.

उस दिन के बाद जब भी मेरी चुत गरम हो जाती थी, मैं जगत को मैसेज कर देती थी और वो मेरे रूम में अपना खड़ा हुआ लंड ले कर आ जाता था. जब वो चुदाई करता था तो बहुत आराम से शुरू करता था और करते करते पूरा जंगली हो जाता था. वो पहले आते ही मेरे माथे, होंठों और गालों पर किस करता था, फिर मम्मों को बहुत ही जोर जोर से दबाता था, इस तरह से कि उनकी घुन्डियां बाहर निकल कर खड़ी हो जाती थीं.

फिर वो निप्पलों को मुँह में लेकर कभी चाटता था, कभी काटता था कभी उंगलियों से मरोड़ देता था. जब वो यह सब करता था तो मेरी चुत में हलचल शुरू हो जाती थी. उस समय चुत को सिवाए लंड के कुछ और नज़र नहीं आता था. मगर जगत अपना लंड चुत में डालने की कोई जल्दबाज़ी नहीं करता था. वो मेरी चड्डी के अन्दर भी हाथ मार कर चुत में उंगली डाल कर, फिर उसके रस को, जो उसकी उंगली पर चिपक जाता था, कभी खुद चाटता था, कभी मुझे चटवाता था. फिर मुझे पूरी नंगी करके चुत के दाने को मसलता था और उसको दांतों से नहीं, बल्कि अपने होंठों से दबा दबा कर काटता था.

कुछ देर बाद वो मेरी चुत के होंठों को जितना भी फैला सकता था, फैला कर अपनी ज़ुबान उस में घुमाता था. कई बार ऐसे समय में मेरा मूत भी निकल जाता था मगर वो मुझे उठने नहीं देता था और मेरा मूत भी हजम कर लेता था. तब तक मेरी चुत इतनी गरम हो चुकी होती थी कि वो लंड के लिए भीख मांगती थी. उस समय उसका 8 इंच लंबा लंड भी मेरी चुत बहुत आराम से घुस जाता था. मैं भी उसके मूसल लंड से हिल हिल कर और चुत को उछाल उछाल कर चुदती थी.

मुझे नहीं पता था कि वो कुछ दिनों के लिए अपने टाउन में जाने वाला है. मगर जाने से पहले रात उसने मेरी जम कर चुदाई की और उस समय उसका लंड जो 15-20 मिनट में पानी छोड़ देता था, उस दिन 45 मिनट के बाद भी उसका पानी नहीं निकला. इतनी देर तक चुदवाते हुए मेरी चुत का बहुत बुरा हाल हो चुका था.

मैंने उससे पूछा- आज क्या किया है अपने लंड को.. चुत को छोड़ ही नहीं रहा है.
वो बोला- क्योंकि मैं कल कुछ दिनों के लिए जा रहा हूँ, इसलिए आज एक खास गोली खाई है, जिससे तुम्हें और बिंदु को पूरी तरह से चोद कर मस्त कर दूं. तुम बताओ तुमको मज़ा आ रहा है ना.
मैंने कहा- हां आ रहा था मगर अब नहीं कर यार.. अब मेरी चुत थक चुकी है. तुम इसको मेरी चूत से जल्दी से निकालो.
वो बोला- मगर जब तक यह पानी निकाल कर ढीला नहीं होता, तब तक मैं लंड बाहर निकाल कर क्या करूँगा.
मैंने कहा- तुम बिंदु को बुला कर उसकी चुत पर चढ़ जाओ.

जब मैंने देखा कि वो आना कानी कर रहा है तो मैंने ही बिंदु को फोन लगा कर कहा कि जल्दी से चुदाई के लिए तैयार हो कर मेरे कमरे में आ जाओ.

मेरी इस रसभरी चुदाई की कहानी पर आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी.
पूनम चोपड़ा
[email protected]
ये रसभरी चुदाई की कहानी जारी है.

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