रिश्तों में वासना का खेल- 2
(Hot Cousin Porn Kahani)
हॉट कजिन पोर्न कहानी में मेरी चुदक्कड़ मौसी की जवान बेटी एक सुबह मेरे घर आई. मैं अकेला था. आते ही वह नंगी हो गयी और मेरा लंड निकाल कर चूसने लगी.
कहानी के पहले भाग
मौसी के घर में सेक्स का नंगा खेल
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी मौसी ने किस तरह से मेरे सामने अपने बेटे अरुण का लंड चूसा था और उसके बाद अरुण की दीदी सोना ने अपनी मां के साथ मिल कर मेरे लंड को चूसा और मौसी ने मुझसे चुदवा लिया. उसके बाद मैं अपने घर आ गया.
एक दिन मैं मम्मी के साथ था, जब उन्होंने कहा कि उन्हें मेरे मौसेरे भाई अरुण के साथ बाजार जाना है. तो मुझे शक हुआ कि मम्मी भी कहीं मौसी के साथ सेक्स के खेल में शामिल नहीं हैं!
फिर दरवाजे पर दस्तक हुई.
अब आगे हॉट कजिन पोर्न कहानी:
मम्मी दरवाजा खोलने चली गईं, दरवाजा खोला, तो सामने सोना दीदी थी.
सोना- नमस्ते मौसी.
मम्मी- अरे सोना, तुम यहां?
सोना- राज अपना होमवर्क नहीं कर पा रहा था, तो अरुण ने कहा कि मैं जाकर उसकी मदद कर दूँ.
मम्मी- अरे यह तो बहुत अच्छी बात है. अरुण भी तुम्हारे साथ आया है क्या?
सोना- नहीं, वह आपका मार्केट में ही इंतजार कर रहा है.
मम्मी- अच्छा सोना तुम अन्दर आओ.
सोना अन्दर आ गई.
ठंड का मौसम था तो उसने बड़ा सा कोट पहना था.
सोना दीदी- हैलो राज!
मैं- हाय दीदी!
मेरा लंड चूसने के बाद भी वह कितना सामान्य बर्ताव कर रही है, मैं औरतों को समझ ही नहीं सकता.
पर सोना दीदी यहां क्यों आई है?
मम्मी- ठीक है राज, मैं जा रही हूं.
मैं- ठीक है मम्मी.
सोना के आने के वजह से मैं मम्मी के पीछे नहीं जा पा रहा था.
मम्मी जा चुकी थीं.
मैं और सोना दीदी हॉल में चुपचाप खड़े थे.
इतना कुछ होने के बाद मैं क्या बोलूं! कहीं मेरा शक सही तो नहीं!
कहीं अरुण मम्मी के साथ मेरे जैसा ही जबरदस्ती तो नहीं करेगा.
मुझे जल्दी कुछ करना पड़ेगा.
मैं हिम्मत करके बोला- आप यहां क्यों आई हैं?
सोना- क्या तुम पीछे मुड़ सकते हो?
मैं- क्या?
सोना ने जोर से बोला- मैंने कहा कि क्या तुम पीछे मुड़ सकते हो?
मैं घबरा कर बोला- ठीक है.
मैं सोना की ओर पीठ करके खड़ा हो गया.
मुझे बहुत घबराहट हो रही थी.
सोना- ठीक है, अब पलटो!
मैं सोना की ओर मुड़ा. उसने अपना कोट उतार दिया था. उसने बस एक पतली ब्रा पहनी हुई, जिससे उसके बस निप्पल ढक पा रहे थे. उसके पेट पर कुतिया लिखा था और एक पतली पैंटी जो उसकी चूत के पानी से भीगी हुई थी. पैंटी में दो छोटे छोटे वाइब्रेटर थे, जो उसकी चूत में घुसे थे.
यह सब देखकर मुझे फिर से वही सब याद आने लगा.
मुझे लगा था कि वह अब बीत गया तो सब खत्म हो गया, पर नहीं … मैं गलत था.
दीदी- मैं तैयार हूँ राज!
मैं- क्या कर रही हो?
दीदी ने जोर से कहा- मुँह बंद करो और देखो!
उसने अपने टांगें थोड़ी फैलाईं और उसी अवस्था में खड़ी हो गई. वह अपने हाथों की मुट्ठी बना कर नीचे की ओर जोर लगाने लगी.
यह ठीक वैसा ही जोर लगाया जा रहा था, जैसा जोर हम टॉयलेट करते समय लगाते हैं.
उसकी चूत से वे दोनों वाइब्रेटर छिटक गए.
ये वाइब्रेटर ना जाने कब से उसकी चूत को सता रहे थे.
अब वह गहरी सांस लेती हुई नीचे बैठ गई- क्या उसने तुमसे कुछ कहा?
मैं- क्या?
दीदी- अरुण तुम्हारी मदद चाहता है.
मैं फिर से सोच में पड़ गया कि यह क्या चीज है और क्या बोल रही है!
मैं- तुम्हारा मदद से क्या मतलब है?
दीदी- चलो बात बहुत हो गई, अब करते हैं.
दीदी मेरी तरफ घुटने के बल बढ़ने लगी.
वह तुरंत ही मेरी पैंट के पास पहुंच गई और मेरा पैंट खोलने लगी.
दीदी- मुझे ऐसे देखकर तुम्हारा लंड खड़ा हो गया है ना!
सच में मेरा लंड एकदम खड़ा था.
उसने मेरा पैंट जैसे ही खोला, मेरा लंड उसके मुँह पर लग गया. उसने मुँह खोला और मेरे लंड के टोपे को चूसने लगी.
सोना ने पिछली बार भी इसी तरह से मेरे लंड को टोपे से चूसना शुरू किया था.
दीदी मेरे लंड को चाटती हुई कह रही थी- मुझे माफ कर दो, मुझे माफ कर दो … यह तुम्हारे भले के लिए है.
वह इस तरह से मेरे लंड को चूस रही थी कि मैं उसे कुछ बोल ही नहीं पा रहा था.
आखिर मैं एक लड़का हूँ. मेरा लंड चूसे जाने से मेरी भी कामाग्नि बढ़ने लगी थी.
दीदी मेरे लंड को चाटना छोड़कर सामने मुँह उल्टा करके टेबल पर पीठ के बल लेट गई और अपने सर को टेबल पर ना रख कर नीचे लटका दी.
अब मुझे उसका सर उल्टा दिखने लगा.
दीदी- आओ राज मेरे मुँह को चोदो!
मुझे मालूम था कि यह गलत है … फिर भी मैं धीरे धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा.
उसका लार से भरा हुआ खुला मुँह मेरे लंड को जैसे खींच रही थी.
वह बार बार कुतिया की तरफ अपनी जीभ बाहर निकाल कर मुझे बुला रही थी.
दीदी- आओ राज, चोदो मेरे मुँह को! मैं तुम्हारी कुतिया हूँ. अपनी कुतिया को अपने लंड का दूध पिलाओ!
उसके चेहरे पर मैंने कभी कोई इमोशन नहीं देखा था.
पिछली बार भी पूरी चुदाई में उसके चेहरे का भाव नहीं बदल रहा था.
जहां मौसी खूब खुश होकर मजे लेकर मुझसे चुद रही थीं, दीदी बस चुपचाप बातों को ऐसे मान रही थी, जैसे वह कोई रोबोट हो.
पर आज वह बार बार मुझे बुला रही थी … अपने चेहरे पर कामुकता का भाव दिखा रही थी.
मैं उसके चेहरे के पास जाकर अपनी टांगों को थोड़ा फैला कर खड़ा हो गया.
उसके मुँह के ऊपर मेरा लंड था.
दीदी ने मेरा लंड उठाया और मेरे आंडों को चाटने चूसने लगी. वह अपने हाथ से मेरे लंड को जोर से पकड़ कर उसकी चमड़ी को आगे पीछे कर रही थी.
मैं- दीदी, आप मेरे लंड को बहुत सख्ती से दुह रही हो. मेरा लंड टूट जाएगा.
सोना ने लंड को हाथ से छोड़ दिया और और लंड को मुँह में डाल कर चूसने लगी.
वह अपना सर उठा उठा कर मेरे लंड को अपने गले के अन्दर तक ले जा रही थी.
मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था.
दीदी- राज, तुम भी अपना लंड मेरे मुँह धकेलो ना!
मैं- दीदी, आपकी जीभ ने मेरे लंड को जकड़ लिया है, आह … मैं झड़ने वाला हूं!
दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह से इतना जोर से दबा रही थी कि मैं झड़ने लगा.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और सारा माल दीदी के चेहरे पर गिरा दिया.
मैं झड़ कर नीचे फर्श पर बैठ गया.
दीदी और मैं दोनों ही हांफ रहे थे.
दीदी- तुमने बहुत सारा माल मेरे चेहरे पर गिराया है. ये बहुत गर्म है.
मैं कुछ कदम पीछे हुआ और नीचे बैठ गया.
हम दोनों ही आराम करने लगे.
मैंने सोचा सोना दीदी से पूछूं कि वे सब लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं?
मैं- दीदी आप लोग मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो?
दीदी- क्या तुमने अभी तक नोटिस नहीं किया?
मैं- क्या नोटिस नहीं किया?
दीदी- तब रहने दो, अच्छा होगा मैं इस सीक्रेट को सीक्रेट ही रखूं. वैसे भी मैं यह सब इसी लिए कर रही हूँ कि तुम्हें कुछ पता ना चले और तुम इन सब से दूर रहो.
उसका यह कहना मुझे झांट बराबर भी समझ में नहीं आया.
वह उठ कर टेबल से उठ खड़ी हो गई और उसने अपनी टांगों को फैला दिया.
अब वह अपने एक हाथ से अपनी पैंटी में उंगली करने लगी और दूसरे हाथ से अपनी ब्रा के एक कप को ऊपर करके अपने निप्पल मसलने लगी.
फिर वह अपनी टांगें फैलाए मेरी ओर बढ़ने लगी.
दीदी- तुम कुछ मत सोचो बस मेरी जवानी का मजा लो राज! देखो राज ये मेरी चूत को!
दीदी मेरे सामने करीब आ गई.
वह पैंटी को नीचे करके अपनी जवान रसीली चूत को फैला कर दिखाने लगी.
उनकी चूत एकदम चिकनी, टाइट व थोड़ी फूली हुई थी.
बीच में पतली लाइन से उनकी चूत के दोनों हिस्से चिपके हुए थे.
मौसी की चूत के जैसे फटे हुए फलक नहीं थे.
दीदी की चूत पर बाल भी नहीं थे. पर उनकी चूत के ऊपर की तरफ छोटी छोटी झांटें एक डिजाएन में कटी हुई सजी सी थीं.
झांट की लाइन चूत के लाइन से मिल रही थी.
उसकी चूत बहुत खूबसूरत लग रही थी. उसकी चूत का रंग भी मौसी की चूत के रंग का ही था.
उन्होंने अपनी एक उंगली को चूत की फांक पर रखा और एक उंगली दूसरी फांक पर.
दोनों उंगलियों से वह अपनी दोनों चिपकी हुई फांकों को फैला कर दिखा रही थी.
धीरे धीरे उसने चूत की फांकों को पूरा फैला दिया.
मुझे उनकी गीली व चिपचिपी चूत की लालिमा को अन्दर से देखने को मिल रहा था.
दीदी- देखो राज, मेरी चूत के दाने को! मेरी गीली चूत को … मेरी चूत मम्मी की चूत से भी अच्छी तरह से तुम्हारे लंड को निचोड़ लेगी!
वह मेरे लंड के ऊपर टांग फैला कर खड़ी थी और अब वह अपने हाथ से मेरे खड़े लंड को पकड़ कर उस पर बैठने लगी.
मेरा लंड सोना की चूत में घुस रहा था.
दीदी- राज, अगर तुम अपना लंड मेरी चूत में डालोगे तो तुम पागल हो जाओगे.
सोना दीदी मेरे लंड पर बैठ कर अपनी गांड ऊपर नीचे करने लगी.
दीदी- आह राज चोदो मुझे … मैं तुम्हारी कुतिया हूँ.
सोना जोर जोर अपनी गांड मेरे लंड पर पटक रही थी.
उसकी चूत मेरे आंडों को छू रही थी.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था पर इस बार मैं भी भाई बहन के रिश्ते को भुला कर पागलों की तरह अपनी बहन को चोद रहा था.
दीदी- तुम मेरी चूत को पसंद करते हो ना … देखो कैसे मेरी बदमाश चूत ने तुम्हारे लंड को जकड़ रखा है. तुमको मजा आ रहा ना … आह तुमको अच्छा लग रहा है ना … बोलो राज … आह तुमको अच्छा लग रहा है ना!
वह मेरे लंड पर बैठकर चुदती हुई अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ कर मुझे किस करती हुई यह सवाल कर रही थी.
मैंने उसे चोदते हुए हल्के से जवाब दिया- दीदी, तुम यह सब किसके कहने पर कर रही हो?
सोना एक झटके से मेरे चेहरे से दूर हो गई और मेरे लंड पर सीधी बैठकर नाराज होकर अपनी गांड पटकने लगी.
दीदी- तुम ऐसा क्यों बोल रहे हो? ये मैं हूँ … यही मेरा असली रूप है क्योंकि मैं अपनी कुतिया मां की कुतिया बेटी हूँ. मुझे चुदने में मज़ा आता है. चलो लंड को और खड़ा करो और गहराई तक पेल कर चोदो मुझे!
तब दीदी मेरे लंड से उठ गई और कुतिया बन गई.
मुझे भी गुस्सा आ रहा था कि इतना पूछने पर भी सोना कुछ बता नहीं रही थी.
मैं उठा और पीछे से उसे चोदने लगा- बताओ न दीदी, मैंने क्या नहीं नोटिस किया … बताओ मुझे!
वह चुप रही.
मैं दीदी के बाल पीछे से खींचने लगा- दीदी बताओ मुझे … तुम मुझसे क्या छुपा रही हो?
दीदी- आह राज … राज चोदते रहो, मुझे तुम्हारा लंड कमाल का लग रहा है. चोदो मुझे … आह पेलो … चोदते रहो भाई … जब तक मैं झड़ ना जाऊं!
मैं उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारने लगा.
उसे और मजा आ रहा था.
मैं पीछे अपने दोनों हाथों से उसके मुँह में उंगली डाल कर उसका मुँह खोल कर उसे चोदने लगा.
मैं- बताओ … आह बताओ न मुझे … क्या तुमको मेरे लंड की लत लग गई है?
दीदी खुले मुँह से अजीब आवाज में बोली- मेरी चूत को इतना चोदो कि वह झड़ जाए … आह!
मैंने अपनी चुदाई की रफ्तार धीमी कर दी.
मैं- मैं तुमको नहीं झड़ने दूंगा, जब तक तुम मुझे सच नहीं बताती. मुझसे बात करो सोना!
दीदी- ठीक है मैं सब बताऊंगी, प्लीज मुझे तेजी से चोदो राज!
मैंने अपनी रफ्तार फिर से बढ़ा दी- चल अब जल्दी से झड़ जा कुतिया!
तभी मैंने अचानक ध्यान दिया कि दीदी की गांड के छेद से हल्की सी मेटल की कोई चीज निकली हुई है.
मैंने वह चीज पकड़ी और थोड़ा खींचा तो उससे जुड़ी एक छोटी मेटल बॉल निकली.
मैं समझ गया कि वह मोतियों की पूरी लड़ी है जो दीदी ने अपनी गांड में Anal Beads सेक्स टॉय डाली हुई है.
मेरा लंड भी अब झड़ने वाला था.
मैं जैसे ही झड़ा, मैंने वह गुच्छा जोर से खींचा.
नतीजतन उसकी गांड में घुसी सारी गेंदें एक एक करके बाहर निकलने लगीं.
दीदी चिल्लाई … शायद वह झड़ रही थी.
दीदी- आह … मैं झड़ रही हूं. राज तुम बहुत अच्छे हो.
हॉट कजिन पोर्न का खेल खेलने के बाद हम दोनों अलग होकर नीचे बैठ कर सांसें भरने लगे.
कुछ देर बाद दीदी उठी और बिना पैंटी और ब्रा पहने अपना कोट पहनने लगी.
उसके चेहरे से फिर से सारे भाव गायब हो चुके थे.
मैं- रुको दीदी, तुमने बताने को कहा था. मुझसे बात करो. तुम ऐसा क्यों कर रही हो?
पहले तो दीदी चुप खड़ी रही, फिर उसने चुप्पी तोड़ी- मेरा कुछ भी बोलना तुम्हारी जिंदगी बर्बाद कर देगी. मैं तुमको बचाना चाहती हूं. मैं बस यही कहूंगी कि तुम अपने परिवार को अरुण से दूर रखो. खास कर अपनी मम्मी को. तुम्हें एक दिन सब पता चल ही जाएगा.
आज मैं फिर से चौंक गया कि यह सब क्या हो रहा था.
मुझे जो अरुण से डर था, ये वही था.
पर मुझे यकीन नहीं हुआ.
मैं- तुम क्या कह रही हो?
दीदी जाने लगी और जाते जाते वह बोली- मैं अपनी ब्रा और पैंटी छोड़ रही हूँ. तुम चाहो तो इसकी मदद से मुठ मार सकते हो.
मैं उसकी बातों पर सोचता रहा.
नहीं … ऐसा नहीं हो सकता.
क्या सच में मम्मी मान गई होंगी या अरुण उनके साथ जबरदस्ती कर रहा होगा.
मम्मी किसी परेशानी में तो नहीं हैं.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि सोना दीदी की बातों पर भरोसा कैसे कर लूं.
मैं यही सब सोचते सोचते सो गया.
फिर जब दरवाजे की घंटी बज रही थी, तब मैं उठा.
मैंने जल्दी से अपना पैंट ऊपर किया.
सोना दीदी की छोड़ी पैंटी और ब्रा को अपने जेब में भर लिया.
फिर दरवाजा खोला.
मम्मी- मैं घर आ गई. लगता है तुम सो रहे थे?
वे घर में अंदर आईं तो वे सामान्य लग रही थीं.
मम्मी- शॉपिंग खत्म होने के बाद हम मेले में झूला झूलने चले गए. उसने तुमको गुडलक बोला है. अरे सोना कहां गई है?
मैं- वह चली गई.
मम्मी- मुझे लगा वह आज रात रुकेगी!
मैं- मम्मी आपकी आवाज काफी भारी लग रही है!
मम्मी- लगता है मैं झूले पर ज्यादा ही चिल्ला रही थी. अच्छा मुझे भूख लग रही है. मैं अभी कुछ बनाती हूँ.
मम्मी किचन में चली गईं.
मैं और मम्मी खाना खाने लगे.
मम्मी काफी थकी लग रही थीं.
कुछ तो गड़बड़ थी.
सोना दीदी की वजह से मैं मम्मी पर शक कर रहा था.
मम्मी- क्या हुआ, तुम मुझे देख रहे हो?
मैं- नहीं, कुछ नहीं!
पहली बार में मुझे यकीन नहीं हो रहा था.
शांत दिमाग से दीदी की बात को सोचता हूँ तो …
कुछ दिन बीत गए.
मेरी जिंदगी में एक से एक बदलाव हो रहे थे.
अब मैं मुठ भी मारने लगा था.
मैं लगभग हर रोज सोना दीदी और मौसी के साथ चुदाई याद करके मुठ मारता था.
मुठ मारते हुए मैं सोना दीदी की पैंटी और ब्रा भी सूंघता और अपने लंड पर रगड़ता था.
एक दिन मैं पार्क में बैठा था.
मैं सोना दीदी और अपने बीच हुई चुदाई के समय की बात को याद करने लगा.
दीदी कह रही थीं कि मैं जो कर रही हूँ. तुम्हारे भले के लिए कर रही हूँ. और आखिर में उसने जो कहा था कि अरुण तुम्हारी मम्मी के साथ सेक्स करना चाहता है.
मैं ऐसे और नहीं बैठे रह सकता, मुझे कुछ करना ही पड़ेगा.
मैंने फोन निकाला और अरुण को फोन लगाया.
अरुण ने फोन उठा लिया.
मैं- अरुण, मुझे तुमसे अपनी मम्मी के बारे में कुछ पूछना है.
अरुण- माफ करना राज, अभी मैं अपनी मम्मी की चुदाई कर रहा हूँ. वे तुम्हें भी बुला रही हैं.
मौसी फोन पर कराहती हुई बोलीं- आह बेटा … आ जाओ … मुझे एक साथ दो लंड से चुदना है … आह आओ अपनी मौसी की गांड में अपना लंड पेल दो!
मैंने फोन काट दिया.
अरुण से मैं और कुछ बात नहीं कर पाया.
मैं फिर से सोचने लगा.
क्या सच में अरुण मेरी मम्मी को चोदना चाहता है. क्यों नहीं चोद सकता … जब वह मां और बहन को चोद सकता है, तो मेरी मम्मी को भी पेल सकता है.
पर हो सकता है कि सोना ही यह सब अरुण से करवा रही हो.
आखिर किस तरह वह अपनी प्यास बुझाने के लिए मेरे घर आ गई थी.
मम्मी को घर से बाहर निकलने के लिए अरुण को भी उसी ने कहा होगा.
मैं किसी पर विश्वास करूं तो करूं कैसे!
तभी पार्क में खेल रहा एक लड़का मेरे पास आया.
दोस्तो, इस रहस्यमयी हॉट कजिन पोर्न कहानी में आपको कितना मजा आ रहा है, प्लीज जरूर लिखें.
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हॉट कजिन पोर्न कहानी का अगला भाग: रिश्तों में वासना का खेल- 3
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