मेरे मामा की लड़की मेरी दिलबर-2

(Mere Mama ki Ladki Meri Dilbar- Part 2)

नमस्कार दोस्तो, मेरी पहली और सच्ची दास्ताँ
मेरे मामा की लड़की मेरी दिलबर-1
को जो अपने प्यार दिया, उसके लिए सभी का धन्यवाद.

मेरी कहानी के पहले भाग में जैसा कि आपने देखा कि मेरे मामा की बेटी कोमल और मेरे बीच किस तरह रिश्तों में परिवर्तन हुआ और हम भाई-बहन से प्रेमी बन गए थे. हम घंटों मोबाइल पर बातें किया करते थे और मिलने का बहाना ढूंढा करते थे.
मेरा अब मामा के घर जाना बहुत ज्यादा हो गया था और किसी को कोई शक भी नहीं था इसलिए जब भी मौका मिलता हम एक दूसरे को किस कर लेते थे. मैं उसके बोबों को दबा देता था, कभी उसकी गांड पर हाथ फेर देता था लेकिन इससे चुदाई की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी थी और अब मैं उसको कॉलेज भी छोड़ने चला जाता था. वो अपना कॉलेज बंक करके मेरे साथ घूमने जाती थी.
एक दिन मेरे ऑफिस में मेरा एक फ्रेंड, जो कि उसकी गर्लफ्रेंड के साथ में घूमने जाने का प्रोग्राम बना रहा था, उसने मुझसे भी जिद की कि मैं भी अपनी गर्लफ्रेंड को साथ लेकर चलूं. वैसे मुझे डर था कि कैसे बहन को गर्लफ्रेंड बता कर जाऊंगा साथ में?
लेकिन वो न तो मेरे शहर का था और न बहुत ख़ास दोस्त. बस ऑफिस तक का साथ था.

मैंने प्रोग्राम बनाया, फिर कोमल और मैं उन दोनों के साथ एक वाटर फॉल की ट्रिप पर चले गए. उनके लिए हम गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड ही थे. उस दिन मैंने जब कोमल को देखा तो देखता ही रह गया. उसने वाइट टी-शर्ट और ब्लू जीन्स पहना था और टी शर्ट बहुत टाइट थी. जिसमें उसके बोबों का उभार बहुत ही मस्त कर देने वाला लग रहा था. रास्ते भर में कोमल मुझसे चिपक कर अपने बोबों को मेरी पीठ पर सहला रही थी.

हम सभी 11 बजे तक वाटर फॉल पहुँच गए. पहुँचने के बाद हम एक पत्थर पर बैठ गए और मेरा दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड के साथ पानी में मस्ती करने लगा. वो दोनों पूरे भीग गए थे. जब मैंने उसकी गर्लफ्रेंड को देखा तो वह पानी में भीगकर बिल्कुल गीली हो चुकी थी. उसके छाती के उभार अपनी पूरी शेप बाहर दिखा रहे थे. एक बार तो उसको देखकर मेरा भी मन भटकने को हो गया. मैं अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड को देख रहा था.

वो लोग हमसे भी उनके साथ पानी में भीगने की जिद करने लगे लेकिन कोमल नहीं जा रही थी. आखिर में फिर दोस्त की गर्लफ्रेंड ने हम दोनों को भी पानी में खींच ही लिया और हम सभी खूब एक-दूसरे पर पानी फेंकते हुए मस्ती करने लगे.
एक दो बार मेरा हाथ मेरे दोस्त की गर्लफ्रेंड के चूतड़ों पर भी टच हो गया.

अब कोमल पूरी भीग चुकी थी और उसकी टी-शर्ट उसके बदन से एकदम चिपक गयी थी जिससे उसके बोबे और निप्पल साफ़ झलक रहे थे. उसके चेहरे पर एक अजीब सा भाव था. वो बस मुझ में समा जाना चाहती थी. कोमल की इस बेताबी की कई वजह थी, जैसे मैं उसको पसंद करता था, उसी तरह वह भी मुझे पसंद करती थी. जब भी वह मुझसे मिलती थी मेरे साथ को पाकर मुझमें पूरी तरह खो जाती थी.
मगर आज तो हमें किसी का डर भी नहीं सता रहा था. अगर घर पर होते तो बात कुछ और होती क्योंकि घर पर तो सब कुछ चोरी-छिपे ही करना पड़ता था. लेकिन बाहर आकर कोमल पूरी तरह से खुल गई थी. उसे घर से बाहर निकलने का बहुत ही कम मौका मिलता था इसलिए वो खूब खुल कर मस्ती कर रही थी.

कुछ देर तक हम सब पानी में एक दूसरे के साथ खेलते रहे. उसके बाद मेरे दोस्त ने अपनी गर्लफ्रेंड को आंखों से ही इशारा सा किया. इस इशारे को मैंने भी देख लिया था. दोस्त के इशारा करते ही वह दोनों पानी से बाहर निकल गए.
मैं उन दोनों को ही देख रहा था कि ये सब चल क्या रहा है यहां पर. थोड़ी देर बाद मेरा दोस्त उसकी वाली को लेकर झाड़ियों में एक कोने में चला गया.

मैं अभी भी कोमल के साथ मस्ती करने में लगा हुआ था. मगर जब मेरा ध्यान मेरे दोस्त और उसकी गर्लफ्रेंड की तरफ गया तो मेरे मन के अंदर भी सेक्स का तूफान उठना शुरू हो गया. मैं भी कोमल के साथ कुछ ऐसा ही करना चाह रहा था. यह सोच कर कि मेरा दोस्त और उसकी गर्ल फ्रेंड किस तरह से झाड़ियों के पीछे एक दूसरे के साथ मस्ती कर रहे होंगे. वह साला अपनी वाली को वहां ले जा कर बड़े मजे के साथ चूस-चाट रहा होगा. यह सोच-सोच कर ही मेरे अंदर कोमल के लिए भी वैसी ही भावनाएं उठना शुरू हो गईं.

अब मेरा भी लंड खड़ा हो चुका था और कोमल को भी बार-बार टच होने से वो भी बेचैन होने लगी थी. जब मुझसे और ज्यादा बर्दाश्त करना मुश्किल होने लगा तो मैंने कोमल को अपने पास बुलाकर उसको अपने दिल का हाल बताया. कोमल की बेचैनी भी मुझे साफ नज़र आ रही थी.

मैंने कोमल बाहर निकलने के लिए कहा. कोमल भी तुरंत तैयार हो गई. हम दोनों भी पानी से बाहर आ गए. पानी से बाहर आकर हमने यहां-वहां देखा और अपने लिए कोई सुरक्षित सी जगह देखने लगे. मेरा लंड मेरे कपड़ों में ही तना हुआ था. मेरा भीगा हुआ लंड कोमल की भीगी चूत का रस पीने के ख्याल से ही मचला जा रहा था. इसलिए मैं जल्दी से अपने लिए एक अच्छी सी सेफ जगह खोज लेना चाह रहा था.

जल्दी ही हम भी झाड़ियों में अपनी जगह ढूंढते हुए एक जगह गए जहां कोई हमें देख न सके. हम पहुंचे ही थे कि कोमल ने मुझे कसकर अपने गले से लगा लिया. उसका पूरा शरीर मुझसे चिपका हुआ था. उसके बोबे मेरे सीने से दबे हुए थे और वो मेरे गले पर किस किये जा रही थी. मैं अपने हाथों से उसकी टी-शर्ट में हाथ डाल कर उसकी कमर पर हाथ घुमा रहा था.

मेरी छुअन से ही वो मचलने लगी. अब मैंने उसकी टी शर्ट ऊपर खिसकाते हुए उसके बोबों को दबाना शुरू कर दिया और उसकी ब्रा खोल कर निप्पल चूसने लगा. कोमल इतनी मदहोश हो गयी थी और उसकी आंखे बंद थीं. बस मंद-मंद आह्ह … उह्ह … ऊऊह्ह … की सिसकारियों से वह मधुर आवाजें निकाल रही थी. मेरा लंड बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था. मैं कोमल के बोबों को रगड़ रहा था और एक हाथ से उसकी चूत को मसलने लगा.

कोमल के गीले कपड़ों के ऊपर से उसकी गीली चूत को रगड़ने में जो मजा मुझे आ रहा था वह बहुत ही कमाल का था. कपड़े तो गीले थे लेकिन हम दोनों के बदन गर्म थे. इसलिए उसके गीले कपड़ों के ऊपर से ही उसके गर्म बदन को भोगने में मुझे असीम आनंद मिल रहा था.

मैंने कोमल की चूत को और ज्यादा ज़ोर से मसलना और दबाना शुरू कर दिया. मैं उसकी चूत को तेजी के साथ रगड़ रहा था. इधर कोमल की हालत खराब होती जा रही थी. मैं कोमल को साथ ही साथ किस भी करता जा रहा था. मेरी हरकतों के कारण कोमल पागल सी होने लगी थी. उसके मुंह से ऐसी कामुक सीत्कार निकल रही थीं जो मैंने इससे पहले कभी नहीं सुनी थी. मैं कोमल को चूसने और चाटने में लगा हुआ था. इसके कारण वह मदहोश हो गई थी.

अब उससे खड़ा भी रहते नहीं बन रहा था और वो नीचे ही बैठ गयी. एक पल तो मैं भी डर गया कि कहीं बेहोश न हो जाए, लेकिन ये उसकी मदहोशी थी. अब मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल कर उसकी पेंटी में हाथ डाला और चूत पर रखा. उसकी चूत से बाहर के पानी का गीलापन अब खत्म हो चुका था. उसकी चूत बिल्कुल गर्म हो चुकी थी. उसकी चूत इतनी गर्म हो चुकी थी उसने उसकी पैंटी को भी सुखाना शुरू कर दिया था. मैंने कोमल का हाथ पकड़ लिया.

उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी और भट्टी जैसे तप रही थी. उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. शायद इसी मौके के लिए उसने चूत के बाल साफ़ किये थे. अब मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली और उसकी सिसकारियां निकलने लगीं.
मैं थोड़ा एडजस्ट हो गया और एडजस्ट होकर उसका एक हाथ अपने लंड पर रखा और उसके मुँह के पास ले आया. उसने बंद आँखों से ही आआह्ह्ह … उम्महहह … करते हुए लंड बाहर निकाला और उसे हिलाने लगी. बड़े ही प्यार से लंड पर जीभ फिराने लगी.

कोमल मेरे लंड पर ऊपर से नीचे तक जीभ ले जाती और फिर वापस से नीचे से ऊपर तक जीभ फिराती हुई वापस ऊपर की तरफ आ जाती. उसकी इस हरकत से मैं तो जैसे पागल सा होने को हो रहा था. वह मेरे लंड को इतने प्यार से अपनी जीभ के साथ सहला रही थी कि मेरा खुद पर कंट्रोल करना बहुत मुश्किल होने लगा था. मुझे लगा कि अगर कोमल दो मिनट भी मेरे लंड के साथ यही हरकत करती रही तो मेरा लंड जल्दी ही वीर्य बाहर फेंक देगा.

फिर मैंने कोमल को रोक लिया क्योंकि मेरे लंड में बहुत ज्यादा तनाव आ गया था. फिर उसने लंड को मुंह में ले लिया और लंड को चूसने लगी. अब मैंने उसकी जीन्स घुटनों तक उतार कर उसकी चूत के होंठों पर अपने लबों को रख दिया. उसने उसी शिद्दत के साथ मेरे लंड को अपने लबों में दबा लिया. उसकी गुलाबी चूत बहुत ही मस्त और ब्रेड की तरह फूली हुई थी.
मैं अपनी जीभ उसकी चूत पर फिराने लगा और चूसने लगा. वो मेरे लंड से अपना मुँह चुदवा रही थी और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था.
मैं कोमल की चूत के रस का दीवाना हो चुका था. मैं चाह रहा था कि उसकी चूत अब रस छोड़ दे. इसलिए मैं अपनी पूरी ताकत के साथ कोमल की चूत के अंदर अपनी जीभ को अंदर और बाहर करने में लगा हुआ था. धीरे-धीरे उसका कामरस बाहर आने लगा था. मेरे मुंह में उसकी चूत के पानी का स्वाद आना शुरू हो गया था.

मैंने अपनी ताकत को थोड़ा सा और ज्यादा बढ़ा दिया. अब मैं ज्यादा शक्ति के साथ उसकी चूत में जीभ को अंदर और बाहर करने लगा था. मेरी जीभ की रफ्तार काफी तेज़ थी. कभी मैं उसकी चूत की फांकों को काट लेता था, तो कभी उसकी चूत में फिर से जीभ चलाना शुरू कर देता था.

कोमल भी जोर-जोर से सिसकारी भरने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उसकी चूत में से अब पानी का बहाव तेज होने लगा था. मैंने उसके कूल्हों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और उसकी चूत की जोर से चटाई शुरू कर दी. मुझे अब और अधिक इंतजार करना भारी हो रहा था. मैं उसकी चूत के रस को बाहर निकलवाने के लिए पूरा जोर लगा रहा था. वो बहुत अकड़ने लगी थी और उसकी सिसकारियां भी बढ़ने लगी थीं. शायद कोमल का पानी अब छूटने ही वाला था और थोड़ी ही देर में उसकी चूत के रस ने मेरे होंठों को भिगो दिया.

मैंने दोनों हाथों से उसकी गांड दबा कर अपने मुँह को उसकी चूत में घुसा कर चूसना शुरू कर दिया और पूरा नमकीन चूत-रस पी गया. मेरी मेहनत सफल हो गई और मैंने कोमल की चूत का सारा पानी पी लिया. उसकी चूत का पानी पीकर मेरे होंठों की प्यास तो बुझ गई थी लेकिन कोमल की प्यास अभी नहीं बुझी थी. इधर मेरे लंड की प्यास भी अधूरी थी. कोमल के मुंह में वीर्य छोड़कर मेरा लंड अपनी प्यास बुझाना चाहता था और शायद कोमल मेरा वीर्य अपने मुंह में निकलवाकर अपने होंठों की प्यास बुझाना चाहती थी.

अब मैं खड़ा हो गया और वो बैठे हुए मेरे लंड को चूसे जा रही थी. मैं अपने दोनों हाथों से उसके सिर को पकड़ कर उसके मुँह की चुदाई कर रहा था. उसके बड़े-बड़े बोबे और गुलाबी निप्पल हिलते हुए बहुत ही मस्त लग रहे थे. अब मेरा लंड भी अकड़ रहा था और मैंने भी अपने लंड का रस उसके मुँह में गिरा दिया. वो फिर भी लगातार उसे चूसे जा रही थी और आखरी बूंद तक अपनी जीभ से चाट कर वैसे ही लंड को मुँह में लेकर ही मेरी कमर में हाथ डाल कर बैठी रही. उसकी आँखें अब भी बंद थीं.

मुझे महसूस हुआ कि थकान से उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थीं. मैं वैसे ही उसे निहारता रहा. जब वो थोड़ी होश में आयी तो अपने कपड़े ठीक करने लगी. मैंने वैसे ही उसे खींच कर खड़ा किया और अपने गले से लगा लिया. उसका अधनंगा शरीर मुझसे चिपका हुआ था. मैंने महसूस किया कि उसकी आँखों से आंसूं आ रहे थे और वो रो रही थी.

फिर मेरे पूछने पर वो बस मुस्करा कर मेरे गले लग गयी. मैं कोमल के साथ कुछ और वक्त वहीं पर बिताना चाहता था. अभी मेरे मन की प्यास नहीं बुझी थी. मैं उससे और बातें भी करना चाहता था. लेकिन उसी वक़्त मेरे दोस्त का भी कॉल आने लगा. मेरा दोस्त फोन पर मुझसे वापस चलने के लिए कहने लगा. जबकि हम 3 घंटे और रुक सकते थे.

मैंने अपने दोस्त से कहा कि कुछ देर और रुक जाते हैं लेकिन वो साला मान ही नहीं रहा था. मुझे लग रहा था कि मेरा दोस्त और उसकी गर्ल फ्रेंड अपनी चुदाई पूरी कर चुके हैं इसलिए अब उनको वापस जाने की जल्दी मची है.
लेकिन मैं अभी वापस नहीं जाना चाहता था. मैं कोमल के साथ कुछ और वक्त बिताने के बारे में ही सोच रहा था. मैंने अपने दोस्त को रोकने के लिए बहुत बहाने किये लेकिन वह नहीं माना.

कोमल भी काफी खुश थी मेरे साथ बाहर आकर. यह बहुत ही अच्छा मौका था हम दोनों के लिए क्योंकि घर पर हमें इतनी आज़ादी नहीं मिल पाती थी. घर पर तो सब कुछ देख और सोच समझकर ही करना पड़ता था. एक तो हम दोनों का रिश्ता ही ऐसा था और ऊपर से इस बात का भी डर लगा रहता था कि कहीं कोई देख न ले. इसलिए हम दोनों इस ट्रिप का पूरा फायदा उठाना चाहते थे. लेकिन मेरा दोस्त मेरी एक बात भी सुनने के लिए तैयार नहीं था. इसलिए मैंने कोमल को वापस चलने के लिए कह दिया.

हमने अपने कपड़े ठीक किये और बाहर आ गए लेकिन चुदाई का अरमान दिल में ही रह गया. मगर फिर भी पछतावा नहीं था. घर आते हुए रास्ते में बारिश होने लगी और हम भीग गए तो मैंने मामी को कॉल करके कोमल को मेरे ही घर रुकने के लिए कह दिया.
यह सुनते ही कोमल के चेहरे पर एक मंद मुस्कान फैल गई. वह भी समझ गई थी कि मैंने मामी को यह फोन किसलिए किया है. शायद कोमल भी वही चाहती थी जो मैं चाहता था. मैं कोमल को रात भर अपने पास रख कर उसके बदन के साथ खूब मस्ती करना चाह रहा था. इधर कोमल भी शायद यही सोच कर खुश हो रही थी कि जो मौका हमें वॉटर फॉल में नहीं मिल पाया वह मौका अब हमें घर पर मिल जाएगा.

मेरे घर पर मेरा रूम अलग है. कोमल मेरी बात समझ चुकी थी इसलिए उसने भी ख़ुशी से मेरे गाल पर एक किस कर दिया!

उस रात मेरे घर पर किस तरह खतरा उठा कर हम दोनों ने अपने दिल के अरमान पूरे किये वो सब मैं कहानी के अगले हिस्से में बताऊंगा. सच्ची कहानी का ये भाग कैसा लगा, कमेंट में या ईमेल करके मुझे जरूर बताएं.
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