एक भाई की वासना -19
(Ek Bhai Ki Vasna-19)
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सम्पादक – जूजा जी
हजरात आपने अभी तक पढ़ा..
मैं- जाहिरा जो भी लड़का तुम्हें हासिल करेगा ना.. वो बहुत ही लकी होगा..
जाहिरा शर्मा कर बोली- क्या मतलब भाभी?
मैं- अरे तेरे जैसे खूबसूरत लड़की जिसको अपने नीचे लिटाने को मिलेगी.. उसकी तो समझो कि लॉटरी ही निकल पड़ेगी..
जाहिरा मेरी बात सुन कर शर्मा गई। मैं ऐसी बातें इसलिए कर रही थी ताकि अगर फैजान सो नहीं रहा है.. तो वो भी मेरी बातें सुन सके और मैं उसको उत्तेजित करने की लिए ऐसी बातें कर रही थी।
ऐसी उत्तेजना भरी बातें करते समय मेरी खुद की चूत में रस निकलने लगा था।
अब आगे लुत्फ़ लें..
ऐसी ही थोड़ी देर तक बातें करने के बाद मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि मैं सो गई हूँ। काफ़ी देर तक खामोशी रही.. मुझे नींद भला कहा आने थी। थोड़ी सी आँख खोल कर मैंने देखा तो जाहिरा की आँखें भी बंद थीं।
ऐसी ही क़रीब-क़रीब एक घंटा गुज़र गया.. तो मुझे जाहिरा की दूसरी तरफ फैजान हिलता हुआ महसूस हुआ। उसने जैसे नींद में ही करवट ली और सीधा अपनी बाज़ू और टांग को अपनी बहन के ऊपर रख दिया।
मैंने देखा की जाहिरा ने फ़ौरन ही आहिस्ता से आँखें खोलीं और सबसे पहले अपने भाई की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देख कर मेरा पक्का किया कि मैं सो रही हूँ या जाग रही हूँ।
अपनी तसल्ली करके जाहिरा ने आराम से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं हैरान हुई कि उसने अपने भाई का बाज़ू या टांग हटाने की कोई कोशिश नहीं की। उसके भाई की बाज़ू उसकी चूचियों से बिल्कुल नीचे लगी पड़ी थी और टांग उसकी जाँघों पर थी।
मैं समझ गई कि जाहिरा भी आज मजे लेने के चक्कर में है।
अब मेरी तरह से जाहिरा भी सोती हुई बनी हुई थी.. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि मैं जाग रही हूँ।
कुछ ही देर गुज़ारने के बाद मुझे फैजान के हाथ में हल्की-हल्की हरकत महसूस हुई। फैजान का अपनी बहन के जिस्म के ऊपर रखा हुआ हाथ आहिस्ता आहिस्ता हरकत में आ रहा था।
उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना हाथ अपनी बहन की टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके पेट पर फेरना शुरू कर दिया।
जब उसे महसूस हुआ कि उसकी बहन के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हो रही है.. तो उसको यक़ीन हो गया कि वो सो रही है.. अब उसकी हिम्मत बढ़ चली और उसके हाथ का जाहिरा के सीने की पहाड़ियों पर चढ़ने का सफ़र शुरू हुआ।
फैजान ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से जाहिरा की चूचियों के निचले हिस्से को छूना शुरू कर दिया। फैजान का हाथ अपनी बहन की चूचियों को नीचे से छू रहा था।
आहिस्ता आहिस्ता उसने अपने हाथ को हरकत देते हुए जाहिरा की चूचियों की ऊपर रख दिया और हाथ ऊपर रख कर वहीं पर कुछ देर के लिए ठहर गया।
जैसे वो जाहिरा की प्रतिक्रिया देखना चाह रहा हो।
मुझे मज़ा आ रहा था.. लेकिन उससे बढ़ कर जाहिरा के संयम पर हैरत हो रही थी कि कैसे वो खामोश अपने चेहरे के हाव-भाव को कंट्रोल करके लेटी हुई है।
फैजान ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को जाहिरा की चूचियों पर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया।
एक भाई के हाथ के नीचे उसकी बहन की चूची देख कर मेरी तो अपनी चूत गीली होने लगी थी। मेरा दिल कर रहा था कि मैं अपने हाथ अपनी चूत पर ले जाऊँ और अपनी चूत को सहलाने लगूँ लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती थी।
जाहिरा ने जो शर्ट पहन रखी थी.. वो स्लीबलैस थी और उसका गला भी काफ़ी बड़ा था.. जिसमें उसकी सीने का काफ़ी हिस्सा साफ़ नंगा नज़र आता था।
दोनों चूचियों पर हाथ फेरते हुए फैजान के हाथ आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा के नंगे सीने पर आ गए और उसने अपनी उंगलियों को अपनी बहन के नंगे और गोरे-गोरे उठे हुए सीने पर रख दिए।
अब आहिस्ता आहिस्ता वो अपना हाथ अपनी बहन के गले के नीचे छातियों पर फेरने लगा।
फैजान का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता जाहिरा के सीने पर फिसलता हुआ मेरी तरफ को आने लगा और उसने अपना हाथ जाहिरा की शर्ट की स्ट्रेप्स को नीचे को सरका दिया और फिर वापिस अपना हाथ ऊपर की तरफ ले गया।
जाहिरा के सीने पर हाथ फेरते हुए उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता नीचे को जाने लगा।
अब इस तरह लेटने की वजह से जाहिरा की चूचियों का क्लीवेज भी साफ़ नज़र आ रहा था। फैजान ने अपनी एक उंगली उस खूबसूरत क्लीवेज में घुसेड़ दी और आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे-पीछे करने लगा।
फैजान की एक टाँग अभी तक जाहिरा की टाँगों पर ही थी।
अपनी बहन की चूचियों की क्लीवेज में कुछ देर अपनी उंगली फेरने के बाद मेरे शौहर ने अपने हाथ की बाक़ी उंगलियां भी आहिस्ता आहिस्ता जाहिरा की टी-शर्ट के अन्दर को घुसेड़ना शुरू कीं और अपना पूरा हाथ जाहिरा की चूचियों पर ले गया।
अभी शायद वो जाहिरा की चूचियों पर उसकी ब्रा की ऊपर से ही हाथ फेर रहा था। उसका हाथ जाहिरा की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी चूचियों को छू रहा था।
फैजान के हाथ जाहिरा की नंगी चूचियों को भी छू रहे थे.. जो कि उसकी ब्रा के आधे कप में से बाहर निकल रही थीं।
मेरी नज़र जाहिरा के चेहरे की तरफ गई.. तो उसकी आँखें हल्की-हल्की सी हिल-डुल रही थीं.. जैसे की वो खुद को पूर सुकून में रखने की कोशिश कर रही हो।
उस अँधेरे कमरे में जहाँ सिर्फ़ एसी की जलते-बुझते नंबर्स की बहुत ही मद्धिम सी रोशनी फैली हुई थी। उस रोशनी में कोई भी किसी की चेहरे के हाव-भाव नहीं देख सकता था। किसी को नहीं पता था कि दूसरा जाग रहा है.. या सो रहा है।
हर कोई दूसरी को सोता हुआ ही समझ रहा था। हम तीनों के तीनों उस बिस्तर पर एक-दूसरे के क़रीब लेटे हुए भी जाग रहे थे लेकिन फैजान समझ रहा था कि मैं और जाहिरा दोनों सो रहे हैं।
जाहिरा मेरे सोए हुए होने की दुआएं कर रही थी और खुद भी सोने की एक्टिंग करते हुए अपने भाई को अपने जिस्म से खेलने का मौका दे रही थी।
ज्यादा देर तक अपना हाथ जाहिरा की शर्ट की अन्दर रखे बिना ही फैजान ने अपना हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाला और फिर बिस्तर पर उठ कर बैठ गया।
मैंने फ़ौरन ही अपनी आँखें बंद कर लीं। चंद लम्हों के बाद मैंने देखा तो वो उठ कर बिस्तर के हमारे पैरों वाली साइड पर चला गया हुआ था और नीचे झुक कर आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के गोरे-गोरे पैरों को चूमने लगा था।
वो जाहिरा के पैरों को नीचे और ऊपर से चूम रहा था। उसके पैरों को चूमते हुए धीरे-धीरे उसकी टाँगों पर आ गया और उसकी चिकनी और गोरी टाँगों पर हाथ फेरने लगा।
फिर नीचे झुक कर अपने होंठ उसकी गोरी टाँगों पर रख दिए और उन मरमरी टाँगों को चूमने लगा।
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जाहिरा की नंगी टाँगों के पास ही मेरी भी टाँगें थीं और वो भी नंगी थीं। फैजान ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर अपना दूसरा हाथ मेरी नंगी गोरी टाँग पर रख दिया।
अब उसका एक हाथ मेरी टांग को भी सहला रहा था.. तो दूसरा अपनी बहन की टांग को सहला रहा था।
शायद वो दोनों को कंपेयर कर रहा था कि कौन ज्यादा चिकनी है.. उसकी बहन या उसकी बीवी..
जाहिरा की टाँगों पर हाथ फिराता हुआ फैजान ऊपर को आ रहा था। अब उसका हाथ जाहिरा के घुटनों तक पहुँच चुका था और फिर उसका हाथ ऊपर को सरका और उसने अपना हाथ अपनी बहन की नंगी जांघ पर रख दिया।
जैसे ही फैजान के हाथ ने जाहिरा की नंगी जाँघों को छुआ.. तो मेरी चूत ने तो फ़ौरन ही पानी छोड़ दिया।
मैं अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और ना ही मैं इतनी जल्दी और इतनी आसानी से अभी फैजान को जाहिरा की चूत तक पहुँचने देना चाहती थी।
आप सब इस कहानी के बारे में अपने ख्यालात इस कहानी के सम्पादक की ईमेल तक भेज सकते हैं।
अभी वाकिया बदस्तूर है।
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