वन टू थ्री फ़ोर मतलब चूत चुदाई
(One Two Three Four Matlab Choot Chudai)
नमस्ते दोस्तो… मेरा नाम प्रणय है.. उम्र 25 वर्ष, थोड़ा शर्मीला लड़का हूँ।
मैं महाराष्ट्र के अकोला जिले से हूँ और पुणे में जॉब करता हूँ..
मेरा 5’10” लंबा कद साढ़े पाँच इंच का लंड.. और साधारण जिस्म है।
यह कहानी मेरी और मेरी बुआ की लड़की की है.. उसका बदन 32-28-34 का होगा… उसकी उम्र 20 वर्ष है।
इस घटना से पहले मैंने किसी से संभोग नहीं किया था।
वो लड़की मुझे कुछ खास पसंद नहीं है.. पर पता नहीं उसमें क्या बात है कि देखते ही लंड उछलने लगता है और उसे पाने के लिए बेक़रार हो उठता है।
मैं उसके बारे में इससे पहले कुछ जिस्मानी सम्बन्ध के बारे में नहीं सोचता था.. पर उस दिन क्या हुआ पता नहीं और मैं उसकी तरफ खिंचा चला गया।
वो हमारे शहर में ही रहती है और घर पर आती है।
उसके घरवाले उसे ज्यादा कहीं जाने नहीं देते.. बस हमारे घर और मौसी के घर तक ही उसे जाने की इजाजत थी।
उन दिनों मैं पुणे से कुछ काम से निकल कर अपने गांव गया था।
वो मेरे घर आई और मेरे पास खाट पर बैठी टीवी देख रही थी और वो मेरे काफी नजदीक बैठी थी।
मैंने उसकी तरफ देखा.. आज वो माल लग रही थी।
मेरी नजर उसके तने हुए मम्मों पर ही जा रही थी।
मेरे अन्दर पता नहीं क्या हो रहा था और उसे छूने और चोदने का मन कर रहा था.. पर मेरी माँ सामने ही थी।
माँ बार-बार इस कमरे से उस कमरे में काम के लिए जा रही थीं।
मैंने मौका देख कर अपना पैर उसकी चूतड़ों से टच किया.. पर हिलाया नहीं…
मेरी फट तो रही थी, पर मेरा लंड मानने वालों में से नहीं था।
मेरे लवड़े को तो बस चूत की प्यास थी।
वो अब मुझे घूर कर देखने लगी तो मैंने पैर हटा दिया।
अब वो मेरे सर की तरफ खिसक कर बैठी ताकि मैं पैर से न छेडूँ.. पर उसे पता नहीं था कि उसने गलती कर दी है।
मैंने अब उसकी अंगूठी देखने के बहाने उसका हाथ पकड़ा और सहलाने लगा।
मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी पीठ पर रखा और सहलाने लगा।
उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. पर अच्छा लग रहा था।
तभी माँ ने कहा- मैं बाजार जा रही हूँ और बाजार से कुछ देर से आ पाऊँगी।
बस मेरी तो लॉटरी लग गई… अब उसने अपना हाथ छुड़ाया तो मैंने अपना दूसरा काम शुरू किया।
मैंने अपना हाथ उसके कपड़ों के ऊपर से ही पैरों से ऊपर जाँघों से कमर तक के भाग को हल्के से सहलाया.. पर उसने अपने दोनों हाथ मम्मों पर रख दिए और पैर सिकोड़ लिए।
मेरे ऊपर तो उसे चोदने का भूत सवार था… मैंने फिर हल्के से उसकी दाएं गाल पर चुम्बन कर दिया।
वो मुझे अजीब नजरों से देख रही थी।
उसकी नजर से मेरी फट गई कि न जाने वो क्या करेगी अब… पर हुआ कुछ नहीं… शायद वो वहीं बैठी रही।
मुझे समझ में आ गया कि इसे चोदने में ज्यादा पापड़ नहीं बेलने पड़ेंगे।
तो मैंने पूछा- चुम्बन कैसा लगा? बुरा लगा या कोई तुम्हें थोड़ा लाड़-प्यार करता है.. ऐसा लगा?
क्योंकि मेरी बुआ उस पर काफी प्रतिबन्ध लगाती थीं और वो बाहर किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी। उसके लिए प्यार का चक्कर तो दूर ही रहा।
वो बोली- अच्छा लगा।
पर वो जाने लगी… तभी मैंने उसका हाथ पकड़ा और रोक लिया।
अब उसे खाट पर बिठा कर उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपना हाथ उसकी जांघों पर रख दिया और कहा- मुझे तुमसे ‘वन टू थ्री फोर’ करना है।
वो बोली- ये क्या है?
मैंने कहा- गाल पर चुम्बन के बाद अब दूसरे पर.. फिर पहले पर फिर दूसरे पर.. हो गया न.. ‘1..2..3..4’
तो वो मना करने लगी।
तब मैंने उसके सामने जा कर अपने हाथ उसकी गर्दन के पीछे पकड़ लिए और चुम्बन करने लगा और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन सहलाने लगा।
वो विरोध कर रही थी तभी मैंने अपने होंठ उसके होंठों से लगा लिए और चूसने लगा।
उसका विरोध झूठा लग रहा था.. पर था।
मैंने उसे जोर से दबाते हुए गले से लगाया तो उसे भी कुछ सुकून मिला और अब मैं अपना हाथ उसकी पीठ पर सहला रहा था।
मैं उसे चूमते हुए उसके मम्मे सहलाने लगा।
उसके मम्मे काफी मस्त थे..
और वो काँप रही थी।
मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और उस पर चढ़ गया।
अब मेरा लंड भी उसकी जांघों को छेड़ रहा था.. वो सिस्कारियाँ ले रही थी।
कुछ देर चूमा-चाटी के बाद अब मैं उसकी गर्दन पर जीभ फेरने लगा और चाटते हुए उसकी चूचियों तक आ गया।
मैंने अपनी शर्ट, बनियान और पैंट निकाल दी..
मेरा हाथ अब उसके मम्मों को दबा रहा था और वो अजीब तरह से छटपटा रही थी..
पर बोली कुछ नहीं।
अब उसको उठा कर मैंने उसका कुरता निकाल दिया तो उसकी ब्रा में मम्मे को देख कर तो मेरे लौड़े की हालत ख़राब होने लगी।
वो ज्यादा गोरी तो नहीं है.. पर मस्त माल है।
मैंने उसको देखा तो अब वो हल्का सा मुस्कुरा दी।
अब बस मैं उसके मम्मों पर टूट पड़ा और ब्रा निकाल फेंकी।
उसके मम्मे मुँह में लेकर चूसने लगा और निप्पल को जीभ से छेड़ता और होंठों में दबा देता।
अब एक हाथ से दूसरा मम्मा दबाते हुए.. दूसरा हाथ सलवार के ऊपर से चूत को सहलाने लगा।
उसने दोनों हाथों से मेरा सर मम्मे पर दबाए और बोली- काफी मस्त लग रहा है…
अब वो भी मेरी पीठ, छाती को सहला रही थी। वो काफी कामुक होती जा रही थी।
मैंने सीधे सलवार का नाड़ा खोला और पैंटी खिसका कर चूत को सहलाने और चूत में ऊँगली फेरने लगा.. चूत के दाने को छेड़ने लगा।
उसकी चूत काफी गीली हो गई थी.. तो मैंने अपनी ऊँगली घुसेड़ी.. तो वो बोली- जरा आराम से करो.. पहली बार है दर्द होता है…
अब मैंने ऊँगली की गति धीरे- धीरे बढा कर उसे ऊँगली से ही चोदने लगा और उसके पेट को चूमते हुए जीभ फिराने लगा।
मैं उसके चूतड़ों को भी दबाने लगा।
कुछ ही देर में वो झड़ गई और अब मैंने अपने चड्डी को निकाल फेंका.. तो वो मेरे लंड को देखती रही और शर्मा कर बोली- इतना बड़ा.. मैं सह पाऊँगी?
तो मैंने उसका हौसला बढ़ाया और वो मान गई।
मैंने दोबारा उसे गरम किया और अब अपना लंड उसकी चूत पर घिसने लगा.. तो वो चिहुँक पड़ी।
तभी मैंने मौका देख कर झट से अपना लंड थोड़ा घुसाया.. तो वो चिल्लाने ही वाली थी.. पर मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और उसे चुम्बन करने लगा।
उसकी आँखों में आँसू आ गए.. पर उसे पता नहीं चला कि उसकी चूत से खून निकल रहा है.. वरना मुझे मुठ मार कर ही काम निकालना पड़ता।
उसके कुछ सामान्य होने के बाद मैंने एक के बाद एक-दो झटकों में ही पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
उसके चेहरे पर दर्द था.. पर वो कुछ मिनटों में कम हो गया और मैं अपना लंड अब उसकी चूत में चलाने लगा।
उसके मम्मों को भी दबा रहा था और चूस रहा था। अब वो भी ऊपर नीचे हिल कर मेरा साथ देने लगी और जोरों से चूमने और मेरी पीठ को दबाने लगी।
इस दौरान वो और एक बार झड़ी और अब बारी मेरी थी।
मैंने बिना कुछ सोचे अपना सारा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और वो भी उसी वक़्त झड़ गई।
मैं अब उसके पेट पर सर रखे पड़ा था और वो मेरे बालों को सहला रही थी।
उसकी आँखों में आंसू थे.. मैंने कारण पूछा तो बोली- आप पहले से ही मेरे दिल के करीब थे और आज आपने मुझे काफी बड़ा सुख दिया है।
तो मैंने उसके गालों पर चुम्बन किया और उसे सहलाने लगा।
कुछ देर बाद घबराती हुई वीर्य के बारे में बोली- आपने सारा पानी मेरी चूत में छोड़ दिया तो अब मैं प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाऊँगी?
तो मैंने उसे बाद में गोली लाकर दी और कहा- इससे कुछ नहीं होगा।
अब वो खुद ही मुझे चुम्बन करके थैंक्स बोली।
मैंने उसे आँख मारी और उसे गले से लगा लिया।
आपको कैसी लगी मेरी कहानी अपनी राय मेरी ईमेल आईडी पर जरूर दीजिएगा प्लीज.. वह मेरा हौसला बढ़ाएगा।
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