पहले प्यार का पहला सच्चा अनुभव-1
(Pahle Pyar Ka Pahla Sachha Anubhav- Part 1)
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मेरा नाम अजय है, मैं अन्तर्वासना साइट का बहुत समय से नियमित पाठक हूँ अन्तर्वासना एक बहुत अच्छी हिंदी सेक्स स्टोरी साइट है जिसके माध्यम से हम अपने साथ घटित घटनाएँ सबके साथ शेयर कर सकते हैं जिससे हमें बहुत संतुष्टि मिलती है, हम अपने आप को बहुत रिलैक्स फील करते हैं।
मैं हरियाणा के फतेहाबाद जिला से हूँ, मैं आप लोगों को अपनी एक सच्ची घटना से बताने जा रहा हूँ।
मैं एक छोटे से गरीब, साधारण से परिवार से हूँ, मेरे परिवार में मैं मेरे पापा, मम्मी, दो बहनें है गरीबी के कारण छोटी सी उम्र में ही मेरी पढ़ाई छूट गई थी जिस कारण मैं नाममात्र ही पढ़ पाया हूँ पर नॉलेज अच्छी है।
गरीबी की वजह से ही मैं छोटा सा काम करने लग गया था।
बात करीब 10 साल पहले की है जब मैंने बचपन से निकल कर जवानी की दहलीज पर कदम रखा रखा था, हट्टा कट्टा जवान सुन्दर, हाइट भी अच्छी है, बदन भी अच्छे से भरा हुआ और मेरे लंड का साइज भी ठीक है 6″ और मोटाई 2.5″ जो न तो छोटा है और न ही बड़ा और हर उम्र की औरत को संतुष्ट करने के लिए काफी है।
इस उम्र में किस चीज की भूख लगती है यह तो आप सबको मालूम ही होगा, मेरा भी यही हाल था, वैसे तो मुझे सेक्स करने के बहुत से मौके मिले जिसमें अच्छी अच्छी लेडीज़ से लेकर लड़कियों के थे और एक बार नहीं, बहुत बार मिले पर नादान उम्र थी, डर लगता था, गांड फटती थी कि कहीं घर न पता लग जाये, ये न हो जाये, वो न हो जाये!
बस इसी डर से अपने आप को मुठ मार कर ही संतुष्ट कर लिया करता था, इसमें भी काफी आनन्द मिलता था पर औरत सुख तो औरत सुख ही होता है और औरत सुख के बगैर तो कोई जिंदगी ही नहीं कोई सुख ही नहीं, कोई मजा ही नहीं!
यह बात वो सभी लोग अच्छे से जानते हैं जो इससे वंचित हैं।
मेरी सेक्स स्टोरी मेरी आंटी की लड़की के साथ है, जो पंजाब से है, मेरी दूर की कजन है।
लड़की पंजाब से है तो आपको पता ही होगा दोस्तो, उसका फिगर तो बिल्कुल परफेक्ट होगा। मेरी कजन का नाम कोमल है, है भी बिल्कुल कोमल… बचपन के खेल खेलने के बाद अब जवानी में प्रवेश करने जा रही थी, बदन भरने लगा था, पतली सी कमर, मासूम सा चेहरा, नाजुक से पंखुड़ियों जैसे होंठ, पतली लंबी सुराही जैसी गर्दन, हल्की सी उभरी हुई गांड और सीने पर कच्चे आम की तरह पकने को तैयार उसकी चुची क्या गजब लगती थी, फिगर एकदम परफेक्ट 30 28 30 के आसपास, लंबे काले घने बाल जिन पर वो सबसे ज्यादा ध्यान देती थी।
हमारे आंटी के साथ बहुत अच्छे रिलेशन है, हम लोगों को जब भी टाइम मिलता है तो एक दूसरे के घर जरूर आते जाते हैं।
बात गर्मी की छुट्टियों की है, जब आंटी मेरी कजन और उसका छोटा भाई विवेक हमारे घर 8-10 दिनों के लिए आये थे।
हम सब लोग बहुत खुश थे। मैं कोमल को एक लम्बे अरसे बाद देख रहा था, उसे देखते ही अचंभित हो गया क्योंकि उसका शरीर पहले के मुकाबले तो बहुत ही सुन्दर हो गया था।
फिर हमारी नजरें मिली और नजरों नजरों में ही एक दूसरे का हाल जान लिया। कोमल और मेरे बीच में पहले से ही बहुत अच्छा प्यार था पर गलत नजरिये का नहीं!
पर आज कुछ दिल में एक हलचल सी हुई जो पहली बार हुई, अलग सा महसूस हुआ।
रात हुई, सबने खाना खाया, कुछ बातें हुई और सोने की तैयारी करने लगे!
गर्मी थी तो सब लोग बाहर सोते थे, बस मैं ही अंदर सोता था, मुझे टीवी देखने का शौक था इसलिए आज मेरा दिल न जाने क्यों पुकार रहा था कि काश कोमल मेरे साथ अंदर सो जाए क्योंकि बचपन में तो हम हमेशा इकट्ठे ही सोते थे। आज ऐसा कुछ नहीं हुआ, कोमल का बिस्तर भी बाहर लगा दिया, सब बाहर ही सो गए।
पर इससे पहले वो मेरे साथ अंदर टीवी देखने लगी, हमारी बातों का सिलसिला शुरू हुआ, बात तो सिर्फ नार्मल ही हुई कोमल की स्टडी के बारे में और घर बार काम काज के बारे में ही!
पर न जाने हम दोनों एक दूसरे से शर्मा रहे थे, ऐसा पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था पहले तो कोमल मेरे साथ जफ़्फ़ी डाल कर मिलती थी और मेरे गोद में भी आराम से बैठ जाया करती थी पर आज तो जैसे वो बहुत सिमटी सिमटी सी रही।
आज तो कोमल रिस्पेक्ट ही बहुत दे रही थी, हर बात पर ‘जी’ हर बात पर ‘आप’ कह कर बुला रही थी जैसे मैं उसका पति हूँ या कोई विशिष्ट व्यक्ति!
इसी तरह टाइम का पता ही नहीं चला, कब 12 गये थे।
अब कोमल ने मुझ से पूछा- अजय क्या मैं बाहर सोने चली जाऊँ?
ओए होए… क्या अदा थी यार… मर गया मैं तो कोमल पर! क्या एहसास था वो!
वो तो ऐसे पूछ रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति से कोई भी काम करने की परमिशन लेती है।
क्या फीलिंग आई यार… मजा आ गया!
टाइम ज्यादा हो गया था इसलिए मैंने हाँ में सर हिलाया, मन तो नहीं कर रहा था कि हाँ कहूँ पर कहना पड़ा।
और वो जाते जाते एक प्यारी सी स्माइल पास कर गई! आज तो कोमल की आँखों में एक अजीब सी चमक थी, आँखें लाल नजर आ रही थी।
कोमल चली गई और मैं भी सो गया।
जब मैं सुबह उठा तो सब उठ चुके थे, 7 बज चुके थे। आज आंटी और विवेक ने आगे रिश्तेदारी में जाना था और कोमल को हमारे पास रहना था जिससे मैं बहुत खुश था।
मैंने फ्रेश होकर नाश्ता किया और शॉप पर चला गया। मेरा शॉप पर मन नही लगा, बस जल्दी से शाम होने की इन्तजार करने लगा।
शाम हुई, मैं घर पहुँचा तो सब लोग बहुत खुश थे और खाने की तैयारी कर रहे थे। सबने खाना खाया, बातें की और सोने की तैयारी करने लगे।
कोमल कुछ टाइम के लिए टीवी देखने अंदर आ गई कुछ देर हमने बातें की फ़िर माँ ने कोमल को आवाज लगा ली सोने के लिए, मैंने कोमल को कहा- तू बाहर जा कर सो जा अभी, सब सो जाएँ तो उठ कर आ जाना, बातें करेंगे।
कोमल की आँखों में चमक सी आ गई उसका चेहरा जैसे खिल सा गया हो वो खुश नजर आ रही थी। उसने हाँ में सर हिलाया और ओके बोल कर चली गई।
फिर मैंने टीवी ऑफ़ किया और सो गया।
शायद एक या दो घंटे बाद कोमल दबे पांव अंदर आ गई और मेरे पास आकर लेट गई। पता तो मुझे चल ही गया था पर मैं ऐसे ही लेटा रहा, कोमल भी कुछ न बोली तो मैंने उससे पूछा- आ गई? सब सो गए?
उसने कहा- हाँ!
फिर मैंने सबसे पहले कोमल को समझाया कि अगर सुबह आपसे कोई पूछे की अंदर क्यों चली गई तो कह देना कि मुझे नींद नहीं आ रही थी, गर्मी लग रही थी इसलिए मैं अंदर चली गई।
कोमल ने कहा- ओके, मैं कह दूंगी।
मैं कोमल के और पास आ गया बिल्कुल उसके चेहरे के नजदीक, उसकी सांसों को मैं पूरा महसूस कर रहा था।
फिर मैंने हल्के स्वर में पूछा- कोमल, क्या तुम मुझे पसंद करती हो?
कोमल ने कोई जवाब नहीं दिया, बस चुपचाप ऐसे ही लेटी रही।
मैंने कोमल से एक बार और पूछा, कोमल ने फिर कोई जवाब नहीं दिया, पता नहीं तो वो डर रही थी या फिर शरमा रही थी… पता नहीं जानबूझ कर ऐसा कर रही थी।
मैंने ऐसे ही करवट बदली और सोने का नाटक करने लगा। मुझे भी मालूम था कि इसके दिल में भी कुछ न कुछ तो जरूर है, अगर है तो यह मुझे जरूर उठायेगी।
पर ऐसा कुछ नहीं हुआ, काफी देर मैं ऐसे ही लेटा रहा, जैसे ही मैंने सोचा लास्ट बार और ट्राय कर लूं और मैं जैसे ही कोई एक्शन करता, कोमल ने मेरा हाथ हल्के से छुआ, मेरी जान में जान आई, मैं फिर भी ऐसे ही लेटा रहा।
फिर कोमल ने मेरे दोनों हाथों में हाथ डाल कर पूरी ताकत से मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मैं बिल्कुल उसके सीने पर आ गया और उसकी चुची मेरे सीने पर दबने लगी, उसकी गर्म गर्म सांसें मेरे चेहरे पर पड़ने लगी।
मैंने कोमल से वही सवाल किया- क्या तुम मुझे पसंद करती हो? क्या तुम मुझे प्यार करती हो?
कोमल ने अपनी पलकें झपकाई और हाँ में सर हिलाया पर बोली कुछ नहीं।
मैंने कोमल से कहा- क्या मैं किस कर लूँ?
मेरे ऐसा कहते ही कोमल शर्मा गई और आँखें बंद कर ली।
मैंने फिर यही सवाल किया, कोमल की आँखें अभी भी बंद थी और उसके होंठ कांप रहे थे, आवाज निकल नहीं रही थी, वो तो जैसे निश्चल पड़ गई हो!
वैसे तो वो तैयार थी और मैं अगर किस कर भी लेता तो वो मना नहीं करती पर फिर भी लड़की के मुख से हाँ निकलवाने का मजा कुछ और ही है। और उस लड़की का भी क्या मजा जो जाते ही सलवार खोल दे!
मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता।
मैंने कोमल से कहा- हां है या फिर मैं सो जाऊँ?
कोमल ने तुरन्त अपनी आँखें खोली और हल्की सी स्माइल पास की, अपनी पलकें झपकाई यानि वो भी सब कुछ चाहती थी!
ओये होये! क्या पल था वो… क्या सन्तुष्टि थी, जैसे मैं फ़ौज में जंग जीत कर आ रहा हूँ! क्या ख़ुशी मिली मैं बता नहीं सकता!
जिंदगी में पहले प्यार के साथ पहला अनुभव… सब कुछ पहली बार!
यह तो बस वही जान सकता है जिसके साथ पहली बार हो रहा हो!
ऐसे पल इंसान चाह कर भी नहीं भुला सकता, हमेशा याद रखता है।
मैं बहुत खुश था, मैंने अपने आप को कोमल से परे किया और साइड में लेट गया, एक गहरी सी साँस ली और भगवान का शुक्रिया अदा किया।
कोमल ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं!
फिर कोमल बोली- तो ऐसे क्यों अलग हो गए?
ऐसा पूछने में कोमल की आवाज में एक अलग सी बेसब्री की सी फीलिंग आ रही थी, जैसे कोई वो किसी चीज मिलते मिलते रह गई हो!
उसने दोबारा मुझे अपने ऊपर खींचा, अबकी बार कोमल ने मुझे थोड़ा सा जोर से भींच कर अपनी ऊपर खींचा जैसे कोई मुझे यह पूछ रही हो कि आपने मुझे ऐसे क्यों छोड़ा!
फिर मैंने भी प्यार जताते हुए कहा- ओ के जान, आई लव यू… आई लव यू… आई लव यू!
कोमल ने भी ‘आई लव यू टू!’ कहा और हम एक दूसरे से लिपट गए।
क्या पल था… क्या समय था… जब से होश संभाला, तब से चाह थी कि किसी प्यार करने वाली लड़की से लिपटूँ, किस करूँ, आज मुझे वो पल मिले!
मैंने अपने होंठ कोमल के नर्म नर्म गुलाब की पंखड़ियों से होंठों पर रख दिए और होंठों का रसपान करने लगा। एकदम झनझनाहट सी हुई दोनों के शरीर में कम्पकपी सी छुटी, एक अलग अनुभव… जो आज तक नहीं हुआ था, एक अलग सा मजा जिसका कोई नाम नहीं बस मुख से एक कामुक सी आवाज निकली- शीह आहः उम्म्ह… अहह… हय… याह… सीं हां हआ ओअहा आहः हा ओह
फिर मैंने अपनी जीभ को कोमल के मुँह में डाल दी और कोमल ने उसे खूब चूसा, फिर कोमल ने अपनी जीभ मेरे हवाले कर दी, मैंने जी भर कर कोमल की जीभ को चूसा।
उस समय हमें ये नहीं मालूम हो रहा था कि साँस ले कौन रहा है और छोड़ कौन रहा है क्योंकि आनन्द ही इतना आ रहा था जिसका कोई ठिकाना नहीं था।
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हमारी आँखे बंद हो गई, चाह कर भी नहीं खोल पा रहे थे हम दोनों!
धीरे धीरे मेरे हाथ अपने आप कोमल की चुची पर चले गए, मैं हौले हौले शर्ट के ऊपर से ही दबाने लगा और कोमल हल्का हल्का सा छटपटाने लगी और विरोध सा करने लगी पर मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की, अपना हाथ हटा लिया क्योंकि लड़की की मर्जी के खिलाफ कुछ भी करना गलत है।
अब कोमल उठ कर बाहर चली गई तो मैंने सोचा कि अब सोने में ही भलाई है।
कहानी जारी रहेगी।
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