मुझे मेरे भाई ने पकड़ कर चोदा- 1
(Bro Sis Porn Kahani)
ब्रो सिस पोर्न कहानी में पढ़ें कि एक बार मौसेरे भाई से चुदने के बाद मुझे सेक्स चढ़ने लगा था. तो मैंने अपने घर में ही घर का लंड लेने की योजना बनाई.
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मेरा नाम हिमानी सिंह है. मैं पानीपत की रहने वाली हूं. मेरी उम्र 28 साल है और मेरा फिगर 34-28-38 का है.
हमारे घर में मेरे एक छोटी बहन एक छोटा भाई और मम्मी-पापा हैं.
मेरे भाई का नाम राहुल और बहन का नाम कोमल है. भाई मुझसे एक साल और बहन 3 साल छोटी है.
मेरी पिछली कहानी
मौसेरे भाई ने मेरी कुंवारी बुर चोद दी
में आपने पढ़ा था कि जब मैं अपनी मम्मी को मौसा जी से चुदते हुए देख रही थी, तब उनकी बातों से मुझे पता चला था कि मेरे पापा मेरे असली पापा नहीं हैं … और न ही मेरा भाई मेरा सगा भाई है.
मैं मम्मी के पहले ब्वॉयफ्रेंड की बेटी हूं और मेरा भाई और छोटी बहन मम्मी के बुआ के लड़के के लंड का प्रसाद हैं.
जब से मुझे ये पता चला था और जब से मैंने मम्मी की चुदाई मौसा जी और उनके लड़के के साथ देखी थी, तब से सब कुछ बदल गया था.
मुझे धीरे धीरे चीजें दूसरे नजरिए से दिखने लगी थीं, जैसे जैसे मैं बड़ी हो रही थी, मुझे सेक्स का खुमार चढ़ता जा रहा था.
ये ब्रो सिस पोर्न कहानी तब की है, जब मैं अपने मौसेरे भाई से चुद चुकी थी.
मेरी चूचियां बड़ी होने लगी थीं.
अब मैं चुपके चुपके मम्मी को चुदाई भी देखा करती थी और अपनी चूत में उंगली गाजर ये सब भी करने लगी थी.
पापा के दुकान पर जाने के बाद अक्सर मम्मी अपने किसी नए ब्वॉयफ्रेंड को घर पर बुला लेती थीं और जी भरके चुदती थीं.
मैं जिस दिन स्कूल नहीं जाती थी या हाफ टाइम से वापस आ जाती थी, उस दिन मम्मी को चुदाई का लाइव मजा लेने को मिल जाता था.
मम्मी की चुदाई देख कर मेरा भी लंड लेने का बहुत मन करता था.
गाजर मूली की जगह मुझे भी असली लंड अपनी चूत में चाहिए था.
पर मैं गर्ल्स स्कूल में जाती थी और आस पास के कोई लड़के इतने हॉट दिखते नहीं थे.
और जो थे भी, वो काफी बड़े थे … इसलिए उनपर ट्राई करने का कोई मतलब नहीं था.
एक दिन मैंने प्लान बनाया कि न तो मेरा भाई सगा भाई है और न ही मेरे पापा मेरे असली पापा हैं, तो मैं लंड इधर उधर जाकर क्यों ढूंढूं.
मैंने निश्चय किया कि मैं अब ब्रा और पैंटी घर में नहीं पहना करूंगी ताकि मेरी चूची और चूत मेरा भाई या पापा या दोनों नोटिस कर सकें.
मैं ज्यादातर घर में स्कर्ट या मिनी स्कर्ट ही पहनती थी.
जब भी मैं और मेरा भाई लूडो या कुछ भी आमने सामने बैठने वाला खेलते तो मैं जानबूझ कर अपना एक घुटना मोड़ कर ऊपर कर लेती ताकि उसे मेरी चूत साफ दिखाई दे जाए.
मैं उसके सामने ऐसे दिखावा करती जैसे अनजाने में हो गया हो.
वो हर बार जब मेरी चूत देखता तो ये देखने को कोशिश करता कि मुझे पता तो नहीं चला.
मैं ऐसे बर्ताव करती जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं है.
मैं जानबूझ कर उसके और पापा के सामने अक्सर चीजें गिरा देती और झुक कर उठाती ताकि उन दोनों को मेरी चूचियां दिखाई दे जाएं.
कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा.
मैं सोच रही थी कि कौन आकर पहल करेगा.
मैं अपना रूम लॉक नहीं करती थी जिससे भाई या पापा कोई भी आराम से आ सके.
एक रात मैं अपने कमरे में सो रही थी, मैंने सिर्फ स्कर्ट और झीना वाला टॉप पहना था.
तब रात का 1 या 2 बजा होगा. उस वक्त भाई मेरे कमरे में आया.
भाई ने मुझे धीरे से हिलाया और आवाज दी- दीदी.
मैंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया.
उसने फिर से थोड़ा सा हिलाया, मैंने फिर कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया.
उसको लगा कि मैं बहुत गहरी नींद में सो रही हूँ.
उसने धीरे से मेरी चूची पर हाथ रखा और धीरे धीरे दबाने लगा.
फिर उसने धीरे से मेरा टॉप और स्कर्ट ऊपर की और मेरे मम्मों से खेलने लगा.
मम्मों से खेलने के बाद उसने मेरी चूत की दरार में उंगली डाली और धीरे धीरे मेरी चूत रगड़ने लगा.
मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी.
वो धीरे धीरे मेरी चूत के छेद तक पहुंच गया.
और जैसे ही उसने अपनी उंगली मेरी चूत में सरकाई, मेरी चूत गीली होने की वजह से उसकी पूरी उंगली सरक कर अन्दर घुस गई.
वो शायद घबरा गया और उसने तुरंत अपनी उंगली बाहर निकाल ली.
फिर एक मिनट बाद उसको लगा कि मैं अभी भी सो रही हूँ तो उसने फिर से उंगली मेरी चूत में डाल दी और मेरी टांगें खोल दीं.
अब उसने एक हाथ से मेरी चूत फैलाकर दूसरे हाथ से उंगली करना शुरू कर दिया.
वो शायद जोश जोश में ये भूल गया था कि मैं जाग सकती हूँ.
उसने दो उंगली चूत में घुसा स्पीड थोड़ी तेज कर दी.
अब मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था; मेरा मन कर रहा था कि मैं गांड उठा कर और हिला हिला कर उसका साथ दूँ पर मैं चुपचाप लेटी रही.
वो मेरी चूत में उंगलियां डालता, फिर चाट लेता. फिर डालता, फिर चाट लेता.
कुछ देर बाद उसने हिम्मत करके मेरी टांगें थोड़ी और फैला दीं और अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया.
वो मेरी चूत चाटने लगा.
कोई 5 मिनट तक वो मेरी चूत चाटता रहा, फिर उसने अपना लंड निकाला और मेरे हाथ में पकड़ा कर मेरी मुट्ठी बंद की.
वो मेरे हाथ से अपने लंड को ऊपर नीचे करवाने लगा.
उसका लंड उसकी उम्र के लड़कों से काफी बड़ा था. उसका लंड 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था. उसका लंड इतनी छोटी उम्र में ही किसी आदमी की तरह हो चुका था.
कुछ मिनट बाद उसने अपना लंड मेरे होंठों पर लगाया.
मैंने लंड का स्वाद काफी समय बाद महसूस किया था.
पिछली बार जब मैंने अपने मौसेरे भाई का लंड चूसा था उसके बाद आज मैं लंड का स्वाद ले रही थी.
उसने अपनी उंगली से मेरा मुँह खोलने की कोशिश की तो मैंने मुँह ढीला छोड़ दिया ताकि वो आराम से खोल सके.
उसने मेरा मुँह खोला और अपने लंड का सुपारा मेरे मुँह में घुसा दिया.
फिर थोड़ा और अन्दर करने के बाद वो धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा और साथ मेरे मम्मों को दबाने लगा.
5 मिनट बाद उसने मेरे मुँह में ही पिचकारी मार दी और जल्दी जल्दी में लंड निकालते हुए उसने आधा रस मेरे मुँह के अन्दर और थोड़ा मेरे मुँह के ऊपर गिरा दिया; बाकी का रस उसने मेरी चूत पर डाल दिया.
मेरे मुँह के बाहर रस गिरा था तो वो अपनी उंगली से रस उठाकर मेरे मुँह के अन्दर डालने लगा था.
उसने जो रस चूत पर गिराया था, वो उसने मेरी चूत की दरार में रगड़ दिया और मेरे कपड़े ठीक करके वापस चला गया.
उसके जाने के बाद मेरे मुँह में जो रस था, मैंने सब पी लिया और सो गई.
अगले दिन संडे था.
मैं सुबह उठी तो देखा राहुल अभी भी अपने रूम में सोया है.
पापा दुकान जा चुके हैं. मम्मी बाथरूम में हैं.
मैं राहुल के रूम में गई. उसका लंड चादर के ऊपर से साफ दिख रहा था.
मैंने धीरे चादर ऊपर की तो देखा, उसने अपनी चड्डी नहीं पहनी है.
मेरा मन तो कर रहा था कि लपक कर उसका लंड मुँह में ले लूँ, पर मैं सही वक्त का इंतजार कर रही थी इसलिए मैं वहां से चली गई.
मम्मी बाथरूम से निकलीं और जल्दी से नाश्ता बनाने लगीं.
शायद उन्हें बाहर जाना था, उनका मन किसी ब्वॉयफ्रेंड से चुदने का रहा होगा.
नाश्ता करने के बाद मम्मी तुरंत चली गईं और जाते समय कहने लगीं कि मुझे आने में देर हो जाएगी तो दोपहर का खाना बना कर जा रही हूँ, बस सब्जी बनाना है, बना कर खा लेना और अपने भाई बहन को भी खिला देना.
मैंने कहा- ठीक है, मैं बना दूंगी.
अब स्थितियां और भी मेरे अनुकूल बनती जा रही थीं.
पापा मम्मी दोनों नहीं थे, मैं और मेरा भाई सिर्फ घर पर थे.
कोमल अभी छोटी थी तो उसका कोई डर नहीं था.
मैंने नाश्ता लगाया और भाई के रूम में पहुंची, भाई को उठाया और कहा- लो भाई, जल्दी से नाश्ता कर लो, वरना ठंडा हो जाएगा.
अभी मैंने रात वाली ही स्कर्ट पहनी थी, बिना पैंटी के … क्योंकि पैंटी और ब्रा तो मैंने वैसे ही पहनना बंद कर दिया था.
भाई उठकर कहीं जा नहीं सकता था क्योंकि वो चादर के नीचे नंगा था.
मैं बेड पर पैर फोल्ड करके बैठ गई.
हम दोनों नाश्ता करने लगे.
एक मिनट बाद मैंने अपना एक पैर घुटने से टेड़ा कर लिया ताकि भाई को मेरी चूत के दर्शन हो सकें.
भाई नाश्ता कर रहा था और मेरी नजर बचाकर मेरी चूत देख रहा था.
हमने नाश्ता खत्म किया.
मैं बर्तन लेकर बाहर चली गई और अपने रूम में जाकर मिनी स्कर्ट पहन ली.
मैंने 2 साल पहले वाली मिनी स्कर्ट ढूंढ कर पहनी थी क्योंकि वो इतनी छोटी थी कि अगर मैं जरा सा भी झुकूं तो मेरी चूत पीछे से साफ दिखाई दे जाए.
कई पोर्न मूवीज में मैंने ऐसे सिड्यूस करते हुए देखा था.
पर मुझे पता था कि मूवीज में जो कुछ भी दिखाते हैं, वो पहले से तय होता है.
मगर यहां मुझे ऐसे दिखाना होगा कि मुझे कुछ नहीं पता, सब अनजाने में हो रहा है.
भाई रूम से बाहर आ चुका था और नीचे टीवी वाले कमरे में बैठा था.
मैं वहां जाकर पौंछा लगाने लगी.
जब मैं भाई के सामने पौंछा लगा रही थी तो उसे मेरी चूचियां हिलती हुई साफ दिख रही होंगी क्योंकि मेरा टॉप बहुत ढीला था.
फिर मैं जाकर कोने की तरफ पौंछा लगाने लगी.
वहां से उसे मेरी चूत के दर्शन साफ साफ हो रहे होंगे.
इसीलिए जब मैं चेंज करने गई थी तो मैंने लिपस्टिक अपनी गांड में डाल ली थी, ताकि जब मैं झुक कर पौंछा लगा रही होऊंगी, तो भाई को मेरी गांड में फंसी लिपस्टिक दिखाई दे जाएगी और उसे ये लगेगा कि मुझे लंड चाहिए है.
मैं पौंछा लगाकर वहां से चली गई.
वहां से जाने के बाद मैं बाथरूम में चली गई और जानबूझ कर तौलिया नहीं ले गई.
मैंने तौलिया अपने कमरे की अलमारी में रखा था और उसके नीचे एक पैंटी अपनी चूत रगड़ कर रख दी थी, जिससे उसमें मेरी चूत की महक भी भर जाए और चूत के रस से गीली भी हो जाए.
ताकि भाई जब मेरा तौलिया उठाने जाए तो वो मेरी पैंटी सूंघ सके और चाट सके.
मेरे घर के बाथरूम का दरवाजा थोड़ा सा जमीन से ऊपर लगाया गया है ताकि उसपर ज्यादा पानी न गिरे और वो जल्दी खराब न हो.
इसका फायदा उठा कर अगर उसके नीचे से कोई झांके, तो उसे अन्दर का नजारा साफ देखने को मिलता है.
ये मुझे पता था कि भाई बाथरूम में झांकने जरूर आएगा.
इसलिए मैंने बाथरूम में जाकर कपड़े उतारे और गेट के सामने बैठ कर अपनी चूत में उंगली करने लगी.
अपनी गांड में लिपस्टिक को अन्दर बाहर करने लगी.
भाई बाहर से देख रहा था.
उसकी परछाई अन्दर आ रही थी.
थोड़ी देर उंगली करने के बाद मैं नहाने लगी.
उसके बाद मैंने भाई को आवाज दी- भाई जरा मेरी तौलिया दे दो, मैं बाहर ही भूल गई हूँ. शायद मेरे रूम में होगा.
भाई कुछ देर बाद तौलिया देने आया.
मैंने फिर से जानबूझ कर अपना आधा हिस्सा गेट के पीछे रखा और आधा दिखने दिया. मैंने ऐसे जताया मानो मैंने अपनी समझ से सब छुपा रखा है.
पर मेरा भाई अब बहुत एक्साइटेड हो चुका था और मेरी भीगी हुई चूचियां और भीगी हुई आधी चूत देखने के बाद उसके सब्र का बांध टूट गया.
वो बाथरूम में घुस गया और मेरी चूचियां दबाने लगा.
मैंने उसे पीछे हटाया और अपनी चूत और चूची एक एक हाथ से ढकने की कोशिश करते हुए गुस्से में कहा- ये क्या करे रहे हो … बाहर निकलो.
वो कुछ नहीं बोला, बस लगा रहा.
मैं पीछे मुड़ गई और मैंने फिर से कहा- जाओ यहां से … वर्ना मैं मम्मी को कह दूंगी.
उसने अपना हाफ लोअर निकाल दिया और मुझे पीछे से ऐसे पकड़ लिया, जैसे उसने मेरी कोई बात सुनी ही न हो.
उसका लंड मेरी गांड की दरार में रगड़ रहा था.
मेरी चूत और उसका लंड पहले से ही गीले थे.
वो थोड़ा नीचे झुका और मुझे थोड़ा अपनी तरफ खींच कर उसने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
लंड घुसेड़ते ही वो धक्के देने लगा.
मैं उससे कह रही थी कि हटो ये क्या कर रहे हो … हटो.
मगर मुझे उसके लंड से चूत रगड़वाने में मजा आ रहा था. ब्रो सिस पोर्न का मजा मुझे मिल रहा था.
पर मुझे ये अभी नहीं दिखाना था इसलिए मैं बार बार उससे हटने के लिए कह तो रही थी पर उसे हटाने के लिए कुछ कर नहीं रही थी.
भाई बार बार कहने में लगा था- बस दीदी थोड़ा सा कर लेने दो … बस थोड़ा सा और …
वो जोर जोर से धक्के मारे जा रहा था.
उसका लंड मेरी चूत में पूरा अन्दर बाहर होने लगा था और मेरी भी चूत रसीली हो गई थी.
कुछ 5 मिनट में वो मेरी चूत में ही झड़ गया मगर फिर भी वो धक्के मारता रहा.
थोड़ी देर और धक्के मारने के बाद वो लंड बाहर निकाल कर अलग हुआ और टॉयलेट से बाहर चला गया.
मैं 2 मिनट अन्दर ही रही, फिर तौलिया लपेट कर बाहर आ गई.
वो वहीं मेरे कमरे में ही बैठा था.
मैंने कहा- तुमने ऐसा क्यों किया? तुम्हें नहीं पता है कि मैं तुम्हारी बहन हूँ? क्या ये सब अपनी सगी बहन के साथ किया जाता है?
उस पर वो बोला- दीदी सॉरी … पर आप बहुत सुंदर हैं और मैं जब आपको देखता हूँ, तो मुझसे कंट्रोल ही नहीं हो पाता.
मैंने कहा- ऐसे कैसे कंट्रोल खो जाता है. कोई तमीज नहीं बची है तुममें?
मैं उसे डराने की कोशिश कर रही थी ताकि वो मेरे इशारे पर चले और जब मैं कहूँ तब मुझे चोदे.
वो बार बार सॉरी सॉरी करने लगा.
मैंने कहा- ठीक है कोई बात नहीं … इस बार के लिए मैं चुप हूँ. पर अगली बार ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए. जब तुम्हारा तुम्हारे ऊपर कंट्रोल न हो, तो मुझसे कहना.
आगे की ब्रो सिस पोर्न कहानी को मैं अगले पार्ट में लिखूंगी.
आप मुझे मेल व कमेंट्स से बताएं कि आपको सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
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ब्रो सिस पोर्न कहानी का अगला भाग: मुझे मेरे भाई ने पकड़ कर चोदा- 2
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