पहले प्यार का पहला सच्चा अनुभव-2
(Pahle Pyar Ka Pahla Sachha Anubhav- Part 2)
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कोमल उठ कर बाहर सोने चली गई तो मैं भी सो गया।
सुबह जब मेरी नींद खुली तो 7:30 बज चुके थे और कोमल तो पहले ही उठ चुकी थी।
मैंने सबसे पहले कोमल को पूछा- रात को किसी को कुछ पता तो नहीं चला?
कोमल बोली- नहीं, किसी ने कुछ नहीं कहा!
मैंने कहा- ओ के!
कुछ तो शांति मिली।
मैंने फ्रेश होकर नाश्ता किया और शॉप पर चला गया। आज फिर वही हाल था, मन नहीं लगा बिल्कुल भी! ऐसे लग रहा था जैसे जेल हो गई हो, वक्त रुक गया हो!
जैसे तैसे दिन ख़त्म हुआ और शाम को 8 बजे मैं घर पहुंचा, तो सब खाने के लिए तैयार थे और खूब हसीं मजाक भी कर रहे थे, सब खुश थे, कोमल तो हम में बिल्कुल घुलमिल गई थी।
सबने खाना खाया, खूब हसीं मजाक किया और मैं सोने के लिए अपने कमरे में आ गया।
कोमल मम्मी और बहन के साथ सब काम निपटा कर मेरे कमरे में आई, बोली- अजय, आपको एक बहुत बड़ी खुशखबरी देनी है! मैंने भी उत्सुकता से पूछा- क्या खुशखबरी है, जल्दी बताओ?
उसने कहा- इतनी भी क्या जल्दी है, बता दूंगी!
मैंने कहा- प्लीज़ बताओ ना?
कोमल ने कहा- आज मुझे आपके पास सोने की पूरी परमिशन मिल गई!
मैंने कहा- वो कैसे?
वो बोली- दीदी ने मम्मी जी को कहा कि हमें एक पलँग पर नींद नहीं आती, हम दोनों तंग होती हैं, और गर्मी भी लगती है।
मम्मीजी ने मुझसे पूछा- कोमल, तू अंदर सो जाना अजय के पास?
मैंने कहा- ओ के मम्मी जी!
वो मेरी मम्मी को मम्मी ही कहती है।
मुझे यह सुन कर बहुत ख़ुशी हुई और कोमल मेरे पास सोने के लिए आ गई।
हम दोनों ने कुछ देर टीवी देखा, बातें की और सबके सोने का इंतजार करने लगे। अब दस बज चुके थे, मैं बाहर वॉश रूम गया और देख भी आया कि सब सो गए क्या।
सब कुछ ओके था।
अंदर आते ही मैं कोमल से लिपट गया और किस करने लगा, आज तो सारी रात मेरी थी, मन में वो ख़ुशी थी कि ब्यान नहीं कर सकता।
कोमल के नर्म नर्म होंठ मेरे होंठों में थे, मैं खूब रसपान कर रहा था, कोमल भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी। क्या आलम था… क्या समय था… जिंदगी का भरपूर आनन्द आ रहा था।
कभी कोमल की जुबान मेरे मुँह में तो कभी मेरी जुबान कोमल के मुँह में… लग ही नहीं रहा था कि हमारे शरीर अलग अलग हों, सारी दुनिया का मजा, सारी कायनात हम में समा गई हो!
अब तो मेरा सारा शरीर कोमल के शरीर ऊपर आ गया था, कोमल मेरे शरीर का भार अपने शरीर पर तोल रही थी।
फिर मैंने कोमल की चुची उसके शर्ट के ऊपर से ही हल्के हल्के से दबानी शुरू की, हल्की सी सिस्कारी के साथ हल्का सा विरोध शुरू हुआ, पर वो तो एक नाटक था, कोमल को खूब मजा आ रहा था।
फिर मैंने शर्ट को ऊपर उठाना शुरू किया तो एक बार तो कोमल ने मेरा हाथ पकड़ लिया लेकिन मैंने हल्का सा गुस्सा दिखाया तो कोमल ने अपना हाथ ढीला छोड़ दिया, यानि अब उसे कोई एतराज नहीं था।
फिर मैंने कोमल को बिठाया, उसकी बाजू ऊपर की और उसका शर्ट उसके बदन से अलग कर दिया। उसने नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी।
मैंने कोमल के बालों को खोल कर उसके वक्ष पर फ़ैला दिया।
यह नजारा देखा तो मेरे मुख से आह सी निकली!
क्या हुस्न था, क्या जवानी… गोरा चिट्टा रंग… उस पर गहरे काले रंग के लम्बे बाल जो उसके हिप्स तक लम्बे थे, एकदम स्पाट चिकना बदन, न कोई दाग, ना कोई धब्बा, बस उसके छोटे छोटे चूचुक हल्के ब्राउन रंग के… क्या गजब ढा रहे थे!
आये होये… यार क्या कलि थी… एकदम गुलाब के अधखिले फूल की तरह!
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मैं कोमल को कुछ पल के लिए ऐसे ही सामने बिठा कर देखता रहा, निहारता रहा। मैं इस वक्त एक भी पल को जाया नहीं जाने देना चाहता था क्योंकि ऐसे पल जिंदगी में एक बार ही आते हैं, जो आनन्द पहली बार आता है वो दोबारा नहीं आ सकता चाहे आप कितनी भी सुन्दर लड़की से सेक्स कर लो!
इसी तरह मैं भी एक एक पल को मोतियों की तरह पिरो कर अपने अंदर समा रहा था और हर एक पल का भरपूर आनन्द लेते हुए यादगार बना रहा था।
मैंने कोमल की चुची को अपने हाथों से छुआ और दबाने लगा तो कोमल की आँखे बंद होने लगी और उसकी सिसकारी निकलने लगी ‘हाआ हाओ होआ हां याहो हय अहा…’
फिर मैंने कोमल को नीचे लेटाया और खुद उसके ऊपर आ गया और कोमल की एक चुची को अपने मुँह में लिया और एक को अपने हाथ से दबाने लगा। अब तो कोमल छटपटाने लगी, तड़पने लगी, उसका हर अंग हरकत कर रहा था मानो जैसे किसी मछली को पानी से निकाल कर बाहर फेंक दिया हो!
कोमल सिसकारियां भी बहुत तेज ले रही थी- अय्य… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आईईईई ईईईई, ऊऊऊ युयुयु ऊऊऊयू हाआआ अहा हह औय्या शहस हेहः ओह आह आहः
अब तो मुझ से भी बरदाश्त नहीं हो रहा था, मैंने कोमल की सलवार खोलना चाही, मैंने जैसे ही कोमल का नाड़ा पकड़ा तो कोमल एकदम मुझ से अलग हो गई और अधखुले नाड़े को सही करने लगी।
मुझे भी एकदम झटका सा लगा मानो हमारे बीच कोई आ गया हो, मैंने पूछा- कोमल क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं!
वो नखरे से करने लगी- ये… वो… ठीक नहीं! कुछ हो जायेगा ! पता चल जाएगा!
फिर मैंने भी गुस्सा होते हुए उसे कहा- ठीक है हम कुछ नहीं करते, जा जा बाहर जाकर सो जा! मुझे भी कुछ नहीं करना! नींद आ रही है।
अगर वो भाव दे सकती है तो मैं क्यों नहीं! मैं पूरे गुस्से में उसे जाने के लिये कहने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
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