1st क्लास ट्रेन में दीदी के साथ सेक्स
(Hot Bahan Ki Gnd Mari)
हॉट बहन की गांड मारी मैंने चलती ट्रेन में! मैं अपनी दीदी को उनकी ससुराल छोड़ने जा रहा था. घर पर मैं दीदी की चूत पहले ही मार चुका था.
दोस्तो, मैं आपका दोस्त सैम अपनी ज़िंदगी की एक और रसीली घटना लेकर आपके सामने आया हूँ.
जैसा कि मैंने अपनी कहानी
जीजू दीदी को पति वाला सुख नहीं दे पाए
में आपको बताया था कि जीजू से सेक्स का पूरा मजा ना मिलने पर दीदी ने मुझे अपना जिस्म दिखा कर लुभा लिया था और मैंने अपनी दीदी के साथ 20 दिनों तक संभोग किया था.
दीदी की ससुराल से फोन आया था कि उनके ससुर जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं है और उनको हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है.
इस खबर को सुनकर मां ने मुझे दीदी को घर छोड़ने और दीदी के ससुरजी की तबीयत देख आने के लिए कहा क्योंकि पिताजी जा नहीं सकते थे.
हम दोनों ने विदर्भ एक्सप्रेस में अपनी सीट बुक की.
ये वीटी स्टेशन से सुबह 7.40 को निकलती है और दूसरे दिन दोपहर के बाद बंगलोर पहुंच जाती है.
हमारी टिकटें फर्स्ट एसी कोच में पिताजी ने सरकारी कोटे में कराई हुई थीं. ये एक अलहदा केबिन में थीं
हम दोनों का जब घर से निकलने का समय हो रहा था, तो दीदी बेडरूम में जल्दी जल्दी रेडी हो रही थीं.
दीदी ने लेमन येल्लो कलर की साड़ी नाभि से नीचे बांधती हुई पहनी थी.
उनका ब्लाउज लो-कट था और उनके बूब्स आधे से ज्यादा बाहर दिख रहे थे.
दीदी स्वर्ग की अप्सरा लग रही थीं.
मेरा जी कर रहा था कि खड़े खड़े ही दीदी को चोद डालूं.
मगर मजबूरी थी क्योंकि घर में मां थीं.
मैंने दीदी को अपनी बांहों में ले लिया और उनके मम्मों पर किस करने लगा.
दीदी भी मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगीं.
मैंने दीदी के ब्लाउज को थोड़ा सा ऊपर किया और उनके बूब्स को चूसने और दबाने लगा.
दीदी भी सिसकारियां भरने लगीं- आ आह, सैम प्लीज़ अभी नहीं, रात भर तो तूने सोने नहीं दिया … और अभी फिर से चालू हो गया. सुन, ट्रेन में पहले हम सोएंगे और फिर हम ये सब रात में करेंगे. मौक़ा मिला तो ट्रेन में तू मुझे चोद लेना.
मैंने दीदी को चुम्मा लेकर छोड़ दिया.
जैसे ही मैं दीदी से अलग हुआ, मां रूम में आ गईं.
मुझे ऐसा लगा कि मां ने ये सब देख लिया था.
मां ने दीदी की तरफ देखा और बोलीं- आज मेरी बेटी बहुत सुन्दर लग रही है. किसी की नज़र ना लग जाए.
फिर मां ने पलट कर मेरी तरफ देखा और फिर मेरी पैंट में बने तंबू की तरफ देखने लगीं.
वो खड़े लंड को नजरअंदाज करती हुई बोलीं- ट्रेन में इसका ध्यान रखना … और इसे जो चाहिए, वो सब कुछ देना. सब कुछ माने सब कुछ!
मैंने भी उत्तर दिया- मां आप चिंता मत करें. दीदी को मैं सब कुछ पेट भरके दूँगा, जितना मांगेंगी, उससे ज़्यादा दूँगा.
मैं दीदी की ओर देख कर हंसने लगा.
फिर मैंने मां के पैर छुए और दीदी ने मां से विदा ली.
अब हम दोनों घर से निकल गए.
मैंने घर पर टैक्सी बुला ली थी.
हम दोनों वीटी स्टेशन की ओर जाने लगे. हम दोनों टैक्सी में पीछे की सीट पर बैठे थे लेकिन उधर हमने कोई हरक़त नहीं की क्योंकि ये टैक्सी ड्राइवर हमेशा हमारे घर के पास ही खड़ा होता है.
जब हम वीटी स्टेशन पहुंचे और दीदी टैक्सी से उतरीं, तो वहां खड़े सभी टैक्सी ड्राइवर के लंड दीदी को सलामी देने लग गए थे.
एक ड्राइवर की दीदी की ओर पीठ थी.
उसके एक साथी ने उससे कहा- पलट कर देख बे लौड़े … क्या माल आया है. एकदम कड़क माल है.
मैं ये सब टैक्सी में बैठे बैठे देख रहा था.
कुछ देर ये सब देखने के बाद में टैक्सी से नीचे उतरा और सामान लेकर प्लेटफॉर्म नंबर नौ की तरफ चल पड़ा.
दीदी के हाथ में एक पौलिथिन का बैग था जिसमें खाने का सामान था.
दीदी आगे आगे चल रही थीं और मैं उसके पीछे पीछे.
ट्रेन प्लेटफॉर्म पर लगी हुई थी.
हम अपनी बोगी के पास पहुंचे.
वो फर्स्ट एसी का केबिन वाला कोच था.
वो केबिन सिर्फ़ दो लोगों के लिए था. पहले दीदी केबिन के अन्दर गईं और पीछे पीछे मैं दाखिल हो गया.
हम दोनों ने कोई भी ऐसी हरकत नहीं की कि कोई कुछ भी सोचे.
हमने अपना सामान एड्जस्ट किया और रिलॅक्स होकर बैठे ही थे कि टीटीई आ गया.
उसने जैसे ही दरवाजा ओपन किया, दीदी एकदम से बोल पड़ीं- आपको डोर नॉक करके अन्दर आना चाहिए. आपको कोई मैनर्स हैं या नहीं… ऐसे कोई केबिन में दाखिल होता है क्या?
टीटीई की तो हालत खराब हो गयी थी.
एक तो दीदी इतनी खूबसूरत दिख रही थीं और फिर इतना कड़क बोली थीं.
टीटीई- आई एम सॉरी मैडम, आगे से मैं ध्यान रखूँगा.
दीदी ने ‘आगे से ध्यान रखूँगा… ’ वाली लाइन को सुन कर मुझे अर्थपूर्ण तरीके से देखा.
मैं भी मुश्किल से अपनी हंसी दबा पाया.
टीटीई ने हम दोनों से आइडेंटिफिकेशन प्रूफ मांगे और फिर वो टिकट व सीट कन्फर्म टिक करके चला गया.
जाते समय एक बार फिर से उसने दीदी को सॉरी बोला और दरवाजा लगा कर चला गया.
उसके जाने के बाद हमने दरवाजे की सिटकनी को बंद किया और लम्बी सांस लेकर बैठ गए.
दीदी ने पानी की बोतल निकाली और पानी पीने लगीं.
कुछ समय बाद ट्रेन स्टेशन से निकल गई.
अगला स्टेशन दादर आया, थाने और कल्याण पहुंच गयी.
कल्याण में ट्रेन 15 से 20 मिनट रुकी और निकल पड़ी.
हमने केबिन में लाइट ऑफ की तो पर्दे डाल दिए जिससे केबिन में 90% अंधेरा हो गया था.
हम दोनों अपनी अपनी सीट पर सो गए थे क्योंकि रात में हमें जागना था.
शाम के 5.30 बजे मेरी आंख खुली तो देखा दीदी सो रही थीं.
मैंने देखा तो दीदी की साड़ी का पल्लू उनके कंधे से सरक कर उनकी गोद में था और उनके बूब्स ब्लाउज से बाहर झांक रहे थे.
मुझे उस समय बहुत नींद आ रही थी तो मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और सो गया.
पिछली रात हम दोनों ने कम से कम तीन घंटे में चार बार सेक्स किया था. हम दोनों ही काफ़ी थक गए थे, इसलिए फिलहाल थकान दूर करना जरूरी था.
फिर अचानक पौने सात बजे ट्रेन किसी स्टेशन पर पहुंच कर रुक गई.
ट्रेन के इंजन ने काफ़ी ज़ोर से सीटी बजाई जिसकी वजह से मेरी और दीदी की आंख खुल गयी.
दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा- सैम, चाय तो लेकर आ जा.
मैंने तुरंत अपना पर्स और चाय का फ़्लास्क लिया और अपने केबिन से बाहर निकल कर आ गया.
उसी समय साइड वाले केबिन से एक औरत भी निकली. उसने भी साड़ी और बहुत लोकट वाला ब्लाउज पहना हुआ था.
मैं एक बार को तो उसे देखता ही रह गया.
उसके ब्लाउज से उसके दूध बड़े सेक्सी लग रहे थे.
मैं प्लेटफॉर्म पर उतरा. मेरे हाथ में फ़्लास्क और पर्स था. मैं तुरंत चाय वाले के पास गया और उससे चार चाय फ़्लास्क में भरने के लिए बोला, साथ ही कुछ समोसे और पकौड़े भी ले लिए.
वो औरत भी मेरे पीछे पीछे आ गई.
उसने पांच चाय और कुछ समोसे व पकोड़े का ऑर्डर किया.
चाय वाला भी उस लेडी के मम्मों को देख कर मजा ले रहा था.
वो औरत बहुत खूबसूरत व कामुक दिख रही थी.
मेरी आंखें तो उसके बूब्स पर चिपक ही गई थीं.
थोड़ी देर बाद मैं अपने केबिन में पहुंचा तो दीदी अभी भी सो रही थीं.
मैंने चाय का फ़्लास्क और समोसे पकौड़े का पैकेट साइड में रखा और केबिन को बंद कर दिया.
केबिन बंद करने के बाद में दीदी के पास गया और उनके होंठों को चूमने लगा.
दीदी कुछ देर तो सोती रहीं, फिर उन्होंने रेस्पॉन्स करना स्टार्ट कर दिया.
अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे और एक दूसरे की जीभ को चाट रहे थे.
मेरे हाथ दीदी के उभारों को दबाने लगे.
कुछ ही मिनट में मैंने दीदी का ब्लाउज और ब्रा दोनों को उतार दिया.
मेरी कामुक दीदी अब मेरे सामने टॉपलैस थीं.
दीदी का गोरा बदन पीले की साड़ी में काफ़ी सेक्सी लग रहा था.
मैंने दीदी के एक निप्पल को मुँह में भर लिया और दबाकर चूसने लगा. साथ ही मैं उनके दूसरे दूध के निप्पल को मसलने लगा.
दीदी सीत्कार करने लगीं.
उनकी कामुक आवाज़ धीरे धीरे बढ़ने लगी- आह आह … और जोर से … आह सैम … और जोर से चूसो, मजा आ रहा है आह जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो.
सैम- आह बेबी कितनी मस्त चूचियां हैं तुम्हारी … मुझे इन्हें चूसने दो, बहुत मजा आ रहा है.
दीदी- सैम प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में डाल दे यार … मेरी नीचे की आग बहुत भड़क रही है.
सैम- थोड़ा धैर्य रखो मेरी जान … अभी तो पूरी रात बाकी है.
दीदी ने अपने हाथ से मेरी ट्रैक पैंट उतार दी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
अब मेरा लंड भी एकदम टाइट हो गया था.
मैंने दीदी को स्लीपर पर लिटा दिया और उनकी साड़ी और पेटीकोट को उठा कर उनके पेट पर कर दिया.
आज सुबह ही दीदी ने अपनी चूत को अच्छे से साफ़ किया था.
दीदी की चिकनी चूत बहुत सुन्दर लग रही थी.
मैंने अपनी जीभ को दीदी की चूत में डाला और उसे कुत्ते की तरह चाटने लगा.
दीदी अब ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगीं और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं.
कुछ सेकेंड के बाद दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया, कुछ मेरे मुँह में आ गया और कुछ मेरे मुँह पर गिरा था.
मैंने जो कुछ मुँह में गया था, उसे पी लिया और जो चेहरे पर था, उसे अपनी टी-शर्ट से पौंछ कर साफ़ कर लिया.
अब मैंने अपना लंड दीदी के मुँह में दे दिया.
दीदी बर्थ पर बैठ कर मेरा लंड चूस रही थीं.
ट्रेन इस समय अपनी फुल स्पीड पर थी.
मैं अपने हाथों से दीदी के बूब्स दबा रहा था और वे मेरे लंड को चूस रही थीं.
कुछ समय बाद मेरा लंड एकदम टाइट हो गया ओर मैं बोल पड़ा- आह जान … मेरा रस निकलने वाला है.
दीदी ने लंड निकाल कर कहा- मेरे मुँह में ही निकल जा. मुझे भी आज तेरा पूरा पानी पीना है.
कुछ सेकेंड बाद मेरे लंड से एक ज़ोरदार पिचकारी निकली और मैं वहीं सीट को पकड़ कर लटक गया.
दीदी ने मेरा पूरा पानी पी लिया और मेरे लंड को चाट कर साफ़ कर दिया.
मैं अपनी सीट पर बैठ गया और दीदी अपने चेहरे को नैपकिन से साफ़ करके मेरी गोद में बैठ गईं.
हम दोनों ने फ़्लास्क से चाय निकाली और पीने लगे.
दीदी मेरी गोद में ऐसे बैठी थीं कि हमारे चेहरे एक दूसरे के सामने थे.
मैंने चाय का एक सिप लिया और दीदी के एक बूब को चूसने लगा.
फिर मैंने दूसरा घूँट लिया और फिर से दीदी के दूसरे दूध को चूसने लगा.
दीदी- आह … ये क्या कर रहा है?
सैम- चाय में दूध कम है, इसलिए थन से सीधे पी रहा हूँ.
ये बोल कर हम दोनों ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे.
दीदी भी खिलखिला कर हंस रही थीं.
जब वो हंसती थीं, तो उनके दोनों गालों में गड्डे पड़ते थे जिससे वो और भी खूबसूरत लगती हैं.
मैं उनकी ओर एकटक देखे जा रहा था.
दीदी- क्या देख रहा है?
मैं- आज बहुत दिनों के बाद मैंने तुम्हें ऐसे हंसते हुए देखा है.
दीदी- हां यार, आज बहुत दिनों के बाद दिल से हँसी हूँ.
कुछ देर बाद मैंने समोसे का पैकेट खोला और हम दोनों समोसे खाने लगे.
सब कुछ कंप्लीट करने के बाद हमने कपड़े पहन लिए.
दीदी ने एक पारदर्शी वन-पीस मिडी पहनी. मैंने अपनी टी-शर्ट और ट्रैक पैंट पहन ली.
अब हम दोनों केबिन से बाहर आए और एक एक करके वॉशरूम यूज करने लगे.
पहले दीदी वॉशरूम में गईं, फिर मैं गया.
जैसे ही मैं वॉशरूम से निकला, तो बाजूवाले केबिन की वो लेडी, दीदी से बात कर रही थी.
जब मैं हमारे केबिन के पास पहुंचा, तो दीदी ने मेरा इंट्रो करवाया.
दीदी- इनसे मिलो … ये शीना जी हैं मुंबई से. और शीना ये मेरा फ्रेंड सैम है.
मैं- हाय शीना.
शीना- हाय सैम.
सैम- आप कहां जा रही हैं?
शीना- बंगलूरू.
दीदी- आप वहां रहती हैं?
शीना- नहीं, मेरा इंटरव्यू है … बस उसी के लिए दो दिन के लिए जा रही हूँ.
सैम- ओके … तो आप दो दिन वापसी करेंगी?
शीना- हां सैम.
मैं- ओके तो वापसी किस ट्रेन से है?
शीना- इसी ट्रेन से.
दीदी- अरे वाह सैम को भी इसी ट्रेन से दो दिन बाद वापसी करना है.
शीना- ओके.
उसके बाद शीना ने हमें बाय कहा और वो अपने केबिन में चली गई.
हम दोनों अपने केबिन में आ गए.
मैंने अन्दर आते ही केबिन का डोर लॉक किया और दीदी की गांड पर हाथ फेरने लगा.
दीदी ने पलट कर मेरी तरफ देखा और अपना वन-पीस ऊपर उठा दिया.
दीदी की पैंटी उनकी गांड में घुसी जा रही थी.
मैंने दीदी की पैंटी को एक झटके में खींचा तो वो उनके पैरों में आ गई थी.
दीदी की गांड देख कर मेरे मुँह में पानी आने लगा.
मैंने दीदी को घोड़ी बना कर उनकी गांड चाटना शुरू कर दिया.
उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं और वो ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगीं- आह आह और थोड़ा अन्दर कर ना …. आह मजा आ रहा है … और जोर से चाट.
मैं दीदी की गांड को चूत तक चाटे जा रहा था.
दीदी की चूत पूरी गीली हो गयी थी.
अब मैंने दीदी को और थोड़ा नीचे झुकने के लिए बोला और अपने लंड पर थूक लगा लिया.
दीदी में अपने दोनों हाथों से अपनी गांड को फैला दिया और दीदी की गांड का गड्डा थोड़ा सा बड़ा हो गया.
मैं अपने लंड के सुपारे को हॉट बहन की गांड के छेद पर रख कर ज़ोर लगाने लगा.
लंड अन्दर सरका तो मैंने झटका दे मारा.
मेरा लंड एक तिहाई ही अन्दर गया था कि दीदी बोल उठीं- आह सैम, बाहर निकाल इसे, मेरी गांड फट जाएगी … मैं मर जाऊंगी, मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
सैम- ओके जान, कोई प्राब्लम नहीं है. फट जाने दो, तभी मजा आएगा.
मैंने इतना बोल कर अपने लंड पर ज़ोर लगाना बंद कर दिया और फिर पीछे से हाथ आगे बढ़ा कर दीदी के निपल्स को अपनी उंगलियों से मसलने लगा.
कुछ मिनिट्स तक मैं दीदी के बूब्स के साथ खेलता रहा, फिर एक ज़ोरदार झटके के साथ लंड को जड़ तक दीदी की गांड में उतार दिया.
दीदी- आह मार डाला रे तूने … सैम फाड़ दी मेरी गांड. आह निकाल बाहर अपने लंड को … नहीं तो लंड काट कर ट्रेन के बाहर फेंक दूँगी साले … आह!
मैं चुपचाप इन्तजार करता रहा.
कुछ समय बाद जब दीदी शांत हुईं तो मैंने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
अब दीदी भी मेरे हर झटके को एंजाय कर रही थीं और मैं दीदी के मम्मों को मसल रहा था.
कोई 15 मिनट तक हॉट बहन की गांड मारने के बाद मैंने अपना पानी दीदी की गांड में ही छोड़ दिया.
दीदी ने भी काफ़ी एंजाय किया.
कुछ मिनट के बाद जब मैंने लंड की तरफ देखा, तो उस पर खून लगा हुआ था.
उसे मैंने नैपकिन से साफ़ कर दिया और इसके पहले दीदी देख पाती कि मैंने उस नैपकिन को बैग में रख दिया.
अब दीदी मेरे ऊपर लेट गईं.
हम दोनों पूरे नग्न थे.
सैम- थैंक्स जान, आज तुम्हारी गांड मारने में बहुत मज़ा आया.
दीदी- मज़ा तो मुझे भी बहुत आया लेकिन शुरुआत में बहुत दर्द हो रहा था. मुझे तो ऐसा लगा था कि खून निकल रहा है.
सैम- जान तुम्हारी गांड तो फटी थी, पर थोड़ी सी … और खून भी निकला था जो मैंने नैपकिन से साफ़ कर दिया था.
दीदी- तेरा लंड है बहुत सख्त है और तू चोदते समय ज़रा भी रहम नहीं करता है. लेकिन तेरे साथ चुदाई करने में मज़ा भी बहुत आता है और संतुष्टि भी प्राप्त होती है.
सैम- जान, तुम्हारी चूत ओर गांड दोनों ही सील पैक थीं और ज़िंदगी में सबसे ज्यादा मज़ा सील तोड़ने में ही आता है.
दीदी- यार पिछले 20 दिन में हम दोनों ने जो मज़ा किया है, वो ज़िंदगी भर याद रहेगा. मुझे पता नहीं था कि तू इतना बड़ा चोदू है.
सैम- मैंने ज़िंदगी में सब से पहले रोशनी दीदी के नाम की मुठ मारी थी. मैं उन्हें रोजाना नहाते हुए देखता था.
दीदी- वो कैसे?
सैम- जब रोशनी दीदी ऑफिस जाने के लिए अल सुबह नहाने जाती थीं तो मैं अपने पुराने मकान से कॉमन बाथरूम में से उन्हें देखता था.
दीदी- तूने कभी रोशनी के साथ भी कुछ किया है क्या?
सैम- एक बार रात में दीदी के बूब्स को मसला था.
दीदी- सच सच बता और किस किस के साथ तूने चुदाई की है?
सैम- आपकी फ्रेंड रचना की बड़ी बहन काजल को चोदा है, जो आज मेरे बच्चे की मां है. उसके हज़्बेंड का तो लंड उठता ही नहीं है. आज भी जब उसका हज़्बेंड टूर पर कहीं जाता है, तो वो मुझे कॉल करती है. अगले महीने 12 को वो बेल्जियम जाने वाला है.
दीदी- तू तो छुपा रुस्तम निकला. तुझे पता है, घर आने से पहले मेरी रोशनी से बात हुई थी और उसने मुझे बताया कि उसके हज़्बेंड का लंड तो सिर्फ़ 4 इंच का है और उसे चुदाई में कोई रूचि नहीं है. रोशनी उसके साथ महीने में एक या दो बार ही संभोग कर पाती है और वो भी 3-4 मिनट में झड़ कर सो जाता है.
सैम- लगता है जीजू के लंड में ही ये प्राब्लम है.
दीदी- तू है ना, तू कब काम आएगा? रोशनी दिसम्बर में इंडिया आ रही है.
सैम- तो आप उनसे पहले ही बात कर लेना. मेरी तो उनसे गांड फटती है.
दीदी- वाह गांड फटती है. साले उसके ही बूब्स प्रेस करता था और उसे ही नहाते हुए देखता था.
ये बोल कर दीदी हंसने लगी.
दीदी उस समय मेरी गोद में बैठी थीं और मेरा लंड खड़ा हो गया था.
दीदी ने उतर कर मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
थोड़ी देर बाद मैंने दीदी को अपनी गोद में सही से बिठाया और लंड दीदी की चूत में पेल दिया.
अब हम दोनों सीट पर बैठे बैठे ही चुदाई कर रहे थे.
इस पोजीशन में मेरा लंड जड़ तक दीदी की चूत में उतर गया था और दीदी की सिसकारियां निकलना शुरू हो गई थीं- आह आह … और थोड़ा अन्दर तक पेलो … चोदो मुझे आह और अन्दर डालो … पूरा अन्दर डाल दो और अपना बीज भी अन्दर डाल देना.
यह सुन कर मुझे भी जोश आने लगा और मैं भी दीदी को पूरा ज़ोर लगा कर चोदने लगा.
बीस मिनट के बाद मैं दीदी की चूत के अन्दर ही झड़ गया.
इस तरह से हम दोनों ने ट्रेन में कुल 5 बार चुदाई की.
जब ट्रेन बंगलोर पहुंची और हम ट्रेन से उतरे तो सामने शीना खड़ी थी.
शीना- बाइ गाइस. मुझे उम्मीद है कि आप दोनों की यात्रा सुखद रही होगी.
ये कह कर उसने एक स्माइल दीदी को दी.
दीदी- अगर तुम चाहो तो रिटर्न जाते समय तुम भी एंजाय कर सकती हो मेरे फ्रेंड के साथ?
ये बोल कर दीदी मेरी तरफ देखने लगीं.
सैम- अरे वाह … हां क्यों नहीं, शीना मुझे आपका साथ पाकर ख़ुशी होगी.
फिर शीना मुस्कुराई और बिना कुछ कहे वहां से चली गई.
हम दोनों अपना सामान लेकर स्टेशन से बाहर आ गए और टैक्सी लेकर दीदी की ससुराल पहुंच गए.
दोस्तो, हॉट बहन की गांड की कहानी को यहीं समाप्त कर रहा हूँ.
इसके आगे क्या हुआ, वो अगली कहानी में बताऊंगा.
बस आप मुझे ईमेल जरूर करें.
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हॉट बहन की गांड मारने के बाद की कहानी:
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