जीजा जी गांव में और बहन भाई चूत चुदाई की मौज में
(Jijaji Ganv Me Bahen Bhai Choot Chudai Ki Mauj Me)
मेरा नाम अमोल (बदला हुआ नाम) है। मेरी उम्र 23 साल है। मैं 6 महीने से एक छोटी सी कंपनी में काम कर रहा हूँ।
मैं पिछले 6 महीने से अपनी बड़ी बहन के घर में रहता हूँ। बहन की उम्र 32 साल की है, उनकी फिगर बड़ी ही कामुक है। उनके बड़े-बड़े मम्मे और बड़ी सी पिछाड़ी देखकर ही मेरा बुरा हाल हो जाता है।
जब वो चलती हैं.. तो उनकी मटकती गाण्ड देखकर मेरा लंड तुरंत ही खड़ा हो जाता है।
मेरी दीदी तभी से ही मुझे अच्छी लगती हैं.. जब से मैं उनके घर आया हूँ, मेरी वासना बहुत बढ़ गई है।
लेकिन मुझमें कभी उनसे अपने मन की बात कहने की हिम्मत नहीं हुई। जॉब के लिए शहर में आने से पहले मैं गाँव में था.. इसलिए मुझे लड़कियों से बात करने की आदत भी कम थी।
मेरे जीजा भी एक बड़ी कंपनी में हैं.. इसलिए वो घर पर बिल्कुल भी टाईम नहीं दे पाते हैं।
जब जीजाजी घर नहीं होते.. तब कमरे में मैं दीदी के साथ अकेला ही उनके ही बिस्तर पर ही सोता हूँ।
कमरे में बिस्तर काफी बड़ा है और उस पर दो लोग दूर-दूर आराम से सो सकते हैं।
मैं सुबह जल्दी उठने पर दीदी को ही देखता रहता था। सुबह के समय उनका गाउन थोड़ा ऊपर को चढ़ा रहता था.. जिससे मैं दीदी की जाँघों को देखता रहता था और उनकी गाण्ड को भी निहारता.. जिस पर गाउन चिपकने के कारण चड्डी की किनारी दिखाई देती है।कभी-कभी उनके गाउन के ऊपर का बटन खुला होने पर उनके मम्मे भी दिखाई देते थे।
उठने के बाद मैं दीदी के नहाने जाने की राह देखता था और जैसे ही वो नहा कर बाहर आती थी.. मैं बाथरूम में अन्दर जाकर गाउन हैंगर पर लटका कर पर उनकी ब्रा को लगा कर उनके मम्मे चूसने की रियाज करता था।
उनकी पैन्टी की मादक गंध मुझे पागल कर देती थी। उनकी पैन्टी को चूमते हुए मैं मुठ मारता था और अपना सारा वीर्य निकाल देता था।
एक बार मैंने दीदी को बातों-बातों में बताया कि मैं कभी-कभी शराब पी लेता हूँ। उनके बाद जब भी मैं उनको रात को एसएमएस करता तो दीदी को लगता था कि मैंने दारू पी के ही एसएमएस किया है।
एक दिन रात को मैंने दीदी को एक एडल्ट एसएमएस किया तो उन्होंने कहा- लगता है ज्यादा पिए हो? तुझे दारू चढ़ गई है।
मैंने सोचा कि चलो इसी बात का फायदा उठाते हैं और मैंने दीदी को अश्लील आवाज दी। मुझे लगा इससे थोड़ी बात बनेगी और दीदी भी मेरे बारे में सोचने लगेगी।
लेकिन इसका असर उल्टा हुआ, दीदी ने मुझे डांटते हुए पूछा तो मैंने उनसे कहा- ये आवाज तेरे लिए नहीं थी.. गलती से आवाज दे दी थी।
मैंने उनको ‘सॉरी’ बोला।
इसके बाद मैंने दीदी को चोदने का ख्याल छोड़ दिया और उनके बारे में सोच कर मुठ मारने में ही खुश रहने लगा।
लेकिन इन दिनों मैं कुछ ये महसूस करने लगा था कि दीदी, जीजाजी के घर में कम रहने के कारण कुछ बेचैन सी रहने लगी थीं। मुझे देख कर वे कुछ अजीब सी हरकतें करने लगी थीं.. जैसे अपने ब्लाउज के बटन खोल कर दूधदर्शन कराना या फिर बिना दरवाजा बंद किए नहाना..जिससे मुझे उनके नग्न जिस्म के दीदार हो सकें।
पर उस दिन की डांट से मेरी गाण्ड फटती थी सो मैं चुप ही रहता था।
एक दिन जीजाजी को उनके छोटे भाई के जरूरी काम से दो दिन के लिए गांव जाना था, तो दीदी ने मुझसे रात को साथ सोने के लिए कहा.. तो मैंने तुरंत ‘हाँ’ कर दिया और मन ही मन बहुत खुश हो गया।
मैंने मन ही मन ठान लिया था कि इन दो दिनों में मैं कुछ न कुछ करके रहूँगा। रात को मैं दस बजे बाहर से घर पर खाना खा कर आया और दीदी का बनाया हुआ खाना भी खाया। थोड़ी देर बातें करने के बाद दीदी सो गईं।
अब मैं दीदी को देखने लगा। मैं दीदी को पटाने की तरकीबें सोचने लगा। आज मुझे उनके हाव-भाव से कुछ मालूम हो गया था कि दीदी सोई नहीं हैं.. नाटक कर रही हैं।
मैंने अपना लंड उनके चूतड़ों के बिल्कुल पास रखा। दीदी को इसका अहसास में होने लगा.. मैं सोने का नाटक करके बाजू में लेट गया। मुझे मालूम था अगर मैं नींद में होने का नाटक न करता.. तो दीदी मुझे नीचे फर्श पर सोने को कह देतीं और मेरी योजना फेल हो जाती।
कुछ देर बाद मैंने नींद में होने का नाटक करते हुए जानबूझ कर एक हाथ दीदी के एक मम्मे पर रखा और पैर चूत पर लगा दिया।
अब शायद दीदी गहरी नींद में सो गई थीं, इसलिए उसे पता नहीं चला। मैं आज दीदी की चूत मारने का पका कर चुका था.. तो मैंने नींद में होने का नाटक करके दीदी को जोर से जकड़ लिया।
उन्होंने मुझे उनसे थोड़ा दूर हटाया। उसे लगा मैं नींद में ही हूँ। मैं थोड़ी देर शांत रहा और मैं बाद में एक हाथ उनकी चूत पर फेरने लगा और दूसरे हाथ से उनके मम्मों को दबाने लगा था।
यहाँ मेरी हालत खराब होती जा रही थी कि कब मैं दीदी को चोदूँगा। अबकी बार जब उनकी तरफ से कोई आपत्ति नहीं हुई तो मैं धीरे-धीरे उनको सहलाने लगा।
इतने में वो जाग गईं.. और वो समझ गईं कि मैं सोने का नाटक कर रहा हूँ। उन्होंने गुस्से में मुझे जगाया और बाजू के कमरे में ले गई।
डर के मारे मैंने दूसरे कमरे में जाते ही उनसे माफी मांगी।
उन्होंने कहा- मैं एक शर्त पर ही माफ करूँगी, अगर तुमने वो नहीं मानी तो मैं सबको बता दूँगी।
मैंने शर्त बिना सुने ही ‘हाँ’ कह दी।
उन्होंने कामुकता से बोला- आज तुम मुझे चोदोगे।
पहले तो मैं हतप्रभ हो गया फिर मैंने तुरंत ‘हाँ’ कर दी।
उन्होंने मुझसे सेक्स के विषय में पूछा- क्या तुम जानते हो कि अच्छे ढंग से सेक्स कैसे करते हैं।
तो मैंने बोला- तुम खुद ही देख लेना कि मैं कैसे आपको शांत करता हूँ।
वो मान गईं.. मैंने उनको अपने दोस्तों के कामुक किस्से सुनाए। मैं समझ गया कि दीदी यह सुन कर थोड़ी खुश हुई हैं और मेरे साथ सम्भोग करने की सोचने लगी हैं।
अब दीदी भी गर्म हो गई थीं। दीदी ने गुलाबी रंग का गाउन पहना हुआ था जिसका गला थोड़ा ज्यादा खुला था और उनके थोड़े से मम्मे दिख रहे थे। उनके मम्मों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.. और अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था।
मैंने जल्दी से दीदी को पीछे से पकड़ लिया और उनके मम्मों पर हाथ फिराने लगा। उन्होंने कुछ भी विरोध नहीं किया तो मैंने उनके दोनों मम्मों को दबाना चालू कर दिए। अब वो भी गर्म हो गई थीं.. इसलिए कुछ नहीं बोल रही थीं।
मैंने थोड़ी देर गाउन के ऊपर से ही उनके मम्मे सहलाए। थोड़ी देर बाद मैंने उनका गाउन नीचे से उठाया तो उन्होंने भी हाथ ऊपर करके गाउन निकालने में मेरा सहयोग दिया। दीदी ने अन्दर सफ़ेद रंग की ब्रा और गुलाबी पैन्टी पहनी थी। दीदी को पहली बार ब्रा और पैन्टी में देख कर मेरा लंड और सख्त हो गया और मैं दीदी के मम्मे दबाते-दबाते उसे चूमने लगा।
अब मैं पीछे से ही एक हाथ से उनके मम्मे दबाने लगा और दूसरा हाथ उनकी चूत पर फिराने लगा। उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं और जोर से उनके मम्मे दबाने लगा.. तो उनसे रहा न गया और वो मेरे तरफ मुड़ गईं। मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और जोरों से चूमने लगा।
वो भी मेरा सहयोग करने लगीं।
अब मैंने धीरे से उनकी ब्रा का हुक निकाला और उनकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। मैंने देखा तो उनके मम्मे बहुत बड़े थे जैसे दो बच्चे की मां के होते हैं.. ठीक उतने बड़े थे।
आज तक बाहर से मुझे कभी अंदाज नहीं हुआ था, शायद वो कम नंबर की ब्रा पहन कर उन्हें दबा कर रखती थी, क्योंकि जैसे ही मैंने ब्रा खोली वैसे ही उनके मम्मे उछलते हुए बाहर आ गए थे।
मैंने मेरा मुँह उनके बाएं निप्पल पर रख दिया और उसे जोरों से चूसने लगा।
दीदी भी मेरा सर पकड़ कर जोरों से अपने मम्मों पर दबा रही थीं, वो जोर-जोर से ‘उह्ह.. आह्ह..’ की आवाजें निकाल रही थीं।
मैंने मम्मों को चूसते-चूसते एक हाथ उनकी पैन्टी के अन्दर डाल दिया और उनकी चूत पर फिराने लगा।
उनकी चूत गुलाब के फूलों जैसी मखमली और एकदम गरम लग रही थी।
मैं एक उंगली उनकी चूत में घुमाने लगा।
अब दीदी के निप्पल कुछ सख्त होने लगे थे और उनकी चूत भी गीली हो गई थी।
दीदी अब ज्यादा उत्तेजित हो गई थीं और उछल उछल कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं, उनके मुँह से बहुत सेक्सी आवाजें निकल रही थीं- उऊऊ ऊऊऊ.. आह ह्ह… अययईई..
अब उनकी चूत देखे बिना मुझसे रहा नहीं जा रहा था और उनकी चूत की मादक गन्ध ने मुझे पागल कर दिया था। इसलिए मैंने उसे लिटा दिया और तुरंत उनकी पैन्टी उतार फेंकी।
उनकी चूत मेरे आंखों के सामने थी, बहुत ही प्यारी थी उनकी चूत, उनकी चूत के होंठ बहुत ही प्यारे थे और उन पर एक भी बाल नहीं था।
शायद उन्होंने एक दिन पहले ही उनकी सफाई की थी।
मैंने अपना मुँह उनकी चूत से लगा दिया और जोर से उनकी चूत चूसने लगा।
इससे दीदी के मुँह से और ज्यादा आवाज निकलने लगी और थोड़ी देर बाद दीदी झड़ने लगीं।
मैं उनका सारा पानी पी गया, उनका स्वाद बहुत अच्छा था।
मैंने उनकी चूत चूसना चालू रखा तो कुछ ही देर में दीदी फिर गर्म हो गईं, उन्होंने खड़े हो कर मेरे सारे कपड़े एक मिनट में ही निकाल फेंके और नीचे बैठकर मेरा लंड चूसने लगीं।
कुछ देर बाद मैं उनके मुँह में ही झड़ गया और मैं थोड़ी देर लेटा रहा।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उनकी चूत पर हाथ फेरना शुरू किया और मम्मे चूसने लगा, जल्द ही मैं फिर से गर्म हो गया।
मेरा लंड भी फिर से खड़ा हो गया था और दीदी की चुदाई के लिए तैयार था। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा।
दीदी को भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था.. तो वो भी जोर-जोर से कहने लगीं- अब रहा नहीं जाता.. फाड़ दे मेरी चूत को फाड़ दे..
मैंने अपना लंड पकड़ा और उनकी चूत के मुँह पर ठीक से रखा और धीरे से एक धक्का लगाया तो मेरा लंड सिर्फ थोड़ा सा अन्दर गया और दीदी जोर से चीख पड़ीं।
मैंने तुरंत अपना मुँह उनकी मुँह पर रख दिया और जोरों से दो धक्के लगाए तो मेरा लंड पूरा अन्दर घुस गया।
मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू रखा, थोड़ी देर बाद दीदी का दर्द कम हुआ तो मैंने अपना मुँह उनके मुँह से हटा दिया और अब उनके मम्मों पर रख दिया और उन्हें चूसते-चूसते धक्के लगाता रहा।
लगातार कुछ मिनट तक धक्के लगाने के बाद दीदी ने मुझे कसके पकड़ लिया और अपने पैरों को मेरी गाण्ड के ऊपर कस दिया। मैं समझ गया कि दीदी की चूत का पानी निकलने वाला है, मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी।
अब उनके मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं- ऊऊह.. आहह.. उइ.. ईईउउ..
अचानक उनका बदन ऐंठने लगा और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया।
इसी बीच मेरे लंड से भी गर्म वीर्य का लावा निकल कर उनकी चूत में भरने लगा, हम दोनों एक साथ झड़ गए।
उन रात दीदी को मैंने 5 बार जी भर कर चोदा और दूसरे दिन भी मैं काम पर नहीं गया और दूसरे दिन हमने दिल खोल कर चुदाई की।
अब मैं दीदी को कभी भी चोद सकता हूँ।
उम्मीद है कि मेरी यह कहानी सभी को पसंद आई होगी। आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा।
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