किस-किस की चुदाई करूँ -2

(Kis-Kis Ki Chudai Karun-2)

ए पी 2015-07-21 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

मिसेज कुकरेजा अपनी सीट से उठीं और मुझे अपनी बाँहों में भर कर अपने सीने से लगाते हुए बोलीं- आशु बेटा.. मैंने तुझे कहा था ना.. कि कल मुझ दोष मत देना.. असल में अनिल के पिता भी लंड के मामले में कमज़ोर थे.. लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि उसको गाण्ड मरवाने की भी बीमारी है.. बेटा निराश मत होना.. जो करना होगा मैं करूँगी.. मैं कभी पद्मा के जज़्बातों का नुकसान ना होने दूँगी। आख़िर पद्मा अब हमारे घर की बहू है.. मैं अनिल से बात करूँगी और समस्या का हल ढूंढ ही लूँगी और फिर अनीला भी तो तुझसे शादी करना चाहती है, अब मेरी एक नहीं दो बेटियाँ हैं.. अनीला और पद्मा.. जल्द ही अनिल तुझसे बात करेगा!

मुझे आंटी के मुँह से लण्ड और गाण्ड शब्द सुनकर और उनका मुझे अपने मम्मों से चिपटा लेना थोड़ा अजीब सा लगा.. पर मुझे इस उम्र में भी कसे हुए मम्मों की महक से सनसनी सी दौड़ गई।
मैं सोचने लगा कि अनिल साला मुझसे क्या बात करेगा.. जो करना था.. वो तो ठीक से कर नहीं पाया..
मैं यही सोचते हुए कमरे से बाहर निकल आया।

अब आगे..
जैसा कि मैंने कहानी के पहले भाग में आपको बताया था कि मेरी माँ यशोदा एक स्कूल में टीचर है और पिता जी का देहांत हो चुका है। मेरी सौतेली दीदी पद्मा कॉलेज में पढ़ती है और वो बहुत सेक्सी है।
हम दोनों के पिता अलग-अलग हैं तब भी हम दोनों में सगे भाई-बहन जैसा ही प्यार है।
अब कहानी के आगे का सच जानिए।

उसी रात अनिल ने मुझे एक बार में बुलाया और दो पैग व्हिस्की के पीने के बाद मुझसे बोला- यार.. मैं जान चुका हूँ कि तुझे मेरे उस ‘शौक’ के बारे में पता चल गया है और अब तो तुम जानते ही हो कि मेरे लंड में इतनी ताक़त नहीं है। लेकिन मेरे पास एक बहुत बढ़िया सुझाव है.. अगर कहो तो बोलूँ?

मैंने कहा- मेरी बहन की ज़िंदगी बर्बाद करके.. अब क्या सुझाव बचा है?

‘देख आशु, पद्मा की चुदाई तो होगी.. अगर मैं नहीं करता.. तो कोई और करेगा.. अब किसी बाहर के आदमी से हो.. उससे तो घर की इज़्ज़त का क्या होगा.. मेरी बात मान लो.. तुम खुद पद्मा की चुदाई जी भर के कर लो। भाई-बहन पर किसी को शक भी ना होगा और मैं तुझे अपनी मनाली वाली कोठी की चाभी भी दे दूँगा.. जहाँ तुम दोनों अपना हनीमून मना लेना। तुझे भी अपनी बहन के जिस्म का मज़ा मिल जाएगा और अगर भगवान की मर्ज़ी हुई तो पद्मा माँ भी बन जाएगी और सारे समाज में मैं भी बाप कहलाने लगूँगा। कल को तुझे ही तो अनीला का पति बनना है.. फिर तुम हमारे घर में रह कर दोनों को चोद सकते हो.. बोलो मंज़ूर है?’

‘लेकिन मैं.. पद्मा मेरी बहन है… ये कैसे..?’

अनिल पैग पीकर फिर बोला- तो क्या पद्मा को किसी ऐरे-गैरे से चुदने के लिए छोड़ दें हम? इससे बेहतर होगा कि तुम ही उसकी जवानी के मज़े लूट लो और घर की इज़्ज़त भी बची रहे..

‘लेकिन अगर मैंने अपनी बहन को स्पर्श भी किया.. तो वो मुझे जान से मार डालेगी.. उसे चोदना तो बहुत दूर की बात है..’

अनिल फिर बोला- तू उसकी फिकर मत कर.. कल ही हम तीनों ही मनाली जाएँगे। जब मैं पद्मा को चोदने की कोशिश करूँगा और जब मुझ से चोदा नहीं जाएगा.. तो वो मुझे गाली देगी और तब तुम आ जाना.. मुझे मालूम है कि जब चूत चुदास से जल रही होती है.. तो रिश्ते नहीं देखती.. उस वक्त तुम अपनी बहन की चूत को अपने लंड से भर देना। एक बार चुद गई.. तो सदा के लिए तेरी हो जाएगी।

जीजा की बात सुन कर अचानक मेरा लंड खड़ा होने लगा और अपनी बहन को चोदने की बरसों पुरानी इच्छा सच होती नज़र आने लगी।

अगले दिन हम तीनों मनाली की तरफ चल पड़े। पद्मा को उत्तेजित करने के लिए अनिल बार बार उसके जिस्म पर हाथ फेरने लगा। दोपहर को हम शराब पीने लगे.. अनिल जानबूझ कर मेरे सामने ही पद्मा के साथ सेक्सी बातें करने लगा.. जिनको सुन कर पद्मा का रंग लाल होने लगा।

मनाली पहुँच कर अनिल बोला- आशु तुम साथ वाले कमरे में ही सो जाओ और मैं अभी अपनी बीवी की चूत चुदाई के मज़े लेता हूँ।
उसकी बात सुन कर पद्मा शर्म से लाल हो उठी।

शराब पी होने की वजह से अनिल का लंड जो थोड़ा बहुत खड़ा होता था.. वो भी नहीं हुआ और पद्मा गुस्से में चिल्लाने लगी- अनिल.. बहनचोद.. अगर तेरे लंड में कमज़ोरी थी.. तो मुझसे शादी क्यों की.. साले अब इस जलती हुई चूत को कहाँ ले कर जाऊँ मैं.. मादरचोद की औलाद.. साला नपुंसक हीजड़ा, छक्का कहीं का..

अनिल शर्मिंदा होता हुआ बाहर निकला और बोला- आशु तुम बस 5 मिनट वेट करना.. फिर अन्दर चले जाना.. तुम्हारा मामला और लौड़ा दोनों फिट हो जाएंगे।

ठीक 5 मिनट के बाद जब मैं पद्मा दीदी के कमरे में गया.. तो मैंने देखा कि पद्मा नंगी पलंग पर लेटी हुई है.. और जाँघें रण्डियों की तरह फैला कर अपनी चूत में उंगली कर रही है।

सच मानो दोस्तो.. उस वक्त मेरी बहन कोई काम की देवी लग रही थी.. उसकी शेव की हुई चूत से पानी टपक रहा था और वो आँखें बंद किए हुई चूत रगड़ रही थी।

मैंने हिम्मत की और पलंग के पास जा कर उसकी नंगे जिस्म पर हाथ फेरने लगा.. उसने चिहुंक कर आँखें खोल दीं और बोली- भैया.. तुम यहाँ क्या कर रहे हो.. जाओ यहाँ से..

लेकिन मैंने अपने हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए और रगड़ कर बोला- मैं तुझे ऐसे प्यासी कैसे छोड़ दूँ दीदी.. आख़िर भाई का भी कोई फ़र्ज़ होता है या नहीं? अगर जीजा नपुंसक हो तो क्या भाई का फ़र्ज़ नहीं बनता कि अपनी बहन की चूत की आग ठंडी करे.. ऐसा मदमस्त जिस्म क्या भगवान हर किसी को देता है?

पद्मा चुप होकर बस मुझे सुनती रही।

‘दीदी आपकी भारी-भारी चूचियाँ.. आपकी मस्त चूत.. जो बेचारी मस्त लंड के लिए तरस रही है.. आपकी गाण्ड सब मुझे पागल बना रहा है.. दीदी अब मुझे चुदाई से मत रोकना.. मैं अपनी ग़ज़ब की पद्मा दीदी की चूत चोदे बिना आज यहाँ से जाने वाला नहीं हूँ। अगर मुझ पर विश्वास नहीं होता तो देख लो अपने भाई का लंड..’

मैंने यह कहते ही अपनी पैन्ट उतार दी और अपना 9 इन्च वाला मोटा लंड पद्मा को दिखाते हुए उसके हाथ में दे दिया।
मेरा मोटा लंड मेरी काली झांटों के बीच से किसी काले नाग की तरह फुंफकार रहा था।

‘दीदी अब बताओ.. कि आपके भाई का लंड मस्त है या नहीं? क्या आपकी मस्त चूत इसको अन्दर लेने के लिए मचल रही है या नहीं?’

पद्मा के चेहरे के भाव बता रहे थे कि वो एक पल के लिए झिझकी.. लेकिन फिर वासना ने उस पर काबू पा लिया।
मैंने कमीज़ भी उतार दी और कमरे का दरवाजा बंद करने के लिए बढ़ा।

‘नहीं मेरे प्यारे भैया.. दरवाज़ा खुला ही रहने दो.. अगर मेरा नपुंसक पति देखना चाहे तो देख ले कि मर्द का लंड कैसा होता है और जवान औरत की प्यास कैसे बुझाई जाती है.. आ जाओ भैया और तोड़ दो मेरी सील.. जो शायद आज तक मेरे भैया के लिए ही बची हुई थी.. मेरे भाई.. आज मुझे अपना बना लो.. मुझे इस मस्त लंड से चोद कर पूरी औरत बना दो.. आपकी बहन आज से सिर्फ़ आपकी है।

मैं भी पद्मा दीदी की बात सुन कर जोश में आ गया और अपनी दीदी के होंठों को चूमने लगा। उसके होंठों पर जीभ फेरते हुए उसके नंगे जिस्म से लिपटने लगा। हमारे जिस्म जल रहे थे.. दीदी अभी भी मेरे लंड को पकड़े हुई थी और मैं उसको चूम रहा था।

‘दीदी तुमने कभी लौड़ा चूसा है?’
दीदी मचल कर बोली- अभी तक तो नहीं.. लेकिन आज अपने भैया का लंड चूमने और चूसने की इच्छा ज़रूर है.. अगर इजाज़त हो तो चूस लूँ? अगर चूस लेती हूँ तो मेरे भैया मेरे सैयां बन जाएँगे।
मैंने दीदी की चूचियों को चूम लिया और बोला- तो देर किस बात की.. बना ले मुझे अपना सैयां..

दीदी ने झुक कर मेरे लंड का सुपारा चूम लिया और मेरे अंडकोष थाम कर लंड को अपने मुँह में ले लिया। मैंने दीदी के बाल पकड़ कर उसका मुँह अपने लंड पर टिका दिया और कमर आगे-पीछे करने लगा।

फिर मैं दीदी को पलंग पर चित्त लिटा कर उसके ऊपर 69 की दशा में चढ़ गया। अब मेरा मुँह दीदी की लपलपाती चूत पर था और मेरा लंड उसके मुँह में था। हम 69 बन कर के दूसरे को चाटने लगे। दीदी की चूत का रस मुझे बहुत उत्तेजित करने लगा और उसकी चूत फड़फड़ाने लगी।

अब देरी करना फ़िज़ूल था- क्यों दीदी.. अब चुदाई शुरू करें?
मैंने पूछा तो दीदी बोली- हाँ भैया.. अब इंतज़ार नहीं होता.. पेल दो अपना लंड.. मेरी चूत में.. भैया और इस रात को यादगार बना दो।
दीदी ने शरम छोड़ कर मुझे चोदने का न्यौता दे दिया।
मैंने चूत की भीगी हुई फांकों को फैला कर लंड को चूत के मुँह पर टिका दिया। धड़कते दिल से मैंने लंड को एक धक्का मारा और मेरा सुपारा चूत में घुस गया।

‘ओह.. भैया.. धीरे से.. अहह मर गई.. अहह भैया.. धीरे से.. उई माआआ.. धीरे से भैयाआअह..’
मेरे लंड को चूत के अन्दर आग महसूस हुई और मैंने धीरे से लंड और आगे बढ़ा दिया। दीदी की गाण्ड को थाम कर मैं धीरे-धीरे लंड अन्दर पेलने लगा।

सच मानो दोस्तो.. ऐसा मज़ा मुझे आज तक ना मिला था। दीदी की चूत जन्नत का द्वार थी। मेरे लंड पर कसी हुई दीदी की चूत की दीवारें.. मेरे लंड को सहला रही थीं।
जब आधे से अधिक लंड चूत में घुस गया तो दीदी अपने चूतड़ उठा कर और लंड लेने लगी।
मैं दीदी के ऊपर सवार था और जन्नत का मज़ा लेते हुए उसकी चुदाई करने लगा। चूत की चिकनाहट के कारण अब लंड आसानी से चूत में घुस रहा था।
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कोई 5 मिनट में लंड पूरा चूत में समा गया।

‘मेरी रानी बहना.. मेरा पूरा लंड ले चुकी है अपनी चूत में.. क्या मस्त चूत है तेरी.. आह.. मेरी रानी.. अहह.. क्या मस्त है मेरी बहना कि चूत.. अब दर्द तो नहीं हो रहा पद्मा रानी?’

दीदी मज़े से आँखें बंद किए हुए बोली- नहीं मेरे राजा भैया.. अब तो मज़ा आ रहा है.. चोद डालो अपनी लाड़ली बहना को.. शाबाश राजा भैया.. पेलो अपना लंड.. जैसे जी करता है.. अपनी सजनी की चूत में… अब तो हम भाई-बहन सिर्फ़ दुनिया के लिए ही हैं.. असल में तो मेरा भाई ही मेरा पति देव है.. आशु.. तेरा कितना मस्त लंड है.. मेरे भैया चोद मुझे..!’

दीदी अब गाण्ड उठा-उठा कर चुदवाने लगी थी.. और मैं भी जोश में आ कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा।

कमरा ‘फ़च..फ़च’ की आवाज़ों से गूँज रहा था। चुदाई का संगीत चारों तरफ था.. चुदाई की सिसकारियाँ हम भाई-बहन की मुँह से निकल रही थीं, मेरा लंड अपनी बहन को किसी पिस्टन की तरह चोद रहा था। मैं अपनी बहन को चोद रहा था।

अब हमारे जिस्म पसीना-पसीना हो चुके थे और मैं आगे झुक कर दीदी के चूचुक चूसने लगा।
दीदी मदहोश हो गई.. और बोली- भैया और चूसो.. दिल भर कर चूसो.. अब ये मेरी चूत तेरे लौड़े के लिए ही है.. चोद डाल और एक बहनचोद बन जा और मुझे भाई चोद बना दे.. मेरे राजा.. चोदो मुझे.. मुझे ऐसे ही चोदना हर रोज.. मैं अब तुम्हारे बगैर कुछ नहीं हूँ भैया..

मैं ताबड़तोड़ दीदी को चोदने लगा। दीदी बेकाबू होने लगी और कहने लगी- आज तुमने एक भाई का फ़र्ज़ अदा किया है। हर भाई को चाहिए अपनी बहन का फ़र्ज़ अदा करे।

कुछ ही समय में मेरी दीदी अकड़ गई और झड़ गई.. उसकी चूत तृप्त हो चुकी थी.. उसकी चूत ने रस छोड़ दिया था जिसकी गर्मी से मैं भी पिंघल गया और कुछ तेज धक्कों के साथ मैं भी उसकी चूत में झड़ गया।
।हम दोनों झड़ने के बाद एक-दूसरे से लिपट कर लेटे रहे और कुछ देर बाद उठे तब तक मेरा गांडू जीजा भी अन्दर आ गया था।

वो जैसे ही बिस्तर पर बैठने को हुआ उसे दीदी ने एक लात मार दी- हट गांडू.. दूर बैठ मादरचोद.. तू आज से मेरी झांटें तक नहीं छू सकेगा।
जीजा और मैं मन ही मन मुस्कुरा रहे थे।

प्रारब्ध हमको किस तरफ ले गया था.. इस कहानी को मैं पूरा लिखना चाहता हूँ पर अभी नहीं फिर कभी.. आप सभी के ईमेल के इंतजार में हूँ.. अपनी राय ज़रूर दीजिएगा..
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