एक भाई की वासना -34
(Ek Bhai Ki Vasna-34)
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सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
कुछ देर में जाहिरा भी नहा ली और हम दोनों ने फिर से वो ही नेट शर्ट बिना ब्रेजियर के पहन ली और इस बार बिना मेरी कहे ही जाहिरा ने वो शर्ट बिना ब्रा के पहनी और बड़े आराम से अपने भाई के सामने आ गई।
अब वो फैजान के सामने और भी ज्यादा घबरा रही थी.. क्योंकि आज उसका भाई उसकी नंगी चूचियों को और चूत को भी मसल चुका था।
रात का खाने खाते हुए भी फैजान अपनी बहन की चूचियों को भी देखना चाह रहा था। वो उनको अपने भाई की नजरों से छुपा रही थी.. शरम से नहीं.. बल्कि अपने भैया को टीज़ करने के लिए।
अब मुझे रात का इन्तजार था कि रात को क्या होगा।
अब आगे लुत्फ़ लें..
क्योंकि अब तो फैजान और भी खुल गया हुआ था और रात भी पूरी बाक़ी थी।
डिनर के बाद अभी फैजान टीवी पर कोई न्यूज़ शो देख रहा था कि मैंने जाहिरा का हाथ पकड़ा और उसे बेडरूम में ले आई और बत्तियाँ बुझा कर दोनों बिस्तर पर लेट गए, मैंने जाहिरा को दरम्यान में ही लिटाया था।
जाहिरा को फैजान की तरफ मुँह करके मैंने उसे अपनी बाँहों में खींचा और उसके होंठों पर चुम्बन करते हुए बोली- आज तो तुझे तेरी भाई ने ही रगड़ दिया यार..
जाहिरा शरमाते हुए- हाँ भाभी.. शायद वो आपके चक्कर में मुझे पकड़ बैठे थे और यही समझे कि यह मैं नहीं.. आप हो।
मैं- वैसे तेरी कुँवारी चूचियों को बड़ी जोर-जोर से मसल रहा था।
मैंने उसकी चूचियों पर उसके टॉप के ऊपर से हाथ फेरते हुए कहा।
जाहिरा शर्मा रही थी- भाभी ना करो ना ऐसी बातें..
मैंने धीरे से जाहिरा के टॉप को नीचे सरकाया और उसकी चूची को बाहर निकाल लिया। जाहिरा की खूबसूरत सुडौल चूची मेरी सामने थी। मैंने उसके निप्पल के ऊपर आहिस्ता आहिस्ता उंगली फेरनी शुरू कर दी।
जाहिरा- भाभी ना करो.. अभी भैया आ जायेंगे।
मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए उसके निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे चूसने लगी। धीरे-धीरे उसके निप्पलों को काटा.. तो जाहिरा के होंठों से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने एक हाथ उसकी जाँघों पर फेरते हुए नीचे उसके बरमूडा में ले जाकर उसकी चूत पर रख दिया। जाहिरा ने फ़ौरन ही मेरा हाथ अपनी जाँघों की दरम्यान दबा लिया।
मैंने जाहिरा की चूत के होंठों को आहिस्ता आहिस्ता सहलाना शुरू कर दिया.. जैसे ही मेरी उंगली की नोक उसकी कुँवारी चूत के सुराख से टच हुई तो मुझे उसमें से निकलते हुए चिकने पानी का अहसास हुआ।
मैं समझ चुकी थी कि जाहिरा की चूत गीली हो चुकी है और वो पूरी तरह से गर्म हो रही है।
थोड़ा सा जोर लगाते हुए मैंने अपनी उंगली की नोक जाहिरा की चूत के सुराख के अन्दर दाखिल की, तो जाहिरा ने एक तेज सिसकारी के साथ अपनी दोनों जाँघों को खोल दिया।
मैंने अपनी उंगली की सिर्फ़ नोक को जाहिरा की चूत के अन्दर-बाहर हरकत देनी शुरू कर दी। जाहिरा तड़फने लगी और अपने जिस्म को मेरे साथ भींच लिया।
जाहिरा सिसकी- भाभिईईई.. इसस्स्स.. पूरी उंगली अन्दर डालोऊऊ.. न प्लीज़..
मैंने उसके गालों को आहिस्ता आहिस्ता चूमा और उसके गालों पर अपनी ज़ुबान फेरते हुए बोली- मेरी जान तुम्हें इस उंगली की नहीं.. इस चूत में एक मोटे लंड की ज़रूरत है।
जाहिरा बंद आँखों के साथ- इसस्स्स.. नहींईई.. भाभीईईई.. कुछ करो..ऊऊऊ..
जाहिरा अपनी चूत को मेरी उंगली पर आगे-पीछे कर रही थी और मेरी उंगली को अपनी चूत में पूरा लेने के लिए तड़फ रही थी। लेकिन मैं अपनी उंगली को आगे नहीं कर रही थी।
मैं- डार्लिंग.. तेरी चूत की प्यास तो सिर्फ़ तेरे भैया का लंड ही बुझा सकता है.. म्म्म्मय… ले ले उसका लंड अपनी चूत में और बुझा ले अपनी कुँवारी चूत की प्यास..।
जाहिरा- नहींईईईई.. भाभिईई.. यह कैसे हो सकता हैएएए.. आह.. आअहह…
अभी हम कुछ और भी करते लेकिन बाहर टीवी बंद हुआ और फिर बेडरूम का दरवाज़ा खुल गया और फैजान अन्दर आ गया।
मैंने आहिस्ता से जाहिरा से कहा- बस अब मत बोलना और बस तुम सोते रहना।
जाहिरा ने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने उसकी चूची को उसकी शर्ट की अन्दर भी नहीं किया था और वैसे ही उसकी शर्ट से उसकी एक चूची बाहर थी.. जैसे सोते में बाहर निकल आई हो।
मैंने अपना हाथ उसकी चूत से पीछे ज़रूर कर लिया था.. लेकिन अभी भी मेरा हाथ उसके पेट पर ही था।
दरवाज़ा बंद करके फैजान अन्दर आया तो दोबारा से कमरे में अँधेरा हो गया। फैजान ने अपनी मोबाइल की छोटी सी टॉर्च ऑन की और बिस्तर की तरफ आने लगा। जैसे ही उसने बिस्तर पर अपने लिए जगह देखने के लिए हमारे जिस्मों पर टॉर्च की रोशनी डाली.. तो उसकी नज़र अपनी बहन की नंगी चूची पर पड़ी.. जो कि उसकी शर्ट से बाहर निकली हुई थी और बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी।
एक लम्हे के लिए तो फैजान के पैर अपनी जगह पर ही थम गए और फिर उसने मेरे और जाहिरा के चेहरे पर नज़र डाली.. ताकि वो देख सके कि हम दोनों सो रही हैं या जाग रही हैं।
फैजान की तरफ मेरी पीठ थी.. जबकि उसकी अपनी बहन का रुख़ मेरे और फैजान की तरफ था।
फैजान चलता हुआ बिस्तर के दूसरी तरफ आया और मैंने थोड़ी सी आँखें खोल कर देखा.. तो उसने अपना हाथ अपने लंड पर रखा हुआ था.. जो कि पूरी तरह से सख़्त हो रहा था।
अपनी मुट्ठी में अपने लंड को लेकर वो आहिस्ता आहिस्ता आगे-पीछे कर रहा था और उसकी नज़र अपनी बहन के ऊपर ही थी।
फैजान- जाहिरा.. जान.. तुम दोनों ही इतनी जल्दी सो गईं क्या?
फैजान ने हम दोनों को चैक करने के लिए आवाजें दीं और फिर आहिस्ता से बिस्तर पर जाहिरा के पीछे लेट गया।
अपनी सग़ी बहन को इस हालत में नंगी देखने के बाद उसे नींद कहाँ आने वाली थी। अपनी बहन के पीछे लेट कर कोहनी के बल उठा और टॉर्च की रोशनी जाहिरा की चूची पर डालने लगा।
कुछ मेरे चूसने से और कुछ अपने भाई के सामने खुल्ला होने के अहसास से जाहिरा का निप्पल पूरी तरह से अकड़ा हुआ था।
उस अँधेरे में मैं देख रही थी कि फैजान ने थोड़ा सा झुक कर अपने होंठों को अपनी बहन के नेकेड कन्धों पर रखा और आहिस्ता से उसे चूम लिया।
जाहिरा को चूम कर वो फ़ौरन ही पीछे हट गया। लेकिन जब कुछ देर तक जाहिरा की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई.. तो उसकी हिम्मत बढ़ी और उसे यक़ीन हो गया कि वो सो रही है।
फैजान ने दोबारा से अपनी प्यासे होंठ जाहिरा के नंगे मुलायम कन्धों पर रखे और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे चूमने लगा। उसकी नज़र अब भी जाहिरा की नंगी चूची पर ही टिकी थी। फैजान का एक हाथ उसके बाज़ू को सहला रहा था और फिर वो ही हाथ आहिस्ता आहिस्ता सरकता हुआ नीचे को आकर उसकी नंगी चूची की तरफ बढ़ने लगा।
फिर मेरी नज़रों ने वो मंज़र देख लिया जिसके लिए मैं इतना इन्तजार कर रही थी। फैजान का हाथ अपनी बहन की नंगी चूची पर पहुँच गया।
फैजान ने अपनी बहन की नंगी छाती को आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया। उसकी उंगलियां जाहिरा के निप्पल से टच होने लगीं।
थोड़ा सा आगे को झुक कर फैजान ने अपने होंठ जाहिरा के गाल पर रखे और उसे आहिस्ता आहिस्ता चूमने लगा।
जाहिरा के चेहरे की हालत भी मेरी आँखों की सामने थी.. उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था। आख़िर जब उससे कंट्रोल ना हो सका तो उसने बंद आँखों के साथ ही करवट बदली और सीधी हो गई।
फैजान ने फ़ौरन ही अपना हाथ उसकी चूची से हटा लिया और जाहिरा ने भी जैसे नींद में ही होते हुए अपने टॉप को ठीक किया और अपनी चूची को अपने टॉप के अन्दर कर लिया।
फैजान सीधा होकर लेट चुका था।
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
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