घर में चुदाई का खुल्लम खुल्ला खेल- 2

(Maa Bahan Ki Chudai)

माँ बहन की चुदाई करने का मौक़ा मेरी बहन के चुदक्कड़पने ने दिया. मुझे भाभी ने बताया कि मेरी बहन उनके पति से सेक्स करती है. बस तो मैं भी अपनी बहन को चोदने की फ़िराक में हो गया.

कहानी के पहले भाग
चचेरी भाभी की चुदाई की तमन्ना
में आपने पढ़ा कि भानजे ने अपनी मामी को चोद लिया था. तो साथ ही मुझे भी उसकी मामी जो मेरी भाभी थी, को चोदने का मौक़ा मिल गया था.
तब भाभी ने बताया कि मेरा चचेरा भाई मेरी बहन को चोदता था. और भाभी को भी पता चल गया था.
>मुझे चार पाँच बार ही मौक़ा मिल ही गया दिन में चुदाई की वीडियो बनाने का!< अब आगे माँ बहन की चुदाई: भाभी ने आगे बताया- ये मुझसे वादा करके गए हैं कि अब मैं उसे पैसा नहीं दूँगा. तुम कविता से कुछ कहना नहीं. यह बात सिर्फ़ हमारे तुम्हारे बीच रहे! मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि कहाँ भैया, कहाँ कविता! दोनों की आयु में 7-8 साल का अंतर है. लेकिन कविता को कई साल पहले से ही सोनू भैया चोद रहे हैं. हमको पता नहीं चला कि घर में क्या हो रहा है. मैंने भाभी से पूछा- और कोई जानता है इस बारे में या नहीं? मीरा भाभी ने कहा- ये बताइए ... जिस घर में 80 हज़ार का चेन सोने की बेटी पहन रही हो, बीस बीस हज़ार की अंगूठी पहन रखी हो और तीन तीन हज़ार के सूट और कपड़े पहन रही है और घर की कमाई महीने की 10,000 से ज़्यादा नहीं है. उसी में खाना पीना सब्ज़ी दवाई सब होता है न! मैंने पूछा- तो किस किस को पता है? पापा को या मम्मी को? मीरा भाभी बोली- पहले तो मुझे लगा कि किसी को नहीं पता. लेकिन मैंने इनसे बहुत पूछताछ की तब इन्होंने बताया. तुम्हारी मम्मी को सब पता है. वह जानती है कि कविता सोनू से मिलती है. मैंने पूछा- मम्मी ने कविता को मना नहीं किया? मीरा ने बोला- पहले तो डाँटा ... फिर जब तुम्हारे भाई ने 20-25 हज़ार कई बार भेजे तो उन्होंने रोकना छोड़ दिया. यहाँ तक कि चाची तो अब कविता को फ़ोन पर बात करवाती है. यह सब सुनकर मेरे पैरों की तरे ज़मीन जैसे निकल गयी. इतनी सीधी मेरी मम्मी ... जिनकी आयु 45 साल है और मुझे यक़ीन नहीं हो रहा वे यह कर सकती हैं. मीरा भाभी ने कहा- अब तुमको सारी जानकारी हो गई है. और बहुत सी बातें बाद में जान जाओगे! अब हम लोगों ने प्लान बनाया कि अब दीपक कविता को ब्लैकमेल करके चोदेगा. दूसरे दिन से हम लोग काम पर लग गए. दस पंद्रह दिन बाद हमें वह मौक़ा मिल गया. मम्मी पापा बाहर गए थे और ताऊ के घर से सब खेत में गए थे. अच्छा मौक़ा पाकर दीपक मेरे घर में चल गया. कविता सफ़ाई कर रही थी. दीपक ने कविता को अपनी तरफ़ खींच लिया और उसे अपनी गोद में उठा लिया. कविता विरोध करने लगी. दीपक कविता से बोला- मैं सब जानता हूँ सोनू मामा तुम्हारे बारे में! और वह उसे वीडियो दिखाने लगा. कविता धक से रह गई. वह दीपक के साथ सेक्स के लिए एकदम तैयार हो गयी. दीपक ने उसके सारे कपड़े उतार दिए और धीरे धीरे अपनी उंगलियों को मेरी बहन की चूत में अंदर बाहर करने लगा. बहन कुछ बोल नहीं रही थी. धीरे धीरे दीपक मेरी बहन की चूत में जीभ डाल कर समंदर के समान उसके खारे पानी पीने लगा. मेरी बहन(यानी दीपक की मौसी) अब गर्म हो चुकी थी. मैं खिड़की के पास से सब देख रहा था. पहली बार अपनी बहन को नंगी देखकर जैसे मैंने स्वर्ग पा लिया था. भारत में बहुत ही कम लोगों को यह मौक़ा मिलता है. मैं उनमें से एक हूँ. मेरी बहन मेरे सामने चुद रही थी और मैं ख़ुद चुदवा रहा था. ऐसा करवाने में मुझे बहुत ख़ुशी मिल रही थी. और मेरा बस चले तो मैं पूरे गाँव से अपनी बहन को चुदवा दूँ. आखिर मैं तो अपनी माँ पर ही गया हूँ. दीपक झड़ने वाला ही था, तब तक मैं पहुँच गया. मेरी बहन कविता मुझे देख कर दीपक को हटाने लगी. लेकिन दीपक कहाँ मानने वाला था. उसने चुदाई की रफ़्तार और तेज कर दी और अपना पानी अपनी मौसी की चूत के अंदर ही गिरा दिया. इसके बाद दीपक मेरी नंगी बहन के ऊपर से उतर गया. तब मेरी बहन दुपट्टे से अपना शरीर को ढकने लगी. मैं बोला- शर्माओ नहीं ... इस कहानी का डायरेक्टर मैं हूँ! यह कहते हुए मैंने दीदी दुपट्टा खींच लिया. दीपक बोला- यह वीडियो सबसे पहले इसी ने रिकॉर्ड की थी. लेकिन चाहता तो पहले ख़ुद चोदता. लेकिन इसका मन था कि पहले भाई का हक़ नहीं है. पहले मौसी को चोदने का हक़ दीपक को है. बड़ा भाई पहले ही सील तोड़कर उद्घाटन कर चुका है इसलिए मौसी को भानजा चोदेगा! बहन समझ गयी थी अब मना करने से कोई फ़ायदा नहीं होगा. मैं तो दीदी की चूत दीवाना हो गया था. मैंने अपना मुँह दीदी के चूतड़ों में डाल दिया और चाटने लगा. और दीपक अपना लंड दीदी के मुँह में डाल कर चुसाने लगा. मैं दीदी की चूत का पानी पी रहा था. दीपक का लौड़ा दोबारा खड़ा हो गया था. उसने इशारा किया तो मैंने अपना लंड दीदी के मुँह में डाल दिया, दीपक ने अपना लंड दीदी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा. इधर मैं अपना लंड दीदी के मुँह में डालकर हिला रहा था. दीपक एक हाथ से दीदी की चूची मसल रहा था. दीदी को कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था. अब वह नार्मल थी. 20 मिनट दीपक चुदाई करता रहा और उसने अपना पानी दोबारा दीदी की चूत में गिरा दिया. इसके बाद मैंने अपना लंड दीदी की चूत में डाल दिया. दीपक के वीर्य से दीदी की चूत बहुत गीली हो गई थी इसलिए पच पच की आवाज़ आ रही थी. मुझे ख़ास मजा नहीं आया और 20 मिनट बाद मैंने भी दीदी की चूत में अपना पानी गिरा दिया. इस तरह उस दिन दो बार मैंने, तीन बार दीपक ने दीदी की चूत चोद कर मज़े लिए! तब से यह सिलसिला नार्मल हो गया था. मुझे बहुत ख़ुशी मिल रही थी. उस दिन के बाद दीपक और मेरी नियमित चुदाई करने से मेरी बहन की चूचियान बहुत बड़ी हो गयी. सोनू भाई ने भी इन चूचियों पर कई साल तक मेहनत की थी तब जाकर ये इतनी विशाल हो गई थी कि मीरा भाभी और माँ की चूचियों का मुकाबला करती लग रही थी. और कविता की चूत जैसे फूला हुआ ताजा पाँव रोटी हो! मैं और दीपक एक साल से कविता को चोद रहे थे. एक दिन मैं बहन को चोदने उसके कमरे में गया. पहले उसके कपड़े निकाले, उसके बाद उसकी ब्रा उतारकर उसकी विशाल चूचियों को आज़ाद किया. उसके बाद उसकी पैंटी उतार कर उसकी चूत को आज़ाद कर दिया. तब मेरी बहन ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिये. बहन ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी. कुछ देर बाद बहन बोली- तुम 69 पोजिशन में हो जाओ. हम दोनों 69 में आकर एक दूसरे के अंग चूसने लगे. मैंने अपना पानी बहन के मुँह में गिरा दिया. और बहन ने मेरे मुँह में पेशाब कर दिया. मेरा मुँह पेशाब से भर गया, मैं पेशाब को पी गया. तभी बाहर से कोई दरवाज़ा खटखटाने लगा. मैं बोला- माँ तो बाहर गई है, कौन होगा? मैंने आवाज दिया तो दीपक बोला- मैं हूँ! तब मैंने उसको भी अंदर ले लिया. तभी दीपक बोला- तुम लोग अकेले मज़ा ले रहे हो! दीपक अपनी मौसी यानि मेरी बहन की चूत को चाटने लगा. तभी मेरी बहन ने मेरे लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मैं बहन की चूचियो को अपने हाथ में भरने का प्रयास करके दबा रहा था. मेरा लंड दुबारा खड़ा हो गया था, मैंने उसे बहन की चूत में डाल दिया. उधर दीप अपनी मौसी के मुँह में लंड डाल के हिलाने लगा. तभी माँ आ गई बाहर बहन को और आवाज देने लगी! अब करें तो करें क्या? मेरी बहन डर गई, कमरे में छिपने की जगह नहीं थी. दरवाज़ा खोला तो माँ बोली- क्या कर रहे हो तुम लोग कमरा बंद करके? माँ समझ गई थी लेकिन वह नासमझ बन रही थी. इतने में मैंने भाभी को कॉल कर दिया. भाभी बोली- तुम लोग खुद मैनेज करो! हम लोग परेशान हो गये ... कि आज तो राज खुल गया समझो! फिर भी मैं माँ से बोला- हम पढ़ायी कर रहे हैं इसलिये कमरा बंद किया था. माँ जानबूझ कर भोली बन कर बोली- ठीक है ... तुम लोग आज से बाहर पढ़ो. और दीपक को बोल दिया- आज के बाद तुम अपने घर में पढ़ाई करो! यह कह कर माँ ने दीपक को उसके घर भेज दिया. तब माँ ने घर का दरवाज़ा बंद किया और मुझे और दीदी से अंदर आने को बोला. हम अंदर गए तो माँ बोली- तुम लोगों को शर्म नहीं आती ये करते हुए? तुम्हारी बहन है! बहन को भी तुमने बहन नहीं समझा? मैं बोला- ऐसा कुछ नहीं है! बहन बोली- माँ को सब पता है. मैं माँ से नहीं डरी थी. मैंने सोचा कि पापा आ गये. माँ चुप हो गई. मैं परेशान हो गया. माँ बोली मुझसे- तुमको शर्म नहीं आती किसी और से अपनी बहन को चुदवाते हुए? मैं बोला- ऐसा कुछ नहीं है! मैंने तो कुछ नहीं किया! कविता बोली- सारी बात मैंने बता दी है. माँ ने हम लोगों को पहले देख लिया था ये सब करते हुए! माँ ने कहा- आज के बाद दीपक घर में नहीं आना चाहिए! था और उसकी मम्मी को कोई बात नहीं बताना है. अगर तुमने ऐसा किया तो तुम्हारे बाप बता दूंगी. जो हुआ है, अब यहीं पर ख़त्म करो! मैं बोला- ठीक है ... लेकिन मेरा क्या होगा? माँ बोली- तुम्हारा काम होता रहेगा. और तुम मानोगे भी नहीं मुझे पता है. इसलिए तो घर की बात घर में ही रहे, यही अच्छा है! मैं बोला- जब आप सब कुछ जान गई हैं तो मुझे और भी कुछ चाहिए! माँ बोली- क्या चाहिए? मैंने अपना हाथ माँ की चूचियों पर रख दिया. "तुम क्या कर रहे हो? शर्म नहीं आती है?" मैं बोला- जब मैं अपनी बड़ी बहन को चोद सकता हूँ. आपको भी इससे आपत्ति नहीं तो अब अपने लिए क्यों विरोध कर रही हो? कहते हुए मैंने उनके ब्लाउज़ का बटन खोल दिया. वे विरोध करने लगी. लेकिन मैं मानने वाला नहीं था. मैंने अपना लंड बाहर कर दिया और एक हाथ से उनका ब्लाउज़ खोल दिया. माँ की चूचियों को देख कर मैं पागल हो गया था. सफ़ेद दूध की तरह और कविता की चूचियों से काफ़ी बड़ी चूचियां हैं माँ की! उनका शरीर को देख कर मैं अपने आप को रोक नहीं सका. मैंने उनके कपड़े उतार दिए और उनके साथ चिपक गया. माँ ने अब रोकना बंद कर दिया. मैं उनकी चूची को पीने लगा और दूसरे हाथ से स्तन स्तन दबाने लगा. धीरे धीरे मैंने अपने कपड़े उतार दिये. माँ की चूत पर एक भी बाल नहीं था, लग रहा था कि एक दो दिन पहले ही झांटें साफ़ की गई हैं. मेरी माँ की चूत काली हो गई थी लेकिन फूली हुई थी. माँ बोली- यह ग़लत हो रहा है. कोई जान गया तो मैं मुँह दिखाने लायक नहीं रहूंगी. मैं बोला- यह बात हमारे बीच रहेगी. आप चिंता न करें! माँ बोली- लेकिन यह ग़लत होगा. तुम्हारे पापा जान गये तो बहुत बड़ी दिक़्क़त हो सकती है. तुम नहीं समझते हो! मैं माँ की बातें रोकने के लिए उनको होंठों को चूमने लगा और पाँच मिनट तक चूमता रहा. और चूमते हुए ही धीरे धीरे मैं नीचे की तरफ़ आ गया और मैंने अपना मुँह उनकी चूत की दरार के बीच में डाल दिया. मैं अपनी माँ की चूत के खारे पानी की स्वाद को चखने लगा. माँ को अब मज़ा आ रहा था. मैं 10 मिनट तक चाटता रहा. तब तक माँ की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया था और मुझे कस कर पकड़ लिया. माँ मुझ से बोली- जल्दी से अंदर डाल दे अब! बिना देरी करते हुए मैंने अपना सख्त लंड माँ की चूत के अंदर डाल दिया. और मैं झटके देने लगा. मेरे साथ नीचे से माँ भी झटका दे रही थी. मुझे आज चरम सुख प्राप्त हो रहा था. मैं बहुत ख़ुश था ... इतना ख़ुश तो मैं बहन को चोदने नहीं हुआ था. मुझे लग रहा था कि दुनिया की सारी ख़ुशी मुझे मिल गई है. मैं पागल हो गया था, इतना ख़ुश था मैं! मैंने अपने लंड की स्पीड तेज कर दी और पानी माँ की चूत के अंदर ही गिरा दिया. उस दिन में मैंने तीन बार माँ की चुदाई की थी. उसके बाद तो मैं माँ बहन की चुदाई अपनी पत्नी की तरह रोज करने लगा था. अब मेरी बहन और माँ को एक दूसरी से जलन होने लगी थी. माँ बोलती- तुम बहन को कुछ बताया ना और उससे बात कम किया करो! उससे कम मिला करो! मैं माँ के सामने बहन से कम बात करता था. ऐसे ही मेरी बहन भी चाहती थी कि मैं माँ को कम चोदूं और बहन की अन्तर्वासना पर ध्यान दूँ. तो दोस्तों, कैसी लगी मेरी माँ बहन की चुदाई कहानी? अपने विचार कमेंट्स में और इस ईमेल ID पर मेल करें. 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