भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-13
(Chacheri Behan Ki Kamukta: Bhai Behan Ki Chudai Ke Safar Ki Shuruat- Part 13)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-12
-
keyboard_arrow_right भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआत-14
-
View all stories in series
दोस्तो, मेरी कहानी के पिछले भाग में आप पढ़ चुके हैं कि कैसे मैंने अपनी मासूम चचेरी बहन की कुंवारी चूत चोदी. मुझे काफी मेल आये और सभी ने कहानी की तारीफ की है आप सभी पाठकों का दिल से धन्यवाद।
ऋतु और नेहा भी वापिस आ चुकी थी, नेहा थोड़ी लड़खड़ा कर चल रही थी, उस की मासूम चूत सूज गयी थी मेरे लंड के प्रहार से। ऋतु ने उसे पेनकिलर दी और नेहा उसे खा कर सो गयी।
मैं भी घुस गया उन दोनों के बीच एक ही पलंग में और रजाई ओढ़ ली.
मजे की बात ये थी कि हम तीनों भाई बहन नंगे थे।
सुबह मेरी आँख जल्दी खुल गयी और मैंने पाया की नेहा वहीं शीशे वाली जगह से अन्दर देख रही है। मैंने ऋतु की तरफ देखा पर वो सो रही थी। नेहा नंगी खड़ी दूसरे रूम में देख रही थी।
मैं उठ कर पास गया और उसके गोल गोल चूतड़ों पर अपना लंड टिका कर उसके पीछे खड़ा हो गया। उसने मुस्कुरा कर पीछे देखा और मुझे जगह देते हुए साइड हो गयी। मैंने अन्दर देखा कि चाचू और चाची 69 की अवस्था में एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस रहे थे… क्या गजब का सीन था।
मैंने मन ही मन सोचा ‘सुबह सुबह इन को चैन नहीं है.’ और नेहा की तरफ देखा… उस की साँसें तेजी से चल रही थी; अपने मम्मी पापा को ऐसी कामुक अवस्था में सुबह देखकर वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी; उसकी चूत में से रस बहकर जांघों से होता हुआ नीचे बह रहा था।
मैंने मन ही मन सोचा कितना रस टपकाती है साली… उसके होंठ कुछ कहने को अधीर हो रहे थे। उसकी आँखों में कामुकता थी, एक निमंत्रण था… पर मैंने सोचा चलो इसको थोड़ा और तड़पाया जाए और मैंने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और वापिस अन्दर देखने लगा।
अन्दर उन्होंने अपना आसन तोड़ा और चाची उठ कर चाचू के सामने आ गयी और उनका लंड मुंह में डाल कर चूसने लगी। अजय चाचू की आँखें बंद होती चली गयी। आरती चाची किसी प्रोफेशनल पोर्न आर्टिस्ट की तरह चाचू का लंड चूस रही थी।
मेरा तो दिल आ गया था अपनी रांड चाची पर… जी कर रहा था कि अभी अन्दर जाऊं और अपना लौड़ा उसके मुंह में ठूस दूं… साली कुतिया।
यहाँ नेहा काफी गरम हो चुकी थी, वो अपना शरीर मेरे शरीर से रगड़ रही थी, अपने चुचे मेरे हाथों से रगड़ कर मुझे उत्तेजित कर रही थी। मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की और अन्दर ही देखता रहा पर मेरा लंड मेरी बात कहाँ मानता है, वो तो खड़ा हो गया पूरी तरह।
जब नेहा ने देखा कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ तो वो मेरे सामने आई और मेरे लबों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूसने लगी और अपना पूरा शरीर मुझ से रगड़ने लगी। अब मेरी सहन शक्ति ने जवाब दे दिया और मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया और मैं उसे जोरों से चूसने और चाटने लगा। मैंने अपने हाथ उसके गोल और मोटे चूतड़ों पर टिकाया और उसकी गांड में उंगली डाल दी।
वो चिहुंक उठी और उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टाँगें मेरे चारों तरफ लपेट ली।
मेरी उंगली मेरी बहन की गांड में अन्दर तक घुस गयी। वो उसे जोर जोर से हिलाने लगी; मेरे मन में उसकी गांड मारने का विचार आया पर फिर मैंने सोचा अभी कल ही तो इसने चूत मरवाई है… इतनी जल्दी गांड भी मार ली तो बेचारी का चलना भी दूभर हो जाएगा इसलिए मैंने अपनी उंगली निकाल कर उसकी रस उगलती चूत में डाल दी।
नेहा तो मस्ती में आकर मुझे काटने ही लगी और इशारा करके मुझे बेड तक ले जाने को कहा। मैं उल्टा चलता हुआ बेड तक आया और उसे अपने ऊपर लिटाता हुआ नीचे लेट गया। उस से सहन नहीं हो रहा था, उसने मेरे लंड को निशाना बनाया और एक ही बार में मेरे लंड को अपनी कमसिन चूत में उतारती चली गयी।
उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज के साथ मेरा पप्पू उसकी पिंकी के अन्दर घुसता चला गया…”म्म्म्म म्म्म्मम्म…” आनंद के मारे उसकी आँखें बंद होती चली गयी। पास सो रही ऋतु को अंदाजा भी नहीं था कि हम भाई बहन सुबह सुबह फिर से चूत लंड खेल रहे हैं।
नेहा मेरा लंड अपने तरीके से अपनी चूत के अन्दर ले रही थी, वो ऊपर तक उठ कर आती और मेरे लंड के सुपारे को अपनी चूत के होंठों से रगड़ती और फिर उसे अन्दर डालती। इस तरह से वो हर बार पूरी तरह से मेरे लंड को अन्दर बाहर कर रही थी।
नेहा की चूत के रस से काफी चिकनाई हो गयी थी इसलिए आज उसे कल जितनी तकलीफ नहीं हो रही थी बल्कि उसे आज मजे आ रहे थे। उसके बाल्स जैसे चुचे मेरी आँखों के सामने उछल रहे थे, मैंने उन्हें पकड़ा और मसल दिया; वो सिहर उठी और अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा और फिर झटके से मेरे होंठों को दबोच कर उन्हें अपना अमृत पिलाने लगी।
उसके धक्के तेज होने लगे और अंत में आकर वो जोरो से हांफती हुई झड़ने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और 8-10 धक्कों के बाद मैं भी झड़ने लगा… अपनी सेक्सी बहन की चूत के अन्दर ही।
नेहा धीरे से उठी और मेरे साइड में लुढ़क गयी और मेरा लंड अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी और उसे साफ़ करके अपनी चूत में इकठ्ठा हुए मेरे रस में उंगलियाँ डालकर उसे भी चाटने लगी और फिर वो उठी और बाथरूम में चली गयी।
मैं थोड़ा ऊपर हुआ और सो रही नंगी ऋतु के साथ जाकर लेट गया। उसने भी अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया और मुझ से चिपक कर सो गयी। मैं बेड पर पड़ा अपनी नंगी बहन को अपनी बाँहों में लिए अपनी किस्मत को सराह रहा था।
9 बजे तक ऋतु भी उठ गयी और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर मेरे होंठों पर एक मीठी सी पप्पी दी और बोली- गुड मोर्निंग जानू…
जैसे कोई नव-विवाहित अपने पति को बोलती है।
मैंने भी उसे जवाब दिया और चूम लिया। मैंने नेहा को भी उठाया और उसे भी उसी अंदाज में गुड मोर्निंग बोला।
हम जल्दी से उठे और कपड़े पहन कर बाहर की तरफ चल दिए। बाहर मम्मी पापा, चाचू चाची सेंट्रल टेबल पर बैठे न्यूज़ पेपर के साथ चाय पी रहे थे।
हमें देख कर पापा बोले- अरे बच्चो, गुड मोर्निंग… कैसी रही तुम्हारी रात, नींद तो ठीक से आई ना?
मैं- गुड मोर्निंग पापा, हाँ हमें बहुत बढ़िया नींद आई… मैं तो घोड़े बेच कर सोया।
ऋतु- और मैं भी, मुझे तो सोने के बाद पता ही नहीं चला कि मैं हूँ कहाँ?
नेहा भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, वो बोली- और मेरा तो अभी भी उठने को मन नहीं कर रहा था… कितनी प्यारी नींद आई कल रात।
वो हल्के से मुस्कुरायी और हम दोनों की तरफ देखकर एक आँख मार दी।
मम्मी- अरे इन पहाड़ों पर ऐसी ही नींद आती है… अभी तो पूरे दस दिन पड़े हैं अपनी नींद का पूरा मजा लो बच्चो…
मैं- मम्मी पापा, हमें इस बात की बहुत ख़ुशी है कि इस बार आप लोग हमें भी अपने साथ लाये.. थैंक्स ए लोट…
पापा- यू आर वेल्कम बेटा, चलो अब जल्दी से नहा धो लो और फिर हमें बाहर जा कर सभी लोगों के साथ नाश्ता करना है।
हम सभी नहाने लगे। मेरी पेनी नजरें यह बात पता करने की कोशिश कर रही थी कि ये दोनों जोड़े कल रात वाली बात का किसी भी तरह से जिक्र कर रहे है या नहीं… पर वो सब अपने में मस्त थे, उन्होंने कोई भी ऐसा इशारा नहीं किया।
तैयार होने के बाद हम सभी बाहर आ गए और नाश्ता किया। हम तीनों एक कोने में जाकर टेबल पर बैठ गए, वहां हमारी उम्र के और भी युवा जन थे, बात करने से पता चला कि वो सभी भी पहली बार इस जगह पर आये हैं और ये भी कि यहाँ की टीम ने बच्चे लाने की छूट पहली बार ही दी है।
हम तीनों ने नाश्ता किया और वहीं टहलने लगे। ऋतु ने नेहा को गर्भनिरोधक गोलियां दी और उन्हें लेने का तरीका भी बताया। वो भी ये गोलियां पिछले 15 दिनों से ले रही थी और वो जानती थी की नेहा को भी अब इनकी जरूरत है।
नेहा गोली लेने वापिस अपने रूम में चली गयी। मैं और ऋतु थोड़ी और आगे चल दिए।
पहाड़ी इलाका होने की वजह से काफी घनी झाड़ियाँ थी। थोड़ी ऊंचाई पर ऋतु ने कहा- चलो वहां चलते हैं।
हम बीस मिनट की चढाई के बाद वहां पहुंचे और एक बड़ी सी चट्टान पर पहुँच कर बैठ गए। चट्टान के दूसरी तरफ गहरी खायी थी। वहां का प्राकृतिक नजारा देखकर मैं मंत्रमुग्ध सा हो गया और अपने साथ लाये डिजिकैम से हसीं वादियों के फोटो लेने लगा।
मेरे पीछे से ऋतु की मीठी आवाज आई- जरा इस नज़ारे की भी फोटो ले लो।
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी… मेरी जवान बहन ऋतु उस बड़ी सी चट्टान पर मादरजात नंगी लेटी थी। उस ने ‘कब अपने कपड़े उतारे और यहाँ क्यों उतारे’ मेरी समझ में कुछ नहीं आया… उस ने अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाली और अपना रस खुद ही चूसते हुए मुझे फिर बोली- कैसा लगा ये नजारा?
मैं- ये क्या पागलपन है ऋतु… कोई आ जाएगा, यहाँ ये सब करना ठीक नहीं है…
पर मेरा लण्ड ये सब तर्क नहीं मान रहा था, वो तो अंगड़ाई लेकर चल दिया अपने पूरे साइज़ में आने के लिए।
ऋतु- कोई नहीं आएगा यहाँ… हम काफी ऊपर हैं अगर कोई आएगा भी तो दूर से आता हुआ दिख जाएगा… और अगर आ भी गया तो उन्हें कौन सा मालूम चलेगा कि हम दोनों भाई बहन हैं। मुझे हमेशा से ये इच्छा थी कि मैं खुले में सेक्स के मजे लूं.. आज मौका भी है और दस्तूर भी।
मैंने उसकी बातें ध्यान से सुनी, अब मेरे ना कहने का कोई सवाल ही नहीं था, मैंने बिजली की तेजी से अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया। मेरा खड़ा हुआ लंड देख कर उसकी नजर काफी खूंखार हो गयी और उसकी जीभ लपलपाने लगी मेरा लंड अपने मुंह में लेने के लिए।
मैंने अपना कैमरा उठाया और उसकी तरफ देखा, वो समझ गयी और उसने चट्टान पर लेटे लेटे एक सेक्सी पोज लिया और मैंने उसकी फोटो खींच ली।
बड़ी सेक्सी तस्वीर आई थी।
फिर उसने अपनी टाँगें चौड़ी करी और अपनी उंगलियों से अपनी चूत के कपाट खोले। मैंने झट से उसका वो पोज कैमरे में कैद कर लिया।
फिर तो तरह तरह से उसने तस्वीरे खिंचवाई।
ऋतु की रस टपकाती चूत से साफ़ पता चल रहा था कि वो अब काफी उत्तेजित हो चुकी थी। मेरा लंड भी अब दर्द कर रहा था, मैं आगे बढ़ा और अपना लम्बा बम्बू उसके मुंह में ठूस दिया- ले बहन की लोड़ी… चूस अपने भाई का लंड… साली हरामजादी… कुतिया… चूस मेरे लंड को… आज मैं तेरी चूत का ऐसा हाल करूँगा कि अपनी फटी हुई चूत लेकर पूरे शहर में घूमती फिरेगी।
ऋतु ने मेरी गन्दी गालियों से उत्तेजित होते हुए मेरे लंड को किसी भूखी कुतिया की तरह लपका और काट खाया। उस ठंडी चट्टान पर मैंने अपने हिप्स टिका दिए और वो अपने चूचों के बल मेरे पीछे से होती हुई मेरे लंड को चूस रही थी।
मैंने अपना हाथ पीछे करके उसकी गांड में एक उंगली डाल दी.
“आआआ आआआह आअह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… म्म्म्म म्म्म्म” उसने रसीली आवाज निकाली।
ठंडी हवा के झोंकों ने माहौल को और हसीं बना दिया था। मुझे भी इस खुले आसमान के नीचे नंगे खड़े होकर अपना लंड चुसवाने में मजा आ रहा था। ऋतु काफी तेजी से मेरे लंड को चूस रही थी और चूसे भी क्यों न… आज उसकी एक सीक्रेट फैंटसी जो पूरी हो रही थी।
ऋतु चिल्लाई- साआआले… भेनचोद… हरामी कुत्ते… अपनी बहन को तूने अपने लम्बे लंड का दीवाना बना दिया है. मादरचोद… जी करता है तेरे लंड को खा जाऊं… आज मैं तेरा सारा रस पी जाऊँगी… साले… जब से तूने मेरी गांड मारी है… उस में खुजली हो रही है… भेन के लौड़े… आज फिर से मेरी गांड मार…
मैंने उसे गुड़िया की तरह उठाया और अपना लंड उसकी दहकती हुई भट्टी जैसी गांड में पेल दिया.
“आय्य्य्यीईई… आअह्ह्ह…” उसकी चीख पूरी वादियों में गूँज गयी। मैंने उसे चुप करने के लिए अपने होंठ उसके मुंह से चिपका दिए।
आज मुझे भी गाली देने और सुनने में काफी मजा आ रहा था। आज तक ज्यादातर हमने चुपचाप सेक्स किया था। घर वालों को आवाज न सुनाई दे जाए इस डर से… पर यहाँ ऐसी कोई परेशानी नहीं थी इसलिए हम दोनों काफी जोर से सिसकारियां भी ले रहे थे और एक दूसरे को गन्दी गन्दी गालियाँ भी दे रहे थे।
मैं भी उत्तेजक था और ऋतु से बोला- ले साली कुतिया… हरामजादी… मेरे लंड से चुदवाने के बाद अब तेरी नजर अपने बाप के मोटे लंड पर है… मैं सब जानता हूँ… तू अपनी रसीली चूत में अब अपने बाप का लंड लेना चाहती है… छिनाल… और उसके बाद चाचू से भी चुदवायेगी… है ना… और फिर वापिस शहर जाकर मेरे सभी दोस्तों से भी जिनसे अभी तक तूने अपनी चूत ही चटवाई है… बोल रंडी?
ऋतु- हाँ हाँ… चुदूँगी अपने बाप के मोटे लंड से… और अपने चाचू के काले सांप से… साले कुत्ते… तू भी तो अपनी माँ की चूचियां चूसना चाहता है और अपने मुंह से उनकी चूत चाटना चाहता है.. और चाची मिल गयी तो उसकी चूत के परखच्चे उड़ा देगा तू अपने इस डंडे जैसे लंड से… साला भड़वा… अपनी बहन को पूरी दुनिया से चुदवाने की बात करता है… तू मेरे लिए लंड का इंतजाम करता जा और मैं चुदवा चुदवा कर तेरे लिए पैसों का अम्बार लगा दूंगी।
ये सब बातें हमारे मुंह से कैसे निकल रही थी हमें भी मालूम नहीं था; पर यह जरूर मालूम था कि इन सबसे चुदाई का मजा दुगुना हो गया था।
मेरा लंड अब किसी रेल इंजन की तरह उस की कसावदार गांड को खोलने में लगा हुआ था। उस का एक हाथ अपनी चूत मसल रहा था और मेरे दोनों हाथ उसके गोल चूचों पर थे और मैं ऋतु के निप्पलों पर अपने अंगूठे और उंगली का दबाव बनाये उन्हें पूरी तरह दबा रहा था।
ऋतु के चूतड़ हवा में लटके हुए थे और पीठ कठोर चट्टान पर… मैं जमीन पर खड़ा उसकी टांगों को पकड़े धक्के लगा रहा था।
मैंने हाँफते हुए कहा- ले चुद साली… बड़ा शौक है ना खुले में चुदने का… आज अपनी गांड में मेरा लंड ले और मजे कर कुतिया…
ऋतु- मेरा बस चले तो मैं पूरी जिंदगी तेरे लंड को अपनी चूत या गांड में लिए पड़ी रहूँ इन पहाड़ियों पर… चोद साले… मार मेरी गांड… फाड़ दे अपनी बहन की गांड आज अपने मूसल जैसे लंड से… मार कुत्ते… भेन के लंड… चोद मेरी गांड को… आआअह… हयीईईई ईईईईई… आआअह्ह…
और फिर उस की चूत में से रस की धार बह निकली… उसका रस बह कर मेरे लंड को गीला कर रहा था, उसके गीलेपन से और चिकनाहट आ गयी।
मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी- ले छिनाल… आआआह… ले मेरा रस अपनी मोटी गांड में… आआह्ह्ह… हुन्न्न्न न्न्न्न आआआ…
भाई ने बहन की गांड में लंड दिया मेरे मुंह से अजीब तरह की हुंकार निकल रही थी, काफी देर तक मेरा लंड बहन की गांड में होली खेलता रहा और फिर मैं उसकी छातियों पर अपना सर टिका कर हांफने लगा।
ऋतु ने मेरे सर पर अपना हाथ रखा और हौले हौले मुझे सहलाने लगी; मेरा लंड फिसल कर बाहर आ गया; मैंने नीचे देखा तो उसकी गांड में से मेरा रस बह कर चट्टान पर गिर रहा था.
उसकी चूत में से भी काफी पानी निकला था; ऐसा लग रहा था कि वहां किसी ने एक कप पानी डाला हो… इतनी गीली जगह हो गयी थी।
ऋतु उठी और मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया; फिर अपनी गांड से बह रहे मेरे रस को इकठ्ठा किया और उसे भी चाट गयी.
मेरी हैरानी की सीमा न रही जब उसने वहां चट्टान पर गिरे मेरे वीर्य पर भी अपनी जीभ रख दी और उसे भी चाटने लगी और बोली- ये तो मेरा टोनिक है!
और मुझे एक आँख मार दी।
उसे चट्टान से रस चाटते देखकर मेरे मुंह से अनायास ही निकला “साली कुतिया…”
और हम दोनों की हंसी निकल गयी।
फिर हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और नीचे की तरफ चल दिए। हम दोनों नीचे पहुंचे और वापिस टेबल पर आ कर बैठ गए और भीड़ का हिस्सा बन गए। किसी को भी मालूम भी नहीं चला कि हम दोनों कहाँ थे और हमने क्या किया।
आज बस इतना ही… आगे क्या हुआ… वो इस हिन्दी सेक्स स्टोरी के अगले भाग में!
आप अपने विचार मुझे मेल कर सकते हैं साथ ही इंस्टाग्राम पर भी जुड़ सकते हैं।
[email protected]
Instagram/ass_sin_cest
What did you think of this story??
Comments