रक्षाबंधन या सुहागरात दीदी के साथ

(Rakshabandhan Ya Suhagrat Didi Ke Sath)

प्रमोद 2005-12-26 Comments

मेरी दीदी का नाम नीतू है, वो मुझसे तीन साल बड़ी है, उनका रंग गोरा चिट्टा है और हाँ उनके होंटों के नीचे एक काला तिल है, जिसकी वजह से वो बहुत सेक्सी लगती है! उनकी शादी एक अनिवासी भारतीय लड़के से यानि कि मेरे जीजा जी से हो गई, जो कि दुबई में नौकरी करते हैं! दीदी उन्हीं के साथ रहती है। वैसे तो वो दोनों बहुत खुश रहते हैं मगर शादी के दो साल गुजर जाने के बाद भी उनकी कोई औलाद न होने से दीदी उदास सी रहती है!

मेरा नाम राज है मैं भी एक अनिवासी भारतीय हूँ और कनाडा में एक कम्पनी में जॉब करता हूँ। यहाँ आने से पहले मेरे माँ-बाप का स्वर्गवास हो गया था इसलिए दीदी, जीजाजी के सिवा मेरा और कोई नहीं है!

एक दिन मैं अपने जीजा जी के साथ फ़ोन पर बात कर रहा था तो बातों ही बातों में मैंने जीजा जी को दीदी के साथ अपने पास घूमने आने का निमंत्रण दे दिया। तभी जीजाजी ने यह कह कर टाल दिया कि उनको अभी छुट्टी नहीं मिल सकती, उन पर कम्पनी के काम का बहुत भार है।

थोड़ा रुकने के बाद जीजा जी ने कहा- मैं कुछ दिनों के लिए तेरी दीदी को तेरे पास भेज देता हूँ, उसकी नौकरी भी छुट गई है, सारे दिन भर घर में बोर हो जाती है, वो पहले से काफी उदास सी रहने लगी है, कुछ दिन पहले तुझे ही याद कर रही थी, शायद वो तुझको देखना-मिलना चाहती है। वैसे भी राखी का त्यौहार नजदीक आ रहा है, दोनों भाई-बहन मिल भी लेना और उसको कहीं घुमा भी देना, शायद इसी बहाने उसका मन ही बहल जाए!

मैंने कहा- ठीक है जीजा जी! जैसा आप कहें!

और कुछ दिन बाद वो दिन भी आ गया जब दीदी मेरे पास आने के लिए दुबई से रवाना हुई। मैं भी दीदी को लेने के लिए ठीक समय पर एयरपोर्ट पहुँच चुका था। कुछ समय बाद दीदी की फ्लाईट लैण्ड होने की घोषणा हुई। मैंने अपनी आँखें एग्जिट-गेट पर जमा दी।

कुछ समय बाद मैंने दीदी को लोगों के साथ बाहर आते देखा तो मैं दीदी को देखता ही रह गया। सच क्या लग रही थी दीदी! मैंने कभी भी दीदी को इस रूप में नहीं देखा था। उन्होंने ऊँची ऐड़ी की सेंडल पहनी हुई थी और काले रंग की फेंसी साड़ी और हाफ कट वाला ब्लैक ब्लाउज़ पहना हुआ था। ब्लाउज़ का गला काफी खुला और बड़ा होने से उनके आधे नंगे स्तन ऊपर से साफ दिखाई दे रहे थे। उनके वक्ष के ऊपर एक काला तिल था जो अलग ही चमक रहा था जैसे दूध में मक्खी!

तभी दीदी की नज़र मुझ पर पड़ी तो मैंने हाथ हिला कर उनको अपने होने का इशारा किया और दीदी ने एक हल्की सी मुस्कान देकर मेरी ओर बढ़ी और मेरे नजदीक आकर मेरे गले लगने लगी। मैंने भी मोके का फ़ायदा उठाया और दीदी की नंगी गोरी चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों से सहलाते हुए जकड़ लिया। वहाँ खड़े सारे लोग शायद यही सोच रहे होंगे कि हम पति पत्नी हैं। फिर मैंने दीदी का सामान उठाया और हम दोनों घर की ओर चल दिए!

घर पहुँच कर दीदी फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चली गई ( क्यूँकि गर्मी के दिन थे और मेरी दीदी को बहुत पसीना आता है और वो तो उस दिन पसीने से बहुत भीग चुकी थी) मैंने दीदी जी का सामान सेट कर दिया और थोड़ी देर बाद दीदी भी फ्रेश हो कर बाथरूम से बाहर आ गई!

जैसे ही मैंने उनको देखा तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। दीदी सिर्फ पेटीकोट-ब्लाउज़ में ही बाथरूम से बाहर आ गई थी। काले पेटीकोट और ब्लाउज में उनका गोरा-गोरा अंग एकदम सोने की तरह चमक रहा था। दीदी को देख कर मेरे अंदर थोड़ी अजीब सी घबराहट होनी शुरु हो गई। मैं दीदी को न चाह कर भी देखना चाहता था! मैं कभी दीदी के वक्ष के ऊपर विराजमान काले तिल को देखता तो कभी उनकी नंगी कमर को, तो कभी उनके नाड़े वाले नंगे हिस्से को!

तभी दीदी ने मेरे पास आकर मेरे सर में प्यार से हाथ फेर कर पूछा- किया हुआ भईया? कहाँ खो गए?

मैं थोड़ा घबरा कर और शरमा कर बोला- कुछ नहीं दीदी! बस मैं… आप काले कपड़ों में बहुत सुंदर लगती हो!

दीदी समझ गई कि मैं क्यों ऐसे बोल रहा हूँ। दीदी शरमा कर बोली- भाई मैं क्या करूं, बहुत गर्मी है और साड़ी में बहुत घुटन हो रही थी, इसलिए मैंने साड़ी अलग निकाल दी!

मैं बोला- दीदी कोई बात नहीं, हम दोनों के सिवा और कोई भी नहीं है यहाँ पर! और मैं बिल्कुल फ्रैंक लड़का हूँ, तुम निश्चिंत रहो, मैं तालिबानी जैसा भी नहीं हूँ कि जो अपनी इतनी सुन्दर दीदी को बुरके में पसंद करे!

दीदी हंस दी और बोली- भईया, तू तो बहुत शैतान हो गया है! चल जल्दी से तू भी नहा धो ले! आज राखी है राखी नहीं बंधवानी क्या!

फिर मैं भी बाथरूम मैं नहाने चले गया। बाथरूम में बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी। आज से पहले कभी ऐसी खुशबू बाथरूम में नहीं थी! मैं समझ गया कि यह खुशबू दीदी के बदन की है! आज मैं इस खुशबू में समां जाना चाहता था और मैंने पहली बार अपनी दीदी के बारे में कर उनके नाम की मुठ मार दी। इसका एक अलग ही आनंद आया और जब मैं बाथरूम से नहा धो कर बाहर आया तो दीदी बोली- क्या बात है, बड़ी देर लगा दी तूने?

मैं बोला- क्या करूँ दीदी जी! आज मेरा तो बाथरूम से बाहर आने का मन ही नहीं कर रहा था!

दीदी बोली- क्यों?

मैं चुप रहा और मैंने दीदी को एक स्माइल दी! दीदी भी शायद मेरा इशारा समझ गई थी और वो शरमाकर बोली- लगता है अब जल्द से जल्द तेरे लिए एक लड़की तलाशनी पड़ेगी! बोल मेरे राजा भइया, तुझको कैसी लड़की पसंद है, मैं अपने राजा भइया के लिए वैसी ही लड़की लाऊँगी!

मैं दीदी से बोला- सच!
दीदी हँस कर बोली- मुच!

मैंने तुंरत ही दीदी का हाथ पकड़ा और उनको शीशे के आगे ले जा कर बोला- मुझे ऐसी लड़की चाहिए!
दीदी थोड़ी शरमा कर बोली- पागल ऐसी लड़की लायेगा तो सुहागरात के बदले रक्षा बंधन मनाना पड़ेगा तुझे!
और जोर जोर से हँसने लगी!

मैं दीदी के पीछे की तरफ खड़ा था और दीदी मेरे आगे थी। हम दोनों भाई बहन एक दूसरे को शीशे में देख कर बातें कर रहे थे!

मैं बोला- दीदी अगर आप जैसी सुंदर लड़की मुझे मिल जाए तो मैं उससे राखी भी बंधवाने के लिए तैयार हूँ!
दीदी बोली- ऐसा क्या है मुझमें जो तू अपनी दीदी का इतना दीवाना हुआ पड़ा है! क्या देखा तूने मुझमें?
मैं बोला- दीदी आप गुस्सा तो नहीं होंगी ना!
दीदी बोली- मैं आज तक अपने राजा भइया से गुस्सा हुई हूँ जो अब होंऊगी!
मैं बोला- दीदी! मैं सच में तुम्हारा दीवाना हूँ! जब से मैंने तुम्हें एयर पोर्ट पर देखा है, मैं तुम्हारा दीवाना हो गया हूँ। पता नहीं क्यों मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ, तुम्हें छूना चाहता हूँ, तुम्हें तुम्हारे नाज़ुक होटों के नीचे काले तिल का अहसास दिलाना चाहता हूँ!

और मैंने आव देखा न ताव! और दीदी की गर्दन के नीचे प्यार से एक किस कर दिया। दीदी मुझे शीशे में देख रही थी और वो वैसे ही खड़े रह कर मेरे गाल पर प्यार से हाथ फेरने लगी! मैंने भी दीदी को अपने दोनों हाथों से आगे से जकड़ लिया और दीदी ने अपनी दोनों आँखें बंद कर ली जिससे मेरा थोड़ा और साहस बढ़ा और दीदी के कान में मैंने हल्की सी आवाज में ‘ आई लव यू दीदी ‘ बोल दिया और बोला- अगर आप मेरी बहन न होती तो मैं आप को ज़रूर प्रपोज़ करता! आप कितनी सुंदर हो! मैंने आप सी सुंदर कोई लड़की नहीं देखी! हम भाई बहन क्यों हैं?

दीदी ने अभी तक अपनी आँखें बंद कर रखी थी क्योंकि मैं उनके पेट पर, नाभि पर हल्का-हल्का हाथ फेर रहा था। अचानक मैंने दीदी के पेटीकोट के नाड़े की तरफ हाथ बढ़ाया तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और गर्दन हिला कर मना करने लगी और बोली- भईया मैं तुम्हारी बहन हूँ!

मैंने बोला- मैं जानता हूँ! आज मैं सारे रिश्तों को भुला देना चाहता हूँ, तुम मेरी हो और मैं आज अपनी बहन की बाँहों मैं समा जाना चाहता हूँ!

दीदी बोली- किसी को मालूम चल गया तो समाज में हमारी थू-थू हो जायेगी!
मैंने कहा- हमें समाज देखने थोड़े ना आ रहा है!

दीदी चुप हो गई और कुछ सोचने के बाद मेरे से लिपट गई और रोने लगी।
मैंने पूछा- दीदी क्या हुआ? क्यों रो रही हो?
तो बोली- मैं बहुत प्यासी हूँ! तेरे जीजाजी से मुझे वो खुशी नहीं मिली जो हर औरत को शादी के बाद अपने पति से मिलती है!
मैं बोला- दीदी साफ साफ बताओ ना! मैं समझ नहीं पा रहा हूँ!
वो बोली- तेरे जीजा जी मर्द नहीं हैं!

यह सुनकर मुझे तो पसीना आ गया और मैं अंदर ही अंदर सोचने लगा- यानि कि दीदी अभी कुँवारी हैं और उनकी सील भी नहीं टूटी!

मैंने दीदी के आँसू को अपनी जीभ से चाट कर साफ किया और बोला- दीदी! तुम चिंता मत करो मैं हूँ ना! तुम बस मुझको यह बताओ कि तुम मुझको पसंद करती हो?
दीदी बोली- जान से भी ज्यादा!
क्या तुम मुझे भाई की जगह अपना पति मानोगी? मैं तुम्हें हर वो खुशी दूंगा जो तुम चाहती हो!

दीदी ने फ़ौरन मेरे होटों पर किस कर दिया और बोली- आज से तुम ही मेरे पति हो! मेरा तन-मन सब तुम्हारा है! जो तुम बोलोगे, वो मैं करूंगी!

मैंने दीदी को बोला- आज मैं तुमसे शादी करूंगा!

यह सुन कर दीदी जल्दी से सिंदूर और अपना मंगल सूत्र ले कर मेरे पास आ गई। मैंने उनकी मांग भर कर मंगल सूत्र उनके गले में पहना दिया।

दीदी बोली- भइया! मैं अपने कमरे में जा रही हूँ, तुम थोड़ी देर बाद कमरे के अंदर आ जाना! मैं तुम्हारा इन्तजार करूंगी!

और जब मैं थोड़ी देर बाद दीदी के कमरे में गया तो दीदी सज-संवर के अपने शादी के जोड़े में घूँघट ओढ़े पलंग पर बैठी मेरा बेसबरी से इंतजार कर रही थी। मैं दीदी के पास गया और प्यार से उनका घूँघट उठाया और उनकी ठुडी को अपने हाथ से ऊपर उठाने के साथ ही उनके होटों का चुम्बन ले कर बोला- ओह दीदी! आई लव यू! मैंने आज तक तुम जैसी सेक्सी लड़की नहीं देखी!

और उनके होटों के नीचे वाले काले तिल को अपने दाँतों में बुरी तरह दबोच लिया और चूसने लगा। दीदी को दर्द हो रहा था मगर दीदी मुझ से भी ज्यादा प्यासी थी, उसे दर्द में भी मज़ा आ रहा था।

तभी मैंने दीदी के ब्लाउज़ को अपने दोनों हाथों से फाड़ दिया और उनके गोरे गोरे आम के जैसे बूब्स बाहर आ गये। मैं उनको चूसने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी ने मेरी पैन्ट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाला और अपने कोमल गोरे हाथों से उसे सहलाने लगी। कुछ देर बाद जब मेरा लंड लौड़ा बन गया तो उसको अपनी जीभ से चाटने, सहलाने लगी और होटों से रगड़ कर उसे खड़ा कर दिया!

हम दोनों भाई बहन नंगे थे, मैंने दीदी को बिस्तर में लिटा दिया और उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा।

दीदी ओह माय भईया डार्लिंग! आई लव यू! बोल रही थी।

मैंने अपनी दीदी को गीध की तरह नौचना शुरु कर दिया। कुछ देर बाद जब मैंने अपनी बहन की चूत में अपना लौड़ा डाला तो दीदी ने उई माँ! बोल कर मुझको जोर से जकड़ लिया और मुझको फ्रेंच किस करने लगी और अपने दोनों हाथों को मेरे चूतड़ों पर रख कर भइया और जोर से! और जोर से! बोलने लगी।

कुछ देर बाद मैंने दीदी को डौगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। दीदी के गद्देदार चूतड़ को देख मैं ललचा गया और उनके चूतड़ चाटने लगा। दीदी को मैंने सारी रात चोदा!

सुबह जब मैं जागा तो दीदी मेरे लंड को चूस रही थी, मुझको प्यासी आँखों से देख रही थी और मेरा लौड़ा खड़ा करके उसके ऊपर बैठ गई और फिर दुबारा से मैंने दीदी को चोदना शुरु कर दिया।

हम दोनों चार साल बीत जाने के बाद भी हमेशा एक दूसरे के साथ सेक्स में डूबे रहते हैं।
सच अपनी बहन के साथ कितना मजा आता है, मैं क्या बताऊँ!

अब हम दोनों भाई बहन एक पति पत्नी की तरह जिन्दगी जी रहे हैं। मेरी दीदी से मेरी एक लड़की हुई है…!
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