ममेरी बहन के बदन से वो सेक्सी हरकत
(Mameri Bahen Ke Badan Se Vo Sexy Harkat)
मेरी उम्र 19 साल है.. मेरा नाम लक्की है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। आप सबकी कहानियों से प्रेरित होकर मैंने हाल ही में की एक शरारत की कहानी लिख रहा हूँ।
यह मेरी और ममेरी बहन की बात है, लिखने में कोई चूक हो तो माफ कीजिएगा।
बात कुछ महीने पहले की है, मैं नाना जी के गाँव गया हुआ था, मेरी नजर मेरी बहन पर शुरू से नहीं थी, लेकिन जैसे-जैसे जवानी का भूत मेरे सर चढ़ने लगा था.. वैसे-वैसे मेरी नजरें बदलने लगी थीं।
अब मैं उसे और गौर करके घूरने लगा, वो भी कभी-कभी मुस्कुरा दिया करती थी।
आप सभी को मैं अपनी इस बहन के बारे में बताता हूँ।
मेरी बहन का नाम नीलम है, वो मुझसे दो साल बड़ी है, उसका फिगर 26-24-26 का होगा।
फिगर के मामले में मैं अभी थोड़ा कच्चा हूँ, उसके उभार अभी मेरी उम्मीद से कुछ कम ही थे। लेकिन अधपके आम के स्वाद और अनुभव से आप सब भलीभांति परिचित होंगे।
उसके हुस्न के बार में आप ऐसा ही कुछ समझ सकते हैं। उसकी नई नवेली चूचियों का अनछुआ अहसास मुझमें अभी तक ताजा है।
आप यह कहानी अन्तर्वासना डाट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेरी हिम्मत बढ़ने लगी।
चूंकि ये बात ठंड के दिनों की थी, एक कमरे में मैं.. माँ.. नानी.. मौसी.. मेरा छोटा भाई और नीलम सोने वाले थे।
जब मैं कमरे की तरफ आ रहा था, तभी बाड़े (गायों को रखने का स्थान) में नीलम को पेशाब करते हुए गलती से देख लिया।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी.. जिस कारण उसके चूतड़ मेरी तरफ थे।
क्या गोरे और भरे हुए चूतड़ थे।
उसके उठने से पहले मैं वहाँ से चला आया।
लेकिन मेरी आखों के सामने वही सब घूम रहा था, इसलिए जब सब सोने लगे तब मुझे नींद नहीं आ रही थी और मैंने देर रात बारह बजे तक टीवी देखा।
जब मैं कमरे में सोने गया.. तब तक सभी सो चुके थे, मेरा बिस्तर नीलम और छोटे भाई के बीच में लगा हुआ था।
मैं सोने के लिए आँखें बंद करता.. लेकिन उस दृश्य के कारण सो नहीं पाता।
मैंने थोड़ी हिम्मत करते अपना हाथ उसकी रजाई में डाल दिया।
चूंकि उसकी पीठ मेरी तरफ थी तो मेरा हाथ उसकी कमर पर गया।
उसने उस रात टॉप और पजामी पहनी हुई थी।
यह पता करने के लिए कि वो सोई या नहीं.. मैंने टॉप के ऊपर से ही कमर पर हाथ सहला कर देखा।
उधर से कोई हरकत न होने पर मैं हाथ धीरे से टॉप के अन्दर डालकर उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा।
अभी भी कोई जबावी हरकत न होने पर.. मैंने हाथ पेट पर नाभि की तरफ बढ़ा दिया।
ऐसे किसी लड़की को छूने का अहसास बड़ा ही अद्भुत था, चूंकि वो उस समय तक ब्रा नहीं पहनती थी, इसलिए मेरा हाथ थोड़ा सा ऊपर बढ़ाते ही बाँई चूची से टकरा गया।
कुछ पलों के लिए मैं स्तब्ध सा रह गया क्योंकि ये सब मेरे लिए पहला अनुभव था और डर भी लग रहा था।
अगले ही पल उसकी पूरी की पूरी चूची मेरे हाथ में थी और मैं अँधेरे में उसे पूर्णतया महसूस करने की कोशिश कर रहा था।
कुछ देर हाथ फेरने के बाद, हाथ को दाँई चूची पर ले गया और बारी-बारी से तकरीबन 2-3 मिनट दोनों चूचियों को सहलाता रहा।
अभी भी मेरी कामना कुछ शेष थी।
अब मेरा हाथ पैन्टी की तरफ बढ़ा।
पहले मैंने हाथ पैन्टी और पजामी के बीच धीरे से व्यवस्थित किया।
इतनी सर्दी में भी वो जगह भट्टी की तरह भभक रही थी।
पहले मैंने ऊपर से ही सहलाना जारी रखा और कुछ देर बाद हल्के से पैन्टी में हाथ डाला और कुछ-कुछ महसूस करने की कोशिश की। बहुत देर तक कोशिश करने के बाद ज्यादा खास महसूस न कर पाने पर तुरंत हाथ बाहर निकाल लिया।
कमरे में हल्की चाँदनी रोशनी में उसकी पीठ चमक रही थी। अब मैंने अपना हाथ उसकी कमर से घुमाते हुए चूतड़ की तरफ ले गया और सीधे ही पैंटी में पीछे की तरफ डाल दिया।
मैं चूतड़ों के बीच में से गाण्ड की दरार को महसूस कर पा रहा था। कुछ देर उस जगह की छानबीन करके हाथ वहीं रखे रहा।
मैं अभी तक हैरान था कि उधर से जरा भी हलचल नहीं हुई थी। पता नहीं.. वो जानबूझ कर सोने का नाटक कर रही थी या सही में गहरी नींद में थी।
अब तक कुछ हलचल ना होने पर मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी। मैंने बहुत हल्के हाथ से उसकी पजामी सहित पैंटी धीरे-धीरे नीचे खिसका कर उसके चूतड़ नंगे कर दिए थे।
मैंने अपना हाथ सीधे ही गाण्ड पर रख दिया.. कुछ देर ऐसे ही रख कर, हाथ को दोनों जांघों के बीच में से आगे ले जाने की कोशिश की और मेरी उंगली चूत की दरार से जा टकराई। कुछ देर वहीं स्तब्ध रहने के बाद हाथ थोड़ा और आगे किया तो उंगली चूत के दाने से टकरा गई।
उस समय तक मुझे क्लाइटोरियस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, तो मैं बड़े ही अजनबी भाव से उसे टटोलने लगा।
चूंकि अभी तक मैंने कभी भी किसी लड़की को छुआ तक नहीं था.. इसलिए मैं पहले स्पर्श में ही झड़ चुका था और मेरा लंड दोबारा सख्त हो गया था।
उसकी पीठ मेरी तरफ थी.. तो चूत पर लंड रगड़ने का मेरा सपना तो पूरा नहीं हो सकता था। लेकिन मैंने अपनी पैन्ट नीचे करके अपने नागराज को बाहर बुलाया। अब मैं थोड़ा सा नीचे खिसक गया और अपना लंड धीरे से उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा।
ऐसा किए अभी कुछ ही देर हुई थी कि उसके शरीर में कुछ हरकत हुई। मैं बहुत डर गया और पीछे हट गया, इसके बाद दोबारा से मैं उसे छूने की हिम्मत पूरी रात नहीं जुटा पाया।
अगली सुबह वो तो ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही न हो.. लेकिन मैं उससे आँख भी नहीं मिला पा रहा था। लेकिन वो अहसास नहीं भुला पाँउगा।
यह मेरा सच्चा अनुभव था.. कैसा लगा आप सबको.. प्लीज़ मुझे जवाब और अपना मशविरा अवश्य भेजें।
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