लॉकडाउन में वासना का ज्वार- 4
(Brother Sister Erotic Story)
ब्रदर सिस्टर इरोटिक स्टोरी में मेरी जवान कजिन मेरे साथ नशे में थी. उसने एक झीनी सी टॉप पहनी थी सिर्फ … इसमें उसकी पूरी नंगी जांघें मेरे सामने थी, मेरे लंड को सता रही थी.
कहानी के पिछले भाग
बहन की मैली चड्डी की गंध
में आपने पढ़ा कि मेरे साथ रह रही बाथरूम में मेरी फुफेरी बहन की मैली पैंटी से आती गंध ने मुझे अपनी ओर खींच लिया. मैंने उस पैंटी सूंघा, चाटा और मेरे अंदर बहन के साथ सेक्स करने की भावना और प्रबल हो गयी.
अब आगे ब्रदर सिस्टर इरोटिक स्टोरी:
मोनी झटपट किचन में चली गयी और डिनर की तैयारी करने लगी.
वह प्याज़ काट रही थी.
तभी मैंने उसको कहा- दीदी, मैं ज़रा देवेश के फ्लैट होकर आता हूँ, उसका फ़ोन आया था … आधे-एक घंटे में आता हूँ.
कहकर मैं निकल गया.
देवेश के फ्लैट पहुंचकर हमने ऑफिस की बातें कीं, गप्पें मारी और थोड़ी देर प्लेस्टेशन भी खेला.
वापस आते हुए मुझे पौने 11 बज गए.
मैं जैसे ही फ्लैट में घुसा, पके हुए मटन की चटकारेदार खुशबू मेरी नाक से टकराई.
मोनी मटन को एक सर्विंग पॉट में रखकर किचन से डाइनिंग टेबल पर ला रही थी.
डाइनिंग टेबल पर पहले से कश्मीरी पुलाव, रोटियां, सलाद और पापड़ सजा हुआ था.
भूख तो मुझे पहले से लग रही थी. उस महक से भूख और बढ़ गयी.
“आ गया नीलू … फटाफट हाथ मुंह धोकर आ जा … गर्मागर्म खाना तैयार है!” मोनी ने मटन को टेबल पर रखते हुए कहा.
“बस अभी आया दीदी!”
हम डिनर करने बैठे और सच में, मोनी ने जो मटन बनाया था वह इतना ज़ायकेदार और मसालेदार था कि उसको खाकर मैं उँगलियाँ चाटता रह गया.
मैंने डटकर भोजन किया और जठराग्नि को पूर्ण रूप से तृप्त किया.
उसके बाद जैसा रूटीन था, हमने भोजनोपरांत रोज़ की भांति सिगरेट पीते हुए मैंने भोजन के ज़ायके की खूब तारीफ की.
मोनी ने ब्लश करते हुए, मुस्कुराते हुए साथ में सिगरेट के कश मारे.
लगभग पौने बारह बज रहे थे.
मोनी ने मुझसे पूछा- अब ये बता कि रात का क्या प्लान है? रोज़ की तरह सो तो नहीं जाएगा?
“नहीं दीदी … मुझे तो बिलकुल नींद नहीं आ रही. कुछ बिंज-वाच करूँगा नेटफ्लिक्स पर … आप बताओ बाकी!”
“मुझे तो रोज़ ही नींद नहीं आती इतनी जल्दी नीलू … चल आज दोनों भाई बहन साथ में ‘नेटफ्लिक्स एंड चिल’ करते हैं!”
“तू ये बता … जॉइंट रोल करेगा क्या?” मोनी की आवाज़ में एक सकारात्मक आशा की झलक थी.
“व्हाई नॉट दीदी … मैं तो सोच ही रहा था … अगर आप भी कंपनी दो तो बिल्कुल करूँगा.”
“वाह भाई! आज रात तो खूब जमेगा रंग, जब मिल बैठेंगे दो भाई बहन और साथ में पार्टी नॉन स्टॉप हे हे … चल मैं तेरे रूम में आती हूँ किचन समेट कर!” मोनी ने ठुमका सा लगाते हुए कहा और किचन की तरफ बढ़ ली.
उसके पश्चात मोनी किचन समेटने और साफ़ करने में लग गयी और मैं अपने रूम में चला गया.
मैंने चेंज करके स्लेटी रंग का ढीला बॉक्सर, और ऊपर एक सैंडो पहन लिया.
रूम में डिम लाइट चालू थी.
मैंने ऐ.सी. 22 डिग्री पर किया, टीवी पर मैंने ‘मनी हाइस्ट’ सीरीज प्ले कर दी.
और साथ में एक अखबार में माल क्रश करने लगा.
किचन साफ़-समेट करके लगभग बीस मिनट बाद मोनी मेरे कमरे में घुसी, तब तक मैं माल क्रश करके साफ़ करने में लगा था.
मोनी ने पहले टीवी पर चल रही सीरीज को देखा और फिर बेड पर बैठे मुझे क्रश करते देख उसकी बांछें खिल उठीं!
उसने गांजे का पैकेट उठाके सूंघते हुए कहा- उफ़! ये तो बहुत तगड़ा माल लग रहा नीलू … कहाँ का है?
“शिलॉन्ग का है दीदी … सोचो महक इतनी सेक्सी है तो पीने में कितना मज़ा आएगा!”
“हाय मेरे भाई … तेरा दिमाग भी कम सेक्सी नहीं … ये लॉकडाउन का नीरस टाइम तूने कितना रोमांचक और हैपेनिंग बना दिया!”
मैंने एक मुस्कराहट दी और कहा- बस दीदी, थोड़ी ही देर में माल रेडी हो जाएगा, फिर रोल करता हूँ … आप बैठो और तब तक एपिसोड देखो!
मोनी ने कुछ सोचते हुए कहा- मैं सुबह से इन्ही कपड़ों में हूँ … गर्मी भी बहुत है … मैं फ्रेश होकर आती हूँ दस मिनट में, तब तक तू तीन-चार जॉइंट बना के रख … और फिर बिंज वाच करते हैं आराम से!
“ओ.के. दीदी, आप फ्रेश होकर आराम से आओ!”
मोनी अपने कमरे में चली गयी और मैं एपिसोड पॉज करके माल क्रश करने लगा.
उसके बाद मैंने उसमें सिगरेट का तम्बाकू मिलाया.
तत्पश्चात मैंने चार मोटे जॉइंट रोल कर दिए.
लगभग पंद्रह मिनट के पश्चात, रात साढ़े बारह बजे के आस पास मोनी ने मेरे कमरे में फिर कदम रखा.
लेकिन जो मैंने देखा तो मेरी आंखें कुछ पल फटी ही रह गयीं.
मोनी कमरे में घुसी और दरवाज़ा धकेल कर बंद कर दिया.
फ्रेश होने के साथ-साथ वह कपड़े बदल कर आयी थी.
उसने ऊपर एक हल्के फिरोज़ी रंग का स्लीवलेस टॉप पहना था जिनसे मोनी की गदरायी चिकनी बांहें दिख रही थीं.
और डीप नैक से गल्ली (क्लीवेज) का दर्शन हो रहा था.
नीचे एक बरगंडी रंग की काले पोल्का डॉट प्रिंटेड ढीली सी मिनी स्कर्ट पहन रखी थी.
स्कर्ट इतनी छोटी थी कि मोनी की दो तिहाई जांघें नंगी थीं; सुनहरी, चिकनी, गदरायी हुई मांसल जांघे उस अत्यधिक छोटी स्कर्ट से लबलबाते हुए बाहर निकल रही थीं.
मोनी की चाल इस समय कुछ ज़्यादा ही मादक लग रही थी.
वह लगभग कैट वाक की तरह धीरे धीरे अपने बदन की नुमाइश करते हुए चल कर आ रही थी.
चलते हुए मोनी की जांघें सांवले संगमरमर के जैसे छलछला रहीं थीं.
अगर मेरा दिमाग संयम में न रहता तो वह दृश्य देखकर मेरी आह निकल जाती.
मोनी के साथ दो हफ्ते रहते हुए मुझे एक बात पता चली थी कि मोनी को अपने त्वचा पर बालों से असुविधा होती है इसलिए वह लगभग हर दूसरे हफ्ते वैक्सिंग करती थी.
बराबर वैक्सिंग करने के कारण मोनी की जांघों का प्रमुख हिस्सा चिकना और बालरहित होकर स्थायी रूप से चमक गया था.
और वह चमचमाहट इस वक़्त मेरी आँखों पर सीधे पड़ रही थी.
शायद कल-परसों में ही उसने वैक्सिंग की होगी.
हौले हौले मटकती हुई मोनी चलकर मेरे पास आयी.
उसके बाल खुले हुए थे और चेहरे पर हल्का टच-अप किया हुआ था- आई लाइनर और लिप ग्लॉस तो साफ़ साफ़ पता चल रहा था कि बस अभी लगाकर आयी है.
कहाँ मैं मोनी के करीब आने की योजना सोचने में दिमाग खपा रहा था, और यहाँ सामने से स्वतः ही मोनी का अंग-अंग अप्रत्यक्ष रूप से यौन आमंत्रण दे रहा था.
मोनी ने मेरी तन्द्रा तोड़ते हुए कहा- ओए … कहाँ खो गया? जॉइन्ट रोल किया?
मैंने कहा- ओह … ह … हाँ दीदी ये लो!
एक जॉइंट मोनी की और बढ़ाते हुए मैंने कहा और पूछा- दीदी इतना टाइम कहाँ लग गया, आप तो फ्रेश होने गयी थी न?
मोनी जॉइंट पकड़ कर उसे गौर से देखते हुए बोली- हाँ बबा … फ्रेश होकर ही आ रही हूँ … वह सोचा कि इतनी गर्मी है, सुबह से उन्ही कपड़ों में थी, किचन में भी थी … इसलिए चेंज कर आयी. तुझे पसंद नहीं आया क्या?
“दीदी … सच कहूं तो बहुत हॉट लग रही हो आप इन कपड़ों में!”
“हाय सच में? आज सूरज पश्चिम से निकला क्या! दो हफ्ते में पहली बार तेरे मुँह से तारीफ़ सुनी है अपनी. कॉलेज में तो लड़के लगभग हर रोज़, यहाँ तक कि पीजी में लड़कियां तक मेरी हॉटनेस की तारीफ़ कर देतीं थीं. मैं सुबह से शाम तेरी तारीफों के पुल बांधती रहती हूँ और एक तू है जो आज इतने दिनों बाद कह रहा … चल कम से कम बोला तो सही!” मोनी मज़ाकिया लहजे में उत्सुकतापूर्ण तरह से बोली.
फिर उसने चुटकी लेते हुए कहा- मैं पैदा ही हॉट हुई थी बेटे … चल अब शुभारंभ करते हैं … ज़रा लाइटर तो दे!
मोनी ने अपना एक घुटना बिस्तर पर रखा और हाथ आगे बढ़ाया.
मैंने लाइटर बढ़ाया और मोनी ने जॉइंट सुलगाया.
दो गहरे कश खींचे और मुझे जलता हुआ जॉइंट पास करते हुए बोली- आय हाय ! … इसका टेस्ट क्या मस्त है नीलू!
दोस्तो, आप सब को एक तथ्य तो बता ही भूल गया मैं गां/जे के बारे में. शराब से बिल्कुल विपरीत, गां/जे का नशा शारीरिक अनुभूतियों को दबाने की बजाय उनका प्रवर्धन करता है. यौनेच्छा और कामवासना को बढ़ा देता है.
मैंने जॉइंट अपने हाथ में लिया, एक कश खींचा, बिस्तर से उठा, बालकनी का स्लाइडर डोर खिसकाया और मोनी को आने का इशारा किया.
मोनी भी उठी और मेरे पीछे बालकनी में आ गयी.
उन्नीसवीं मंज़िल की बालकनी से एक अलग ही व्यू मिल रहा था.
सड़क के एक तरफ फारेस्ट एरिया, दूसरी तरफ हमारी छोटी सी एक टाउनशिप और बीच में से गुज़रती हुई एक सुनसान सड़क जो आगे जाकर हाईवे से मिल रही थी.
हमने देखा कि एक पुलिस की जीप पेट्रोलिंग करते हुए निकली.
उसके अतिरिक्त हाईवे पर भी पूरा सन्नाटा पसरा पड़ा था.
हल्की हवा चल रही थी.
मैं और मोनी बालकनी की रेलिंग पर हाथ टिकाके वह व्यू देखने लगे.
एक आध काश मैंने खींचा, फिर मोनी को पास किया.
उसने जॉइंट लिया और बालकनी में पड़े सोफे पर बैठ गयी.
अपनी एक जांघ पर दूसरी जांघ चढ़ाते हुए उसने मुझसे कहा- क्या सेक्सी व्यू है यार, तेरा फ्लैट तो मेरे दिल में बस गया है!
कहते हुए दो गहरे कश खींचे.
फिर उसने मुझसे पूछा- वैसे ये तो बता … तेरी गर्लफ्रेंड का क्या हाल चाल है? मिस कर रहा क्या उसे?
मैं मोनी के दायीं तरफ सोफे पर बैठते हुए बोला- क्या दीदी … टांग मत खींचो यार … वह अपने घर पर ही है, उसके चूतिये बाप ने उसे रुकवा लिया. अब पता नहीं कब आएगी. लेकिन सच कहूं तो मिस नहीं कर रहा. डेढ़ साल हो गया डेट करते हुए … अब साली सरदर्द हो गयी है. जब जा रही थी मैं तो खुश था कुछ दिन इससे आज़ादी मिलेगी!
मोनी ने पूछा- इतना गुस्सा भाई? बस सरदर्दी देती है … और कुछ नहीं?
“और जो लेना था वह डेढ़ साल में इतनी बार लिया कि मन भर चुका है.”
इसके साथ थी हम दोनों ने ठहाका लगाया.
फिर मैंने पूछा- दीदी, मुझे तो आप खोदती रहती हो बातों के लिए … सिंगल तो आप भी नहीं हो!
“हे हे तुझे किसने बताया? हाँ मेरा बॉयफ्रेंड है, पारस नाम है उसका. बीते साल नवंबर से हम रिलेशनशिप में हैं, दिल्ली का ही रहने वाला है.”
“आपका भाई आपसे थोड़ा सा ज्यादा स्मार्ट है दीदी, चीज़ें पता लगाने में!” मैंने शातिर मुस्कान देते हुए कहा.
अब तक गां/जा अपना असर दिखने लगा था और उसकी थोड़ी-थोड़ी हिट आने लगी थी.
सर हल्का होने लगा था और मूड भी.
मोनी ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा- स्मार्ट तो तू है भाई, मानती हूँ मैं. दिमाग तो तेरा हमेशा से तेज़ था … अब जवान हो कर लुक्स भी कातिल हो गए हैं तेरे … आई ऍम श्योर तेरी ऑफिस में तो लड़कियां खूब लाइन मरती होंगी!
कहते हुए मोनी ने एक गहरा काश खींच कर मुझे जॉइंट पास किया।
“हा हा बस बस!” मैंने एक स्माइल दी.
फिर मोनी ने कहा- तुझे एक सीक्रेट बताती हूँ … पारस को आईडिया भी नहीं कि मैं यहाँ गुरुग्राम में हूँ.
“व्हाट!? फिर क्या?”
“उसको यही पता है कि मैं वापस कानपुर जा चुकी हूँ … मैंने उसको बताया ही नहीं कि मैं तेरे साथ हूँ यहीं. इसीलिए उसका ज़्यादा फ़ोन भी नहीं आ रहा क्यूंकि घर बहुत रेस्ट्रिक्शन होती है … ये सब मैंने ही उसको कहा!”
“वाह दीदी … मान गए आपको. खेल तो आप भी काम नहीं खेलती हो. वैसे ये करने का कारण क्या है?”
“पता नहीं यार नीलू … आई जस्ट नीड सम स्पेस टू माइसेल्फ राइट नाओ!” कहते हुए मोनी ने जॉइंट से एक और कश खींचा और पूरे सुकून से धुँआ छोड़ा.
यह सुनकर मैंने मन ही मन सोचा, कि मोनी कितनी हरामिन है.
छह महीने भी नहीं हुए रिलेशनशिप को और बॉयफ्रेंड को चूतिया बनाकर यहाँ मज़े काट रही.
उधर घर वालों को अलग गोली दी हुई है कि पढ़ाई के लिए रुकी है यहाँ.
मुश्किल से दिन में एक-डेढ़ घंटा अपने कॉलेज की पढ़ाई करती थी.
और यहाँ मैडम को ‘स्पेस’ चाहिए.
वाह भाई वाह!
हमारी गप्पें, बकचोदी और हंसी ठिठोली चलती रही.
मैंने मोनी को धुएँ के छल्ले बनाना, घोस्ट, वाटरफॉल इत्यादि कई स्मोक ट्रिक्स दिखायीं.
मोनी ने हमारे एक-दो रिश्तेदारों के नक़ल उतारी.
बातों ही बातों में पहला जॉइंट ख़त्म हो गया और अब गां/जे का सुरूर दिमाग पर छाने लगा था.
मैंने एक सिगरेट जलाई, मोनी अब मुझे एक अलग तरह से देख रही थी.
अभी मैंने दो कश खींचे ही थे कि वह खड़ी हुई, मुझसे सिगरेट ली और घूमकर मेरी तरफ पीठ करके, रेलिंग पर एक हाथ रखकर कश खींचने लगी.
जैसे ही मोनी घूमी, उसकी मिनी स्कर्ट उसके मूवमेंट से दो-तीन इंच ऊपर उठ गयी.
चूंकि मैं नीचे सोफे पर बैठा था, मुझे स्कर्ट के अंदर की एक झलक दिखी।
अंदर का नज़ारा देखकर मेरी रूह से आह निकल गयी.
धुंधली रोशनी में मैंने स्कर्ट के अंदर कच्छी की हल्की सी झलक देखी.
वह बैंगनी रंग की थी और प्रिंट बाथरूम वाली कच्छी से हूबहू मिलता था.
लेकिन मेरी आंखे टिकीं जहाँ गांड ख़त्म होती है वहां नीचे के गड्ढों पर कालिख थी, वहाँ की त्वचा एकदम डार्क हो गयी थी.
उस डार्क, काली त्वचा को देखकर मुझे अजीब सी सुरसुरी चढ़ी.
उफ्फ … क्या गंधौड़ापन था उसमें!
मन किया जी भर के चाट लूँ गांड के नीचे के उन काले गड्ढों को.
मोनी की जांघों के पिछले भाग में सेल्युलाईट की एक हल्की सी परत थी जो उसके गदरायेपन में एक अलग आयाम जोड़ रही थी.
गां/जे का प्रताप यह था कि ढीले कॉटन के बॉक्सर में मेरा लण्ड हरकत में आने लगा था.
मैंने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी.
मैं बिना कुछ सोचे मुँह फाड़ कर मोनी की जाँघों को घूरे जा रहा था.
इतने में मोनी ने सिगरेट पीते हुए बिना मेरी तरफ देखे कहा- नीलू … बहुत दिनों बाद इतना मज़ा आ रहा है … ये व्यू … ये ठंडी ठंडी हवा … और ये माल उफ्फ्!
साफ़ पता चल रहा था कि उस पर मदहोशी छा रही थी.
फिर मेरी तरफ पलटकर उसने एक सेक्सी सी स्माइल देकर कहा- वन मोर?
मोनी की आँखों में मुझे हल्की लाली दिखाई दी.
ब्रदर सिस्टर इरोटिक स्टोरी पर अपनी राय मुझे बताते रहें.
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ब्रदर सिस्टर इरोटिक स्टोरी का अगला भाग: लॉकडाउन में वासना का ज्वार- 5
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