ममेरी बहनों टपकता दूध और घमासान चुदाई-3

(Mameri Bahanon ka Tapkta Doodh Aur Ghamasan Chudai-3)

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अकेले में मैंने सोनम से पूछा तो वो बोली- मैंने तुम्हारी इच्छा पूरी कर दी है…

मैं बोला- कौन सी?

तो वो बोली- तुम्हें पूनम का दूध जो पीना था.. तो मैंने चाय में उसका दूध मिला दिया था.. जो बच्चे के लिए निकाल कर रखा था।

तो मैं बोला- पागल.. मुझे ऐसे नहीं दूध पीना है.. उसके स्तन से चूस कर पीना है और दूसरी बात वो ऐसा दूध निकाल कर क्यों रखती है?

तो उसने बताया- कभी-कभी दूध ज़्यादा होने के कारण वो कटोरे में अपना दूध निकाल देती है और बाद में बच्चे को पिलाती है या फेंक देती है।

पूनम का बच्चा अब सात महीने का हो गया था।

अब सोनम उसको मेरी सेक्सी हरकतें बताकर और मैं उसको कितना मज़ा देता हूँ.. ये बता कर उसको मेरे साथ चुदाई के लिए उत्तेजित कर रही थी।

पूनम भी धीरे-धीरे उसी बारे में सोचने लगी थी। लेकिन अब तक मामला पूरी तरह से फिट नहीं हुआ था।

मैंने भी दिमाग़ लगाया और स्त्रियों का दूध बढ़ाने वाली दवाइयाँ पूनम के खाने में मिलाता रहा… पूनम को पहले ही दूध अच्छा आता था.. वो दवाइयों की वजह से बढ़ने लगा और स्तनों में दूध ज़्यादा होने से उसकी गुठलियाँ बनने लगीं।

इससे उसको स्तनों मे दर्द होने लगा.. तो वो परेशान होने लगी और डॉक्टर के पास चली गई।

तो डॉक्टर ने बताया- दूध धीरे-धीरे निकालती रहो.. तो उसकी गुठलियाँ नहीं बनेगीं और दर्द नहीं होगा।

पूनम अब सोनम की मदद से चोरी-छुपे अपना दूध निकालती रहती थी और मैं आते-जाते देखकर मुस्कुराता रहता था।

एक दिन सोनम के हाथ को छुरी से कट गया था और पूनम बहुत ही परेशान लग रही थी।

तो मैंने पूछा- क्यों.. क्या बात है..? मैं कुछ मदद कर सकता हूँ?

तो सोनम ने पूनम का हाथ दबाते हुए एकदम बेलाग होकर उसकी दूध दबाने की समस्या बता दी.. और पूनम शरमाने लगी।

एक मिनट के लिए किसको क्या बोलना है.. समझ में ही नहीं आया।

पूनम की भी चूत प्यासी थी और सोनम ने उसको गरम किया था और उसी मौके का फायदा उठा कर सोनम ने मेरे और पूनम के बीच का मामला क्लियर कर दिया। अब मैं एक कटोरा लेकर पूनम का दूध निकालने में सोनम की मदद कर रहा था और पूनम शरमा रही थी।

आज वो जन्नत का दिन आया था जो मुझे पूनम के भरे हुए.. सुंदर और गोरे मम्मों को देखने के लिए.. छूने के लिए मिले थे।

धीरे-धीरे मैंने और सोनम ने बड़े आराम से पूनम को बिना दर्द होते.. उसका दूध निकाल दिया और पूनम भी रिलैक्स हो गई।

लेकिन ये सब करते हुए मेरा लंड इंतजार नहीं कर पाया और उसने पैन्ट में ही अपना माल छोड़ दिया था।

अब हम रोज़ उसका दूध निकाल रहे थे।

रोज़ दूध निकालने और दवाइयों की वजह से पूनम बच्चे को पिलाकर भी सुबह-शाम आधा लीटर दूध दे रही थी।

पूनम अभी पूरी हाथ में नहीं आई थी इसलिए मैं और सोनम एक-एक कदम आगे जा रहे थे। वो अपना निकाला हुआ दूध फेंकने के लिए बोलती थी.. लेकिन मैं उसे छुपाकर रखता था।

मैंने सोनम को बता दिया- मुझे तुम्हें खुश रखना है.. तो ताक़त की ज़रूरत है इसलिए मैं वो दूध पीऊँगा।

वो चोरी-छुपे उसके दूध मे चीनी डाल कर कभी चाय बना कर.. कभी बोर्नविटा डाल कर.. कभी कॉफ़ी बना कर.. या कभी मसाला दूध बना कर मुझे दे देती थी।

सोनम को तो मेरे शातिर दिमाग़ का पता था।

मैं अब पूनम के दूध के अलग-अलग दूध प्रोडक्ट्स बना रहा था। हमने उसके दूध की बसुन्दी बनाई.. दही जमाया.. मक्खन निकाला.. कभी ताक बनाया.. कभी आइस्क्रीम बनाई.. तो कभी पेड़े बनाए।

सोनम की भी सोच मेरे साथ रहकर मेरी तरह कामुक हो गई थी.. इसलिए वो मेरा साथ देती थी।

लेकिन इसमें से कोई भी बात हम पूनम को पता नहीं चलने देते थे।

एक दिन मैंने उसका दूध पास की डेरी में जाकर डाल दिया.. तो डेरी वाला बोला- ये क्या है? इसका फैट इतना कम कैसे है?

तो मैंने बताया वो गाय का दूध है इसलिए फैट कम है…

उसका अमृत जैसा दूध पीकर मेरी तबीयत खुल रही थी।

अब मैं सुबह-शाम उसका दूध निकालने में मदद कर रहा था.. मुझे भी उसकी धार निकालना बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं बड़े ही आराम से उसके मम्मों से दूध निकालता था।

सोनम या पूनम कटोरा पकड़ा करती थीं और मैं अपने दोनों हाथों से उसकी धार यानि उसकी चूचियों से दूध निकालता था।

दूध निकालने के लिए बहाने बनाते हुए मैं कभी आगे बैठकर.. कभी साइड में बैठकर तो कभी पीछे बैठकर.. आगे हाथ डालते हुए उसका दूध निकालता था। तो कभी उसको झुकने के लिए बोल कर भैंस जैसे उसकी धार निकालता था।

मेरे कई बरसों का सपना अब सच होने आया था और इसमें मुझे और प्रगति करनी थी.. क्योंकि अभी मैंने सिर्फ़ उसकी मदमस्त चूचियों को ही देखा और हाथ लगाया था.. पर अभी मुझे उनको चूसना था.. उनसे खेलना था.. उनको रगड़ना था.. उनका दूध पीना था।

मैं धीरे-धीरे पूनम की चुदास बढ़ा रहा था।

सोनम ने उसका काम कर दिया था.. अब आगे की योजना मुझे बनानी थी।

सोनम का अनुभव मेरे साथ होने के कारण मुझे पता था कि पूनम को कैसे गरम करना है इसलिए सोनम से भी अच्छी तरह से मैं पूनम को बिना दर्द दिए.. उसका दूध निकाल देता था।

उसको भी मेरे हाथों से दूध निकालना अच्छा लगता था और मैं दूध निकालने के समय उसकी चूचियों को और निप्पलों को बहुत सहलाता था और वो अन्दर से गरम होती थी।

एक दिन सोनम के ना होते हुए.. दूध निकालते समय पूनम ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और अपने आप को मेरे पूरे हवाले कर दिया और उस दिन मैं और पूनम एक हो गए।

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उसके बाद मैं पूनम को जन्नत की सैर करवाते स्वर्ग का सुख देता गया और मेरा किसी स्त्री या पूनम का दूध पीने का सपना सच होता गया।

अब चुदाई करते समय मैं उसका दूध चूसने लगा.. ऊपर मैं खुश होता गया और नीचे पूनम को खुश करता गया।

अब आते-जाते मैं पूनम के स्तन दबाता था और थोड़ा सा दबाने से पर भी उसके मम्मे से दूध बाहर आ जाता था।

अब जब भी उसके स्तन दूध से भरे होते और दर्द होने लगे तो वो बेलाग अपने निप्पल मेरे मुँह में दे देती थी और मैं दूध पीकर उनको आराम देता था और दूध पीते समय निप्पल चूसने की वजह से वो गरम हो जाती थी और मुझे अपने ऊपर चढ़ाने के लिए अपने बाँहों में ले लेती थी।

पूनम के मम्में तो कमाल के भरे हुए मुलायम गोरे और इतने सुंदर थे कि मुझे उन पर अपना माल गिराने में जरा भी संयम नहीं होता था।

मेरे लौड़े से माल टपकाने के लिए वो मेरा लंड अपने दोनों सुंदर बड़े स्तनों के बीच में ले लेती थी और मेरा माल निकालती थी।

मेरा लंड बड़ा होने पर भी वो पूनम के दो स्तनों के बीच कहाँ खो जाता था.. ये मुझे समझ में ही नहीं आता था.. क्योंकि पूनम के स्तन भी उससे कही बड़े थे।

चुदाई के वक्त कभी मेरा लंड सूखा हो तो पूनम अपने स्तनों से अपने दूध की धार उस पर छोड़ कर उसको गीला करती थी और उसको अपने चूत में ले लेती थी।

अब पूनम दिन ब दिन चुदक़्कड़ होती जा रही थी.. मेरे साथ चुदाई का मज़ा लेना उसको अच्छा लग रहा था।

अब पूनम मैं और सोनम तीनों मिलकर ग्रुप-सेक्स भी करने लगे थे.. क्योंकि पूनम और सोनम दोनों को मुझे शांत करना पड़ता था।

कभी मैं ऊपर पूनम के स्तनों से दूध चूसता था और नीचे सोनम मेरा लंड चूसती थी.. तो कभी मैं पूनम को नीचे से ठोकता था और सोनम उसके मम्मों चूसती थी।

कभी सोनम और मैं दोनों मिलकर एक साथ पूनम के दोनों स्तनों से उसका दूध चूसते थे.. पीते थे, तो कभी हम मुँह खोलकर बैठते थे और पूनम दूर से हमारे मुँह में अपने स्तन दबाकर दूध की पिचकारी छोड़ती थी।

मैं तो मुँह में शक्कर और इलायची रखकर पूनम का दूध चूसता था.. तो मुझे तैयार मसाला दूध पीने का आनन्द मिलता था।

कभी सोनम और पूनम दोनों साथ मिलकर अपने लिपस्टिक वाले नाज़ुक होंठों से मेरा लंड चाटने.. चूसने का मज़ा लेती थी।

कभी पीछे से पूनम.. सोनम के स्तनों को और मैं पूनम के स्तनों की मालिश करते थे।

पूनम के दोनों सुंदर स्तनों में मैं दिन-रात खोया रहता था.. पूनम के स्तन चचोरना मेरे लिए दुनिया का सबसे बड़ा सुख था।

पूनम मानो दुनिया की सबसे हसीन सेक्स बाला थी.. उसकी जबरदस्त कामुक काया.. उसका गोरा रंग.. उसकी मादक अदा का कोई तोड़ नहीं था।

उसके मम्मे दुनिया के सबसे सुडौल.. सुंदर.. और हसीन थे.. उनका उभार खुले में या ब्रा में.. या ब्लाउज में भी एक जैसा ही ख़तरनाक था।

उसके निप्पल भी उसकी मम्मों की सुंदरता बढ़ाने वाले.. बड़े और कैडबरी के रंग वाले थे।

उसकी कोई सी भी ड्रेस हो.. या साड़ी हो.. उसका क्लीवेज हर वक्त दिखता था।

पूनम के दो-दो किलो के एच कप वाले बड़े-बड़े मम्मे देखकर कोई नपुंसक का या किसी बूढ़े का भी लंड उठकर खड़ा हो जाए.. वो इतनी कामुक थी।

किसी भी आदमी के एक हाथ में उसका एक स्तन पूरा नहीं आ सकता था और इतने बड़े होने पर भी वो तने हुए खड़े रहते थे.. वो एकदम मुलायम नाज़ुक और गोरे भी थे। इसलिए वो दुनिया के सबसे अलग स्पेशल क्वालिटी वाले और रत्नागिरी के हापुस आम जैसे थे।

मैं बहुत पहले से देखता था पूनम काले या लाल रंग की ही ब्रा पहनती थी और काले रंग की ब्रा की वजह से उसके गोरे स्तन और भी गोरे और सेक्सी दिखते थे।
काले या लाल रंग की ब्रा मानो उसका ट्रेडमार्क थी और स्तन बड़े होने के कारण उसकी ब्रा और उसके इलास्टिक वाले बंद हमेशा टाइट रहते थे.. इतने टाइट कि वो ना जाने कब टूट जाएँगे।

मैं और मेरा लंड भाग्यवान थे जो मुझे पूनम और सोनम जैसी सेक्स बालाएँ मिली थीं।

पूनम और सोनम दोनों भी अब मेरी हो गई थीं.. हम इंटरनेट पर भी सेक्स का मज़ा लेते थे.. कभी कहानियाँ पढ़ना.. कभी सेक्स मूवी देखना.. कभी एनीमल सेक्स देखना.. तो कभी अपनी ही क्लिप बनाकर नेट पर अपलोड करना.. ये सब हमारी सेक्स लाइफ की गाड़ी आगे बढ़ती जा रही थी।

समय के साथ धीरे-धीरे उनकी एक सहेली भी इसमें शामिल हो रही थी और मेरी सेक्स मास्टर या सेक्स का बादशाह होने के शुरूआत हो रही थी और इस सबसे आगे जाकर हमारे देश का सबसे बड़ा रोमान्टिक सेक्स क्लब स्थापित हुआ जिसका मैं संस्थापक था।

मेरी इस सत्य घटना पर अपने विचार लिखने के लिए मेरी ईमेल आईडी पर आपका स्वागत है।

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