एक भाई की वासना -35
(Ek Bhai Ki Vasna-35)
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सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
थोड़ा सा आगे को झुक कर फैजान ने अपने होंठ जाहिरा के गाल पर रखे और उसे आहिस्ता-आहिस्ता चूमने लगा। जाहिरा के चेहरे की हालत भी मेरी आँखों की सामने थी.. उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। आख़िर जब उससे कंट्रोल ना हो सका तो उसने बंद आँखों के साथ ही करवट बदली और सीधी हो गई। फैजान ने फ़ौरन ही अपना हाथ उसकी चूची से हटा लिया और जाहिरा ने भी जैसे नींद में ही होते हुए अपने टॉप को ठीक किया और अपनी चूची को अपने टॉप के अन्दर कर लिया।
फैजान सीधा होकर लेट चुका था।
अब आगे लुत्फ़ लें..
लेकिन ज़ाहिर है कि ज्यादा देर तक रुकने वाला वो भी नहीं था। चंद लम्हे ही इन्तजार करने के बाद उसने दोबारा से अपना हाथ जाहिरा की चूची के ऊपर रख दिया और कुछ पल बाद दोबारा से उसे सहलाने लगा। आहिस्ता आहिस्ता उसने दोबारा से अपनी बहन के टॉप को नीचे खींचा और फिर अपनी सग़ी छोटी बहन की कुँवारी चूची को बाहर निकाल लिया।
उसने जाहिरा की तरफ ही करवट ली हुई थी और यक़ीनन उसका लंड अपनी बहन की जाँघों से टकरा रहा था।
जाहिरा की चूची एक बार फिर से फैजान की नज़रों के सामने नंगी हो गई थी। फैजान वहीं पर नहीं रुका और फिर दूसरी चूची को भी बाहर निकाल लिया। वो कमरे में हो रहे अँधेरे का पूरा-पूरा फ़ायदा उठा रहा था और अपने मोबाइल की टॉर्च से जाहिरा के नंगे जिस्म को देख रहा था।
दूसरी तरफ जाहिरा भी खामोशी से पड़ी हुई थी। उसकी बाज़ू साइड में सीधा था मेरे बिल्कुल पास और उसने मेरा हाथ थाम रखा था।
जैसे-जैसे फैजान जाहिरा की नेकेड चूचियों पर हाथ फेर रहा था.. वैसे-वैसे ही जाहिरा मेरे हाथ को जोर से दबा रही थी जिससे मुझे उसकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था।
मैं भी उसके हाथ को आहिस्ता आहिस्ता दबाते हुए उसे हौसला दे रही थी कि वो चुप रहे।
फैजान थोड़ा ऊँचा होकर जाहिरा के सीने पर झुका और उसकी नेकेड चूची को चूम लिया। जाहिरा खामोश रही तो फैजान ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और जाहिरा की चूची के गुलाबी निप्पल को अपनी ज़ुबान की नोक से छूने लगा।
जाहिरा के जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। फैजान आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के निप्पल को अपनी ज़ुबान से सहला रहा था और उसे छेड़ रहा था।
कुछ देर तक अपनी ज़ुबान से जाहिरा के निप्पल के साथ खेलने के बाद फैजान ने जाहिरा के गुलाबी निप्पल को अपने होंठों के दरम्यान ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे चूसने लगा।
उसका दूसरा हाथ जाहिरा के नंगे पेट से होता हुआ उसके बरमूडा के ऊपर से उसकी चूत पर आ गया और मुझे उसके हाथों की हरकत नज़र आने लगी।
इसी के साथ ही जाहिरा के हाथ की गिरफ्त मेरे हाथ पर भी सख़्त हो गई। मुझे फैजान का हाथ हरकत करता हुआ नज़र आ रहा था और मुझे यह भी पता था कि जब फैजान मेरी चूत पर इसी तरह से मेरी सलवार के ऊपर से सहलाता है.. तो कितना मज़ा आता है।
मुझे जाहिरा की हालत का अंदाज़ा भी हो रहा था कि बेचारी कुँवारी चूत.. कुँवारी लड़की.. कितनी मुश्किल से यह सब बर्दाश्त कर रही होगी।
फैजान ने अपनी बहन के निप्पल को चूसते हुए आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ जाहिरा के बरमूडा के अन्दर डालने की कोशिश की और उसका हाथ उसके बरमूडा की इलास्टिक के नीचे सरकता हुआ अन्दर दाखिल हुआ।
जैसे ही उसका हाथ जाहिरा की चूत से टच हुआ.. तो जाहिरा के बर्दाश्त की हद खत्म हो गई और फ़ौरन ही उसने अपना हाथ उठा कर फैजान के हाथ पर रख दिया और साथ ही सिसक पड़ी- नहीं.. भाईजान… आआआ.. प्लीज़्ज़्ज़्ज़..
जाहिरा ने बहुत ही धीमी आवाज़ से कहा तो फैजान तो जैसे एक लम्हे के लिए चौंक गया कि यह क्या हुआ कि उसकी बहन जाग गई है और उसने अपने भाई के हाथ को अपनी चूत पर पकड़ लिया है।
फैजान के मुँह से जाहिरा का निप्पल सरक़ चुका था.. लेकिन उसके होंठ अभी भी उसके निप्पलों से टच कर रहे थे।
फैजान को महसूस हुआ कि अब वापसी का रास्ता नहीं है।
चंद लम्हे के बाद फैजान ने अपना हाथ जाहिरा के हाथ से छुड़ाए बिना ही आहिस्ता आहिस्ता हिलाते हुए जाहिरा की चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
जाहिरा- नहीं भाई.. प्लीज़.. ऐसा नहीं करो… ऊ.. इस्स्स.. आआहह..
फैजान ने दोबारा से अपनी बहन के नंगे निप्पल को अपने होंठों के दरम्यान ले लिया और उसे चूसते हुए धीरे से बोला- श्ह.. खामोश रहो.. बसस्स्स..
फैजान के होंठ दोबारा से अपनी बहन के निप्पल को चूसने लगे और उसके हाथ की उंगली शायद उसकी चूत से खेल रही थी। शायद उसकी चूत के सुराख पर भी क़ब्ज़ा जमा चुकी थी.. क्योंकि जाहिरा के हाथ की गिरफ्त मेरे हाथ पर सख़्त होती जा रही थी।
मैं भी उसके हाथ को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाते हुए उसे हौसला दिए जा रही थी।
फैजान ने जैसे ही अपनी उंगली उसकी चूत के अन्दर सरकाई तो जाहिरा तड़फ उठी।
जाहिरा- उफफफ..भाई…आहह.. नहीं..ईईई..प्लीज़्ज़्ज़्ज़… भाभीईईई..।
फैजान- खामोश रहो.. तुम्हारी भाभी ना उठ जाए कहीं..
फैजान ने अपनी उंगली जाहिरा की चूत से बाहर निकाली और उसे जाहिरा के बरमूडा से बाहर निकाल कर अपने मुँह में डाल लिया और अपनी बहन की चूत की पानी को चाटने लगा।
जाहिरा ने अपनी आँखें अभी भी बंद ही की हुई थीं.. लेकिन अब फैजान को इससे कोई घबराहट नहीं थी कि उसकी बहन की आँखें खुली हैं कि बंद.. क्योंकि उसे पता था कि वो जाग रही है।
फैजान- जाहिरा.. यू आर सो स्वीट.. बहुत मीठा है तेरा पानी..
‘भाई प्लीज़ छोड़ दें मुझे.. यह ठीक नहीं है..उम्म्म्म स्स्स्साआहह..’
फैजान ने कुछ कहे बिना ही थोड़ा सा ऊपर होकर अपने होंठ जाहिरा के होंठों के ऊपर रख दिए और उसे चूमने लगा।
जाहिरा अपने होंठों को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और मजाहमत करते हुए अपने होंठों को पीछे हटा रही थी। लेकिन फैजान ने अपना एक हाथ जाहिरा की नंगी चूची पर रखा और ऊपर जाहिरा के होंठ को अपने होंठों में जकड़ लिया और उसे चूसने लगा।
जाहिरा का बुरा हाल हो रहा था.. वो यह भी नहीं चाह रही थी कि उसके भैया पर मेरी हालत खुले और उसके भाई को पता चले कि मैं भी जाग रही हूँ और इस सूरत ए हाल से वाक़िफ़ हूँ.. जो कुछ उन दोनों बहन भाई के दरम्यान हो रहा है।
जाहिरा ने अपने भाई का हाथ अपनी चूची से हटाया तो फैजान ने फ़ौरन ही अपना हाथ नीचे करते हुए जाहिरा के बरमूडा में डाल दिया और अपनी मुठ्ठी में जाहिरा की चूत को पकड़ लिया.. जाहिरा अब मछली की तरह से फैजान के हाथों में तड़फ रही थी और अपनी हरकत को कम से कम रखना चाह रही थी.. ताकि मेरा जिस्म ने हिले।
अचानक फैजान ने जाहिरा का बाज़ू पकड़ कर अपनी तरफ करवट दिला दी और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। उसकी नंगी कमर पर अपने हाथ मज़बूती से जमा कर अपने होंठ उसकी पतले-पतले गुलाबी होंठों पर रख दिए।
अब वो अपनी बहन के होंठों को चूमते हुए उसे चूसने लगा। जाहिरा का बुरा हाल हो रहा था। नीचे से फैजान का लंड अकड़ कर उसकी चूत पर टक्करें मार रहा था और उसके बरमूडा को फाड़ते हुए उसकी चूत के अन्दर तक घुसने की कोशिश में लग रहा था।
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
[email protected]पादक – जूजा जी
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