एक भाई की वासना -49
(Ek Bhai Ki Vasna-49)
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सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
जाहिरा अन्दर आई तो बोली- हैलो गाइस.. कोई मिल्क शेक लेना चाहेगा कि नहीं.. मैं बनाने जा रही हूँ..?
मैंने कहा- हाँ.. बना लो सबके लिए लेकिन तुम्हारे भैया तो शायद आज की रात ‘दूध’ ही पीना पसंद करेंगे।
मेरी बात सुन कर फैजान घबरा गया और बोला- नहीं नहीं.. मेरे लिए भी मिल्क शेक ही बना लाओ।
जाहिरा ने मेरी बात समझ ली थी.. वो हँसती हुई वहाँ से चली गई और फिर मैं भी कपड़े चेंज करने लगी।
मैं जानती थी कि फैजान परेशान है कि वो अब मुझे क्या बताए कि वो तो अपनी बहन को पहली ही चोद चुका हुआ है। लेकिन मैं भी अब तीनों के दरम्यान का यह परदा खत्म कर देना चाहती थी।
अब आगे लुत्फ़ लें..
फैजान को कमरे में छोड़ कर मैं बाहर रसोई में आई.. तो जाहिरा मुझे देख कर मुस्कुराने लगी।
मैंने उसे पीछे से अपनी बाँहों में भरा और बोली- क्यों फिर खूब मजे किए हैं ना.. अपने भैया के साथ सिनेमा में?
जाहिरा मुझे जवाब देती हुई बोली- भाभी आप भी तो उस लड़के के साथ खूब मजे करके आई हो ना?
मैं- अरे नहीं यार.. ऐसी तो कोई बात नहीं है..
जाहिरा- भाभी मैंने सब देखा था कि कैसे आप उसकी बैक पर अपनी चूचियों को रगड़ रही थीं।
मैं अब थोड़ी डिफेन्सिव होने लगी- नहीं यार.. वो तो बस बाइक पर बैठने की वजह से ऐसा हो रहा था..
जाहिरा- लेकिन भाभी इसमें हर्ज तो कोई नहीं है.. वैसे वो है भी खुबसूरत और चिकना लड़का.. मैं तो कहती हूँ कि पटा लो भाभी उसको.. अपनी हुस्न के जादू से..
मैं जाहिरा के बाज़ू पर एक हल्का सा थप्पड़ मारते हुई बोली- इतना ही अच्छा लग रहा है.. तो तू खुद पटा ले उसको और कर ले उसके लौड़े के साथ मजे..
जाहिरा- ना बाबा ना.. अभी तो मेरे लिए भैया ही काफ़ी हैं.. आप कर लो उसे क़ाबू में..
मैं शरम से सुर्ख होती हुई बोली- अच्छा चल छोड़ इन बातों को.. और चल मिल्क शेक लेकर चलें.. अन्दर तेरा भैया तेरा इन्तजार कर रहा होगा।
मेरी बात सुन कर जाहिरा हँसने लगी और फिर हम दोनों रसोई से बेडरूम में आ गए और सबने मिल कर बैठ कर मिल्क शेक पिया। जितनी देर तक हम लोग बैठे.. उतनी देर भी फैजान की नजरें अपनी बहन के जिस्म का ही जायज़ा लेती रहीं।
लेकिन जैसे ही मैं उसे अपने बहन को देखता हुआ पकड़ती.. तो वो शरम से थोड़ा झेंप जाता.. लेकिन मैं उसे शर्मिंदा करने की बजाय मुस्कुरा देती।
मिल्क शेक पीकर मैं और जाहिरा बाहर रसोई में आ गए और पीछे ही फैजान भी आ गया और टीवी ऑन करके देखने लगा।
रसोई से फारिग होकर मैंने जाहिरा को पहनने को एक नाईटी दी और कहा- तुम आज यह नाईटी पहन कर हमसे पहले ही जाकर सो जाओ..
वो एक ढीली सी सिल्की शॉर्ट नाईटी थी.. जो कि उसके घुटनों तक आती थी और उससे नीचे उसकी दोनों खूबसूरत टाँगें बिल्कुल नंगी हो जाती थीं। इस नाईटी का गला भी काफ़ी खुला और गहरा था.. जिससे उसका क्लीवेज और चूचियों का बहुत सा दूधिया हिस्सा साफ़ नज़र आ रहा था। नाईटी थी भी स्लीबलैस जिससे उसकी दोनों खुबसूरत बाज़ू बिल्कुल नंगे दिख रहे थे।
मैं फैजान के पास आकर बिल्कुल उससे चिपक कर बैठ कर टीवी देखने लगी.. थोड़ी देर में जाहिरा अपने कमरे से निकली तो जैसे ही उसकी सेक्सी ड्रेस पर फैजान की नज़र पड़ी.. तो वो चौंक उठा और उसकी आँखें भी चमक उठीं।
जाहिरा ने हमारी सामने खड़ी होकर एक जोरदार अंगड़ाई ली और बोली- भाभी मुझे तो नींद आ रही है.. मैं जा रही हूँ सोने के लिए.. आप लोगों ने जब भी आना हो आ जाना..
मैं- हाँ.. ठीक है तुम जाओ.. हम भी थोड़ी देर में आ रहे हैं।
जाहिरा ने एक मुस्कुराती हुई नज़र अपने भाई पर डाली और फिर अपने चूतड़ों को ठुमकाते हुए अन्दर चली गई।
मैं फैजान के साथ चिपक कर बोली- देखा अपनी बहन को.. मेरी नाईटी में कितनी सेक्सी लग रही थी.. इसे अगर कोई भी ऐसी देख ले ना.. तो कभी भी इसे चोदे बिना ना छोड़े..
फैजान- लेकिन तुमने उसे अपने नाईटी क्यों दी है?
मैं- क्यों उस पर अच्छी नहीं लग रही क्या?
फैजान- अच्छी तो लग रही है.. लेकिन..
मैं- अरे इसलिए तो उसे ऐसी ड्रेस पहनाती हूँ.. ताकि तुम देख सको कि तुम्हारी अपनी सग़ी छोटी बहन किस क़दर खूबसूरत और हसीन है और उसका जिस्म कितना सेक्सी है। तुमने चूचियाँ देखी था ना जाहिरा की.. उस नाईटी में से झाँकते हुए कितनी खूबसूरत लग रही थीं।
फैजान- प्लीज़ ताबिदा.. कैसी बातें कर रही हो.. वो बहन है मेरे.
मैं- अरे यार क्या हुआ.. बहन है तो.. तुम मेरा साथ दो ना.. तो मैं उसे तुम्हारे नीचे सुला दूँ..
फैजान चुप कर बैठ गया।
कुछ 15 मिनट के बाद हम दोनों भी उठ कर बेडरूम में आ गए.. तो जाहिरा आँखें बंद करके लेटी हुई सो रही थी.. उसने करवट ली हुई थी और अपनी एक टाँग आगे को करके मोड़ी हुई थी। जिसकी वजह से उसकी टांग जाँघों तक नंगी हो रही थी। उसके खूबसूरत चूतड़ बाहर को निकले हुए थे।
जैसे ही हम दोनों की नज़र जाहिरा पर पड़ी.. तो हमारे क़दम वहीं पर ही रुक गए।
हमारी नजरें जाहिरा की नंगी टाँगों और उसके सेक्सी पोज़ पर थीं।
मैंने मुस्कुरा कर फैजान की तरफ देखा और फिर उसका हाथ पकड़ कर आगे बिस्तर की तरफ बढ़ी। मैंने उसे जाहिरा की एक साइड पर लेटने को कहा और खुद उसकी दूसरी तरफ बिस्तर की बैक से तकिया लगा कर बैठ गई।
अब मैंने आहिस्ता आहिस्ता अपना हाथ जाहिरा की नंगी जांघ पर रखा और उसे सहलाने लगी। मेरा हाथ जाहिरा की चिकनी जांघ पर फिसलता जा रहा था।
मैं- लो जाहिरा को देखो छू कर.. कितनी चिकनी जिल्द है तुम्हारी बहन की..
यह कह कर मैंने फैजान का हाथ पकड़ा और उसे जाहिरा की जांघ पर रख दिया। फैजान ने अपना हाथ हटाना चाहा.. लेकिन मैंने उसके हाथ को आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की जाँघों पर सहलवाना शुरू कर दिया। अपनी आँखों के सामने एक भाई को अपनी ही सग़ी बहन की नंगी जांघ पर इस तरह से हाथ फेरते हुए देख कर मेरी अपनी चूत भी गीली होने लगी।
कुछ ही देर में जाहिरा ने करवट ली और बिस्तर पर सीधी होकर लेट गई। जैसे ही जाहिरा हिली तो फैजान ने अपना हाथ हटा लिया और इतने में जाहिरा अपने भाई को दिखाने के लिए दोबारा गहरी नींद में चली गई।
मैंने जाहिरा के पतले-पतले होंठों पर अपनी उंगली फेरनी शुरू की और बोली- फैजान.. देखो तुम्हारी बहन के कितने प्यारे होंठ हैं..
यह कह कर मैं झुकी और अपने होंठ जाहिरा के होंठों पर रख दिए और उसको किस करने लगी। फिर मैंने फैजान के सिर के पीछे अपना हाथ रखा और उसके सिर को नीचे जाहिरा के चेहरे पर झुकाने लगी।
फैजान बिना अपने मुँह से कोई भी लफ्ज़ निकाले हल्की सी मज़ाहमत कर रहा था.. लेकिन चंद लम्हों के बाद ही उसके होंठ अपनी बहन के होंठों तक पहुँच चुके थे। फैजान ने एक लम्हे के लिए ऊपर मेरी तरफ देखा और अगले ही लम्हे उसके होंठ अपनी बहन के होंठों पर आ गए..
फैजान ने मेरी आँखों में देखते हुए आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन को किस करना शुरू कर दिया.. हौले-हौले वो अपनी बहन के होंठों को चूम रहा था और फिर उसने हिम्मत करते हुए जाहिरा के एक होंठ को अपने दोनों होंठों की गिरफ्त में लिया और उसे चूसने लगा..
मेरे हाथ अब जाहिरा की छोटी-छोटी चूचियों पर पहुँच चुके थे और मैं उसकी चूचियों को उसकी नाईटी के ऊपर से ही सहला रही थी और हौले-हौले दबा रही थी।
फैजान अभी भी अपनी बहन के होंठों को चूम रहा था.. तो मैंने उसका एक हाथ पकड़ा और फिर उसे आहिस्ता से जाहिरा की चूची पर रख दिया।
एक लम्हे के लिए तो शायद फैजान को सब कुछ भूल गया और उसने आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन की चूची को दबाना शुरू कर दिया।
फिर जैसे उसे अचानक से अहसास हुआ तो उसने अपने होंठ और हाथ दोनों ही अपनी बहन के जिस्म से पीछे कर लिए..
मैंने दोबारा से फैजान का हाथ पकड़ कर जाहिरा की चूचियों पर रखा और बोली- देखो.. कितनी सॉलिड हैं.. तुम्हारी बहन की चूचियां.. बिना किसी ब्रा के सपोर्ट के भी.. कितनी तनी हुई हैं..
फैजान ने मेरी तरफ देखा और फिर आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन की चूचियों को दबाने लगा..
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
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