फाड़िए मगर प्यार से

पुरुष को यदि कोई स्त्री आसानी से हासिल हो जाए तो वो जल्द ही उससे ऊब जाता है। जो स्त्री पुरुष को जितना ज्यादा तरसाती है पुरुष उसको हासिल करने के लिए उतना ही ज्यादा लालायित होता जाता है।

नेहा के साथ मेरे अधूरे संभोग ने उसे पाने की मेरी इच्छा को और बढ़ा दिया था। मैं अगले ही दिन शाम को सुगंधा के छात्रावास पहुँचा। मैंने उस तक संदेशा भिजवाया कि बहुत जरूरी काम है जल्द से जल्द वो बाहर आ जाए। वो बाहर निकली। उसने सलवार सूट पहन रखा था।

उसने पूछा, “क्या हुआ भैया, इतने दिनों तक मेरी कोई खोज खबर नहीं ली आपने और अचानक इतना जरूरी काम आ पड़ा कि दौड़े चले आए? कल सुबह आठ बजे से मेरी पहली कक्षा है, उसके लिए मेरा कुछ काम बाकी रह गया है, जो कहना हो जल्दी कहिए।”

मैंने कहा, “तुमसे कुछ जरूरी बातें करनी हैं जो यहाँ खड़े खड़े नहीं हो सकतीं। चलो मेरे साथ। मैं कल एकदम सुबह सुबह तुम्हें वापस छोड़ जाऊँगा।”

वो बोली, “तो क्या मैं रात भर आपके साथ रहूँगी।”

मैंने कहा, “हाँ।”

वो मुस्कुराकर बोली, “तो मैं अपने कपड़े ले लूँ और पुस्तक-पुस्तिका भी ले लूँ ताकि मैं अपनी पढ़ाई कर सकूँ।”

मैंने कहा, “हाँ ले लो।”

वो अपने कपड़े और अन्य सामान लेकर बाहर आई। हम कमरे पर आ गए। जैसे ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद किया उसने अपने हाथ में थमा सामान बिस्तर पर फेंका और पीछे से मुझसे लिपट गई।

मैंने कहा, “यह क्या कर रही हो? तुम्हें तो पढ़ाई करनी है न? हम दोनों चचेरे हैं तो क्या हुआ, हैं तो बहन भाई ही न। अब तक हमारे बीच जो कुछ हुआ वो सब मेरी भूल थी। अब आगे से हम दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं होगा।”

उसने मुझे छोड़ दिया और अपनी कमर पर दोनों हाथ रखकर खड़ी हो गई और अजीब से नज़रों से मुझे देखने लगी, उसने कहा, “क्यों कोई और मिल गई है क्या?”

ये लड़कियाँ संभोग करने के बाद ज्यादा समझदार हो जाती हैं क्या? मैंने कहा, “हाँ।”

उसने पूछा, “कौन?”

मैंने कहा, “वो पड़ोस में जो राधा रहती है ना वो।”

उसने कहा, “ये राधा कौन है? पहले तो आपने कभी उसका जिक्र नहीं किया।”

मैंने कहा, “पहले कभी मौका नहीं लगा।”

उसने कहा, “तो अब मैं क्या करूँ?”

मैंने कहा, “तूम भी अपने लिए कोई पुरुष मित्र ढूँढ लो। हमारे बीच ये सब ठीक नहीं है।”

उसने कहा, “तो मुझे यहाँ क्यों लेकर आए?”

मैंने कहा, “कुछ पूछना है तुमसे इसलिए।”

वो बोली, “क्या पूछना है?”

मैंने कहा, “जब मैंने पहली बार तुम्हारी योनि में अपना लिंग डाला था तो ज्यादा खून नहीं निकला था और दर्द भी तुम सह गई थी। लेकिन जब मैंने राधा की योनि में लिंग घुसाने की कोशिश की तो ढेर सारा खून निकला और उसे इतना दर्द हुआ कि उसने घुसवाने से मना कर दिया। तुम तो जीव विज्ञान की छात्रा हो बताओ ऐसा क्यूँ हुआ।”

उसने कहा, “तो इसलिए मुझे लेकर आए हैं आप। जाइये नहीं बताऊँगी।”

मैंने कहा, “प्लीज सुगंधा बता दे न यार। प्लीज।”

वो बोली, “एक शर्त है।”

मैंने कहा, “क्या?”

उसने कहा, “आज रात आपको मेरे साथ संभोग करना होगा।”

मैंने कहा, “नहीं मैं नहीं कर सकता।”

उसने कहा, “तो जाइए मैं नहीं बताती।”

यह लड़की भी न। चलो झूठ मूठ का वादा कर देता हूँ बाद में तोड़ दूँगा तो यह क्या कर लेगी, मैंने कहा, “अच्छा ठीक है। लेकिन सिर्फ़ आज की रात, उसके बाद कभी नहीं।”

वो खुश हो गई और उसने बताना शुरू किया, “हर लड़की की योनि के भीतर योनि का छेद ढँकने के लिए एक झिल्ली होती है जिसकी मोटाई, आकार एवं आकृति अलग अलग लड़कियों में अलग अलग होती है। मेरी योनि की झिल्ली पतली रही होगी और उसका छेद बड़ा रहा होगा जिससे मुझे दर्द कम हुआ और आपने आसानी से फाड़ दी। राधा की योनि की झिल्ली काफी मोटी होगी और उसका छेद भी छोटा सा होगा जिसकी वजह से आप उसे नहीं फाड़ पाए होंगे और मोटी झिल्ली में रक्त की नसें ज्यादा होने से खून भी खूब निकला होगा।”

मैंने कहा, “तो अब मैं क्या करूँ। कैसे फाड़ूँ इस झिल्ली को।”

वो बोली, “प्यार से फाड़ोगे तो हर झिल्ली फट जाएगी। पहले कोई पतली सी चीज क्रीम वगैरह लगा कर उसके भीतर डालो फिर और मोटी डालो फिर और मोटी। धीरे धीरे योनि की मांसपेशियाँ ढीली होती जाएँगी। आखिर बच्चा भी तो इसी छेद से निकलता है। यह ध्यान रहे कि यह काम रोज करते रहिएगा वरना मांसपेशियाँ फिर अपने पुराने आकार में आ जाएँगी। यह वैसे ही है जैसे कान में छेद करके अगर कुछ पहना दिया जाय तो छेद बना रहता है वरना भर जाता है। जैसे बच्चा निकलने के बाद योनि का छेद फिर अपने पुराने आकार में आ जाता है। इस तरह धीरे धीरे मगर लगातार छेद चौड़ा करते जाइए। अंत में तो आपका भीमकाय लिंग है ही।”

मैंने कहा, “इसमें तो कई दिन लगेंगे।”

उसने कहा, “सब्र करना सीखिए। सब्र का फल मीठा होता है।”

मैंने कहा, “एक बात और पूछनी है।”

उसने कहा, “क्या?”

मैंने पूछा, “तुमने उस दिन संभोग के दौरान कहा था कि आज सुरक्षित समय है। यह सुरक्षित समय क्या होता है?”

उसने कहा, “माहवारी आने के पाँच दिन पहले और खत्म होने के दो दिन बाद तक का समय सुरक्षित होता है। इसके अलावा बाकी सारे दिनों में वीर्य योनि के भीतर डालने पर लड़की को गर्भ ठहर सकता है।”

मैंने पूछा, “ऐसा क्यों होता है?”

वो बोली, “अब पूरी बात समझाने में तो मुझे सुबह हो जाएगी। यह समझ लीजिए कि यदि आप शादीशुदा होते तो पहले सात दिन और बाद के तीन दिन सुरक्षित होते हैं। लेकिन आप शादीशुदा तो हैं नहीं इसलिए बिल्कुल भी खतरा मत मोल लीजिएगा। पाँच दिन पहले के और दो दिन बाद के, बाकी के दिन बाहर डिस्चार्ज के।”

मुझे हँसी आ गई। यह तो वाकई पढ़ाकू लड़की है। या हो सकता है कि मेरे साथ संभोग के बाद इसने ये सब पढ़ा हो ताकि जान सके कि कब गर्भ ठहरने का खतरा है कब नहीं।

सुगंधा बाथरूम में गई। मैं बिस्तर पर बैठकर सोचने लगा कि क्या बहाना करूँ ताकि इसके साथ संभोग न करना पड़े। वो बाहर निकली। उसके शरीर पर सिर्फ़ पैंटी और ब्रा थी। यह लाल वाली पैंटी तो मैंने ही खरीदी थी। जानबूझ कर मैंने दस में से तीन पैंटी छोटी छोटी खरीदी थी। खरीदते समय मुझे यह पता नहीं था कि मैं नेहा से संभोग कर बैठूँगा और वो मुझे सुगंधा के साथ संभोग करने से मना कर देगी। सुगंधा ने पता नहीं कब जाकर लाल रंग की ब्रा भी खरीद ली थी।

क्या लग रही थी वो। उसका हल्का साँवला रंग बल्ब की सुनहली रोशनी में जगमगा रहा था। मेरे हृदय ने जोर लगा लगाकर मेरे लिंग में अतिरिक्त रक्त भेजना शुरू कर दिया। छोटी सी पैंटी जो आधी पारदर्शी थी उसमें से साफ दिख रहा था कि उसने अपनी योनि के बाल साफ कर लिए हैं।

हे कामदेव, यह लड़की तो पूरी तैयारी के साथ आई है।

वो कमर पर हाथ रखकर थोड़ा सा तिरछा होकर खड़ी थी। मैं अपनी आँखें बंद कर लेना चाहता था मगर पलकें मेरा साथ नहीं दे रही थीं। जब मैं थोड़ी देर तक नहीं उठा तो वो रसोई के अंदर गई। बाहर आई तो उसके हाथ में शहद की शीशी थी। उसने अपनी ब्रा उतार दी। उसके मांसल उरोज जो आज और बड़े लग रहे थे, फड़फड़ा उठे। वो शीशी में से शहद निकालकर अपने चूचुकों पर लगाने लगी।

अब बात मेरे बर्दाश्त के बाहर थी। मैं उठा और उसके पास गया। उसके एक चूचुक को मुँह में लेकर पागलों की तरह शहद चूसने लगा। वो आहें भरने लगी। सारा शहद चूसकर मैंने दूसरे चूचुक को मुँह में लिया। उसका भी शहद चूसकर सुखा दिया। मैंने शहद की शीशी उसके हाथ से लेकर वहीं जमीन पर रख दी। फिर मैंने उसे गोद में उठाया और ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया।

मेरा लिंग पूरी तरह तना हुआ था। मैंने उसकी पैंटी एक झटके में उतार दी। उसकी चमकती हुई सफाचट योनि मेरे सामने थी, मैंने उसकी योनि को मुँह में भरकर चूसना शुरू किया। मुझसे जितना हो सकता था मैं उतनी तेजी से योनि चूस रहा था। फिर मैंने योनि को थोड़ा सा फैलाकर उसके भीतर स्थित मटर के दाने को चूसना शुरू किया। वो मस्त होकर अपनी कमर उछालने लगी। अब सुगंधा पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। मैंने मौके का फायदा उठाने का निर्णय किया।

मैं एक झटके से उसकी योनि छोड़कर उठा और शहद की शीशी उठाकर ले आया। मैंने फटाफट अपने कपड़े उतारे और अपना लिंगमुंड निकाल कर उस पर शहद लगाया।

सुगंधा ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा, उसने पूछा, “शहद लगाकर डालेंगे क्या।”

मैंने कहा, “डालूँगा तो मगर तुम्हारी योनि में नहीं, तुम्हारे मुँह में।”

उसने जोर से मुँह बंद कर लिया और अपना सिर हिलाने लगी। मैं उसके ऊपर इस तरह बैठ गया कि मेरा भीमकाय लिंग उसके मुँह तक पहुँचे। मैंने एक हाथ से उसका चेहरा पकड़ा और दूसरे हाथ से उसके होंठों पर अपना लिंग रगड़ने लगा। शहद उसके होंठों पर लग चुका था। अब मैंने एक हाथ से उसकी नाक बंद कर दी। उसने साँस लेने के लिए अपना मुँह खोला और मैंने अपना लिंग उसके मुँह में डालकर उसकी नाक छोड़ दी। वो जोर जोर से साँस लेने लगी। साँस रुकने की वजह से कुछ पलों के लिए लिंग पर से उसका ध्यान हट गया था।

लिंग पर लगा शहद उसके मुँह में घुलने लगा। उसने अपना चेहरा हिलाकर लिंग निकालने की कोशिश की मगर मैंने एक हाथ से उसका चेहरा कस कर पकड़ा हुआ था। कुछ क्षणों बाद उसने हालात से समझौता कर लिया। शहद उसके मुँह में लार के साथ मिलकर उसके गले में उतर रहा था। मीठा मीठा शहद उसे अच्छा लग रहा था।

मैंने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया। वो अभी भी लिंग चूसने के मूड में नहीं थी। लेकिन अब मैं बिना चुसवाए उसे छोड़ने वाला नहीं था। कुछ देर तक मैंने धीरे धीरे लिंग मुंड अंदर बाहर किया फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी। जब लगा कि मैं अब सँभाल नहीं पाऊँगा और इसके मुँह में ही मेरा वीर्य गिर जाएगा तो मैंने अपना लिंग बाहर निकाला।

वो बोली, “छिः बहुत गंदे हो गए हो आप।”

पर अब लिंग को छोड़कर मेरी बाकी इंद्रियों ने काम करना बंद कर दिया था। मैं तुरंत उसके ऊपर आया और उसकी योनि पर लिंग रखकर एक जोरदार झटका मारा। मेरा लिंगमुंड उसकी योनि में उतर गया।

वो चीख पड़ी।

मैंने पूछा, “क्या हुआ?”

वो बोली, “दर्द हो रहा है।”

मैंने कहा, “क्यों। तुम्हारी योनि तो मैं पहले ही फाड़ चुका हूँ।”

वो बोली, “इतनी जल्दी भूल गए मैंने कहा था न कि यदि लगातार संभोग न किया जाय तो योनि अपनी पहली वाली अवस्था में आने लगती है ऊपर से आपका लिंग इतना मोटा है। हर हफ़्ते मेरे साथ संभोग करते रहिए तो मुझे दर्द नहीं होगा। और एक बात तो आप हमेशा के लिए गाँठ बाँध लीजिए आपके भीमकाय लिंग को देखते हुए बहुत काम आएगी। फाड़िए मगर प्यार से।”

कहकर उसने हथेलियों में अपना मुँह छिपा लिया।

बात तो वो सही कर रही थी मुझे अपने लिंग पर उसकी योनि का कसाव महसूस हो रहा था। मैंने अपने आप को काबू में किया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। मेरा लिंगमुंड उसकी योनि की गहराइयों में उतरने लगा। थोड़ी देर बाद मेरा पूरा लिंग उसकी योनि में समा गया।

अब मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी। तेजी से उसकी योनि में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। वो अपने नितंब उठा उठाकर मेरा साथ देने लगी। मैंने उसे कसकर अपनी बाहों में ले लिया और जोर जोर से धक्के मारने लगा। उसने भी मुझे कसकर चिपका लिया। एक बार फिर मेरे मुँह से गंदे गंदे शब्द निकलने लगे।

फिर मैंने उसकी टाँगें अपने नितंबों के ऊपर चढ़ा लीं। अब उसके गर्भाशय तक मेरा भीमकाय लिंग पहुँच रहा था। मैंने उसके कान में कहा, “सुगंधा मेरी जान योनि के अंदर वीर्य गिरा दूँ।”

वो बोली, “गिरा दीजिए। सुरक्षित समय है।”

मैंने और कसकर उसे पकड़ लिया और पूछा, “सुगंधा मेरे बच्चे की माँ बनेगी।”

वो बोली, “हाँ बनूँगी। मेरी योनि में अपना सारा वीर्य डाल दो। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ।”

उसके मुँह से ऐसे शब्द सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने और जोर जोर से धक्के मारना चालू कर दिया। थोड़ी देर बाद मेरा वीर्य निकल निकलकर उसकी योनि में गिरने लगा। वो भी मुझसे कसकर चिपक गई। उसका बदन काँपने लगा। थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे लेटे अपनी साँसें व्यवस्थित करने की कोशिश करते रहे। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

फिर मैं उठा और बाथरूम गया। वापस आकर मैंने अपने कपड़े पहने। सुगंधा ने भी यही किया।

अचानक उसने मुझसे पूछा, “आपकी यह राधा नेहा ही है न।”

मुझे आश्चर्य हुआ कि इसे कैसे पता चल गया, मैंने कहा, “नहीं तो?”

वो बोली, “सोच लीजिए अगर नेहा हो तो मुझे उससे मिला लीजिए, मैं उसे सब समझा दूँगी। फिर वो आपके लिंग से डरना छोड़ देगी। वरना आपकी मर्जी। मेरा क्या जाता है।”

मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा। बात तो इसकी सही है। एक लड़की ही दूसरी लड़की को संभोग के बारे में विस्तार से समझा सकती है। मैं सुगंधा को लेकर नीचे गया। मकान मालिक अभी आए नहीं थे। मकान मालकिन और नेहा नीचे थे। मैंने उन्हें नमस्ते किया और उनके पास बैठ गया।

उन्होंने नेहा को चाय बनाने के लिए भेजा तो सुगंधा ने कहा- मैं भी मदद करती हूँ !

और वो भी भीतर चली गई। दोनों चाय बनाकर लाईं। हमने चाय पी। थोड़ी इधर उधर की बातें हुईं फिर मैं और सुगंधा ऊपर आ गए।

ऊपर आकर सुगंधा ने कहा- अब आप जाइए और घूम घामकर तीन चार घंटे बाद आइएगा, मैंने नेहा को बुलाया है, वो आएगी तो मैं उसे सब समझा दूँगी।

हे कामदेव यह लड़की कितनी बेशर्म हो गई है। अभी एक साल पहले की ही बात है मैं इसके सामने मुँह से गालियाँ निकालते हुए भी डरता था और अब ये मेरे लिए लड़की तैयार कर रही है।

“हे कामदेव, तुम जो न करवा दो।”

फिर मैं अपने एक दोस्त के यहाँ जाने के लिए निकल पड़ा। रास्ते में मैं नेहा के साथ संभोग के ख्याली पुलाव पका रहा था और आगे की योजना बना रहा था।

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