मामा की बेटी से जाने अनजाने
(Mama Ki Beti Se Jane Anjane)
विराज कुमार
अन्तर्वासना के सभी पाठकों एवं पाठिकाओं को मेरी तरफ से नमस्कार ! साथ ही मैं सबको धन्यवाद देना चाहूँगा कि सबने मेरी हौंसला अफ़ज़ाई की। मेरी कहानी ‘मेरी चाहत अधूरी रह गई’ को आप सबने सराहा, इससे मुझे हिम्मत मिली अपनी आगे की आपबीती लिखने की !
अब समय व्यर्थ न करते हुये कहानी पर आता हूँ। जब मेरी पुरानी प्रेमिका किसी और के साथ घर छोड़ कर भाग गई तो मैं काफी अवसादग्रस्त रहने लगा था, किसी काम को करने में मन नहीं लगता था, जी करता था कि जान दे दूँ। मैं उससे सच्चा प्रेम करता था पर उसने मेरे साथ खिलवाड़ किया और मुझे धोखा दिया।
समय बीतता जा रहा था। इसी बीच मुझे जरूरी काम से अपने मामा के घर जाना पड़ा। मेरा मन नहीं लग रहा था तो सोचा कि चलो थोड़ा मन बहल जायेगा तो बस एक दिन मैंने कोई अतिरिक्त कपड़े नहीं लिए और यूँ ही चल पड़ा।
मामा के घर पहुँचने पर देखा कि मामा किसी काम से दो दिनों के लिए बाहर गए हुए थे, घर पर सिर्फ मामी और उनकी दोनों बेटियाँ थी। थोड़ी देर इधर उधर की बातें होती रही, फिर मामी ने खाना लगा दिया।
खाना खाने के बाद मैं आराम करने के लिए ममेरी बहन के कमरे में जाकर लेट गया। नींद तो नहीं आ रही थी तो यों ही आँखें बंद करके लेटा था कि तभी कमरे में कुछ आहट हुई। मेरी ममेरी बहन कमरे में आई थी, उसने मुझे आवाज दी- विराज, सो गए क्या?
मैं दम साधे लेता रहा और कुछ नहीं बोला। उसे लगा कि मैं सो गया हूँ। वो बाहर चली गयी।
पर थोड़ी देर में ही फिर से वापस आई। मैंने अपनी आँखों को हल्के से खोल कर देखा कि वो क्या कर रही है। जब मेरी नज़र उस पर पड़ी तो मेरे होश ही उड़ गए। उसे शायद कपड़े बदलने थे तो वो अपने कपड़े एक एक करके उतार रही थी। उसने शमीज और सलवार पहन रखे थे, बारी बारी से उसने दोनों कपड़े उतार दिए, वो निश्चिंत होकर अपने कपड़े उतार रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि मैं सो रहा हूँ।.
अब वो सिर्फ टेप (लड़कियों के पहनने वाली चीज जो दिखने में लड़कों के गंजी की तरह होती है) और पैंटी में थी। उसका यह रूप देख कर मैं अपने आपे से बाहर होने लगा। क्या मस्त संगमरमरी बदन था, जैसे एकदम अभी ही दूध से नहा कर निकली हो। तभी उसने अपने टेप को एक झटके में ही उतार दिया।
उसके उरोजों को देख कर मेरा लंड एकदम से सलामी देने लगा। मैं ये सब देख पसीने से लथपथ होने लगा, उसे यह जरा भी एहसास नहीं था कि मैं उसे देख रहा हूँ। टेप उतारने के बाद उसने अपने दूसरे कपड़े पहने और बाहर चली गई पर मेरे मन में बहुत तेज हलचल मची हुई थी। मेरा लंड दर्द के मारे फटा जा रहा था। मैं उसी वक्त उठा और बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुठ मारी और फिर कमरे आकर बिस्तर पर लेट गया।
मेरे मन में उसके लिए ख्यालात बदल चुके थे, मैं उसे सेक्स भरी नजरों से देखने लगा। मेरी गर्लफ्रेंड के जाने के बाद बहुत दिनों बाद कोई नंगा बदन देखने से मेरा लंड मचलने लगा। थोड़ी देर बाद मैं कमरे से निकल बाहर गया और मामी जी से काम के बारे में बातें करने लगा, कुछ रुपये पैसे के लेन देन के बारे में बात करनी थी।
काम पूरा होने के पश्चात मैं मामी जी से बोला- अब मैं घर वापस जाऊँगा।
इस पर मामीजी गुस्से में बोली- एक तो घर पर तेरे मामा नहीं है, और एक तू आज ही आया और आज ही चला जायेगा? एक-दो दिन रुक जा, फिर चले जाना !
मैंने कहा- मैं तो कपड़े लाया ही नहीं !
मामी ने मुझे मामा के कपड़े पहनने को दे दिए। मेरे मन में ममेरी बहन की चुदाई के ख्याल आने लगे थे, बार बार मेरे खयालों में उसका अर्धनग्न बदन सामने आ रहा था, सोचा कि अगर काम बन गया तो फिर से चुदाई का मजा मिलेगा।
रात को खाना खाने के बाद मैंने मामी से कहा- मैं सोने जा रहा हूँ।
इस पर मेरी ममेरी बहन ने कहा- इतनी जल्दी? चलो कमरे में, थोड़ी देर बातें करेंगे फिर सो जाना !
मैं मान गया और उसके कमरे में चला गया। दोनों बहनें मेरे ही पास आकर बैठ गई। बड़ी बहन मेरे बाजू में सट कर बैठी थी और छोटी वाली मेरे पैरों की तरफ बैठी थी। बड़ी बहन के शरीर से मेरा शरीर रगड़ खा रहा था। मैं धीरे धीरे उत्तेजित होने लगा था।
बड़ी बहन बात करते करते मुझे और चिपकती ही जा रही थी, मेरा लंड बेकाबू हुआ जा रहा था।
थोड़ी ही देर में छोटी बहन ने कहा- मैं सोने जा रही हूँ।
और वो एक तरफ करवट ले कर सो गई। मुझे लगा कि अब कुछ नहीं हो पायेगा, मुझे मेरी उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा था। कुछ मिनटों के बाद मैं भी बोला- मैं सोने जा रहा हूँ।
इस पर बड़ी बहन ने कहा- यहीं पर सो जाओ, अब रात काफी हो चुकी है, कहाँ दूसरे कमरे में जाओगे। यहाँ काफी जगह है।
मैं सोने से पहले मुठ मारना चाहता था पर मन मार कर वहीं पर लेट गया और आँखें मूंद के सोने की कोशिश करने लगा।
बड़ी वाली बहन मेरे बगल में ही आकर लेट गई और मुझसे इधर उधर की बातें करने लगी पर मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप लेटा रहा।
उसे लगा कि मैं सो गया हूँ तो वो मेरी तरफ पीठ करके सोने लगी। पर मेरी वासना बेकाबू होती जा रही थी, समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ !
इसी उहापोह में कब आधी रात बीत गई, मुझे पता ही नहीं चला। मैं जैसे ही करवट लेने के लिए मुड़ा कि मेरे हाथ बड़ी बहन के नितंब से लग गए। मेरी नजर उस पर गई तो देखा कि उसकी कमीज थोड़ी ऊपर हो गई है और उसका पेट दिख रहा था। वो गहरी नींद में सो रही थी। मैंने जब उसके चूतड़ पर नजर डाली तो दंग रह गया, शायद उसने पैंटी नहीं पहनी थी क्योंकि उसकी सलवार उसके कूल्हों की दरार में घुसी हुई थी।
यह नजारा देख कर मैं फिर से उत्तेजित हो गया, मेरे लंड ने फिर से सर उठाना शुरू कर दिया, मैंने धीरे से अपने हाथ उसके नितंबों पर रखे और धीरे धीरे सहलाने लगा। मुझे बहुत डर भी लग रहा था कि कही वो जाग न जाये…
थोड़ी देर तक मैं उसे सहलाता रहा। उसे गहरी नींद में सोते देख मेरी हिम्मत और बढ़ गई, मैंने अपने हाथों को आगे बढ़ाते हुए अपनी एक उंगली उसकी गांड की दरार के बीच में घुसा दी। तभी वो हल्की सी कसमसाई तो मैंने डर के मारे अपना हाथ वहाँ से हटा लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मेरा दिल काफी जोर से धड़कने लगा। अब वो सीधी होकर लेट गई थी, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो सोई है या जागी हुई है। थोड़ी देर बाद जब मुझे एहसास हुआ कि वो अब गहरी नींद में है तो मैंने फिर से उसके पेट को सहलाना शुरू किया।
धीरे धीरे मैं अपने हाथ को उसकी जांघों के बीच सरका ले गया। वो फिर से थोड़ी कसमसाई और अपने पैरों को थोड़ा सा फैला दिया। अब मुझे लगा कि वो भी जाग रही है और सोने का नाटक कर रही है, उसे भी शायद मजा आ रहा था इसीलिए उसने अपने पैरों को थोड़ा फैला दिया। मैंने अपने हाथ को धीरे से उसके सलवार में डाल दिया, मेरा हाथ जैसे ही उसकी चूत पर पहुँचा, उसका शरीर काँप उठा।
मैंने पाया कि उसकी चूत एकदम चिकनी थी, शायद उसने अपने बालों को ताजा ताजा साफ़ किया था। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। मैं समझ गया कि वो जाग रही है और पूरी तरह से मजे ले रही है।
मैंने उसके कान में कहा- अगर ढंग से मजे लेने हैं तो सलवार उतारनी पड़ेगी।
इतना सुनते ही वो मेरी तरफ घूम गई और मेरे सीने में अपना सर छुपा कर बोली- तुम ही उतार दो। वैसे तुम बड़े कमीने इंसान हो, अपनी बहन पर ही नजर डालते हो?
इस पर मैं बोला- तुम भी तो मजे ले रही हो चुपचाप !
फिर मैं उसकी सलवार को खोलने लगा तो वो बोली- पूरा मत खोलो, बस थोड़ी नीचे सरका दो, कहीं छोटी जाग गई तो मुसीबत हो जायेगी।
‘ठीक है !’ मैंने कहा और उसकी सलवार को नीचे खिसकाने लगा। उसने सलवार उतारने में मेरा सहयोग किया और अपने चूतड़ ऊपर की तरफ उठा लिए। धीरे से मैंने उसकी पूरी सलवार पैंटी सहित नीचे उतार दी।
उसने शर्म के मारे अपनी जांघों को समेट लिया। मैंने अब उसकी कमीज उतरने को हाथ बढ़ाया तो उसने रोक दिया और कहा- ऐसे ही करो ! अगर छोटी जाग गई तो मुसीबत खड़ी हो सकती है।
मैंने उसका कमीज नहीं उतारा और ऊपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा।
उफ्फ ! क्या मखमली एहसास था वो ! मैं ब्यान नहीं कर सकता शब्दों में ! मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसके होंठों को धीरे से चूमना शुरू किया, धीरे धीरे चूमते हुए मैं नीचे की तरफ आने लगा और उसके सीने पर चुम्बन करने लगा और उसके चूचों पर कपड़े के ऊपर से ही चुम्बन करने लगा। वो भी उत्तेजित हो रही थी और मेरा तो उत्तेजना के मारे बुरा हाल हुआ जा रहा था, मेरा लंड तो जैसे लग रहा था कि अब फट जायेगा।
मैंने लुंगी को पीछे सरका कर अपने कच्छे से लंड को बाहर निकाला और उसके हाथों में थमा दिया। वो एक बरगी जोर से काँप उठी और अपना हाथ मेरे लंड से हटा लिया। मैं दोबारा उसका हाथ अपने लंड पर रख कर बोला- इसे सहलाओ, मुझे अच्छा लगेगा।
वो मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी। मैंने अपना एक हाथ उसके उरोज पर रखा और एक हाथ उसकी जांघों के बीच सरका दिया। अब तक वो काफी गर्म हो चुकी थी, उसने अपनी जांघों को थोड़ा सा फैला दिया जिससे मुझे उसकी चूत को सहलाने में आसानी हो रही थी। मैंने उससे कहा- मेरा लंड चूसो न, बड़ा मजा आएगा तुम्हें !
पर उसने लंड चूसने से मना कर दिया, मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं की। मैं उसकी चूत को चूमने के लिए नीचे की तरफ खिसकने लगा तभी बेड पर आहट हुई।
मैं एकदम से रुक गया, छोटी बहन शायद जाग गई थी, उसने करवट बदली और फिर शांत होकर सोने लगी। पर इससे बड़ी बहन काफी घबरा गई, डर के मारे उसकी हालत खराब हो गई। डर तो मुझे भी लगा पर जब देखा कि छोटी शांत है तो मैं बड़ी की चूत पर चुम्बन करने लगा।
इस पर वो घबरा कर बोली- अब रहने दो, मुझे बहुत डर लग रहा है, मुझे नहीं करना अभी, फिर कभी देखेंगे।
और वो अपने कपड़े धीरे से ठीक करने लगी। मैंने उसे समझाया- कुछ नहीं होगा, छोटी सो चुकी है।
पर वो नहीं मानी, मैंने भी कोई जिद नहीं की। मैंने उसे होंठों पर चूमा और उसके कपड़े ठीक करने में उसकी मदद की, कपड़े ठीक करने के बाद वो एक बार मेरे सीने में सर रख कर बोली- मुझे बहुत डर लग रहा है, कहीं उसे पता तो नहीं चल गया?
मैंने उसे समझाया- ऐसा नहीं है, वो तो सो रही है, तुम आराम करो अच्छे से !
वो मुझसे लिपट गई और बोली- मुझे बहुत अच्छा लगा पर डर भी लग रहा था, अब आज रहने दो, कल अगर मौका मिला तो आगे की सोचेंगे।
मैंने पूछा- क्या तुम्हारा मुझसे सेक्स करने को मन है?
‘हाँ !’ वो बोली- मैं अपना कुंवारापन उस इंसान को देना चाहती हूँ जो मुझे अच्छे से समझता हो, मुझे दर्द देने की कोशिश भी न करे ! और तुम मेरे दोस्त जैसे हो जो मुझे काफी अच्छे से समझते हो। मैं अपना कुंवारापन तुम्हें सौपती हूँ, मुझे तुम पर भरोसा है।
यह कहते कहते उसकी आँखें भर आई।
मैंने भी उसे भरोसा दिलाया कि मैं उसका विश्वास कभी नहीं तोड़ूँगा।
उस रात उससे आगे कुछ नहीं हो पाया पर अब तय था कि मौका मिलने के बाद बहुत कुछ होगा अब !
अगले दिन मैं अपने घर चला आया, उसे यह भरोसा दिया कि मैं तुम्हारी चाहत जरूर पूरी करूँगा।
कुछ दिनों बाद मैं फिर से अपने मामा के घर गया, तब आगे क्या हुआ, वो सब अगली कहानी में बताऊँगा।
आपको मेरी यह आपबीती कैसी लगी, जरूर बतायें।
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