एक भाई की वासना -36
(Ek Bhai Ki Vasna-36)
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सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
अचानक फैजान ने जाहिरा का बाज़ू पकड़ कर अपनी तरफ करवट दिला दी और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसकी नंगी कमर पर अपने हाथ मज़बूती से जमा कर अपने होंठ उसकी पतले-पतले गुलाबी होंठों पर रख दिए।
अब वो अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए उसे चूसने लगा। जाहिरा का बुरा हाल हो रहा था। नीचे से फैजान का लंड अकड़ कर उसकी चूत पर टक्करें मार रहा था और उसके बरमूडा को फाड़ते हुए उसकी चूत के अन्दर तक घुसने की कोशिश में लग रहा था।
अब आगे लुत्फ़ लें..
फैजान ने अपने शॉर्ट्स को नीचे करते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और अब उसका नंगा लंड अपनी बहन की नंगी मुलायम जाँघों से टकरा रहा था। वो अपने लौड़े को जाहिरा की दोनों जाँघों के दरम्यान में घुसा रहा था और फिर वो इसमें कामयाब भी हो गया कि उसने अपना लंड जाहिरा की दोनों जाँघों के दरम्यान धकेल दिया।
अब आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को उसकी जाँघों के बीच में फंसा कर फैजान रगड़ने लगा।
मैं फील कर रही थी कि जाहिरा की मज़ाहमत दम तोड़ती जा रही थी और उसका जिस्म ढीला पड़ता जा रहा था। उसके बदन पर फैजान के हाथों की हरकतें तेज होती जा रही थीं। कभी उसका हाथ अपनी बहन की नंगी कमर को सहलाने लगता और कभी नीचे को जाकर उसके चूतड़ों को सहलाने लगता।
फैजान ने अपना हाथ जाहिरा के टॉप के नीचे डाला और उसकी नंगी कमर को ऊपर तक सहलाने लगा।
उधर आगे फैजान ने अपनी ज़ुबान को जाहिरा के होंठों के दरम्यान में घुसेड़ दिया और उसे अपनी ज़ुबान को चूसने पर मजबूर करने लगा।
जाहिरा जैसी कुँवारी और अनछुई लड़की के लिए यह बहुत ज्यादा हो रहा था। उसका दिमाग बंद होता जा रहा था और साँसें तेज हो चुकी थीं।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि इस सबसे खुद को कैसे बचाए। नीचे उसकी चूत गीली होती जा रही थी और पानी छोड़ने वाली थी। फैजान ने पीछे से उसके बरमूडा के अन्दर अपना हाथ डाला और अपना हाथ उसकी नंगे चूतड़ों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा।
अचानक से शायद फैजान ने उसके चूतड़ों के दरम्यान उंगली डाल कर उसकी गाण्ड के सुराख को छुआ जिसकी वजह से जाहिरा फ़ौरन से उछल सी पड़ी और जोर से चिल्लाई- भाभईईईईईई..
मेरे लिए भी अब चुप रहना मुश्किल हो गया था। मैंने जैसे नींद से उठने की अदाकारी करते हुए कहा- हाँ.. बोल.. क्या हो गया है तुझे.. क्यूँ आधी रात को चिल्ला रही हो.. कोई बुरा सपना देख लिया है क्या?
मैंने उठ कर बैठते हुए कहा।
इतनी देर में फैजान अपनी जगह पर लेट कर नॉर्मल हो चुका था।
जाहिरा भी उठ कर बैठ गई और मुस्करा कर अपने भाई की तरफ देख कर बोली- हाँ भाई.. सपना ही था शायद.. इसलिए डर गई मैं..
फैजान बोला- लेट जा चुप करके.. और सो जा.. सुबह तुझे कॉलेज भी जाना है।
जाहिरा ने एक नज़र अपने भैया पर डाली और फिर मुस्कराते हुई बिस्तर से नीचे उतर कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर बाद वापिस आई तो उसने मुझे दरम्यान में धकेल दिया और खुद मेरी जगह पर लेट गई।
उसके चेहरे पर एक शरारती सी मुस्कराहट थी।
उसका भाई उसकी तरफ ही देख रहा था और मेरी नज़र बचा कर उसे दरम्यान में आने का इशारा भी किया.. लेकिन मैंने देखा कि जाहिरा ने उसे अपना अंगूठा दिखाया और मुस्कराती हुई नीचे लेट गई।
अब मैं दरम्यान में थी और मेरे दोनों तरफ दोनों बहन-भाई लेटे हुए थे।
फैजान भी अब कुछ पुरसुकून हो गया हुआ था.. लेकिन अब अपना अकड़ा हुआ लंड वो मेरी जाँघों पर घुसा रहा था।
मेरे ऊपर से अपना बाज़ू डाल कर वो जाहिरा की चूचियों को छूने की भी कोशिश कर रहा था। इसी तरह थोड़ी देर में हम तीनों को नींद आ गई।
सुबह जब मैं उठी तो मैंने जाहिरा को जगाया कि जाओ जाकर चाय बना कर लाओ। जाहिरा ने एक जोर की अंगड़ाई ली और फिर उठ कर कमरे से निकल गई।
फिर मैंने लेटे-लेटे ही फैजान को भी ऑफिस के लिए जगाया। वो उठा और बाथरूम में चला गया। मैं वहीं बिस्तर पर ही सुस्ती और नींद में लेटी रही।
जब काफ़ी देर हो गई कि फैजान बाथरूम से बाहर नहीं आया.. तो मैंने उठ कर बाथरूम का डोर नॉक किया.. लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं आया। मैं समझ गई कि वो दूसरे दरवाजे से निकल गया होगा। मैंने अपने बेडरूम का दरवाज़ा थोड़ा सा खोला तो सामने ही मेरी नज़र रसोई में गई। जहाँ पर दोनों बहन-भाई मौजूद थे। मैंने फ़ौरन ही दरवाज़ा बंद किया और थोड़ी सी जगह से उन दोनों को देखने लगी।
जाहिरा अभी भी उसी छोटे से सेक्सी टॉप में थी.. जिसे नीचे करके रात को उसका भाई उसकी चूचियों को देख रहा था और चूसा भी था।
मैं हैरान थी कि दोनों क्या बातें कर रहे हैं। हमारा घर तो छोटा सा ही है.. तो दोनों की रसोई में बातें करने की आवाजें भी मुझे आने लगीं।
मैंने देखा कि फैजान जाहिरा को बाज़ू से पकड़ कर अपनी तरफ खींच रहा है लेकिन वो शरमाते हुए खुद को छुड़ा रही है।
फैजान- अरे जाहिरा.. क्यों शर्मा रही हो.. इधर तो आओ एक मिनट के लिए..
जाहिरा- भैया यह आपको क्या होता जा रहा है.. रात को भी आपने मुझे इतना तंग किया और फिर बारिश में नहाते हुए भी आपने ऐसे ही किया था।
फैजान ने उसे खींच कर अपने सीने से लगाते हुए कहा- तुम भी तो इतने दिनों से घर में इतनी नंगी होकर फिर रही हो.. उसका नहीं पता कि मेरे ऊपर क्या गुज़र रही होगी।
जाहिरा ने अपने भाई की बाजुओं में कसमसाते हुए शरारत से कहा- ऐसे कपड़े पहनने का यह मतलब तो नहीं कि आप अपनी बहन पर ही बुरी नज़र रख लो।
फैजान ने ज़बदस्ती जाहिरा के गाल को किस करते हुए कहा- बुरी नज़र कहाँ है.. मैं तो प्यार करना चाह रहा हूँ।
यह कहते हुए फैजान ने जाहिरा के टॉप की डोरी को नीचे खींचा और उसकी एक चूची को नंगा कर लिया। जाहिरा जल्दी से अपनी चूची को छुपाते हुए तड़फ उठी।
जाहिरा- छोड़ दो भैया.. वरना मैं फिर से भाभी को जगा लूँगी.. जैसे रात को उठा लिया था।
फैजान- रात को भी तूने मेरा सारा काम खराब कर दिया था.. मेरे मना करने के बावजूद अपनी भाभी को जगा लिया था।
फैजान ने जाहिरा की एक चूची को अपनी मुठ्ठी में लेकर मसलते हुए कहा।
जाहिरा अपने भाई की बाँहों में मचलते हुए हंस रही थी और चहक रही थी। साफ़ लग रहा था कि एक-दूसरे के सामने ओपन होने के बाद दोनों बहन-भाई बजाए शर्मिंदा होने के.. एक-दूसरे के साथ और भी इन्वॉल्व होने लगे थे।
दोनों बहन-भाई की इस तरह की हरकतों को देखते हुए मुझे भी मज़ा आने लगा था।
मैंने अपने बरमूडा में हाथ डाल कर अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया, मुझे फील हुआ कि मेरी चूत भी गीली हो रही है।
फैजान ने अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकालते हुए बोला- देख.. तेरी जवानी को देख कर क्या हालत हो गई है इसकी!
जाहिरा एक अदा के साथ बोली- तो मैं क्या करूँ भैया.. जाओ भाभी के पास और उन्हें इसकी यह हालत दिखाओ।
फैजान ने जाहिरा का हाथ पकड़ा और उसे अपने लंड पर रखने की कोशिश करने लगा। फैजान की कोशिशों के वजह से जाहिरा का हाथ अपने भाई की अकड़े हुए लंड से छुआ भी.. और एक लम्हे के लिए उसकी मुठ्ठी में उसका लंड आ भी गया।
जाहिरा- भैया यह तो बहुत गरम हो रहा है और सख़्त भी..
फैजान उसका हाथ अपनी लंड पर रगड़ते हुए बोला- हाँ.. तो थोड़ा ठंडा कर दे ना इसे..
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
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