ममेरे भाई बहन की चुदाई
(Mamere Bhai Behan Ki Chudai)
मेरा नाम सोनू है. मेरी कहानी है भाई बहन की चुदाई की… मेरे कई मामा हैं, सगे और दूर के रिश्ते के… अलग अलग मामाओं की 3 जवान लड़कियां मैंने चोदी हैं. उसमें से एक मेरा पहला प्यार भी था. माना कि वो मेरे मामा की लड़की थी, लेकिन मैं उसे दिल से चाहता था. ये कहानी मेरी और मेरे मामा के चचेरे भाई की लड़की ललिता की है. मतलब हुई तो वो मेरी बहन ही.
यह बात तब की है, जब मैं घर पर था और कॉलेज की छुट्टी थी. मेरी मम्मी मेरे मामा के घर गई हुई थीं.
एक दिन बाद वापस आते टाइम लेने के लिए माँ ने मुझे बस स्टैंड बुलाया. मैं तुरंत गाड़ी ले के बस स्टैंड गया. मैंने देखा कि माँ के साथ एक लड़की खड़ी है और एक लड़का भी है. वो दीदी का छोटा भाई था. मैंने जा कर माँ के पैर छुए.. और उस लड़की की तरफ देखा. वो लड़की एकदम भरा हुआ माल लग रही थी. उसकी आँखों में अजब सी कशिश थी जो मुझे उसको एकटक देखने पर मजबूर कर रही थी. लेकिन इस वक्त माँ सामने थीं और मुझे नहीं मालूम था कि ये लड़की कौन है.
फिर माँ ने बताया कि वो मेरे मामा की ही लड़की ललिता है.
मैं मेरे उस मामा के घर बहुत कम जाता हूं. आखिरी बार कब गया था वो भी याद नहीं. आज उसको देखा तो मुझे अपने ऊपर गुस्सा सा आया कि मैं मामा के घर क्यों नहीं गया.
मैंने उन दोनों को नमस्ते बोला. उसने भी मुस्कुरा कर नमस्ते किया. लड़की पहली बार मिली थी लेकिन मैंने उसकी आँखों में कुछ और ही देखा. उसका भाई फ्रेंडली था. खैर फिर हम घर आ गए. सबने चाय नाश्ता किया.
दिन भर में भाई तो मेरा मस्त दोस्त बन गया और उसकी दीदी भी फ्रेंडली हो गई.
अभी तक तो मैंने उस लड़की को गलत नजर से नहीं देखा था लेकिन फिर भी मेरे दिल में कहीं ना कहीं चोर था जो मुझे कहा रहा था’ बन जा बहन चोद…’
धीरे धीरे शाम हो गई. हम सभी बातें करते हुए एक दूसरे से काफी हद तक खुल गए थे.
मेरा घर नया बना था, तो बाहर कम्पाउंड की दीवार नहीं बनी थी. हमने अभी ही नई गाड़ी ली थी. उसके चोरी होने के डर से मैं बाहर ही सोता था.
उस वक्त शाम का टाइम था तो माँ और दीदी और भाई हम सब बाहर चौपड़ में बैठ कर बातें कर रहे थे. बातें करते करते मैं कब सो गया, मुझे पता ही नहीं चला. रात को करीब 1 बजे होंगे. अचानक ऐसा लगा जैसे मेरे पास कोई सो रहा है. मैंने आँख खोलीं तो देखा कि ललिता मेरे पास सो रही है.
जैसे ही मैं उसकी तरफ घूमा, वो बोली- क्या हुआ भैया?
मैंने कहा- तुम बाहर क्या कर रही हो? तुम्हें घर में सोना चाहिए था.
वो बोली- मुझे भी नींद आ गई, तो यहीं सो गई.
लेकिन उसकी आवाज से लग नहीं रहा था कि उसको नींद नहीं आई है.
मैंने कहा- ओके फिर सो जाओ.
मैं फिर से सोने लगा.
ललिता ने कहा- भैया मुझे पैर डालने की आदत है.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
वो मेरे ऊपर पैर और हाथ रख के सोने लगी. मैं हमेशा अकेला सोता हूँ.. लेकिन क्या करूँ.. मेहमान है, सहना तो पड़ेगा.
मुझे नींद नहीं आ रही थी. अब धीरे धीरे वो मेरे करीब बिल्कुल चिपक कर सो रही थी. उसकी गर्म सांसें मुझे महसूस हो रही थीं. अभी तक मैंने कुछ गलत नहीं सोचा था. थोड़ी देर बाद उसका पैर मेरे छोटू को टच करने लगा. अब जवान लड़की ऐसे मेरी बांहों में सोएगी और ऐसे मेरे लंड को टच करेगी तो यार कैसे खुद को रोकूंगा. मेरा लंड उसके टच से खड़ा हो गया. पर मैंने सोचा ऐसा करना गलत है.
फिर ललिता ने अपना हाथ सीधे मेरे लंड पे रख दिया, जैसे वो नींद में रख दिया हो.
फिर थोड़ी देर बाद उसने आँख खोलीं और बोली- भैया आपको नींद नहीं आ रही है क्या?
अब उसको कैसे बोलूँ कि तुम पास में ऐसी हरकत करोगी तो कैसे नींद आएगी.
मैंने कहा- हां, नींद नहीं आ रही है.
वो बोली कि कुछ बातें करते हैं.
मैंने कहा- तुम सो जाओ.
वो बोली- नहीं मुझे आपसे बात करनी है.
मैंने कहा- ठीक है बोलो.
वो बोली- आपकी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- नहीं.
वैसे तो मीशू मेरी गर्लफ्रेंड बनी थी. लेकिन ललिता को कैसे बता दूँ कि उसकी चचेरी बहन मेरी गर्लफ्रेंड है.
फिर उसने कहा- मुझे आपसे कुछ कहना है.
मैंने कहा- बोलो.
तो ललिता बोली कि आप नाराज तो नहीं हो जाओगे?
मैंने कहा- बताओ तो सही.
उसने कहा- वादा करो कि आप नाराज नहीं होंगे और गुस्सा नहीं करोगे.
मैंने वादा किया.. तो ललिता बोली- आप आँखें बंद करो.
मैंने आँखें बंद की.. वो मेरे करीब आई और मेरे गाल पे किस की. फिर आँखें बंद करके साइड में लेट गई.
मैं समझ गया कि ये लड़की चुदवाने के विचार में है, मैंने कहा- मैं कोई चीज उधार नहीं रखता.
अब मैंने भी उसके ऊपर जा कर उसके गाल पे किस कर दिया. फिर थोड़ी देर बाद उसने फिर किस किया. फिर क्या था किस का सिलसिला चालू हो गया. हम दोनों आपस में किस करने लगे.
लेकिन अभी भी डर ये था कि कहीं ये गुस्सा न हो जाए, इसलिए मैंने होंठों पे किस नहीं किया. इस खेल में हमको 4 बज गए. अब उसने शायद सोचा कि ये लड़का भोला है, तो उसने ही आगे बढ़ कर लिप किस किया.
हाय.. ऐसा लगा जैसे बस सब कुछ मिल गया. उसके किस करने से लग रहा था जैसे पहले से किस की सारी पढ़ाई कर के आई है.
मैंने भी उसको अब कस के बांहों में पकड़ा और किस करना चालू कर दिया. अमावस्या थी.. घनघोर अँधेरा था.. कुछ दिख ही नहीं रहा था. तो हमने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए. फिर मैंने उसकी चूचियां चूसीं. वैसे तो मैंने कभी सेक्स बहुत ज्यादा नहीं किया था लेकिन ब्लू फिल्म देख कर सब तरह के खेल सीख गया था. मैंने उसके गले में किस किया तो वो ‘आह उह ओह..’ की आवाज करने लगी. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मुझे उसने कस के बांहों में पकड़ रखा था और मैं किस कर रहा था. अचानक मुझे लगा कि पलंग आवाज कर रहा है.
मैंने कहा कि पलंग आवाज करेगा तो माँ पापा को शक हो जाएगा.
ललिता ने कहा- कोई और जगह नहीं है क्या? मेरी चुत में आग लग गई है जल्दी से मुझे कुछ करो, यहीं जमीन पर कर लेते हैं.
उसकी बात सुनकर मेरा लंड फनफना गया कि लौंडिया खुद चुदने के लिए कह रही और मैं उसको न चोदूँ, ये तो सरासर बेइंसाफी है.
उसके मुँह से जमीन पर चुदाई की बात सुनकर मुझे लगा कि इधर इसने हल्ला किया तो माँ जाग सकती हैं.
फिर मुझे याद आया कि छत पर चटाई पड़ी है. मैंने उससे कहा कि चलो छत पर चलते हैं, उधर ही तेरा गेम बजाता हूँ.
वो मुझे चूमते हुए बोली- चलो देखते हैं कितना बड़ा गेम बजाने वाला आइटम है.
उस वक्त मैंने उसकी बात पर गौर नहीं किया. हमने ओढ़ने के लिए चादर उठाई और छत पर चले गए. वहां जा कर मैंने चटाई बिछाई.. और हम दोनों बड़ी बेताबी से फिर से चालू हो गए.
अब मैंने ललिता को इतना गर्म कर दिया कि वो कहने लगी कि सोनू अब रहा नहीं जाता.. प्लीज अन्दर डाल दो.
मैंने जल्दी से उसे कपड़ों की बाधा दूर की और अपने कपड़े उतार कर मैं नंगा हो गया. उसने मेरा खड़ा लंड देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई. उसकी कामुक मुस्कान देख कर मुझे लगा जैसे उसक उसकी मनपसंद खिलौना मिल गया हो. उसने लपक कर मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी; अचानक उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया.
मुझे तो मानो जन्नत मिल गई थी, मैंने मस्ती से अपना लंड उसको चुसाया और कुछ देर बाद उसके मुँह से लंड निकाल कर उसकी चूत पर रखकर धक्का लगा दिया. मेरा लंड सटीक ललिताने पर लगा था और ललिता की चूत भी रस से रसीली थी, साला लंड एक बार में पूरा अन्दर घुसता चला गया.
लंड ने हमला क्या किया, ललिता जोर से चिल्ला पड़ी- आह मर गई..
मैंने जल्दी से उसके होंठ अपने होंठों से दबा दिए. लेकिन अगले कुछ ही पलों में ललिता अपनी गांड उठा उठा कर लंड लीलने लगी. मैं समझ गया कि वो पहले से चुदी हुई थी.. लेकिन भैन की लौड़ी नाटक तो ऐसे कर रही थी, जैसे पहली बार लंड लिया हो.
मुझे क्या.. माँ चुदाए.. लंड का पानी निकालना था. मैंने धक्के देना चालू रखे और जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी. उसके भरे हुए मम्मे इतना मस्त मजा दे रहे थे कि हाथों को अब तक उनकी मुलायमियत का अहसास हो रहा है. वे मेरे ऊपर आकर अपनी चुत में लंड लेने लगी और मुझे अपने चूचे चुसाने लगी.
सच में उसकी चुदाई की अदाओं ने मेरा दिल जीत लिया था. साली रांड की तरह चुद रही थी. उसकी गांड मेरे लंड को ऐसे ठोक रही थी, जैसे मैं उसको नहीं बल्कि वो मुझको चोद रही हो. कुछ ही देर में मुझे कुछ अजीब सा लगने लगा.
ये तो आपको मालूम ही है कि चुदाई के पहले राउंड में हमेशा लड़कों का जल्दी काम हो जाता है. लेकिन मेरे केस में उल्टा हुआ. मैंने सुबह 5:30 बजे तक चुदाई की. ललिता कलप उठी और उसने हाथ जोड़ कर चुत पर रहम करने की भीख मांगी.
मैंने किसी तरह लंड का पानी निकाला और अलग हुआ.
रोज की तरह माँ पापा के उठने का टाइम हो रहा था. हम दोनों ने फटाफट कपड़े पहने और नीचे अपनी सोने की जगह आ गए.
मैंने दरवाजा खटखटाया और उधर ललिता फिर से सोने का नाटक करने लगी ताकि माँ को शक न हो. माँ ने दरवाजा खोला.. तो मैं अन्दर आकर वापस सोने लगा. ललिता को माँ ने उठाया. वो भी अन्दर आकर मेरे पास ही सोने लगी.. क्योंकि हम सब बच्चों के लिए एक अलग रूम है, जहाँ डबल बेड पड़ा है.
ललिता का भाई भी अभी सो रहा था. मेरे एक भाई और बहन हैं, वो भी सो रहे थे. हमने फिर से चादर में घुस के 5 मिनट किस किया और दूध चूसने लगा.
करीब 6 बजे माँ ने सबको उठाया. मुझे तो नींद आ रही थी, पर उठना पड़ा. दिन में माँ ने बताया कि बेटा ललिता से दूर रहना. इसका व्यवहार ठीक नहीं है. इसके गाँव में चाचा के साथ पकड़ी गई थी. इसलिए इसको कुछ दिनों के लिए यहां भेजा है.
बाद में मुझे पता चला कि उसका ममेरे भाई के साथ भी रिश्ता था और भी कई लोगों के साथ उसकी बात पता चली. लेकिन जो भी हो मुझे ममरी बहन ललिता की चूत चोदने के लिए मिल गई.
फिर बाद में मैंने ललिता के घर जा के भी बहन को चोदा और इस तरह मेरा शारीरिक संबंध ललिता के साथ बन गया.
आप मुझे अपनी राय कमेन्ट करके बताएं कि मेरी भाई बहन की चुदाई की कहानी कैसी लगी.
लेखक का इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.
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