देसी लड़की मैं और मेरा हरामी भाई-2

(Desi Ladki Main Aur Mera Harami Bhai- Chapter 2)

This story is part of a series:

मैंने भाई से कहा- मैं तुम्हारी बहन हूँ, कहीं बहन भाई के बीच ऐसे खेल खेलते हैं?
मैं इठलाई।
‘क्यों नखरे करती है? मेरी जान बोल ना, कैसा लगा? उसने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा।

‘छोड़ो ना मेरा हाथ…’ मैंने हाथ छुड़ाने का नाटक करते हुए कहा।
‘पहले बता, पसन्द आई एलबम मेरी प्यारी बहना?’
‘सिर्फ एलबम ही दिखाओगे या असल में भी?’ मैं फिर से इठलाई।

‘तू हुकुम तो कर मेरी जान… तेरा भाई तेरी हर खिदमत को तैयार है!’ उसने मेरी हथेलियों को दबाते हुए कहा।
‘अपनी बहन से इतनी बेशर्म बातें करते हो?’
‘हाँ मेरी जान, तेरी अदा बड़ी जालिम है!’ और उसने बेशर्मी से अपनी बाहों में भींच लिया।

‘छोड़ो ना मुझे… भाई बहन का यह खेल पाप है!’ झटपट मैं अलग हो गई पर मेरा सीना तेजी से धड़क रहा था।
‘बड़ी नखरे करतीं है? कल तक तो तूने मेरी जवानी में खूब आग भड़काई! यह बता कि कभी चूत चुदाई है किसी से?’ उसने मेरी आँखों में आँखें डाल कर पूछा।

‘धत्त तुझे क्या लगता है?’ मैंने पूछा।
‘तेरी जवानी की खुशबू बता रही है कि तू अभी तक कोरी है।’
उसने आगे बढ़ कर फिर से मुझे अपनी बाहों में खींच लिया।

‘लेकिन तू तो कोरा नहीं लगता!’ मैंने उसकी सांसों में सांसे मिलाते हुए कहा- बोल ना, कितनी लड़कियों की चूत मारी है?
‘एक हो तो बताऊँ मैं!’
‘क्यूँ, अपनी बहन को नहीं बतायेगा?’
‘क्यों नहीं मेरी रानी, पहले तू बता, मुझसे चुदेगी? खुश कर दूँगा तुझे!’

‘धत्त, बड़ा बेशर्म है तू? अपनी बहन की जवानी का रस चूसने को बेताब है! जा बेशर्म… नहीं दूँगी अपनी चूत! पहले बता!’ मैं इठलाई। ‘हाय हाय मेरी जान… क्या अदायें हैं तेरी!’ वो मेरी चूचियों को सहलाते हुये बोला- तीन तो तेरी सहेलियाँ हैं सलमा… आरती… नेहा और तीन मम्मी की सहेलियाँ हैं अनिता… साक्षी… और सुनीता आँटी!

‘बड़ा खिलाड़ी है तू? मैं तो तुझे भोला भाला समझती थी! मम्मी की सहेलियाँ मम्मी को बता देती तो?’ मैं मुस्कुराई।

उसने मुझे अब भी अपनी बाहों में जकड़ रखा था, वो कभी मेरी चूचियां सहला रहा था तो कभी जोर जोर से मसल देता।
मेरे मुँह से सिसकारी निकल जाती ‘शस्सईईई…’

‘मम्मी को पता चल जाता तो क्या होता, मम्मी भी तो मस्त रन्डी है, ना जाने कितने लंड निगल चुकी है अपनी चूत में!’

‘साक्षी आंटी बता रही थी कि इस उम्र में भी तेरी माँ जबरदस्त रन्डी है तेरी माँ के साथ ग्रुप चुदाई के खेल में भी थी हम तो पहली चुदाई के बाद थक कर मदहोश हो गई, लेकिन तेरी माँ ने तीनों मर्दों को अकेले ही अपनी चूत पर सम्भाला था। दो तो बीच में ही ढेर हो गये, तीसरा किसी तरह से रन्डी की चूत पार लग सका!’

‘और तू भी मम्मी पर ही गई है!’ भाई मेरी ब्रा में हाथ डाल कर मेरी चूचियों को मसल रहा था और मैं मस्त सिसकारियां ले रही थी। बड़ा मजा आ रहा था।

फ़िर भाई ने मेरे बालों को पकड़ कर अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया, पहले तो दोनों होंटों को चूसता रहा, मेरे पूरे जिस्म में सनसनी दौड़ गई मानो जैसे किसी ने मेरी जवानी में आग लगा दी हो!
मेरी चूत भी गीली हो गई थी।

मेरी मेरे होंटों को चूसते चूसते उसने अपनी जीभ अन्दर डाल दी और जीभ को चूसने लगा।
मेरी धड़कनें और तेज हो गई।
कुछ देर तक इसी तरह चूसता रहा, फिर होंठों को अलग कर दिया।
मेरी भी सांसें रुकती हुई लग रही थी।

थोड़ी राहत महसूस हुई तो मैंने कहा- भाई, तूने तो मेरी जवानी पर जादू कर दिया!
मैं बेकाबू होती हुई बोली- अब चोद डाल मेरी मस्त जवानी को…

‘क्यों बेताब होती है मेरी बहना, तेरे भाई का लंड अब तो तेरी चूत के लिये खुद बेकरार है, पहले देख कर आ कि मम्मी पापा सो गये या नहीं!’ भाई ने कहा।

‘वो रन्डी अभी कहाँ सोई होगी, रोज़ देर रात तक चूत मरवाती है, तब कहीं जा कर सोती है!’ मैं जल कर बोली- अगर वो आ जाये तो भी क्या डरना, उसे भी चोद देना! साली ने जब इतने लंड लिये हैं तो एक बेटे का भी सही!

भाई बातों बातों में अपना हाथ सरकता हुआ मेरी चूत तक ले गया और सहलाने लगा।
मखमली झांटों भरी चूत पर हाथ पड़ते ही में चिहुंक उठी- ऊऊइ… आह्ह्ह… शीईईई… भैया तेरे हाथों में जादू है.. आह्ह्ह…

‘मेरी रानी तेरी चूत तो झांटदार है!’
‘हाँ मेरे राजा, अब तू ही बनायेगा मेरी चूत की मखमली झांटों को!’

लेकिन इसी बीच हमारी मस्ती का सिलसिला टूट गया, मम्मी के कमरे का दरवाजा खुला, शायद उनकी चुदाई ख़त्म हो चुकी थी।

मम्मी सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट पहने हुए थी, ब्लाउज के बटन भी कुछ इस तरह बेतरतीब लग रहे थे कि एक चूची लगभग नंगी ही थी, बाल बिखरे हुए थे।

हम दोनों जल्दी से अलग हो गये, भैया मुझे गणित के बारे में बताने लगे।

‘सोनिया बेटी, अभी तक तू जाग रही है?’
‘हाँ मम्मी, भैया से गणित के सवाल हल करवा रही हूँ।’

‘अब सो जा… बाकी के सवाल कल हल करवा लेना!’
‘ठीक है मम्मी!’ मैंने ना चाहते हुए भी किताब उठाई, अपने कमरे में चली गई।

बड़ा गुस्सा भी आया मम्मी पर…
जाने कितने दिनों से जवानी की आग में सुलग रही हूँ, एक मौका भी आया तो साली इस मम्मी ने खड़े लंड पर धोखा दे दिया।

दूसरे दिन मैं देर से उठी लेकिन मेरे लिये एक खुशखबरी थी मम्मी और पापा एक दिन के लिये मामा के घर दिल्ली जा रहे थे, कुछ काम था, आज दस बजे की ट्रेन थी।

क्योंकि अगले दिन वापिस आना था इसलिए हम दोनों भाई बहन नहीं जा रहे थे।
मेरा सीना खुशियों से धड़कने लगा… बड़ी मुश्किल से तीन घन्टे बीते और मम्मी पापा और छोटी बहन रवाना हो गये।
इधर मैंने घर की चटकनी चढ़ाई और उधर भैया ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बोले- हे भगवान, तूने मेरी बहन की सुन ली अब मैं अपनी बहन को अपनी दुल्हन बना कर इसकी मस्त जवानी का रस चूसूँगा!’

उसने मुझे चूमते हुए उठा कर मम्मी के पलंग पर पटक दिया, बोला- मेरी रानी, खूब मस्ती करेंगे!
‘हाँ भैया, लूट लो मेरी जवानी को! आज तेरी बहना तेरी दुल्हन… तेरी बीवी… और तू मेरा पति… आ जा मना ले सुहागरात अपनी बहन के साथ!’
मैं बिस्तर पर लेट गई।

‘ऐसे नहीं मेरी रानी… ठहर मैं अभी आया! और वो अलमारी से मम्मी के सुहाग का जोड़ा निकाल कर देते हुए बोला- ले इसको पहन ले! मम्मी ने भी इसको पहन कर अपनी सुहागरात मनाई थी।

मैं उस सुहाग के जोड़े को लेकर बाथरूम की तरफ़ चली गई, मैंने कपड़े बदले और पूरे जिस्म पर सेंट लगाया, होंठों पर लिपस्टिक लगाई फ़िर खुद को शीशे में देखा।
बिल्कुल दुल्हन लग रही थी मैं।

भाई ने दरवाजा खटखटाया।
‘अब क्या है?’
‘यह ले!’ उसके हाथ में मम्मी की नथ थी- इसको भी पहन ले मेरी रानी!

जब दुल्हन बन कर बाहर निकली तो बिस्तर देखकर चौंक गई, एक बहुत खूबसूरत चादर बिछी हुई थी, उस पर फूल बिखरे थे, दो बड़े तकिये था, उस तकिये के पास एक सिंदूर की डिब्बी रखी थी।

‘हाय हाय, मेरी बहना तो एकदम मेरी दुल्हन लग रही है!’
उसने मुझे गोद में उठा कर नई दुल्हन की तरह बिस्तर पर बिठा दिया और मेरे चेहरे को ढक दिया।

मैं फूलों की सेज पर बैठी रही।

थोड़ी देर में भैया भी कमरे में दाखिल हुआ, वो भी सज धज कर दूल्हा बना था।

अब वक्त आ गया था जब मेरा भाई मुझे अपनी दुल्हन बना कर मेरी मदमस्त जवानी का मजा लूटेगा।

वो मेरे सामने बैठ गया, मानो मैं उसकी दुल्हन हूँ और मेरी सुहागरात हो!

उसने मेरे चेहरे से दुपट्टा उठाया, मेरे चेहरे को ऊपर कर कुछ देर निहारता रहा फिर डिब्बी से एक चुटकी सिंदूर निकाल कर मेरी माँग भर दी- आज तू मेरी दुल्हन है मेरी रानी!

फिर पॉकेट से एक सोने की खूबसूरत चेन निकाली और मेरे गले में डाल दी।

मैं चेन पहनने के लिये झुकी और उसी तरह एक दुल्हन की तरह उसकी बाहों में समा गई।

मेरा भाई, आज मेरा पति, मेरी चूत का रखवाला एक हाथ से मेरी पीठ सहलाने लगा और दूसरे हाथ से मेरे चेहरे को उठा कर मेरे गर्म होंटों पर अपने गर्म होंटों को रख दिया।

मेरे पूरे बदन में सीहरन सी दौड़ गई।

फिर वो मेरे कपड़े उतरने लगा, पहले चोली, फिर लंहगा… मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया।
मैंने शरमा कर अपनी नंगी जवानी को उसकी मस्त बाहों में समर्पित कर दिया।

फिर उसने भी अपने कपड़े उतार दिये, अब हम दोनों भाई बहन बिल्कुल नंगे थे, एक दूसरे की बाहों में!

अब वो मेरी नंगी चूचियों से खेल रहा था, धीरे धीरे सहलाता फिर मसल देता!
‘सीईई… सीईईए… आह्ह्ह्ह… आह्ह्ह मेरे राजा!

फिर उसने मेरी चूचियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और हाथ से चूचियों को दबाता भी जा रहा था।
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मेरे हाथों में उसने अपना लंड थमा दिया, उसका लंड काफी मोटा और बड़ा था, मैं भी मस्ती में उसका लंड सहलाने लगी, मेरी मस्ती बढ़ती जा रही थी- आह्ह्ह्ह.. भैया… ओऊईई..

मेरे भाई ने अपने होंटों को मेरी चूत के होंटों पर लगा दिया, थोड़ी देर तक मेरी रसीली चूत को चाटता रहा, फिर दोनों हाथों से चूत के दोनों होंठों को चीर कर अपनी जीभ घुसेड़ दी और जीभ से ही मेरी चूत की चुदाई करने लगा।

‘साले बहनचोद… क्यों तड़पा रहा है अपनी रानी को? मैं तेरे लंड के लिये बेताब हूँ और तूने तो अपनी जीभ से चुदाई शुरू कर दी! अब देर मत कर, पेल दे अपना मूसल सा लंड अपनी दुल्हन की चूत में!

मैंने सिसकारी ली- शस्सईईई…
‘क्यों बेताब है मेरी रानी, पहले चख तो लूँ अपनी बहना की चूत को… फिर चोद कर तुझे अपनी रन्डी भी बना लूँगा!’

‘जैसे ही दोबारा उसने मेरी चूत के होंटों पर होंटों को सटाया, मैं सिहर गई- ऊह्ह्ह… आह्ह्ह्ह.. बड़ा मजा आ रहा है! चाट भोसड़ी वाले… घुस जा अपनी माँ की चूत में!

फिर वो पलट कर आया और अपने लंड को मेरे मुँह में सटाते हुए बोला- एक बार अपने भाई के लंड को चूस कर लोलीपॉप का मजा दे दे, फ़िर पेलूँगा साली… दिन भर चूसूँगा तेरी जवानी का रस!

‘हाय रे मेरी रन्डी बहन… चूस ना भोसड़ी वाली!’ और उसने अपना मूसल सा लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।

मुझे एलबम की तस्वीर याद आ गई, मैं उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी, कभी कभी अपने दाँत भी गड़ा देती।
फिर मैंने लंड के छेद को खोल कर इस तरह से चूसा कि उसकी एक दो बूँद रस की निकल आई।
नमकीन पर मजेदार थी…

‘ऊह्ह्ह…’ उसके मुँह से सिसकारी निकल गई- साली रन्डी कुतिया, पहली बार में ऐसा चूस रही है जैसे मंझी हुई रन्डी हो! साली बता भोसड़ी वाली, किसे देखा है इस तरह मस्त चुसाई करते हुए?

‘साले मादरचोद… तेरी रन्डी माँ को कई बार देखा है, तेरे बाप के लंड की चुसाई इसी मस्ती से करती है वो!’ मैंने गाली दी।
‘चल अब छोड़ भोसड़ी वाली, नहीं तो मैं तेरे मुँह में ही झड़ जाऊँगा! बड़ा मजा दे रही है साली रन्डी!

‘आ जा मेरे शेर, अपनी बहन को चोद कर अपनी रन्डी बना ले!’ मैंने ललकारा- आ जा मेरे राजा, मैं तुझे बहन चोद बना दूँ!

अब हम दोनों पर पूरी मस्ती छा चुकी थी, जवानी की आग में हम दोनों का जिस्म दहक रहा था, अब मेरी जिंदगी की सबसे सुनहरी घड़ी आ गई थी, अब कोई मर्द मेरी चूत में लंड पेल कर मुझे कली से फूल बनाने जा रहा था।

एक कच्ची कली, जो लड़की थी, औरत बनने जा रही थी और मुझे औरत बनने वाला मर्द कोई और नहीं मेरा बड़ा भाई था।

भैया मेरी दोनों टांगों को फ़ैला कर मेरी चूत को सहलाने लगा और एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और मेरी चूत पे सटाया।
शीस्सईईई… मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई- हाय जालिम, अब कितना तड़पाएगा!

फिर उसने अपना लंड धीरे से मेरी चूत में पेल दिया, मूसल सा लंड चूत के नाजुक होंटों को चीरता हुआ थोड़ा अन्दर तक गया।
चूत बिल्कुल गीली थी, पूरे जिस्म में मस्ती सी समा गई।

अभी उसके लंड एक चौथाई ही अन्दर गया था मेरी कुंवारी चूत की सील पर उसका लंड रुका।
थोड़ी देर तक यूँही डाले खड़ा रहा और एक बेशर्म मुस्कान के साथ मेरी आँखों में देखता रहा।

मैं भी उसकी आँखों में आँखें डाले देख रही थी।
फिर वो झुका अपने दोनों हाथों से मेरे हाथों को पकड़ लिया और मेरे होंटों पर होंठों को रख कर चूसने लगा।

मेरी सांसें तेज हो गई, मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला- मेरी रानी, अब मैं तेरी मस्तानी चूत को चोद कर तुझे अपनी रन्डी बनाने जा रहा हूँ, तेरा अपना भाई तेरी ही माँ की चूत से निकला ये भाई आज तेरी जवानी से खेल रहा है।

मुझे मस्त बातों में लगाया उसने और अपने लंड का दबाव बढ़ाने लगा।
चूत पर दबाव पड़ते ही दर्द का अहसास हुआ लेकिन वो तो एक मन्झा हुआ खिलाड़ी था मेरी चूचियों पर मुँह लगा कर चूसने लगा।
मुझे हल्की राहत महसूस हुई और मजा भी आने लगा।

‘क्यों मेरी रानी, मजा आ रहा है?’

मैं मुस्कुराई।
‘तो फिर फाड़ डालूं तेरी चूत को?’
‘हाँ मेरे राजा, फाड़ डाल अपनी रानी की चूत को, बना ले अपनी रन्डी!’

बातों में ही उसने अपने लंड का दबाव बढ़ाया, मेरा दर्द बढ़ गया, उसने मेरे हाथ को जोर से पकड़ लिया और अपने लंड का दबाव और बढ़ा दिया।
मैं छटपटा गई- ओह माँ… मैं मर गई!
मेरी जोर से चीख निकली- थोड़ी देर रुक जाओ भैया, बहुत दर्द हो रहा है! थोड़ा धीरे धीरे आह्ह्ह आह्ह्ह!

मैं छटपटाते हुए हाथ छुटाने की कोशिश करने लगी लेकिन वो मुझे पूरी तरह जकड़े हुए था।

‘भैया थोड़ा धीरे, मेरी तो जान ही निकली जा रही है, मेरी नाजुक चूत फटती जा रही है!’ मैं कराही।
‘आह्ह… ठीक है मेरी जान!
और वो अपने लंड का दबाव कम करके लंड को धीरे धीरे चूत के अन्दर बाहर करने लगा।

रसीली चूत के अन्दर जब उसका मोटा लंड चूत के होंटों से रगड़ता तो बड़ा मजा आता।

फ़िर उसने रफ्तार बढ़ाई, मुझे और भी मजा आने लगा- शस्सईई… बड़ा मजा आ रहा है… मेरे राजा!
‘तो फिर सम्भाल मेरी रानी!’ और उसने एक झटके में पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया।

‘ऊईई माँ!’ मेरी चीख निकली, मूसल सा लंड चूत की झिल्ली को फ़ाड़ता हुआ पूरा अन्दर तक घुस गया, मैं छटपटाती रह गई एक बेबस चिड़िया की तरह!
लेकिन उसने मुझे अपनी जकड़ से निकलने नहीं दिया।

इस वक्त वो एक मर्द था, भाई नहीं!
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी चूत में सुलगती हुई लकड़ी डाल दी हो।
‘आह्ह्ह… ऊह्ह्ह…’ में कराह रही थी लेकिन वो अपने लंड को घुसेड़ कर मेरी आँखों में मेरी बेबसी देख कर मुस्कुरा रहा था, जीत की मुस्कुराहट मानो कोई किला फ़तेह कर लिया हो!

थोड़ी देर यूँ ही लंड घुसेड़े रहा, अब चूत का दर्द कुछ कम हुआ अब वो अपना लंड धीरे धीरे चूत के अन्दर बाहर करने लगा।
पहले कुछ दर्द महसूस हुआ, फिर हल्का हल्का मजा आने लगा।

आह्ह… शीईईई… ऊह्ह्ह मेरी सिसकारियां निकलने लगी।

‘क्यों साली, अब मजा आ रहा है?’
‘हाँ रे बहनचोद, साले, अब पेलता जा!’ मैंने अपने चूतड़ों को उछाला- साला, रन्डी की औलाद मादरचोद!

‘भोसड़ी वाली ले सम्भाल मेरी रन्डी! उसने अपना लंड बाहर निकला और फिर एक झटके में पूरा का पूरा मेरी चूत में पेल दिया।
‘आह्ह… शीईईई… हाय रे, मेरे हरामी भाई, लूट अपनी रन्डी बहन की जवानी!’ मैंने अपने चूतड़ उछाल उछाल कर उसके हर धक्के का जवाब दिया और वो भी धकाधक अपने लंड को मेरी चूत में पेले जा रहा था।

रस से भरी चूत में लंड सरसराता घुसता और फच फच की आवाज़ करता।

कुछ देर के बाद मेरे जिस्म में सनसनी सी दौड़ने लगी- ऊईई… आह्ह्ह… उईईई… बड़ा मजा आ रहा है, चोद साले चोद मादरचोद! फाड़ दे साले। मेरी चूत चीथड़े उड़ा दे! अपनी रन्डी की चूत चोद साले, हरामी की औलाद, कुत्ते निकाल दे अपनी बहन की चूत से अपनी औलाद!

‘ले भोसड़ी वाली कुतिया… ले रन्डी!’ और वो जोर जोर से धक्के लगाने लगा।
कुछ देर के बाद पुच पुच की सुहानी आवाजें चूत से आने लगी, मुझे लगा जैसे मैं स्वर्ग में हूँ।
और एक झटके के साथ मेरा जिस्म शान्त हो गया।

मैं झड़ चुकी थी और कुछ देर के बाद भाई भी झड़ गया। लंड से पिचकारी की तरह धार निकलने का अहसास हुआ और वो निढाल होकर मेरे नंगे जिस्म पर लेट गया।

मैं भी निढाल हो चुकी थी, पसीने से हम दोनों तर थे।

थोड़ा आराम करने के बाद हम दोनों उठे, फिर भैया मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम ले कर गये और दोनों साथ मिल कर नहाए।

फ़िर मैंने खाना बनाया, दोनों ने मिलकर खाना खया और फिर रात को भाई ने मुझे दो बार और चोदा।

अब जब भी मौका मिलता, हम दोनों भाई बहन चुदाई का खेल खेलते।
लेकिन मेरी बदकिस्मती देखो, चार महीने पहले मेरे भाई और मम्मी की एक सड़क हादसे में मौत हो गई।
मेरी चूत फिर से प्यासी रहने लगी।

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताना! मुझे आपके जवाब का इन्तज़ार रहेगा।
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यही मेरी फेसबुक आईडी है।

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