गरम माल दीदी और उनकी चुदासी चूत-1
(Garam Mal Didi Aur Unki Chudasi Chut- Part 1)
सभी अंतर्वासना के आदरणीय पाठकों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम राज है और मैं अहमदाबाद (गुजरात) का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 23 साल है.. मेरी कद-काठी ठीक है। रंग गेहुआ और दिखने में ठीक हूँ।
मैं अन्तर्वासना साईट का एक नियमित पाठक हूँ। काफी कहानियां पढ़ने के बाद मैंने भी सोचा कि अपनी कहानी भेजी जाए।
यह मेरी पहली कहानी है।
मेरी रिश्तेदारी में एक शादी का मौका आया.. जिसकी वजह से मुझे गांव जाना पड़ा। उधर मेरा स्वागत किया गया।
पहले तो थोड़ा नया-नया लगा.. फिर मैं भी सबके साथ शादी की तैयारियों में लग गया।
अभी भी मेहमान आ रहे थे।
तब शाम को मेरी दूर की रिश्तेदार दीदी जो करीब पैंतीस साल की थीं.. उनको मैंने देखा, वो अभी भी जवान लग रही थीं।
मैंने उनको तीन साल पहले देखा था, तब उनका शरीर उतना भरा हुआ नहीं था.. पर अब तो उनकी चूचियां बड़ी हो गई थीं और गाण्ड भी बहुत ज्यादा बाहर निकल आई थी।
उनके साथ में एक लड़की भी थी.. जो तक़रीबन अठारह साल की होगी। वह मेरी भांजी थी, उसका नाम दिव्या था। वह बहुत ही गोरी-चिट्टी थी।
जब हंसती थी.. तो उसके गाल में छोटे गड्डे बनते थे। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें बहुत ही सुन्दर लग रही थीं। उसके चूचे ज्यादा बड़े नहीं थे.. पर गाण्ड थोड़ी बड़ी थी। इतनी गदराई हुई गाण्ड थी कि उसकी जीन्स में मुश्किल से सम्भली हुई थी.. लगता था कि अभी जीन्स फट जाएगी।
मैंने उससे बात करने की कोशिश की.. पर वो कोई न कोई बहाना बनाकर दूसरी लड़कियों के साथ भाग जाती थी।
मैंने दीदी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि उसे लड़कों से बात करना अच्छा नहीं लगता।
शाम को खाना खाने के बाद सब लोग छत पर सोने के लिए चले गए। जब मैं गया.. तो जगह नहीं थी।
तभी दीदी ने मुझे आवाज लगाई।
मैंने देखा कि उनका बिस्तर कोने में था और वह उनकी बेटी के साथ सो रही थी, बीच में थोड़ी जगह थी।
उनके कहने पर मैं बीच में ही लेट गया.. पर जगह बहुत कम थी।
बाद में दीदी मुझसे मेरे बारे में सब बात करने लगी.. पर मैं उनकी तरफ मुँह करके लेटा हुआ था.. तो मेरा लण्ड उनके कूल्हे से लगा हुआ था और धीरे-धीरे टाइट हो रहा था।
अब मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो चुका था। शायद दीदी ने उसे महसूस कर लिया था.. तो वो और मुझसे चिपकने लगीं और सेक्सी बातें करने लगीं।
मैं बहुत गर्म हो गया, शायद वो भी बहुत गर्म हो गई थीं।
वो नींद का बहाना करके उधर मुँह करके सो गईं।
हमारे बीच न के बराबर की जगह बची थी। थोड़ी देर बाद वह और थोड़ा सा पीछे को ऐसे खिसकीं.. जैसे वह नींद में हों.. और मेरा लण्ड उनकी गाण्ड की दरार में फिट हो गया।
मेरा लण्ड एकदम सख्त हो कर दर्द करने लगा था.. तो मैंने सोचा कि गाण्ड की दरार में घिसके अपना पानी निकाल दिया जाए।
मैं थोड़ा पीछे हुआ और अपने लण्ड को ज़िप खोल कर बाहर निकाल लिया, उनका पेटीकोट धीरे-धीरे ऊपर खिसकाया।
नीचे उन्होंने पैन्टी पहन रखी थी। मैंने लण्ड को गाण्ड से लगाया तो पता चला कि पैन्टी पूरी गीली हो गई थी।
मैं लण्ड को ऊपर से ही घिसने लगा।
पैंटी की वजह से मजा नहीं आ रहा था.. तो मैंने उसे निकालने की सोची।
वैसे तो पैंटी ढीली ही थी। मैंने पैंटी को थोड़ा खींचा तो तो वह थोड़ा खिसकी.. पर बड़ी गाण्ड की वजह से अटक गई। मैंने और कोशिश की.. पर कामयाबी नहीं मिली।
इधर मेरे लण्ड का बुरा हाल हो रहा था और झटके खा रहा था। मैंने बहुत जोर देकर पैंटी नीचे की ओर खींची तो वो सरक कर घुटनों तक चली गई।
मुझे ऐसा लगा कि दीदी ने थोड़ी मदद की हो।
दीदी थोड़ा हिलीं और फिर से सो गईं।
अब उनकी गाण्ड बिल्कुल खुली थी। दीदी ने भी अपने घुटने पूरी तरह मोड़ लिए थे.. तो गाण्ड भी बहुत बड़ी और खुली लग रही थी।
मैंने अपना लण्ड फिर से गाण्ड की दरार में लगाया और घिसने लगा। बहुत ही गर्म गाण्ड थी.. पर लण्ड ज्यादा फिसल नहीं रहा था.. तो मैंने अपने पूरे लण्ड पर थूक लगाया और फिर थोड़ी देर घिसा। मेरे लण्ड का पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था। मैंने उनकी जाँघों के बीच हाथ घुसाने की कोशिश की.. तो बड़ी मुश्किल से थोड़ी उंगलियां ही जा पाईं।
मुझे लगा कि इन टाइट जाँघों के बीच अपना लण्ड डाल के हिलाऊँगा तो जल्दी ही लण्ड शांत हो जाएगा। मैंने थोड़ा जोर लगाकर उनका एक पैर थोड़ा उठाया.. उतना कि लण्ड घुसा सकूँ।
मैंने लण्ड बीच में सैट करके पैर नीचे रख दिया। अब मैं धीरे-धीरे से लण्ड हिलाने लगा.. पर मुझे लगा कि उनकी चूत कामरस छोड़ रही हो.. क्योंकि जाँघों के बीच चिकनाई होने लगी थी और लण्ड आसानी से फिसल रहा था। मुझे लगा कि दीदी नींद में ही पानी छोड़ रही हैं।
मैं अब लण्ड को चूत पर ही रख कर घिसने लगा। बहुत ही गर्म चूत थी और चिकनी भी बहुत ही ज्यादा थी। मैं थोड़ा पीछे हुआ और अपना हाथ नीचे ले जाकर चूत को टटोलने लगा। मैंने उंगली से चूत का छेद ढूंढकर उस पर थोड़ा दबाव बनाया.. तो थोड़ी उंगली अन्दर हो गई।
मैंने देखा कि दीदी अभी गहरी नींद में ही हैं।
मैंने अब अपना लण्ड चूत पर लगा दिया और अपने लण्ड का टोपा चूत के छेद पर घिसने लगा।
चूत के पानी से टोपा पूरा गीला हो गया।
थोड़ी देर बाद दीदी की गाण्ड पर हाथ फेरा और देखा कि दीदी अभी भी सो रही हैं।
मैं अपने लण्ड के टोपे को चूत के छेद पे दबाने लगा। चूत बहुत ही गीली होने के कारण टोपा छेद से फिसल गया।
मैंने एक हाथ से चूत की फांकें थोड़ी फैलाईं और लण्ड को सैट कर दिया, फिर दबाव बनाने से चूत फैलने लगी.. पर उतनी नहीं कि टोपा घुस जाए।
मैंने थोड़ा पीछे होकर हल्का सा झटका मारा.. तो लगा जैसे पूरा टोपा चूत में चला गया हो। पर अगले ही पल दीदी के मुँह से थोड़ी आवाज आई और वो आगे की ओर खिसक गईं.. जिससे टोपा चूत से बाहर निकल गया।
दीदी फिर वैसे ही गाण्ड को पीछे करके सो गईं.. और अपना हाथ पीछे ले जाकर चूत को सहलाया.. फिर सो गई।
मैंने फिर लण्ड को चूत से लगाया तो पता चला कि चूत पर बहुत सारा थूक लगाया गया है।
मुझे अब पता चल गया कि दीदी जाग रही हैं और वह भी चुदने के लिए तैयार हैं।
मैं फिर चूत के छेद पर दबाव बनाने लगा और चूत भी धीरे-धीरे से फैलने लगी। तभी दीदी ने पीछे की ओर अपनी चूत को जोर से धकेला कि लण्ड के टोपे के साथ थोड़ा लण्ड भी चूत में चला गया।
धक्का थोड़ा जोर से लगा था और पीछे उनकी बेटी यानि मेरी भांजी से टकरा गया, मुझे लगा शायद वह जाग उठी हो।
मैंने भांजी से ध्यान हटा कर दीदी को चोदने के बारे में सोचा।
मैंने एक हाथ से दीदी की कमर कसके पकड़ ली और चूत चिकनी होने की वजह से जोर का धक्का लगाने की सोची।
तभी दीदी ने पीछे होकर मुझे धीरे से कहा- धीरे-धीरे लण्ड को मेरी चूत में उतारना.. दर्द हो रहा है।
मैंने दीदी से कहा- तुम खुद घुसा लो।
फिर दीदी धीरे से मेरे लण्ड पर दबाव डालना चालू किया। उनकी निगोड़ी चूत मेरा लण्ड निगलने लगी और पूरा अन्दर लेने के बाद दीदी अपनी गाण्ड हिलाने लगीं।
मैंने नीचे हाथ ले जाकर देखा कि अभी एक इंच से अधिक लण्ड बाहर है।
मैंने दीदी से बोला- अभी लण्ड थोड़ा बाकी है।
तो वह बोलीं- इससे ज्यादा अन्दर नहीं जाएगा।
अब दीदी ने मेरे लण्ड पर अपनी चूत को सरकाने की स्पीड बढ़ा दी, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था, मैंने भी पीछे से धक्के लगाने चालू कर दिए।
सब लोग सो रहे थे और बिल्कुल सन्नाटा होने की वजह से चुदाई की धीरे से आती हुई आवाज भी जोर से सुनाई दे रही थी ‘फच…फच..फच..’
थोड़ी देर में ही चूत ने पानी छोड़ दिया।
दीदी ने मुझे रोक दिया और गहरी साँसें लेने लगीं और बोलीं- मेरा काम हो गया है.. तुम भी जल्दी अपना पानी निकाल दो।
मैंने दीदी की कमर कसके पकड़ ली और तेज-तेज धक्के मारने लगा।
अब लण्ड पूरा जड़ तक अन्दर जा रहा था।
दीदी की दर्द भरी ‘आहें..’ भी निकलने लगी थीं।
अचानक लण्ड जोर से झटके खाने लगा और और मैंने बहुत सी वीर्य की पिचकारियां चूत में छोड़ दीं।
कुछ पलों के बाद मैंने लण्ड बाहर खींच लिया.. तो दीदी ने पीछे मुड़ कर मुझे गाल पर एक किस किया और बोली- थैंक यू..
मैंने अपना लण्ड पैन्ट में कर लिया और दीदी ने भी पैंटी पहन कर कम्बल ओढ़ लिया और सो गईं।
अब रात के दो बज गए थे और थोड़ी ठण्ड भी लगने लगी थी। मैंने दीदी के कम्बल में घुसना चाहा.. पर वो चुदने के बाद आराम से सो गई थीं और उनका कम्बल भी छोटा था, उनके कम्बल में दो आदमी नहीं सो सकते थे.. तो मैं इधर-उधर कम्बल ढूंढने लगा।
तभी मेरी नज़र दिव्या यानि मेरी भांजी पर पड़ी, उसका कम्बल बहुत ही बड़ा था, मैं उसके साथ सो सकता था।
मैं उसके कम्बल में घुस गया।
उसका शरीर बहुत ही गर्म था। वह मेरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी.. तो उसके रसीले होंठ बिल्कुल मेरे सामने थे। मैंने उसे हल्के से चूम लिया, मुझे बहुत ही मजा आया।
उसने ऊपर टी-शर्ट और नीचे जीन्स पहन रखी थी।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था, मैंने उसके चूचों पर हल्के से हाथ फिराया। चूचे बहुत बड़े नहीं थे.. मुठ्ठी में आसानी से आ रहे थे। मैंने उनको थोड़ी देर दबाया.. तो साली हिलने लगी।
मैंने सोचा कि कहीं साली जग गई तो हंगामा हो जाएगा.. इसलिए उसके चूचों से अपने हाथ को हटा लिया।
अब मुझे भी नींद आने लगी थी.. तो मैंने सो जाना ही ठीक समझा।
चार बजे का समय हो गया था और लोग भी जागने लगे थे। क्योंकि शादी की तैयारी करने की वजह से कोई-कोई आदमी जल्दी उठ जाते हैं।
मैं भी एक खाली बिस्तर देख कर उसमें जाकर सो गया.. जो अभी-अभी कोई ख़ाली करके गया था।
मुझे जल्दी ही नींद आ गई।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. प्लीज जरूर बताइएगा। मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा।
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बहन की चुदाई कहानी का अगला भाग : गरम माल दीदी और उनकी चुदासी चूत-2
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