सगी बहन की सील पैक चूत मारी
(Sagi Bahan Ki Seal Pack Chut Mari)
हैलो दोस्तो.. मैं रोनक शाह हूँ.. और अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है जोकि पूरी तरह सच्ची है। मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ.. राजस्थान में कहाँ का.. यह नहीं बता सकता.. क्योंकि मेरे कई दोस्त अन्तर्वासना पर आते है- और मैं नहीं चाहता कि उन्हें मेरे बारे में यह मालूम हो। मैं 26 साल का पूर्ण रूप से स्वस्थ लड़का हूँ.. 5’10” की लंबाई है मेरी.. और कसरती जिस्म है।
मैं अपने परिवार के बारे में भी ज़्यादा नहीं बता सकता हूँ.. इसलिए मुख्य चरित्रों के बारे में ही बता देता हूँ।
यह सच्ची कहानी है मेरी और मेरी बहन की..
इसकी शुरूआत तब हुई.. जब मैं जवान होने लगा था। तब मैं पढ़ता था और वो भी पढ़ाई कर रही थी।
हमारे परिवार में सभी एक साथ ही सोते थे, मैं अक्सर रात में बहन के सो जाने के बाद उसके बदन को छूता था। धीरे-धीरे उसके बोबे दबाता था और उसको अपने से चिपका कर सो जाता था।
उस उम्र में उसकी नींद बहुत पक्की थी। लेकिन मुझे उस उम्र में यह नहीं पता था कि हथियार कहाँ डाला जाता है। मतलब लड़की के आगे के छेद में या पीछे गाण्ड के छेद में..
तब मैं उसकी पक्की नींद का ज़्यादा फ़ायदा नहीं उठा पाता था। ज़्यादा से ज़्यादा उसकी पैन्टी में हाथ डाल देता था.. वो उस समय मुझसे एक क्लास पीछे थी.. उसकी चूत पर बाल भी आ गए थे। उसकी झाँटों के बाल बहुत मुलायम थे.. शायद वे नए-नए आए थे।
मैं लगभग 2-3 दिन में एक बार उसके साथ रात में ऐसा करता था..
वो पूरी जवान नहीं हो गई.. उसके बाद भी सोते तो हम साथ ही थे पर उसकी नींद अब इतनी पक्की नहीं थी। अब मैं जैसे ही उसको छूता.. और थोड़ी देर बोबे दबाता, वो नींद से जाग जाती.. और मेरा हाथ हटा देती.. फिर मैं भी सो जाता लेकिन उसने कभी घर वालों से नहीं बोला।
उसके बाद मेरी शादी भी हो गई.. शादी के 3 महीने बाद मेरी पत्नी अपने घर गई.. यह कहानी तभी की है..
उस रात मैं और मेरी बहन एक ही बिस्तर पर सो रहे थे। वो पिछली रात भी मेरे साथ अकेले इसी बिस्तर पर थी.. पर तब मैंने गौर नहीं किया था।
आज रात मेरी नींद रात में खुल गई, मैं उठा.. पानी पिया.. और वापस आकर लेटा। मैंने देखा कि पास में मेरी बहन बेसुध सो रही थी और उसने लॉन्ग स्कर्ट पहने हुई थी.. जोकि उस समय आधी जाँघ तक चढ़ गई थी।
अब नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। मेरी वाइफ को गए 10 दिन हो चुके थे.. और हमारी नई-नई शादी ही हुई थी। मुझे हर रात सेक्स करने की आदत पड़ गई थी.. और पिछले 10 दिन से मेरे शेर ने कुछ खाया नहीं था। उस कमरे में मेरे और उसके सिवा कोई नहीं था.. बाकी सब लोग नीचे के कमरों में सो रहे थे।
मेरे ऊपर नशा सा होने लगा.. मैं धीरे-धीरे उसके पास गया और नींद में होने का नाटक करके धीरे से अपना हाथ उसके एक बोबे पर रख दिया।
कम से कम 2 मिनट तक मैंने हाथ हिलाया भी नहीं.. यूँ ही रखे रहा।
फिर धीरे-धीरे हाथ को उसके चूचे पर दबाने लगा। मुझे लग रहा था कि वो हाथ रखते ही जाग जाएगी.. पर वो नहीं जागी।
मेरी बहन देखने में बहुत ही अच्छी लगती है.. पर आज तक उसका किसी से कोई चक्कर नहीं रहा।
मैंने थोड़ी और हिम्मत की और थोड़ा ज़ोर से दबाने लगा.. फिर रुक गया और दूसरे बोबे पर हाथ रख कर उसको दबाने लगा।
अभी मैंने चूचा दबाना शुरू ही किया था कि वो जाग गई.. और मेरा हाथ अलग करके ठीक से करवट लेकर सो गई।
मैंने भी सोचा अब मैं भी मुठ्ठ मार कर सो जाता हूँ। फिर सोचा इससे अच्छा मौका फिर कहाँ मिलेगा.. मैंने बहुत सोचा कि एक बार इससे पूछ ही लेता हूँ, उम्र तो इसकी भी हो गई है.. घर वालों को बोलना होता.. तो पहले ही बोल देती।
सब सोच-समझ कर मैंने उसे आवाज़ दी, उसने पहली आवाज़ में ही जवाब दिया- क्या है? और तू क्या कर रहा है मेरे साथ?
मैंने कहा- सॉरी.. मुझे ध्यान नहीं था कि तू सो रही है।
मैंने थोड़ा रोने जैसा होने का नाटक किया और बोला- ऐसा फिर कभी ऐसा नहीं होगा।
उसने मुझे ऐसा करते देख मेरी तरफ करवट ले ली और बोली- कोई बात नहीं इस उम्र में ऐसा हो जाता है।
मैंने कहा- आज तेरी भाभी भी नहीं है इसलिए मैं बहक गया था।
उसने कहा- कोई बात नहीं.. सो जाओ।
फिर वो भी सोने लगी.. मुझे लगा यह क्या.. सब खेल खत्म..!
फिर मैंने बहुत हिम्मत करके उसे फिर आवाज़ दी.. तो उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने पूछा- क्या मैं तुझे एक बार छू सकता हूँ?
तो वो बोली- कैसी बात कर रहा है? मैं तेरी बहन हूँ..
मेरी आवाज़ काँप रही थी.. मैंने उससे कहा- प्लीज़..
उसने साफ़ मना कर दिया और रोने लगी।
थोड़ी देर बाद चुप हुई तो मैंने कहा- सिर्फ़ छूना ही है.. और कुछ नहीं करूँगा।
उसने फिर से साफ़ मना कर दिया और फिर से रोने लगी।
अब मैं भी थोड़ा रोते हुए बोला- मैं तुझे बचपन से पसंद करता हूँ.. इसलिए कह रहा हूँ.. सिर्फ़ एक बार छूना है।
फिर उसने कोई जवाब नहीं दिया.. मैंने फिर कहा.. तो उसने कहा- मेरे हाथ को छू ले.. और सिर्फ़ छूना ही..
इतना बोलते ही वो उस तरफ करवट कर रोने लगी.. मैं उससे चुप कराने के लिए उसके कंधे और हाथ पर हाथ रख सहलाने लगा। उसने कोई आपत्ति नहीं की तो मैं थोड़ा आगे खिसक कर उसकी गर्दन पर अपनी गर्म साँसें छोड़ने लगा।
वो और ज़ोर-ज़ोर से सुबकने लगी और उठ कर जाने की कोशिश करने लगी.. पर मैंने जाने ना दिया और उसे अपनी तरफ खींच कर धीरे-धीरे सहलाने लगा।
जब उसने रोना थोड़ा कम किया.. तो मैं मुँह पास ले जाकर उसके कंधे और गर्दन पर होंठों से किस करने लगा। वो फिर रोने लगी.. पर मैंने अपना खेल जारी रखा और उसके कान पर जीभ से चाटने और काटने लगा। लगभग 15 मिनट तक ऐसा करने के बाद धीरे से हाथ आगे उस के बोबे पर ले गया.. तो उसने मना कर दिया।
मैंने ज़्यादा ज़बरदस्ती करने की कोशिश नहीं की और उससे चिपक कर अपने हथियार को उसकी गाण्ड पर महसूस करवाने लगा और धीरे-धीरे हिलकर उसको मनाने लगा।
फिर मैंने कहा- एक बार छूने दे.. फिर कुछ नहीं करूँगा..
तो वो बोली- इतना तो छू लिया..
मैंने कहा- बोबे को छूने दे.. फिर कुछ नहीं करूँगा।
उसने कुछ नहीं कहा तो मैं धीरे से हाथ आगे ले जाकर उसके मम्मे सहलाने लगा.. वो भी धीरे-धीरे.. ताकि उससे दर्द ना हो और वो कहीं चूची मिंजवाना मना ना कर दे।
मैं देख रहा था कि जब मैं उसके मम्मों को सहला रहा था.. तब वो आँखें बंद करे पड़ी रही थी.. मतलब वो मज़े ले रही थी। फिर मैंने थोड़ी ज़ोर से सहलाना शुरू किया और फिर उन्हें दबाना भी.. अब वो मना नहीं कर रही थी और आँखें बंद करके मज़े ले रही थी।
मैंने उसके कंधे को पकड़ कर उससे सीधा लिटा दिया.. उसने कोशिश तो बहुत की लेकिन सीधे नहीं लेटने की.. लेकिन मैंने उससे सीधे लेटते ही अपना पैर उसकी जाँघों पर रख दिया और उसको दबोचे रखा।
फिर से मैंने उसके मम्मों को दबाना चालू किया और इस बार ज़ोर से दबाना और मसलना जारी रखा।
मैंने देखा वो बार-बार अपनी जीभ होंठों पर फिरा रही थी और ज़ोर-ज़ोर से साँस ले रही थी। मैंने देखा कि ज़ोर से दबाने के कारण उसका टॉप आधे पेट तक आ गया है.. उसकी आँखें बंद होने का फ़ायदा उठाने के लिए मैंने एक हाथ से टॉप को पकड़ा और एकदम से ऊपर कर दिया।
उसने एकदम से आँखें खोल दीं और हाथ से पकड़ कर मना करने लगी। उसने उस समय ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने सीधे अपना मुँह उसके मम्मों पर लगा दिया और चूसने लगा।
एकदम से उसके हाथ ढीले पड़ गए और वो ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी।
फिर मैंने मौका देख पूरा टॉप ऊपर किया और एक पूरे मम्मे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
उसके हाथ पता नहीं कब मेरे बालों में आ गए और वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी।
अब वो ‘उहह.. आहह..’ की आवाज़ निकालने लगी। उसके मम्मे मेरे मुँह में लेने से पहले उसने अपने दोनों पैरों को चिपका कर आपस में जकड़ रखे थे। लेकिन चूचा मुँह में आते ही उसने अपने पैर खोल दिए और हवा में उठा कर मेरे हथियार को अपने दाने से मिलने के लिए जगह दे दी। साथ ही नीचे से अपने चूतड़ों को हिला-हिला कर मेरे हथियार से रगड़ने लगी।
मुझे लगा लोहा गरम है.. यही ठीक समय है..
मैंने एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी स्कर्ट को पूरा ऊपर तक कर दिया, अब उसकी पैन्टी नज़र आने लगी थी।
पैन्टी आगे से पूरी गीली हो रही थी और किसी पाव रोटी की तरह फूली हुई थी।
मेरा जो हाथ उसकी स्कर्ट खोलने गया था उसी हाथ से मैंने उसकी पैन्टी भी नीचे सरका दी।
अब उसके नीचे के कपड़े खुल चुके थे और अपने कपड़े तो मैं पहले ही खोल चुका था।
मैंने ज़्यादा देर ना करते हुए उसके ऊपर आकर अपने हथियार को उसके छेद पर लगाया और रगड़ने लगा।
मुझे पता था माल सील पैक है.. इसलिए मैं ज़्यादा दर्द देना नहीं चाहता था.. तो मैंने मुँह में ढेर सारी लार बनाई और उसको अपने हथियार पर और उसकी बुर पर लगा दी।
फिर मैंने देर ना करते हुए उसे सही से लिटाया.. ताकि वो दर्द होने पर ज़्यादा हिल ना सके।
फिर लण्ड को चूत के निशाने पर लगा दबाने लगा.. जैसे ही मेरा सुपारा थोड़ा अन्दर गया.. वो छटपटाने लगी।
मैंने सोचा ऐसे तो यह नाटक करेगी.. फिर एक मिनट रुका और इस बार निशाने पर लौड़ा लगा कर एक ज़ोर का धक्का मारा.. आधा लण्ड अन्दर घुस गया था और वो बुरी तरह चिल्लाने लगी।
मैंने मेरी सुहागरात को भी ऐसे ही किया था.. एकदम झटके से अन्दर डाल दिया था।
मैं उसके ऊपर गिर गया और पहली बार उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए, मैं उसे किस करने लगा।
अभी उसे चूमते हुए आधा मिनट भी नहीं हुआ कि मेरा नीचे का शरीर हरकत में आ गया।
मैने एक और झटका मारा.. इस बार पूरा अन्दर घुस गया था। वो उठने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मैंने दबाए रखा और किस करता रहा।
कुछ देर बाद शान्त हुई तो मैंने लण्ड अन्दर-बाहर करना चालू किया। शुरू के 20-25 बार लौड़ा अन्दर-बाहर करने पर वो रोने लगी और मना करने लगी.. पर उसके बाद मजे लेने लगी।
कुछ देर बाद मैंने धक्के तेज किए और उससे पूछा- एमसी कब आई थी?
उसने कोई 22 दिन पहले की तारीख बताई.. तो मैंने कहा- ठीक है रास्ता साफ़ है.. अब पानी भी पी ले..
मैंने धकापेल करते हुए उसकी चूत के अन्दर ही माल गिरा दिया और दोनों पसीने-पसीने होकर.. चिपक कर पड़े रहे।
कुछ देर बाद उठे.. वो बाथरूम गई उससे चलने में दिक्कत हो रही थी।
मेरी बहन बाथरूम से वापस आई.. मैं बाथरूम गया.. बाथरूम से आने के बाद उसने मुझे चादर दिखाई।
मैंने कहा- पहली बार में ऐसा होता है।
मैंने चादर धोने के टब में डाल कर उसमें पानी भर दिया।
अब हम दोनों फिर से एक-दूसरे के साथ खेलने लगे।
फिर चुदाई.. अगले दिन भी चुदाई.. जब तक बीवी नहीं आई खूब चुदाई हुई.. जो आज तक जारी है।
यह मेरी रियल कहानी आपको कैसी लगी ज़रूर बताना। अगर किसी भाई को अपनी बहनचोद ने मेरी राय चाहिए हो.. तो मुझे ज़रूर बताना.. या किसी बहन को अपने भाई से चुदने में मेरी राय चाहिए हो.. तो ज़रूर पूछें!
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