इशिका की जवानी पर सावन की बरसात

सावन शर्मा 2004-08-05 Comments

दोस्तो! मैंने अन्तर्वासना को पहले भी एक कहानी
बरसात में चाची की चुदाई
भेजी है। जिस कहानी को आप लोगों ने बहुत अच्छा रिस्पोंस दिया है।

तो दोस्तो, उसी रिस्पोंस के बदले आपका सेक्सी सावन फ़िर से आपके सामने हाजिर है अपनी एक नई कहानी लेकर!

उन दिनों मैं अपने मामा के घर पर गया हुआ था.
वही पर मेरी एक मौसी की लड़की भी अपनी सर्दियों की छुट्टियों में आई हुई थी।

उस वक्त मेरी उमर 21 साल थी और मौसी की लड़की जिसका नाम ईशिका था उसकी उम्र कोई 19 साल के आसपास होगी.

हम दोनों अपनी पूरी जवानी की मस्ती में थे.

उसके बदन के उभरे हुए अंगों की गोलाई उसकी जवानी में चार चाँद लगा रही थी।
उसकी तारीफ मैं क्या करू खूबसूरती में कैटरीना कैफ जैसी थी।
लेकिन चूचियां उससे भी ज्यादा लगती थी उसे देख कर मेरी रातों की नींद गायब होने लगी.

एक रात में ख़ुद को रोक नहीं पाया और चुपके से जाकर मैंने उसकी रजाई हटा दी तो देखा कि उसकी चुन्नी चुचियों से इस तरह लिपटी हुई थी मानो कि काला नाग किसी खजाने की पहरेदारी कर रहा हो.

इससे पहले कि मैं उस जवानी के खजाने को छू पाता, सर्दी लगने की वजह से ईशिका की आँख खुल गई।
आँख खुलते ही उसने मुझे देखा.

इससे पहले वो कुछ बोलती मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और चुपचाप चला गया.
लेकिन मैं डरा हुआ था की शायद वो किसी से कुछ कह न दे.
और फ़ैसला कर लिया कि ईशिका का ख्याल छोड़ कर आज ही घर चला जाऊंगा.

स्टेशन से पहले ही ईशिका का फ़ोन आया और वो बोली- आग लगा कर जाना अच्छी बात नहीं होती.
और फ़ोन काट दिया।

इतना सुनते ही मेरी हसरतें जवान होने लगी और वहीं से वापसी के लिए टैक्सी पकड़ी और एक घंटे मैं अपनी ईशिका के पास पहुँच गया।

सभी ने पूछा- वापिस क्यों आ गया?
मैंने बहाना बनाया और कह दिया कि मेरे किसी दोस्त ने पापा की आवाज निकाल कर मजाक किया था.

अब तो मैं बेचैनी से रात होने का इंतज़ार करने लगा.

जैसे ही रात को सब सोने चले गए तो ईशिका भी मामी के साथ उनके कमरे में चली गई.

मैं सब के सोने का इंतज़ार कर रहा था.

मैंने देखा सब सो गए है तो में चुपके से मामी के रूम में गया और जाकर ईशिका को देखा तो मालूम हुआ वो भी नहीं सोयी थी।

मैंने पूछा- सोयी क्यों नहीं?
तो कहने लगी कि जब तन बदन में कोई आग लगा दे तो भला नींद कैसे आएगी.

मैंने उसे अपनी बाँहों में उठा लिया जैसे उसका फूल सा बदन मेरे बदन से छुआ तो मानो मेरे तन में बिजली सी लग गई हो.

ऊपर एक रूम हमेशा खाली रहता था, वो गेस्ट रूम था मैं ईशिका को वहीं ले गया।

मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके मदमाते बदन को एकटक देखने लगा.
ईशिका बोली- तुम्हारी बेशरम निगाहें मेरे बदन को और ज्यादा बेकरार कर रही हैं।

मैंने एक एक करके ईशिका के सारे कपड़े उतर दिए उसके तन पर सिर्फ़ ब्लैक कलर की चोली (ब्रा ) और कच्छी (पैंटी ) थी.

उसने उठकर मेरे कपड़े उतार दिए.

अब मैं उसे मस्त अहसास से किस करने लग गया।
मैंने उसके अंग अंग पर अपने गरम होंठों से बहुत देर तक किस की.

अपने मुंह से मैंने ईशिका की पैंटी को हटाया जो कि चूत के पानी से बिल्कुल गीली हो चुकी थी।
मगर उस पैंटी से ईशिका की जवानी की खुशबू आ रही थी।

अब ईशिका की वो मस्त और मोटी चूत मेरे सामने थी जिसे मैं सिर्फ़ अपने ख्यालों में ही सोचा करता था.

मैंने ईशिका की ब्रा उतार दी तो उसकी बिंदास चूचियां अब मेरे होठों की गिरफ्त मैं आ गई थी।

मैंने जी भर के उन्हें चूसा तो ईशिका तड़पने लगी.
ईशिका के मुंह से मस्त मस्त आवाजें आ रही थी- अआया अ … ह्ह्ह … ऊऊ ऊ ऊफ. ईई ऊईई … श्सस सश्स … अह्ह्ह. उह … मेरे सावन … अब और न तड़पाओ. अब और न तड़पाओ मुझे.

मैं चूचियों को चूसता हुआ उसके तन को चूमने लगा

चूमते चूमते मैं अपने होंठों को ईशिका की मस्त और सेक्सी चूत के पास ले आया.

ईशिका और ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी इसलिए उसने मेरे लम्बे और मोटे लन्ड को अपने नरम नाजुक और गरम होंठों के बीच कैद कर लिया और बिंदास होकर चूसने लगी.

साथ ही साथ मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से सहला रहा था.
10 मिनट तक हम दोनों इसी तरह करते रहे.

तभी ईशिका की जवानी का रस उसकी चूत से निकल कर बाहर आ गया और मैंने उस रस की एक एक बूँद को अपने होंठों पर ले लिया.

सचमुच उस रस को पीकर तो कोई भी वासना का प्रेम पुजारी हो जाए.

तभी मेरे लन्ड के वीर्य ने ईशिका की जवानी को भी भिगो दिया.
ईशिका ने भी मेरे लंड के रस की एक एक बूँद का स्वाद चखा.

हम दोनों एक दूसरे को कस के पकड़े हुए थे, साथ साथ एक दूसरे के लन्ड और चूत को सहला रहे थे.

कुछ देर बाद हम दोनों फ़िर से तैयार थे.

मैंने बिना कोई देर किये ईशिका को अपने नीचे कर लिया.

अब ईशिका मेरे लन्ड को अपनी चूत में लेने के लिए बेकरार थी.
उसकी चूचियां और ज्यादा मोटी और टाइट हो गई थी और चूत की भी चमक इतनी बढ़ गई कि लन्ड चूत को देखकर उसमें समाने के लिए बेकरार हो रहा था.

हम दोनों में अब और इन्तज़ार का होसला नहीं था इसलिए मैंने लन्ड को चूत के दरवाजे पर टिका दिया और जोर से झटका लगाया.
इस झटके के साथ ही ईशिका की चीख निकल गई.
लेकिन मैंने उसकी आवाज अपने होंठों से वही कैद कर दी.

मैंने बहुत सी लड़कियां चोदी हैं लेकिन जितनी टाइट चूत ईशिका की थी उतनी शायद किसी की नहीं थी।

चार पांच बार कोशिश करने पर भी लन्ड चूत में समा नहीं पाया.

मुझे डर था कि इस तरह तो ईशिका को बहुत परेशानी होगी. हो सकता है कि ईशिका बेहोश भी हो जाए.

इसलिए मैं नीचे से कोल्ड क्रीम और एक पानी की बोतल ले आया.

ईशिका को काफी दर्द हो रहा था.
मैंने कोल्ड क्रीम ईशिका की चूत और अपने लन्ड पर लगा दी.
फिर लन्ड को चूत पर रख कर धीरे धीरे अंदर डालने लगा.

लन्ड जितना अंदर जाता, ईशिका उतनी ही दर्द से कराह कर मुझसे लिपट जाती.

मैंने एकदम ज़ोर से झटका लगाया और पूरा लन्ड चट की आवाज के साथ चूत के अंदर चला गया।

ईशिका की चीख निकल गई और खून चूत से बाहर आने लगा.
दर्द के कारण ईशिका सह नहीं पाई और बेहोश हो गई।

मैंने अपना लन्ड चूत में ही रखा और ठंडे पानी के छींटे ईशिका के मुंह पर मारे.
तब ईशिका ने आँखें खोली.

ईशिका मेरी तरफ़ देख रही थी कि मैंने तभी अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा.

धीरे से मैंने अपने लन्ड को हिलाया तो चूत कुछ नर्म लगने लगी.
और अब ईशिका के कराहने की आवाज आई- अह अआया … आह्ह सस … ईईश …. ऊफ़ ओह … सावन चोदो … मर गई मैं!

अब ईशिका की चूत अपने वासना के जादू से मेरे लन्ड को अपने भीतर पागल कर रही थी.

मेरा लन्ड भी ईशिका की चूत को जी भर कर चोद रहा था.

वास्तव में ईशिका की चूत को चोदकर मैं स्वर्ग की किसी अप्सरा को चोदने का अहसास कर रहा था.

हम दोनों चूत लन्ड के इस खेल को आधे घंटे तक खेलते रहे.

तभी ईशिका की पकड़ मुझ पर और ज्यादा हो गई और मैं समझ गया कि ईशिका का सेक्स पूरा हो गया है।
उसकी चूत का गर्म पानी मुझे अपने लन्ड पर महसूस हुआ.

अब मेरे लिए भी ख़ुद को ज्यादा देर रोक पाना आसान नहीं था और मैंने भी अपनी वासना के बादलों को ईशिका की चूत की प्यासी धरती पर बरसा दिया।

और इसके बाद हम दोनों एक दूसरे पर काफी देर तक लेटे रहे.

ईशिका बोली- सावन, ये आज मेरी पहली सुहागरात है. आज रात मुझे जी भर के चोदो और लगा दो अपनी ईशिका पर सावन की मोहर!

उस रात मैंने अपनी ईशिका को चार बार चोदा.

लेकिन उस दिन ईशिका की चूत पर बहुत सूजन आ गई.
साथ ही मेरे लन्ड में भी दर्द का अहसास हो रहा था क्योंकि चूत ज्यादा टाइट थी।

ईशिका से चला नहीं जा रहा था.
मैंने उसे अपनी बांहों में उठाया और उसके बिस्तर पर लिटाया और उसे एक चुम्बन करके चला आया.

उस दिन के बाद जब तक मैं मामा के घर पर रहा, हम दोनों की सारी रात उसी गेस्ट रूम में गुजरती थी अकेले तन्हा एक दूसरे के आगोश में.

सचमुच चुदाई का मज़ा लेने के बाद कुछ ही दिनों में ईशिका के चेहरे की चमक अपने आप बढ़ने लगी, वो और ज्यादा ख़ूबसूरत और सेक्सी हो गई।

तो दोस्तो, कभी अपने इस सेक्सी सावन को भी अपनी प्यास बुझाने के लिए याद कीजिये!

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