सगी बहन को चुदाई का दर्द दिया
हैलो दोस्तो, मेरा नाम कपिल कुमार है। मैं 24 साल का हूँ और मेरा लंड 8 इंच का लंबा और 2.5 इंच का मोटा है। मुझे चुदाई की कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।
मैं मुरादाबाद उ.प्र. का रहने वाला हूँ। मेरे घर में मैं अपने माता-पापा और एक छोटी बहन के साथ रहता हूँ।
पापा चंडीगढ़ में बहुदेशीय कंपनी में मैंनेजर की पोस्ट पर जॉब करते हैं। मेरी छोटी बहन जो 21 साल की है। उसका फिगर 34-26-34 है, वो एम.ए. में पढ़ रही है और मेरी माँ एक हाउसवाइफ हैं।
यह एक सच्ची घटना है, यह बात 2 महीने पहले की है। प्लीज़ इसको पढ़िए और मुझे लगता है कि इस दास्तान को पढ़ कर लड़के अपने लंड को रगड़ने और लड़की अपनी चूत में उंगली डालने पर मजबूर हो जाएँगी।
मेरी बहन दिखने में एकदम गोरी-चिट्टी है, मैं हमेशा से अपनी बहन का दीवाना रहा हूँ क्यूँकि पापा 2-3 महीने में एक बार घर आते थे और घर में, माँ और बहन ही रहते थे। वो कॉलेज कम ही जाती थी और मैं भी एम.बी.ए. के बाद कुछ दिन घर पर छुट्टी बिताने आया था।
मेरी बहन घर में टाइट सूट और सलवार पहनती थी, जिस में उस के खड़े मम्मे और उठी हुई गाण्ड बहुत मस्त दिखाई देते थे। उन्हें देख कर मेरा लंड हमेशा खड़ा रहता था।
दोस्तो, जैसा कि कहानियों में लिखा होता है उतनी आसानी से माँ या बहन नहीं पटती, उसे पटाने के लिए मैंने भी बहुत पापड़ बेले और दिन उसे पटा ही लिया। अब मैं बताता हूँ कि मैंने कैसे उसे चोदा..!
मैं उसे देखता था, यह बात उसे पता थी और वो मेरा खड़ा हुआ लंड देखा करती थी।
कई बार मैंने उसे नहाते हुए नंगी भी देखा था और सोने का नाटक करके उसे अपना नंगा लंड भी दिखाया था, आग दोनों तरफ लगी थी।
फिर एक दिन मुझे मौका मिल गया। मेरी नानी की मृत्यु हो गई थी, तो माँ को वहाँ जाना पड़ा और घर में हम दोनों ही अकेले थे। मैं यह मौका नहीं खोना चाहता था।
वो रसोई में खाना पका रही थी और टाइट सूट और टाइट सलवार पहने हुए थी। वो बहुत ही कामुक लग रही थी, उसे देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैं सिर्फ़ बनियान और अंडरवियर में था, मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया, वो एकदम से डर गई और अलग हो गई।
तो मैंने कहा- क्या हुआ?
वो बोली- भैया.. क्या कर रहे हो?
मैंने बहाना बना दिया कि तुझे डरा रहा था और फिर से उसके पीछे से चिपक गया।
तो उसने फिर मना किया- क्या कर रहे हो?
तो मैं बोला- अपनी प्यारी बहन को प्यार कर रहा हूँ।
अब उसने ज़्यादा विरोध नहीं किया और खड़ी रही। लेकिन जब मेरा लंड उसकी गाण्ड की दरार में छुआ तो वो थोड़ा आगे को हो गई, ताकि मेरा लंड उसकी गाण्ड से हट सके।
लेकिन मैं तो उसे चोदना चाहता था, तो मैं भी थोड़ा आगे को हुआ और फिर से लंड टिका दिया।
अब उसका चेहरा लाल हो गया और छूटने के लिए कसमसाने लगी और बोली- भैया छोड़ो ना.. क्या क्या रहे हो… मैं माँ और डैड को बोलूँगी..!
लेकिन मैंने नहीं छोड़ा और पीछे से ही उसकी गर्दन पर एक चुम्मा लिया।
तो उसने मुझे डराना चाहा, बोली- मैं सबको बता दूँगी।
फिर मैंने उसे कहा- तू एक लड़की है, तेरा मन भी सेक्स को करता होगा..!
उसे मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी, वो शरमा गई और कुछ नहीं बोली।
अब मैंने उसे एक और चुम्बन लिया तो मुझसे छूट कर चली गई और उसने अपना कमरा लॉक कर लिया। फिर मैंने उसे सॉरी बोलते हुए कमरा खुलवाया और रूम में अन्दर जा कर रूम लॉक कर लिया।
तो वो बोली- यह क्या कर रहे हो?
मैंने उसे समझाया और कहा- प्लीज़ मान जाओ, हम दोनों को सेक्स की जरूरत है।
और मैंने उसके हाथ पर हाथ रखा और अपनी तरफ खींचा और उसके गाल पर चुम्बन किया।
वो बोली- यह पाप है… हम दोनों भाई-बहन हैं और अगर किसी को पता चल गया तो बदनामी हो जाएगी।
तब मैंने उसे समझाया- किसी को पता नहीं चलेगा… यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी..!
और उस के होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसे ढीला नहीं छोड़ा, कुछ देर में वो गर्म होने लगी और उसने छूटने की कोशिश छोड़ दी।
तभी मैंने उसके मम्मों पर हाथ रखा और सहलाना शुरु कर दिया।
15 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा, फिर वो भी मेरा साथ देने लगी।
फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके मम्मे दबाने लगा और वो सीत्कारने लगी- आआअहह्हा अहहहा..!
मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सूट भी उतार दिया। अब वो मेरे सामने ब्रा और पैन्टी में थी।
आह दोस्तो.. क्या लग रही थी..! मैं बता नहीं सकता… उफ्फ उसके गोरे बदन पर काली ब्रा-पैन्टी…ओह्ह पूछो मत..बिल्कुल अप्सरा दिख रही थी..!
फिर मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध दबाने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी और ‘आआआहह आआहह’ करने लगी।
धीरे-धीरे मैंने उस के पेट पर हाथ फिराते हुए उसकी जाँघों पर ले गया और सहलाने लगा। उसने मेरा हाथ अपनी जाँघों में दबा लिया और अकड़ गई।
अब मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी और दूध को पीने लगा और एक हाथ से उसका दूसरा निप्पल दबाने लगा।
वो तड़प उठी और बोली- उह्ह भैया रहने दो ना.. प्लीज़ अब और नहीं मैं मर जाऊँगी…आअहह आआहह..!
तभी मैंने पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ रखा और सहलाने लगा। उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और अचानक छोड़ दिया।
मैं बोला- क्या हुआ जान?
तो बोली- यह तो बहुत मोटा और बड़ा है.. मेरे अन्दर नहीं जाएगा।
तब मैंने अपना अंडरवियर उतारा और अपना खड़ा हुआ लंड उसके सामने कर दिया और कहा- जान किस करो न.. इसे..!
वो बोली- नहीं मुझसे नहीं होगा।
तब मैंने उसकी पैन्टी भी उतार दी और अब हम दोनों बेड पर नंगे थे और एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। मैंने उसकी चूत पर हाथ रख और एक उंगली चूत के अन्दर घुसेड़ दी।
वो तड़प उठी और मेरे लंड को ज़ोर से दबा कर पकड़ लिया।
ओऊऊ..ओह गॉड.. क्या नजारा था..!
मैंने अपना लंड उस के होंठों के पास रखा और मुँह में देने लगा। कुछ देर मना करने के बाद वो मजे से चूसने लगी और मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी- आहहाअ…अहहहा..
इस काम को करते हुए हमें 15 मिनट हो गए थे और वो एक बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने मुँह से लंड निकाला और उसका दूध दबाने लगा।
वो बोली- भैया, अब चोद भी दो ना.. अब रुका नहीं जा रहा है…!
मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा तो वो डरते हुए घोड़ी बन गई, मैं अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो लगातार सिसकारियाँ भर रही थी और कह रही थी- प्लीज़.. जान डाल दो न …अन्दर प्लीज़ भैया चोद दो.. अपनी बहन को..!
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मैंने लंड उसकी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया, तो लंड अन्दर नहीं गया, क्योंकि उसकी चूत बहुत कसी थी।
वो दर्द से कराह कर आगे को हो गई लेकिन मैंने उसे फिर से कस कर के पकड़ा और थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया तो लंड का टोपा अन्दर गया।
वो दर्द से चिल्ला उठी- प्लीज़ निकाल लो… वरना मैं मर जाऊँगी.. प्लीज़ भैयाया..!
और उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
तभी मैंने एक और धक्का लगाया तो लंड आधा अन्दर घुस गया और उस के मुँह से ज़ोरदार चीख निकली- उउइईईई ममाआआआ मर गई आआआआआहह..
वो जोर से रो रही थी, मैंने उसका मुँह नहीं पकड़ा हुआ था, क्योंकि घर बंद था और मकान से बाहर आवाज़ नहीं जाती थी।
मैं ऐसे ही रुका रहा, उसकी चूत से खून निकल रहा था।
वो आगे की तरफ़ झुकी ताकि छूट सके लेकिन उसकी इस हरकत से लंड और टाइट हो गया। अब उसका मुँह नीचे बेड पर टिका था और घुटने उठे हुए थे।
‘उओ आआहह आअहह चिल्ला’ रही थी और मुझसे बाहर निकालने के लिए कह रही थी लेकिन मैंने नहीं छोड़ा, मुझे मालूम था कि यदि इसको ऐसे ही छोड़ दिया तो फिर वो कभी अन्दर नहीं डलवाती।
कुछ देर मैं ऐसे ही रुका रहा और उसके मम्मे दबाता रहा। वो कुछ देर बाद नॉर्मल हुई और मैंने धक्के लगाने स्टार्ट किए और धीरे-धीरे पूरा लंड अन्दर डाल दिया। वो अभी भी दर्द से कराह रही थी, लेकिन कुछ ही देर में नॉर्मल हो गई और गाण्ड उठा कर मेरा साथ देने लगी और उस के मुँह से ‘आआहह उुउऊहह उूउउइ आअहह..’ की आवाजें निकल रही थीं।
चुदाई से ‘छप-छप’ की आवाजों के कारण कमरा गूँज रहा था। धकापेल चुदाई के बाद अब मैं झड़ने वाला था और तेज-तेज धक्के लगा रहा था, हर धक्के पर उसके मुँह से ‘आअहह’ निकलती।
लगभग 30 मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। इस बीच वो भी दो बार झड़ चुकी थी। झड़ने के बाद मैं उस के ऊपर लेट गया और उसे चूमने लगा।
उससे पूछा- कैसा लगा..!
तो बोली- पहले बहुत दर्द हुआ, लेकिन बाद में मजा आया।
फिर कुछ देर बाद हमने एक-दूसरे को चूमना चालू किया और हम फिर से तैयार हो गए। वो मना कर रही थी, लेकिन गरम थी सो मान गई और उस रात हमने 6 बार चुदाई की। सुबह वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी और उसकी चूत सूज गई थी।
तभी माँ का कॉल आया कि वो 10 दिन बाद आएंगी..!
तो अब हम दोनों बिल्कुल आज़ाद थे, हम घर में नंगे ही घूमने लगे और जब दिल करता चुदाई शुरू कर देते।
मैंने उसे बोला- मैं तेरी गाण्ड मारना चाहता हूँ..!
तो वो बोली- अभी नहीं, कुछ दिन चूत मार लो फिर बाद में गाण्ड मार लेना..!
मैं बोला- ठीक है..!
तो दोस्तो, बहन की गाण्ड मारने की कहानी फिर कभी लिखूँगा। मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर मेल करना।
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