एक भाई की वासना -26
(Ek Bhai Ki Vasna-26)
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सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
मैं कभी भी लेज़्बियन नहीं रही थी.. लेकिन आज जाहिरा की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
मैं सोच रही थी कि अगर मेरा यह हाल हो रहा है.. तो फैजान बेचारा अपनी बहन की जवानी को इस हालत मैं देख कर कैसे खुद को रोक सकता है।
मेरा हाथ धीरे-धीरे जाहिरा की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
जाहिरा का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ जाहिरा के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया।
जाहिरा बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।
अब आगे लुत्फ़ लें..
जाहिरा के कन्धों को चूमते और उसे सहलाते हुए मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उसकी नेट ड्रेस के अन्दर घुसेड़ना शुरू कर दिया। मेरा हाथ जाहिरा की खुबसूरत टाइट चूचियों के दरम्यानी क्लीवेज पर पहुँच गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की चूचियों पर अपनी हाथों की उंगलियों को फेरना शुरू कर दिया। मुझ पर जाहिरा की चूचियों को छूने के बाद बहुत ही ज्यादा मस्ती सी छाने लगी थी।
उसकी ठोस चूचियाँ और क्लीवेज में हाथ फेरते हुए मैं हौले-हौले उसके नंगे गोरे चिकने कन्धों को चूम रही थी।
अपने भाई की बाँहों में ज़कड़ी हुई और उससे चिपकी हुई.. वो बहुत ही प्यारी और सेक्सी लग रही थी।
मेरे ज़हन में ख्याल आया कि जब इसकी चूत में इसके भाई का लंड जाएगा तो उस वक्त ये मासूम परी कैसी लगेगी.. और कितना मज़ा आएगा वो मंज़र देखने में.. यह सोचते ही मेरे चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कराहट दौड़ गई।
कुछ देर बाद कमरे की बत्ती जलाकर उन दोनों को जगाने लगी। दोनों को आवाज़ दी.. तो कुछ ऐसा हुआ कि दोनों ने एक साथ ही आँख खोली और जैसे ही दोनों की नज़र एक-दूसरे पर पड़ी।
इस बात को समझते हुए कि दोनों बहन-भाई के चेहरे एक-दूसरे के इतने क़रीब हैं और दोनों ने एक-दूसरे को सोते में इस तरह से चिपका लिया हुआ है.. तो दोनों ही एकदम से पीछे हटे और शर्मिंदा से होते हुए उठ कर बिस्तर की पुस्त से पीठ लगाते हुए बैठ गए।
मैं दोनों की हालत देख कर हँसने लगी।
फैजान थोड़ा शर्मिंदा होता हुआ बोला- तुम किस वक़्त उठ कर चली गई थीं?
मैं मुस्कराई कि अभी गई थी और शायद आप समझे कि मैं अभी आपके पास ही यहीं लेटी हुई हूँ।
मेरी बात सुन कर जाहिरा ने शर्म से सिर झुका लिया और अपने कन्धों पर अपनी नेट ड्रेस की डोरी ठीक करती हुए उसने चाय का कप उठा लिया।
उसके कंधों पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स अभी भी बिल्कुल खुली ही दिख रही थीं।
फैजान उठ कर वॉशरूम में चला गया। मैंने आहिस्ता से जाहिरा के गोरे-गोरे नंगी बाजुओं पर चुटकी काटी और बोली- आज तो तू अपने भैया के साथ बड़ी चिपक कर सो रही थी?
जाहिरा शर्मा कर- भाभी बस पता ही नहीं चला और भैया को भी तो चाहिए था ना कि वो दूर हो कर सोते..
मैं- वो तो शायद समझे होंगे कि मैं ही उनके साथ चिपकी हुई हूँ.. अब नींद में उसे क्या पता कि यह खूबसूरत जिस्म उसकी अपनी बहना का है।
जाहिरा शर्मा गई।
मैं- वैसे यार क़सूर उसका भी नहीं है..
जाहिरा चुस्की लेते हुए बोली- वो कैसे भाभी??
मैं- देखो ना.. तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की किसी की बाँहों में हो तो किसे होश रहेगा डार्लिंग..
यह कहते हुए मैंने उसकी कन्धों पर एक चुम्मी कर दी।
जाहिरा- भाभी.. आप भी ना बस..
जाहिरा शर्मा गई.. इतने में फैजान भी वॉशरूम से बाहर आ गया।
हम तीनों ही चाय पीने लगे। मैं और जाहिरा उस नेट शर्ट और बरमूडा में बैठे हुए थे.. दोनों की ही टाँगें घुटनों के ऊपर तक खुली हुई नंगी हो रही थीं।
ऊपर से हम दोनों का सीना भी खुला हुआ था.. मेरा क्लीवेज तो काफ़ी ज्यादा ही नज़र आ रहा था। जब कि जाहिरा की चूचियों का ऊपरी हिस्सा भी काफ़ी सेक्सी लग रहा था।
चाय के दौरान ही फैजान बोला- यार नाश्ते में क्या बनाया है?
मैंने कहा- जनाब आज हमने कुछ नहीं बनाना.. आप ही जाओ और बाज़ार से कोई अच्छा सा नाश्ता लेकर आओ।
फैजान बोला- ठीक है.. मैं फ्रेश होकर जाता हूँ।
चाय पीने के बाद फैजान वॉशरूम गया और अपनी कपड़े बदल कर मार्केट चला गया।
जाहिरा बोली- भाभी मैं भी यह ड्रेस चेंज करके आती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोली- नहीं आज हम दोनों ने ही ड्रेस चेंज नहीं करना.. आज रविवार है ना.. तो घर में यही ड्रेस चलेगा। तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. फिर मैं तुम्हारा थोड़ा सा मेकअप करती हूँ। तुम्हारे भैया कह रहे थे कि तुम्हें भी मेकअप वगैरह करा दिया करूँ.. ऐसी ही फिरती रहती है।
मैंने हँसते हुए उससे झूठ बोला।
मेरी बात सुन कर जाहिरा थोड़ा शर्मा गई और बोली- लेकिन घर में मेकअप की क्या ज़रूरत है?
मैंने कहा- अरे यार.. घर में भी करना चाहिए.. इसमें क्या हर्ज है.. अब जल्दी से मुँह-हाथ धोकर आओ.. तुम्हारे भैया चाहते हैं कि तुम घर में उनको खूबसूरत नज़र आओ।
जाहिरा- तो क्या ऐसे में मैं खूबसूरत नहीं दिखती हूँ भाभी?
मैं- खूबसूरत तो हो.. लेकिन मेकअप करके तुम्हारी में सेक्सी लुक आ जाता है ना जाहिरा..
मैंने जाहिरा को एक आँख मारते हुए कहा.. तो वो मुस्कराती हुई उठ कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर के बाद जाहिरा बाथरूम से तौलिया से अपना चेहरा पोंछती हुई बाहर आई.. मैंने उसे पकड़ कर अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठा लिया।
मैं बोली- बैठो यहाँ.. मैं तुम्हारा मेकअप करती हूँ।
मैं जाहिरा के पीछे खड़ी हुई और उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी। फिर अपना हाथ उसकी नंगे कन्धों पर रख कर उनको सहलाते हुए नीचे को झुकी और उसकी कन्धों को चूमती हुई बोली- कितनी खूबसूरत है मेरी ननद.. अल्लाह बुरी नज़र से बचाए.. लेकिन मुझे लगता है कि तुझे अपने भाई की ही नज़र लग जानी है।
जाहिरा मेरी बात पर हँसने लगी। मैंने आहिस्ता से अपना हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों पर रखा.. तो वो उछल ही पड़ी।
मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर कर मसल दिया और बोली- हाय.. क्या सॉलिड चूचियों हैं तेरी.. मेरी जान..
जाहिरा बोली- भाभी क्या करती हो आप.. तुम्हारी भी तो हैं ना.. बल्कि मेरी से भी बड़ी-बड़ी हैं।
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मेरी नज़र जाहिरा की पीठ पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और हुक्स पर पड़ी।
मैं- जाहिरा यह तुमने क्यों नीचे पहनी हुई है.. यह तो बिल्कुल ही खुली नज़र आ रही है.. और भी ज्यादा सेक्सी लगती है.. उतारो इसे.. पूरी की पूरी ब्रेजियर खुलम्म-खुल्ला अपने भैया को दिखाती फिर रही हो.. क्या छुपा हुआ है इसमें?
यह कह कर मैंने जाहिरा की ब्रेजियर की हुक को पकड़ा और उसकी ब्रेजियर को खोल दिया।
इससे पहले कि वो कोई मज़ाहमत करती या मुझे रोकती.. मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रेप्स उसके कन्धों से नीचे खींच दिए और उसके साथ ही उसकी शर्ट की डोरियाँ भी नीचे उतार दीं।
एकदम से जाहिरा की दोनों चूचियों मेरी नज़रों की सामने बिल्कुल से नंगी हो गईं।
जाहिरा ने फ़ौरन से ही अपनी चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिए और बोली- भाभिइ..भाभीई.. यह क्या कर रही हो आप..? मुझे क्यों नंगी कर दिया?
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
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